RE: Hindi Porn Stories सेक्स की पुजारन
मेरी आँखें बाहर सुभाष पे थी, वो अपनी मा का बलात्कार देख अपना लंड हिला रहा था. मेरी आँखों से दुख और दर्द से आँसू बह रहे थे. मेरी हालत देख ससुरजी बहुत उत्तेजित हो गये थे. उनका लंड अब पूरा टाइट हो चुका था. ससुरजी का लंड मुश्किल से 6 इंच तक मेरे मूह में समा सकता था फिर भी वो बहरहमी से पूरा ज़ोर लगा कर मेरे मूह में पूरा 10 इंच का लॉडा ठूँसने की कोशिश कर रहे थे. में ज़ोर से खांस रही थी और मेरी हालत पे उनको तरस नही आया. उपर से मेरी बुरी हालत करने में उनको मज़ा आ रहा था. मेरे मूह का रेप करने में उनको बहुत ही मज़ा आ रहा था और आख़िर उनका झरना शुरू हो गया,
‘ये लो बहू मेरा पानी, आआआआआआहह पीलो सारे पानी को आआआहह’ मेरे पास पीने के सिवाय कोई चारा ही नही था. उनका गाढ़ा वीर्य मैं निगलती गयी और ससुरजी जंगली कुत्ते की तरह झरते हुए मेरे मूह को चोदते हुए अपना वीर्य लगातार निकालते गये. कुछ ही मिनिट पहले ससुरजी झर चुके थे फिर भी पता नही कैसे उनके बॉल्स में अभी भी बहुत ही वीर्य भरा हुआ था. झरते वक़्त ससुरजी ने मेरे मूह को इतनी बुरी तरह से चोदा की मुझे लगा कि दर्द के मारे में शायद बेहोश हो जाउन्गि, लेकिन आख़िर उनका झरना बंद हुआ और उन्होने धक्के लगाना बंद किया.
‘सच कहता हूँ बहू ज़िंदगी में मैने तुम्हारी जैसी लड़की नही देखी आआआअहह… बहुत मज़ा आया’ ससुरजी का लंड धीरे धीरे मेरे मूह के अंदर छोटा हो रहा था, उन्होने मेरा सर अभी भी कस के पकड़ा हुआ था. आख़िर उन्होने अपना लंड बाहर निकाला तो मुझे ठीक से खाँसने का मोका मिला, में ज़ोर्से खांस रही थी, और ससुरजी अपना गंदा लंड मेरे चेहरे पे रगड़ रग़ाद के सॉफ कर रहें थे. मेरे जबड़े में इतना दर्द था कि मैं कुछ बोल नही पा रही थी. में उनको कह नही पा रही थी कि बाहर सुभाष सब कुछ देख रहा था. ससुरजी ने मेरे हाथ मेरे सर के उपर बाँध, रस्सी को सीलिंग पे बाँध दिया.
‘हहेहहे, मेरी दवाई का वक़्त हो गया हैं, मैं बस अभी आया, तुम कही जाना मत हहेहहे’ उन्होने मेरी गान्ड पे हाथ फिराते हुए कहा ‘वापस आकर मुझे तुम्हारी छोटी सी गान्ड से भी तो खेलना हैं, आज तो पूरा दिन हम बहुत मज़ा करेंगे हहहे’
ससुरजी चले गये. उनके जाने के दो ही मिनिट बाद सुभाष अंदर आ गया. उसने अपनी पैंट पहेनली थी. मुझमे अब बोलने की थोड़ी ताक़त आ गयी थी.
‘प्लीज़ सुभाष बेटे मेरा हाथ खोल दो’ अपने सौतेले बेटे के सामने पूरी नंगी खड़ी थी मैं. मुझे इससे बहुत शरम आ रही थी. सुभाष मेरे नज़दीक आ कर खड़ा हो गया.
‘जल्दी करो सुभाष, तुम्हारे दादाजी आते ही होंगे’ पर सुभाष ने रस्सी नही खोली. उसने अपने दोनो हाथ आगे लाकर मेरे बूब्स पे रख दिए.
‘ये क्या कर रहा हैं तू, छोड़ मुझे वरना बहुत मार पड़ेगी’ मेरे चिल्लाने से सुभाष डर गया और एक सेकेंड के लिए उसने अपने हाथ नीचे कर दिए, लेकिन दूसरे ही पल उसने गुस्से से कहा ‘तुम दादाजी के साथ खेल सकती हो तो मेरे साथ क्यूँ नही खेलती, मैं नही छोड़ूँगा तुमको’ ऐसा बोलके सुभाष ने अपने हाथ फिरसे मेरे बूब्स पे रख दिए और उनको बहरहमी से मसल्ने लगा. बिना कोई चेतावनी उसने मेरे निपल अपनी उंगलियों से खीच दिए, मेरे सारे बदन में सनसनी फैल गयी. अपने बेटे के हाथो ऐसे इस्तेमाल हो के मुझे बहुत बुरा लग रहा था, लेकिन मेरा बदन मुझे धोका दे रहा था. सुभाष अब नीचे झुक गया और अपना मूह खोलके मेरे बूब्स चूसने लगा. मेरे जिस्म में आग लग चुकी थी. सुभाष को सेक्स का एहसास पागल बना रहा था. बहुत देर तक सुभाष मेरे बूब्स को ऐसे ही चूस्ता रहा.
‘आआहह… प्लीज़ सुभाष आआआअहह.. अब मुझे जाने दो’ मुझे अब बहुत ही सेक्स चढ़ गया था. मुझे पता नही चला लेकिन ससुरजी अपनी दवाई लेकर वापस आ गये थे और चुपकेसे हम दोनो को देख रहे थे.
सुभाष ने आख़िर मेरे बूब्स को चूसना बंद किया, उसने जब अपना मूह मेरे बूब्स पे से हटाया तो मेरा जी कर रहा था कि मैं उसको और बूब्स चूसने को कहु, लेकिन मैने ऐसा नही किया.
‘मैने देखा कि दादाजी तुम्हारे साथ क्या कर रहें थे, वो अपनी लुल्ली को तुम्हारे अंदर पीछे से डाल रहें थे, मुझे भी वैसा करना हैं’ ऐसा बोल के सुभाष ने अपनी पॅंट नीचे करदी. मैं उसका लंड देख हैरान रह गयी. उसके दादा की तरह उसका लंड पूरा 10 इंच लंबा और मोटा था. लंड को देख मेरे दिल में हलचल होने लगी. सुभाष दिमाग़ से छोटा बच्चा था इसलिए मैं उसको हमेशा एक बच्चे के जैसे देखती थी पर उमर से तो वो जवान था. उसका जवान तगड़ा लंड देख में बिल्कुल पागल हो गयी.
‘ठीक हैं सुभाष मेरे पीछे आजाओ में तुम्हे दिखाती हूँ कि दादाजी जो कर रहे थे वो कैसे करते हैं, पर तुम किसी को बताना मत, ठीक हैं ?’
‘ठीक हैं मम्मी’. सुभाष मेरे पीछे आ गया. मैं थोडा आगे की ओर झुक गयी और अपनी गोरी गान्ड और चूत को पीछे की ओर कर दिया, मुझ मैं अब बहुत सेक्स चढ़ गया था और सुभाष का लंड मुझे मेरी चूत मे महसूस करना था. बाहर ससुरजी सब देखते हुए अपना लंड हिला रहे थे.
पीछे आके सुभाष अपने दोनो हाथो से मेरी गान्ड मसल्ने लगा और अपने लंड को मेरी गान्ड के छेद पे लगा दिया. ‘वो ग़लत छेद हैं सुभाष, दूसरे छेद में डालो’
‘नही, उस छेद पे बाल हैं, मुझे ये छोटे और गुलाबी छेद में लंड डालना हैं’
में अब डर गयी ‘देखो सुभाष, अच्छे बेटे की तरह अपनी मम्मी की बात मानो’
‘नही मैं इसमे ही डालूँगा’ कह के सुभाष ने अपने हाथो से मेरी गान्ड फैला के अपना मोटा लॉडा मेरी गान्ड के छेद में घुस्साना शुरू कर दिया….
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