RE: Hindi Porn Stories सेक्स की पुजारन
मेरा प्यारा बेटा सुभाष
‘हहेहेहहे’ ससुरजी हंस रहे थे. उन्होने पीछे से आकर एक हाथ से मुझे जाकड़ लिया था और दूसरे हाथ से मेरा मूह कपड़े से बंद किया हुआ था. मैं ‘म्म्म्मममम एम्म्म’ करके चिल्लाने की कोशिश कर रही थी. ससुरजी जानते थे कि इस कमरे मैं कोई आता जाता नही इसीलिए उन्होने ये प्लान बनाया था. मैं हवा मैं अपने हाथ मार रही थी और अपने बदन को हिला कर ससुरजी के चंगुल से निकलने की कोशिश कर रही थी, पर सात फुट के ससुरजी के सामने मेरी ताक़त नही चलने वाली थी. मेरे हिलने से मेरी गान्ड ससुरजी के लंड पे रगड़ रही थी और इसी उनका लॉडा खड़ा हो रहा था. मुझे उनका लंड बड़ा होते हुए महसूस हो रहा था.
ससुरजी ने मेरे मूह पे से हाथ हटाया बिना मुझे आगे धकेलके ज़मीन पे मेरे पेट पे लेटा दिया और वो मेरे उपर बैठ गये. में अब बिल्कुल लाचार थी. उन्होने अब कपड़े को मेरे मूह पे बाँध दिया और मेरे हाथ पकड़ मेरे पीठ पीछे बाँध दिए. ऐसा कर के वो खड़े हो गये.
मैं घुमा के अपनी पीठ पे हो गयी और उपर उठने की कोशिश करने लगी. ससुरजी मुझे देख रहे थे और अपने कपड़े आराम से निकाल रहे थे.
‘इस बार कोई हमे डिस्टर्ब नही करेगा. पूरा दिन हैं हमारे पास’ ससुरजी ने हँसते हुए कहा.
ससुरजी ने अब अपने पूरे कपड़े निकाल दिए थे और उनका मोटा लॉडा शान से खड़ा था. मैं कैसे भी करके अब खड़ी हो गयी थी और दरवाज़े की ओर भागने लगी, लेकिन ससुरजी रास्ते मैं खड़े थे और उन्होने मुझे फिर से अपनी बाँहो में जाकड़ लिया.
‘हहहे’ ससुरजी को मेरी लाचारी पे बहुत मज़ा आ रहा था. मुझे जाकड़ के वो अपना नंगा शरीर मेरे उपर रगड़ रहें थे. ऐसा करने से ससुरजी को बहुत सेक्स चढ़ गया. और वो पागल के जैसे मेरे कपड़े को खीच खीच के फाड़ने लगे. दो ही मिनिट में मेरे फटे कपड़े ज़मीन पे थे और में सिर्फ़ अपनी ब्रा और पैंटी में थी.
‘आज तो बहुत मज़ा आएगा’ कह के ससुरजी मे मुझे फिर से बाहों में ले लिया. दोनो हाथो से वो मेरी गान्ड को ज़ोर्से मसल रहें थे. उनका कड़क लॉडा मुझे मेरे पेट पे महसूस हो रहा था. उन्होने अब एक झटके से मेरी पैंटी निकाल दी और मेरी गोरी गान्ड को मसल्ते मसल्ते एक उंगली अंदर डाल दी.
‘म्म्म्मम… म्म्म्ममम’ करके में चिल्लाने की कोशिश कर रही थी.
गार्डेनिंग करते समय मुझे बहुत पसीना आ गया था ‘अरे बहू तुम्हे तो बहुत पसीना आ गया हैं, लाओ में सॉफ करदेता हूँ’ ऐसा कह के ससुरजी ने झुक के अपनी जीब को मेरे चेहरे पे कुत्ते के जैसे चलाना शुरू कर दिया. वो ज़ोर से मेरे चेहरे और गले को चाटते रहें और अपनी मोटी उंगली मेरी गान्ड में अंदर बाहर करते रहे. असल में गान्ड में उंगली का एहसास मुझे अच्छा लग रहा था और मेरे बदन में उससे हलचल होने लगी. मैं अपने प्यारे पति के साथ में धोका करना नही चाहती थी पर जैसे जैसे ससुरजी मेरी गान्ड को उंगली से चोदते रहें वैसे ही मेरे जिस्म की आग ने मेरे दिमाग़ को चलने से रोक लिया. जब कुछ मिनिट बाद आख़िर ससुरजी ने अपनी मोटी उंगली बाहर निकाली तो मुझे असल में अफ़सोस हुआ. मेरा बदन अब जलने लगा था और मुझे ससुरजी का मोटा लंड अपनी चूत के अंदर महसूस करना था.
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