RE: Hindi Porn Stories सेक्स की पुजारन
ससुरजी पता नही कितनी देर से वो मुझे वहाँ खड़े हो कर देख रहें थे. वो अब पूरे नंगे थे और उनका पहाड़ जैसा लॉडा पूरा टाइट हो कर खड़ा था. वो मेरे जिस्म को देखते हुए अपने दोनो हाथो से अपना लंड धीरे धीरे सहला रहे थे. में उनको देख बहुत ही डर गयी. में बिस्तर पर पूरी नंगी थी, मेरा एक हाथ मेरे बूब्स पे था और दूसरा हाथ मेरी चूत पे था और हाथ की दो उंगली मेरी गीली चूत में थी. मेरे दोनो पैर पूरे फैले हुए थे और ससुरजी को मेरी चिकनी चूत का नज़ारा दे रहा था.
‘आप यहाँ से चले जाइए पिताजी’ कह के मैने अपने फैले हुए पैर बंद कर दिए और बिस्तर से उठने लगी. पर में उपर उठ पाऊ उससे पहले ससुरजी ने बिस्तर पर आकर मुझे धकेल दिया और दोनो हाथो से मेरे पैर फैला दिए. उन्होने दोनो हाथो से मेरे पैर पकड़ के रखे और पैरों के बीच आकर अपना विशाल लंड मेरी चूत पे रगड़ने लगे.
‘नहीं... जाने दो मुझे पिताजी, ऐसा पाप मत करो’ मैने चिल्लाते हुए कहा. उनका गरम लंड मेरी चूत के उपर रगड़ने से मेरे सारे बदन में आग लग रही थी.
मेरे चिल्लाने से उनको कोई फरक नही पड़ा और उन्होने अपने हाथों से मेरे पैर फैला कर रखे और अपनी गान्ड पीछे करके अपना लंड मेरी चूत के छेद पे रख के ज़ोर से मेरी चूत में अपना लंड घुसाना शुरू कर दिया, मेरी चूत बहुत ही गीली थी फिर भी उनका मोटा लंड बहुत ही धीरे से अंदर जा रहा था. ‘नहीं... ऐसा मत करो पिताजी’ में चिल्ला रही थी और अपने हाथो से ससुरजी की छाती पे मार मार के उनको दूर धकेलने की कोशिश कर रही थी.
ससुरजी अपना पूरा वज़न लगा के मेरी चूत में अपना लंड घुसा रहें थे, और धीरे धीरे उनका मोटा लंड मेरी चूत को फैला के आगे बढ़ रहा था. मेरी टाइट चूत को अपने लंड को जकड़ता महसूस करके ससुरजी पागल हो रहें थे. अपना आधे से ज़्यादा लंड मेरी चूत में डालके वो अब मेरे उपर लेट गये मेरे बड़े बूब्स का उनके छाती पे एहसास पा के उनको बहुत ही मज़ा आ रहा था ‘आआआआहह... बहू रानी आआआहह..’
‘प्लीज़ पिताजी आप मेरे उपर से हटिए और जाइए यहाँ से. हमे ये पाप नहीं करना चाहिए’
‘अभी इतना कर ही दिया हैं तो कुछ और करने में क्या बुरा हैं बहू’ ये कह के पिताजी ने अपनी जीब निकाल के मेरे चेहरे को नीचे से उपर तक चाटना शुरू कर दिया. ससुरजी के मूह से गंदी बदबू आ रही थी. मैं अपना चेहरा उनके जीब से दूर हटाने की कोशिश कर रही थी.
‘ये आप क्या कर रहें हो पिताजी, प्लीज़ जाने दो मुझे, प्लीज़ मेरे अंदर से निकालिए अपना’ उन्होने अपना लंड मेरी चूत में अंदर बाहर करना अब शुरू कर दिया. मेरे भीक माँगने के बावजूद उन्होने मुझे जाकड़ के रखा और अपनी जीब से मेरे चेहरे को चाटना जारी रखा. उनके बड़े से शरीर के नीचे में पूरी दब गयी थी और मुझसे थोड़ा भी हिला नहीं जा रहा था. उनके शरीर पे पसीने की बदबू से मुझे घिन आ रही थी. ससुरजी ने अब अपना एक हाथ लेके मेरे दोनो गालों पे अपनी उंगलिया दबाकर मुझे अपने होंठ खोलने पे मजबूर कर दिया. मेरे होंठ खुलते ही उन्होने अपने होंठ मेरे होंठो से लगा दिए और अपनी जीब मेरे मूह के अंदर दस के उसको घुमाने लगे.
मैं ‘म्म्म्ममम... म्म्म्मममम...’ करते हुए उनको रोकने की कोशिश करती रही.
मैं दोनो हाथो से उनके पीठ पे मारके उनको मुझसे दूर करने की कोशिश कर रही थी पर उनको इससे कुछ फरक नही पड़ रहा था. उन्होने मुझे अब लगातार चोदना शुरू कर दिया.
ससुरजी के आने से पहले में वैसे भी झरने के बहुत करीब पहुच चुकी थी और अब उनके मोटे और गरम लंड के एहसास से मेरी गीली चूत में हलचल होने लगी थी. में अपने ससुर के लंड के एहसास से झरना नही चाहती थी पर मेरे बदन ने मुझे फिर से धोका दे दिया था. मुझे अपनी चूत में गर्मी बदती हुई महसूस होने लगी. ससुरजी ने अब अपनी चुदाई की रफ़्तार तेज़ कर दी थी.
आख़िर मेरा झरना शुरू हो गया, मेरे झरने के साथ मेरी चूत ससुरजी के लंड पे सिकुड रही थी.
‘ये क्या बहू रानी, तुम अपने ससुर का लंड ले के झर रही हो, मेने तो सोचा था कि तुम एक सती सावत्री जैसी लड़की हो’
मेरी चूत के सिकुड़ने से उनका भी सबर टूट गया और झरना शुरू हो गया.
‘आआआहह..... ये लो बहू रानी मेरा आशीर्वाद आआअहह....’ ससुरजी के लंड से मेरी चूत में वीर्य बहना शुरू हो गया.
‘नहीं..... प्लीज़ पिताजी मेरे अंदर अपना पानी मत निकालो’ मैने रोते रोते उनसे भीक माँगी. पर उनपे कोई असर नहीं पड़ा. अब तो वो बिल्कुल पागल की तरह तेज़ी से अपना लंड मेरी चूत में अंदर बाहर कर रहे थे. उनके लंड से ढेर सारा वीर्य निकल रहा था. पता नही कितनी देर हमारा झरना जारी रहा. सारे वक़्त ससुरजी तेज़ी से मुझे चोदते गये और अपना वीर्य मेरी चूत में निकालते गये. पूरा दस इंच का लंड मेरी चूत में महसूस करके में पागल हो रही थी. उनके हरेक धक्के पे चप चाप की आवाज़ आ रही थी. हम दोनो के बदन पसीने से लटपथ हो गये थे. मेरा गोरे जिस्म के पसीने की खुश्बू से ससुरजी को बहुत मज़ा आ रहा था. आख़िर कुछ देर बाद हमारा झरना बंद हुआ. ससुरजी मेरी चूत में फिर भी धीरे धीरे अपना लंड अंदर बाहर करते रहें. मुझे उनका लंड मेरी चूत के अंदर धीरे धीरे छोटा होता महसूस हो रहा था.
इतनी ज़ोरदार चुदाई के बाद हम दोनो ज़ोर से साँसें ले रहें थे. ससुरजी पूरा मुझपे लेट गये थे, उनके शरीर के वजन के कारण में हिल भी नहीं पा रही थी.
झरने के बाद मेरा दिमाग़ थोड़ा ठिकाने पे आ गया और मुझे एहसास हुआ कि हमारे हाथो कितना बड़ा पाप हुआ था. अपने प्यारे पति के बारे में सोच के मेरी आँखों से आँसू निकलने लगे और मैने फिर से ससुरजी को रोते हुए कहा ‘प्लीज़ पिताजी अब आब आप यहाँ से चले जाइए’.
पर ससुरजी के गंदे दिमाग़ में कुछ और था ‘अब इतना सब हो जाने के बाद पछताने में कोई फ़ायदा नहीं बहू’
ससुरजी ने अब अपने दोनो हाथो से मेरे हाथो को जाकड़ लिया और अपना लंड मेरी चूत के बाहर निकाला. वो अपने शरीर को उपर की तरफ लेकर मेरी छाती पे आकर बैठ गये. उन्होने अपने दोनो पैरों के नीचे मेरे हाथ दबा दिए, उनका लंड मेरी आँखों से सिर्फ़ 2 इंच दूर था. ससुरजी का काला लंड पूरा बैठ गया था, उनके लंड पे काफ़ी वीर्य लगा हुआ था और मेरी चूत के पानी और पसीने से वो चमक रहा था. उनका बैठा हुआ लंड भी बहुत मोटा और लंबा था और उसपे बहुत सारी झुरियाँ थी. मैने ज़िंदगी में ऐसा घिनोना नज़ारा नही देखा था. मैने अपनी आँखें बंद करली और लंड की बदबू से दूर होने की कोशिश करते हुए अपना सर साइड पे कर लिया.
‘अपनी आँखें खोलो बहूरानी, शरमाती क्यूँ हो एक बूढ़े आदमी की मदद करके तुम बहुत अच्छा काम कर रही हो’ ऐसा कह के ससुरजी ने अपने एक हाथ से मेरे बाल पकड़के मेरा सर ज़बरदस्ती सीधा कर लिया और दूसरे हाथ में अपना गीला लंड पकड़के मेरे चेहरे पे रगड़ना शुरू कर दिया.
उनका लंड मेरे गालों, होंठो और नाक पे रगड़ रहा था. मैने अपनी आँखें बंद रखी.
ससुरजी को अपनी गोरी और खूबसूरत बहू पे अपना लंड रगड़ के बहुत मज़ा आ रहा था, उनको अपना लंड अब मेरे मूह के अंदर डालना था.
उन्होने अपना लंड मेरे बंद होंठो पे रगड़ते रगड़ते कहा ‘आआआहह..... प्लीज़ मूह खोलो बहू रानी आआआहह.... एक बूढ़े आदमी पे थोड़ा रहम करो आआआहह.....’
पर में ये करने को तैयार नही थी और मैने अपना मूह ज़ोर से बंद रखा. मेरे चिकने चेहरे पे अपना लंड घिसके ससुरजी पागल हो रहे थे. उनसे अब सबर नही हुआ और अपना हाथ लेके मेरे दोनो गालों पे अपनी उंगलिया दबाकर मुझे अपने होंठ खोलने पे मजबूर कर दिया. मेरे होंठ खुलते ही उन्होने अपना बैठा हुआ लंड मेरे मूह में ठुस दिया. ससुरजी के लंड का स्वाद उसकी बदबू से भी गंदा था, उनका बैठा हुआ लंड भी इतना बड़ा था कि मुश्किल से पूरा मेरे मूह में समा रहा था.
‘आआहह..... बहू रानी आआअहह... थोड़ा चूसो उसको प्लीज़ आआअहह....’
ससुरजी ने अब अपना लंड धीरे धीरे मेरी मूह में अंदर बाहर करना शुरू कर दिया, मुझे अपने मूह में उनका लंड थोड़ा और मोटा होता महसूस हुआ.
ससुरजी दो बार झर चुके थे, एक बार मेरे हाथों से और एक बार मेरी चूत में फिर भी उनका लंड खड़ा हो रहा था. जवान मर्द भी एक साथ तीन बार चुदाई नही कर पाते हैं और ससुरजी तो इतने बूढ़े थे.
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