RE: Hindi Porn Stories सेक्स की पुजारन
ससुर जी ज़मीन पे लेटे हुए थे. अपनी पीठ के दर्द के कारण वो ज़मीन पे सोते थे. उन्होने सिर्फ़ अपनी धोती पहेन के रखी थी. उनको देख मुझे घिन आ रही थी. एक तो वो थे बिल्कुल काले, उनके सारे शरीर पे बहुत सारी झुरियाँ थी और गर्मी के कारण उनके शरीर पे बहुत सारा पसीना था, जिससे मुझे बदबू आ रही थी. पर मैने अपना फ़र्ज़ निभाते हुए उनकी दवाई उनके बगल में रख डाली.
‘शुक्रिया बहू रानी, क्या तुम मुझे उठने में थोड़ा मदद कर दोगि’ ससरजी ने मुझे कहा.
‘जी हां पिताजी’ मैने सोचा कि तबीयत के कारण शायद उनको बैठने में तकलीफ़ हो रही होगी. असलियत तो ये थी कि ससुरजी को मेरा जिस्म उनके जिस्म के नज़दीक महसूस करना था. उनकी तबीयत बिल्कुल ठीक थी.
मैने उनके बगल में जा के उनका हाथ मेरे कंधो पे रख के उनको उठाने लगी. मेरे बड़े बूब्स उनके छाती पे चिपके हुए थे. मैने मेरा सर लिहाज़ रख के झुका के रखा था. मेरे बदन की खुसबू से और मेरे बूब्स उनके छाती से चिपकने से ससुरजी के लंड में हलचल होने लगी थी.
उनका चेहरा मेरे चेहरे से सिर्फ़ एक दो इंच दूर ही था. उनके साँस लेने से उनके मूह से मुझे बदबू आ रही थी. आख़िर कुछ मिनिट के मेहनत के बाद ससुरजी को मैने बैठा दिया.
मुझे पता नही चला था पर ससुरजी का लंड अब पूरा टाइट हो कर खड़ा हो गया था. जब उनको ठीक से बैठा के में पीछे हुई तो मेरी नज़र उनकी धोती पे पड़ी जो आप पूरी उपर हो गयी थी.
मेरे चेहरे पे आश्चर्य देख ससुरजी को असल में मज़ा आ रहा था. उन्होने अपना नाटक जारी रखा.
‘जी, माफ़ करना बेटी, मेरी उमर में अपने शरीर पे काबू नहीं रहता’
‘जी… जी कोई बात नहीं पिताजी’ मैने शरमा के कहा, मेरे गाल अब गुलाबी हो गये थे, में अपनी नज़र उनके धोती से दूर लेना चाहती थी पर मेरी नज़र धोती से हट नही रही थी. ससुरजी मेरे चेहरे को देख रहें थे. उनको पता चल गया था कि मेरे दिल में हलचल हो रही थी.
अब वो ‘आहह.. ऊऊओह… ’ करके दर्द का नाटक करने लगे
‘जी क्या हुआ पिताजी ?’
‘ मेरा लंड इतने ज़ोर से खड़ा हो गया हैं कि बहुत दर्द कर रहा हैं, प्लीज़ कुछ करो’
‘जी... जी मैं क्या कर सकती हूँ पिताजी’
‘तुम अगर इसको थोड़ा हिला दो तो मुझे बहुत आराम मिलेगा बहू’
‘जी ये आप क्या कह रहे हैं पिताजी, ये तो बहुत बड़ा पाप जो जाएगा’ असल में मुझे ससुरजी का लंड देखना था, मेरे बदन पे अब पसीना छा गया था. मेरे सेक्स की भूक, मेरे दिमाग़ को ठीक से चलने से रोक रहा था.
‘बिल्कुल नहीं बहू, एक लाचार बूढ़े की मदद करदोगी तो उसमे पाप कैसा, में खुद ही हिला देता पर मेरे हाथो में अब ताक़त नहीं बाकी रही’
ये कह के पिताजी ने धोती हटा दी और अपना लंड बाहर कर दिया. लंड देख के मेरी आँखें फैल गयी. उनका लंड पूरा दस इंच लंबा और बहुत ही मोटा था. मेरे पति से लगभर लंबाई और मोटाई में दुगना होगा. मुझे देख के डिज़िल्वा की याद आ गयी. मेरा सारा मनोबल एक ही सेकेंड में टूट गया. मेरा हाथ अपने आप आगे बढ़ गया. ससुरजी का खड़ा लंड थोड़े थोड़े झटके खा रहा था. पसीने के कारण उनका लंड चमक रहा था.
मैने अपना हाथ उनके काले मोटे लौडे पे रखा तो उनके मूह से आवाज़ निकल पड़ी.
‘आआआअहह.... बहू रानी तुम्हारा हाथ तो बहुत ही मुलायम हैं’
ससुरजी का लंबा लंड बहुत ही गरम था. उनके कहे बिना मैने अपना हाथ उपर नीचे करके उनके लौडे को हिलाने लगी. लंड हिलाते हिलाते उसके उपर की चॅम्डी आगे पीछे हो रही थी और उनके लंड के उपर का गुलाबी हिस्सा मुझे दिखाई दे रहा था. इतने दिनो के बाद एक तगड़ा लंड देखने पे मेरे मूह में पानी आ गया था. मेरी आँखें उस लंड से हट नही रही थी. ससुरजी मेरे सुंदर चेरे को देख रहें थे और मुझे देख उनको सॉफ पता चल रहा था कि में बहुत उत्तेजित हो गयी हूँ. मुझे इस हाल में देख उनको और मज़ा आ रहा था.
‘थोड़ा ज़ोर से बहू आआअहह....’
मेने उनकी बात मान अपना हाथ ज़ोर से हिलाना शुरू कर दिया. मेरे बदन में अब गर्मी बढ़ गयी थी. मेरी चूत गीली हो गयी. ससुरजी को मेरे कोमल हाथ का एहसास पागल बना रहा था.
‘दूसरे हाथ से मेरे बॉल थोड़े सहला दो बहू, मुझे वहाँ भी बहुत दर्द हो रहा हैं’
में अब बिल्कुल ही सूदबुध गवाँ बैठी थी और ससुरजी की हर बात मान रही थी. मैने उनका लंड हिलाना जारी रखा और अपना दूसरा हाथ उनके बड़े बॉल्स पे रख दिया. उनके बॉल इतने बड़े थे कि मेरे हाथ में पूरा समा नही रहे थे. मैने उनके बॉल्स को धीरे से मसलना शुरू कर दिया.
‘आआआआहह.... बहू रानी बहुत खूब, दर्द थोड़ा थोड़ा कम हो रहा हैं आअहह....’
ससुरजी कभी मेरे सेक्सी चेहरे को देख रहें थे तो कभी नीचे मेरे गोरे हाथों को उनके काले लंड और बॉल्स पे देख रहें थे. पता नहीं कितनी देर तक में वैसे ही उनके लंड को हिलाती रही.
‘थोड़ा और ज़ोर से बहू आआअहह..’ अब ससुरजी झरने के करीब हो रहें थे. उन्होने अपने हाथ से मेरे हाथ को उनके बॉल्स पे से हटा के अपने लंड पे लगा दिया.
‘दोनो हाथो से हिलाओगी तो दर्द जल्दी ख़तम होगा बहू, पूरे ज़ोर से हिलाओ’
उनकी बात सुनके मैने अब पूरे ज़ोर से दोनो हाथो से उनके लंबे लंड को हिलाना शुरू किया. मेरे दोनो मुलायम हाथो के एहसास से उनसे अब रहा नही गया और उनका झरना शुरू हो गया
‘आआआअहह... बहू रानी और ज़ोर से आआआआआहह....’
ससुरजी का लंड मेरे हाथो में मुझे और मोटा होते हुए महसूर हुआ और एक झटके के साथ लौडे से वीर्य की एक बड़ी सी बूँद छूट के सीधे मेरएए नाक पे गिर पड़ी, वीर्य गिरने से में चोंक गयी और दो सेकेंड के लिए लंड हिलाना रोक लिया.
‘रोको मत बहू, पूरे ज़ोर से हिलाओ आआआआहह....’ मैने फिर से पूरे ताक़त से हिलाना शुरू कर दिया. ससुरजी अब पागल की तरह चिल्ला कर झर रहें थे. उनका मोटा लंड मेरे हाथो में झटके खाते हुए वीर्य छोड़ रहा था. वीर्य मेरे चेहरे पे और गले पे गिर रहा था. तीन चार मिनिट के बाद भी ससुरजी का झरना ख़तम नही हुआ और उनके लंड में से वीर्य भी छूटता रहा. पता नही कितने दिनो का पानी जमा कर के रखा था उन्होने अपने बॉल्स के अंदर. मुझे भी इतने तगड़े लंड का पानी अपने जिस्म पे महसूस करके बहुत मज़ा आ रहा था. काफ़ी सारा वीर्य बह के मेरे हाथो पे भी आ गया था. आख़िर कुछ देर बाद उनके लंड ने झटके खाना बंद किया और उनका झरना ख़तम हुआ. मैने अपने हाथ अब धीरे धीरे से हिलाना जारी रखा. मेरी नज़र अभी भी उनके लंड पे थी. लौडे को धीरे धीरे हिलाने से जो वीर्य बाकी रह गया था वो अब बाहर बह के मेरे हाथो पे छा गया था.
अब मैने धीरे से अपनी नज़र उपर की और ससुरजी को देखा. ससुरजी के चेहरे पे संतुष्टि की मुस्कान थी और वो मुझे गंदी नज़र से देख रहें थे. उनके आँखो से आँखे मिलाके मुझे अचानक अपनी भूल का एहसास हुआ और में वहाँ से दौड़ के अपने कमरे में चली गयी. कमरे में जा के मैं शीशे के सामने खड़ी हो गयी. पिताजी का वीर्य मेरे चेहरे और गले पे था और काफ़ी सारा गले से बह के मेरे दो बूब्स के बीच जा रहा था. मैं कपड़े निकाल के पूरी नंगी हो गयी और बिस्तर पे जा के लेट गयी. मेरे सारे बदन में गर्मी छा गयी थी. मैने बिस्तर पे जाके एक हाथ को अपनी चूत पे रख उसको सहलाने लगी. दूसरे हाथ की उंगलियाँ से मैं वीर्य को चाट चाट कर सॉफ करने लगी. हाथ से वीर्य चाट के मैने अपने बूब्स और चेहरे से वीर्य इकट्ठा करके अपने मूह में डालने लगी. मेरी आँखें बंद थी. काफे देर तक वीर्य चाट चाट कर मैं ऐसे ही चूत से खेलती रही और अब में झरने के बहुत करीब आ चुकी थी. सारे वक़्त मेरे दिमाग़ मैं मेरे ससुरजी का लंबा लंड था.
‘मज़ा आ रहा हैं बहू ?’
मैने आँखें खोल के देखा तो पता चला कि ससुरजी बिस्तर के साइड पे आके खड़े थे और मेरे नंगे बदन को भूके कुत्ते की तरह देख रहे थे....
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