RE: Hindi Porn Stories सेक्स की पुजारन
मा मेरी बात सुनकर चोंक गयी ‘ये क्या कह रही हो मानसी, तुम अभी सिर्फ़ 18 साल की हो, अभी तो तुम्हे पढ़ाई ख़तम करनी हैं’
‘वो तो में शादी के बाद कर लूँगी, तुम लड़का ढूँढना शुरू कर दो’
कैसे भी करके मैने मा को मना लिया.
मा ने जब डिज़िल्वा को बात कही तो उसने मा को रोकने की कोशिश बहुत की, वो नही चाहता था कि में घर से चली जाओं और उससे मुझे चोदने का चान्स ना मिले. पर आख़िर उसको मानना ही पड़ा.
कुछ दिनो बाद मा मेरे पास आई.
‘मैने तेरे लिए एक बहुत अच्छे परिवार में रिश्ता देखा हैं. सिंघानिया परिवार का नाम तो तूने सुना होगा. सिर्फ़ एक प्राब्लम हैं, लड़के की उमर थोड़ी ज़्यादा हैं वो 45 साल का हैं. उसकी एक बार शादी हुई थी लेकिन 18 साल पहले अपने बेटे की पेदाइश के वक़्त उसकी बीवी गुज़र गयी.’
मैने सोचा कि डिज़िल्वा भी तो 50एक साल का हैं फिर भी कितनी अच्छी चुदाई करता हैं.
‘जी सिंघानिया परिवार तो बहुत राईस लोग हैं, मुझे रिस्ता पसंद हैं’
कुछ समय बाद हम दोनो के परिवार की मुलाकात हुई.
सिंघानिया परिवार में कई साल से कोई औरत नही थी. मेरे पति की मा को गुज़रे 25 साल हो गये थे. घर पे मेरे होने वाले पति, किशोर जी के सिवा दो और मर्द थे. किशोरे के पिता परबत सिंग जो लगभग 70 साल के थे, और मेरा सौतेला बेटा सुभाष जो 18 साल का था.
सुभाष बेचारा पागल था, वो था तो 18 साल का पर उसका दिमाग़ सिर्फ़ कोई 10 साल के लड़के जितना था.
मेरे ससुरजी बहुत बूढ़े थे और लाठी का सहारा लेकर चलते थे. वो बहुत लंबे कद के थे लगभा 7 फुट की उनकी लंबाई थी, वो ज़्यादातर अपने घर पे कमरे में ही रहते थे. उनकी देखभाल करने के लिए घर पे नर्स का इंतज़ाम किया था. मेरे पति और मेरे ससुरजी में बहुत ही फरक था. मेरे पति काफ़ी गोरे और सुंदर दिखते थे, पर मेरे ससुरजी बहुत ही काले थे और काफ़ी बदसूरत भी.
मुझे किशोर से मिलके बहुत अच्छा लगा. हम दोनो रोज़ मिलने लगे.
में उनके साथ सेक्स करना चाहती थी पर वो एक गेंटल्मन थे और शादी के पहले मुझसे सेक्स नही करना चाहते थे. हम सिर्फ़ थोड़ा बहुत एक दूसरे को चूम लेते.
एक दिन में उनके घर पे उनसे मिलने गयी. घर पे ससुरजी की देखभाल करने के लिए तीन नर्स थे. तीनो मर्द थे, एक भी महिला नर्स नही थी, ये मुझे बहुत अजीब लगा था.
मैने किशोर से पूछा ‘किशोर जी आप के पिताजी के लिए कोई महिला नर्स नही है ? ऐसा क्यूँ ?’
मेरे पति के जवाब से में दंग रह गयी ‘अब तुमसे क्या छुपाऊ मानसी, असल में बात बहुत ही शरम जनक हैं, कुछ समय पहले हमने एक लेडी नर्स रखी थी पिताजी का ख्याल रखने के लिए, कुछ दिनो तक तो सब ठीक था लेकिन एक दिन जब घर पे कोई नही था तो पिताजी ने नर्स का रेप कर दिया’
‘क्या..’ मैने चोंक के कहा ‘पर उनकी उमर तो …’
‘हां उस समय भी उनकी उमर 65 साल की थी, दीवाली का समय था और दीवाली के बहाने पिताजी ने सारे नौकरो को बुला के सब को घर भेज दिया. उसके बाद चार घंटे तक उन्होने उस नर्स का बलात्कार किया. अगर में तुम्हे बताऊ तो तुमको यकीन नही होगा कि उन्होने नर्स के साथ उन चार घंटे क्या क्या किया. में शाम को घर आया तो देखा कि कोई नौकर घर में नहीं था. उनके कमरे में जा के देखा तो नर्स बेचारी नंगी बिस्तर पे थी और बेहोश हो गयी थी, और पिताजी उसकी गान्ड मार रहे थे. मैने कैसे भी करके उनको उससे दूर किया. फिर कैसे भी करके उस नर्स और पोलीस वालों को पैसे दे कर उनका मूह बंद किया. लेकिन उसके बाद मैने ठान लिया के पिताजी के लिए कोई महिला नर्स नहीं रखूँगा’
में यह बात सुनकर चोंक गयी थी. मेरे मन में तो ये बात घुस गयी थी कि इतना बूढ़ा आदमी चार घंटे तक कैसे चुदाई कर सकता हैं ? मुझे उत्सुकता हो रही थी कि चार घंटे मेरे ससुर ने उस नर्स के साथ क्या क्या किया, पर में सीधे पूछ भी नहीं सकती.
‘जी चार घंटे थोड़ी ना कुछ किया होगा पिताजी ने, वो नर्स ज़रूर झूट बोलती होगी’
‘नहीं मानसी, पिताजी ने सच मुच चार घंटे उसको चोदा. बेचारी 18 साल की कुँवारी लड़की थी, उसको भी थोड़ी बहुत उत्सुकता थी पहले तो उसको बहला फुसला कर उसकी चूत चाट चाटके उसको खुश कर दिया फिर अपना लंड उससे चुस्वाया. उसके बाद उन्होने उसको चोदने की बात की तो नर्स ने मना किया, क्यूँ कि वो कुँवारी रहना चाहती थी, पर जब मनाने पे नही मानी तो पिताजी ने उसको जबर्जस्ति चोदा, पता नहीं बेचारी पे क्या बीती होगी. और सिर्फ़ एक बार नही पिताजी ने उसको 2 या 3 बार चोदा. और सबसे बुरी बात तो ये हुई कि उसकी चूत चोदने के बाद आख़िर पिताजी ने जब अपना लंड ज़बरदस्ती उसकी गान्ड में डाला तो बेचारी बेहोश हो गयी पर फिर भी पिताजी उसकी गान्ड चोदते रहे. मुझे तो आज तक यकीन नहीं होता कि पिताजी इतनी गंदी हरकत कर सकते हैं’
मेरी उत्सुकता बहुत बढ़ गयी थी, मैने थोड़ा और पूछा ‘पर मुझे यकीन नही होता कि लड़की बेहोश हो गयी ? ऐसे भी क्या कोई बेहोश होता हैं ?’
‘छोड़ो भी मानसी, मुझे ये बात नही करनी, कुछ और बात करो’ मैने सोचा कि किसी और वक़्त में पूरी कहानी की बात उनसे निकलवा लूँगी.
मुझे किशोर जी के साथ बातें करके बहुत मज़ा आता था. आख़िर हमारी शादी का दिन आ ही गया.
सुहाग रात में मैने ठान लिया था कि सारी रात अपने पति के साथ सेक्स करूँगी. इतने महीनो से सेक्स ना करने से मेरे बदन में सेक्स की भूक बहुत बढ़ गयी थी.
सुहाग रात में किशोर जी कमरे में आये तब में बिस्तर पर उनके लिए तैयार हो कर बैठी थी. किशोर जी ने अंदर आ कर, लाइट बंद कर दी. उन्होने फिर बिस्तर पर आ कर मुझे थोड़ी देर तक चूमा, फिर अपना लंड बाहर निकाला पर अंधेरे में मुझे कुछ दिखाई दे नही रहा था, उन्होने मेरी साड़ी उपर कर दी और पैंटी निकाल के अपना लंड मेरी चूत के नज़दीक ला कर कहा ‘पहली बार थोड़ा दर्द होता हैं, तुम डरना मत’ ऐसा कह के अपना लंड मेरी चूत में डालना शुरू किया. लंड मेरी चूत में पूरा घुस चुका था और उसके साथ मुझे पता चला कि मेरे पति का लंड बहुत छोटा था. लंबाई में लगभग 4 या 5 इंच और बिल्कुल भी मोटा नहीं था. मुझे ज़िंदगी में इतनी निराशा कभी नही हुई थी. मेरी आँखों से आँसू निकलने लगे. पाँच मिनिट में ही मेरे पति का झरना शुरू हो गया और वो झार के मेरे बगल में लेट गये.
‘कैसा लगा मानसी बहुत दर्द तो नही हुआ’
‘जी नही, बहुत नही’ मैं कहती भी क्या.
फिर मेरे पति सो गये. में सारी रात रोती रही और अपने नसीब को कोस्ती रही. आख़िर मैने सोचा कि मेरे पति कम्से कम एक अच्छे इंसान तो हैं. मेने फ़ैसला कर दिया कि सारी ज़िंदगी में एक पति व्रता बन के रहूंगी और अपने तन की भूक को काबू में रखूँगी.
ऐसे ही धीरे धीरे वक़्त गुज़रता गया. में दिन में तीन चार बार बाथरूम में जा कर अपनी चूत से खेल के झरती और अपने बदन की प्यास को दबा के रखती. मेरे पति दो तीन हफ्ते में एक बार मुझे चोदते. पर उनकी चुदाई से मुझे खुशी कम और अफ़सोस ज़्यादा होता था. मुझे सारे वक़्त डिज़िल्वा के मोटे लौडे की याद सताती रहती थी. कुछ दिन बाद दीवाली का वक़्त आ गया. मेरे पति दीवाली के दिन भी अपने बिज़्नेस के काम के लिए बाहर गये. घर के सारे नौकर चाकर छुट्टी पे थे. सुभाष घर के बाहर गार्डेन मैं खेल रहा था. मेरे ससुरजी के नर्स भी छुट्टी पे थे. इस कारण में उनके दोपहर की दवाई ले कर उनके कमरे में गयी.
‘जी पिताजी में अंदर आऊ, आपकी दवाई का वक़्त हो गया हैं’
‘अंदर आओ बहू’
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