RE: Hindi Porn Stories सेक्स की पुजारन
‘आआआआहह डॅडी आआआअहह’ मेरे मूह से सिसकारी निकल पड़ी. में अब डिज़िल्वा के लंड पे ज़ोर से उपर नीचे हो रही थी. डिज़िल्वा साथ साथ अपनी उंगली मेरी गान्ड में अंदर बाहर कर रहा था. इतने दिनो बाद डिज़िल्वा का लंड मिलने पे मेरी चूत में आग लग गयी थी. मेरे सारे बदन में आग लग गयी थी. मैने अपने होंठ डिज़िल्वा के होंठो से मिला दिए और उसकी जीब पे अपनी जीब को रगड़ने लगी. मेरी नज़र विवेक की चुदाई पे थी.
बाहर विवेक की गान्ड के अंदर आदमी ने आधा लंड घुसेड दिया था. ‘आआअहह.. बाबूजी, आप की गोरी गान्ड तो बहुत छोटी हैं आआआहह…’. आदमी का काला लॉडा धीरे धीरे विवेक की गान्ड के छोटे से छेद को फैला कर अंदर जा रहा था. विवेक अपनी आँखें बंद कर के बैठा था, उसका छोटा लंड अभी भी खड़ा था. उसको दर्द बहुत हो रहा था पर इतना बड़ा काला और गरम लंड के एहसास से अच्छा भी लग रहा था. एक आदमी अब ज़मीन पे आ कर बैठ गया. वो इस तरह बैठा था कि उसका मोटा लंड विवेक के चेहरे के बहुत नज़दीक था, और वो अपने लौडे को तेज़ी से हिला हिला कर झरने के बहुत करीब आ गया था.
विवेक की गान्ड में लंड अभी भी सिर्फ़ आधा ही घुसा हुआ था, उस आदमी को विवेक की टाइट गान्ड को सिर्फ़ चार इंच तक चोदने में भी इतना मज़ा आया था कि वो झरने वाला था, उसने अब पूरे ज़ोर से अपना लंड आगे धकेल के अपना पूरा 8 इंच तक अंदर डाल दिया और अपने लंड से ढेर सारा वीर्य विवेक की छोटी सी गान्ड में निकालने लगा. विवेक ‘आआआआअहह…’ करके चिल्लाया. चिल्लाते वक़्त उसका मूह खुला तो उसके सामने बैठे आदमी ने अपना लंड उसके मूह में ठुस दिया, और वो भी झरने लगा. विवेक ‘म्म्म्ममममम…. गर्रररल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल्ल… म्म्म्ममम…’ करके चिल्लाने की कोशिश करता रहा. उसको अपनी गान्ड और लंड के अंदर गरम वीर्य निकलते महसूस हो रहा था.
उन मर्दों के बड़े बड़े मोटे लंड और लंड के नीचे काले बॉल्स को देख मुझे वैसे भी बहुत मज़ा आ रहा था पर अब विवेक के मूह और गान्ड का एक साथ बलात्कार देख मुझे से रहा नही गया और मेरा झरना शुरू हो गया. में पूरी तेज़ी से डिज़िल्वा के लंड पे उपर नीचे होने लगी ‘आआआआअहह… डॅडी क्या लंड हैं तुम्हाराआआआअहह…’
अपनी जवान बेटी को पूरी नंगी अपने लंड के उपर उछलते देख डिज़िल्वा से भी रहा नही गया और वो झरने लगा. ‘ज़ोर से मानसी, और ज़ोर से आआआहह….’ वो भी अपनी गांद उछाल उछाल के मुझे चोदता गया. उसके लौडे से ढेर सारा वीर्य निकल रहा था. गरम गरम पानी मेरी चूत के अंदर महसूस करके मेरा झरना और तेज़ हो गया. हम दोनो तीन चार मिनिट ऐसे ही पागल की तरह चिल्ला चिल्ला कर झरते रहें. आख़िर हमारा झरना बंद हुआ. मेरी चूत के पानी और डिज़िल्वा के वीर्य से कार की सीट पूरी गीली हो गयी थी.
हम ने अपने कपड़े ठीक किए और वहाँ से निकलने को तैयार हो गये. बाहर दो आदमी विवेक के अंदर अपना पानी निकालके हट गये थे और उनकी जगह दूसरों ने ले ली थी. जाते वक़्त मैने एक बार मूड के विवेक को देखा. वो एक आदमी का लंड अपने गान्ड में ले कर उसके उपर बैठा था और अपनी गान्ड ज़ोर से हिला रहा था और उसके सामने दूसरा आदमी खड़ा हो के उसके बाल पकड़ उसका मूह अपने लंड से चोद रहा था. बगल में एक और आदमी अपना खड़ा लंड हाथो मे लिए अपनी बारी का इंतेज़ार कर रहा था, और बेंच पर बैठे आदमी का भी लंड अब पूरा खड़ा हो गया था. पता नही उसके बाद विवेक का क्या हाल हुआ पर वो मुझसे फिर कभी मिलने नही आया. मैने कुछ दोस्तों से सुना हैं कि उसने कोलीवाड़ा की झोपड़पट्टी में एक कमरा किराए पे लिया हैं, लोगों से वो कहता हैं कि वो समाज सेवा करके ग़रीबो की मदद कर रहा हैं, पर में जानती हूँ कि वो वहाँ किसकी कैसे मदद करता हैं.
डिज़िल्वा के साथ फिर से सेक्स करके मुझे एहसास हो गया कि अगर मेने किसी और को ढूँढा नही तो मेरे जिस्म की भूक मुझे डिज़िल्वा के लंड की ओर खीच के ले जाएगी और में कुछ नही कर पाउन्गि. मैने आख़िर फ़ैसला कर दिया और अगले ही दिन मा को कह डाला ‘मा मुझे अब शादी कर लेनी चाहिए’…
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