RE: Hindi Porn Stories सेक्स की पुजारन
हम तीनो गाड़ी में कोलीवाड़ा की झोपड़पट्टी के एक इलाक़े में पहुचे. हमे पता नहीं था लेकिन डिज़िल्वा ने कोलीवाड़ा का सबसे ख़तरनाक इलाक़ा चुना था. वहाँ डिज़िल्वा ने गाड़ी पार्क कर दी. थोड़ी दूर सड़क के कोने में चार आदमी थे. ‘जा विवेक उन लोगों के बीच जा कर 5 मिनिट खड़ा रह कर दिखा’
‘पर वो तो काफ़ी ख़तरनाक आदमी लगते हैं’
‘फिकर मत कर अगर उन्होने तुझे हाथ भी लगाया तो मैं वहाँ आ के तुझे वहाँ से ले जाउन्गा, में सिर्फ़ मानसी को दिखाना चाहता हूँ कि तू कितना बहादुर हैं’
‘ठीक हैं’ विवेक वहाँ जा के उन आदमियों के बीच खड़ा हो गया. उसका रंग रूप देख उन लोगों के मन में सवाल आया और वो लोग विवेक के नज़दीक जा कर खड़े हो गये.
‘अरे ये क्या हैं, इतने छोटे कपड़े पहेन के यहाँ क्या कर रहे हो बाबूजी, ये बहुत ख़तरनाक इलाक़ा हैं’
उन आदमियों की नज़र विवेक के गोरे बदन पे थी. ऐसे चिकने लड़के को इतने छोटे कपड़े में देख उनके लौड़ों में हलचल होने लगी थी.
‘जी हां बाबूजी बहुत ख़तरनाक इलाक़ा हैं ये, यहाँ बहुत बलात्कार होते हैं, आप इतना सवर के यहाँ पे क्या कर रहें हो’
विवेक बहुत डर गया था और मूड के हमारी ओर देख रहा था. वो आदमी अब सब उसके नज़दीक आ गये थे.
‘लगता हैं बाबूजी को हम ग़रीब लोगों से दोस्ती करनी हैं, इसीलिए इतना सज सवर के आए हैं’
‘ये चेहरे पे लाली लगा के आप तो बिल्कुल लड़की दिख रहें हो बाबूजी’
उन आदमियों को देख मुझे पता चल गया कि अगर डिज़िल्वा ने उनको रोका नहीं तो आज ज़रूर वो विवेक का रेप कर देंगे. मैने डिज़िल्वा से कहा ‘अब बहुत हो गया, जा कर ले आओ विवेक को’
‘नहीं रे, आज तो उसकी चुदाई देख के ही यहाँ से जाउन्गा’
‘पर तुमने तो उसको कहा था कि तुम उन लोगो को रोक लोगे’
‘मैने उसको झूठ बोला था, सिर्फ़ तुझे दिखाने को कि तू कैसे चूतिए को बाय्फ्रेंड बनाने की सोच रही थी. बस अब तू आराम से उसकी चुदाई का मज़ा ले. और वैसे भी अब उन आदमियों के सर पे सेक्स सवार हैं, मेरे रोकने से वो रुकने वाले नही’
हम दोनो अब कार के अंदर से बाहर झाकने लगे.
विवेक को आदमियों ने घेर के रखा था. एक आदमी साइड पे एक बेंच के उपर बैठा था. उसने कहा ‘बाबूजी आप यहाँ आ कर बैठो’. विवेक डर के मारे उस आदमी के बगल में जा के बैठ गया. वहाँ बैठने पर उस आदमी ने कहा ‘आप मेरे साथ सेक्स करोगे? ‘
‘ये क्या बोल रहा हैं, पागल है क्या’ विवेक ने कहा
‘तो आप क्या यहाँ हम लोगों से बातचीत करने आए हो ?’
‘तुझे इससे क्या साले, अपना काम कर, तेरे जैसे लोगों के में मूह नही लगता’ विवेक ने गुस्से से कहा.
गाड़ी में डिज़िल्वा ने अपने सर पे हाथ मार के कहा ‘कितना बेवकूफ़ हैं साला, ऐसे बात करेगा तो इसको रंडी के जैसे चोदेन्गे’
‘मेरे जैसे, मतलब कैसे ?’ उस आदमी ने विवेक से पूछा
‘तुझ जैसे गंदे फटीचर से, और तेरे ये भिकमन्गे दोस्तों से’ विवेक ने बाकी आदमियों को इशारा करते हुए कहा. मुझे गाड़ी में बैठे उन लोगों का गुस्सा अब दिखाई दे रहा था.
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