RE: Hindi Porn Stories सेक्स की पुजारन
‘देख कैसे मज़े ले रही हैं तेरी मा, एक नंबर की रांड़ हैं, बिल्कुल अपनी बेटी की तरह’ डिज़िल्वा ने मुझे कहा.
जैसे जैसे रामू अपना लंड उपर घुसेड़ता, मा की चिकनी गान्ड उपर उछल जाती. मा की इतनी सेक्सी गान्ड को देख मेरा दिल कर रहा था कि जाके उस गान्ड को मसल डालु, में चाहती थी कि उस गान्ड में कोई अब एक लंड डाल दे. और में चाहती थी वैसा ही हुआ. मंगु ने पीछे से आ के अपना मोटा लंड मा की गान्ड के छेद पे रख एक ज़ोरदार धक्का लगाया. उसका आधा लॉडा मा की गान्ड में 4 इंच तक घुस गया. अचानक 4 इंच का लंड अपनी गान्ड में जाने से मा चोंक गयी ‘नहियिइ ये क्या कर रहें हो, जाने दो मुझे प्लीज़’. मा की टाइट गान्ड का अपने लंड पे एहसास पा के मंगु एकदम उत्तेजित हो गया था, उसने और एक ज़ोरदार धक्का लगा के अपना पूरा लॉडा मा की गान्ड में घुसेड दिया ‘आआहह.. सावित्री देवी क्या गान्ड हैं आपकी आआआआअहह….’
‘आाआआईयईईईईईई… भगवान के लिए जाने दो मुझे आाआऐययईईईईईईई……’ मा दर्द से चिल्ला रही थी, मंगु बेफिकर हो के मा की गांद में अब धक्के लगाने लगा, मा के नीचे रामू भी अपनी गांद उछाल उछाल के मा को तेज़ी से चोद रहा था. डिज़िल्वा ये नज़ारा देख बहुत उत्तेजित हो गया और उसने मेरी गान्ड पूरी मारने की ठान ली. ‘साली अपने बाप से गान्ड चुदवाकर मज़ा ले रही हैं, तू तो तेरी मा से भी बड़ी रांड़ हैं, ये ले’ ऐसा कह के डिज़िल्वा ने एक बहुत ज़ोरदार धक्का लगाया. धक्का इतना ज़ोरदार था कि उसका पूरा लंड मेरी गान्ड में घुस गया और मेरे पैर एक सेकेंड के लिए हवा में उछल गये. डिज़िल्वा ने मुझे कस के पकड़ा था. उसने अब ज़ोर से अपने 10 इंच के लंड से मेरी गान्ड की चुदाइ शुरू कर दी. हरेक धक्के पे मेरे पैर हवा में उछल जाते. डिज़िल्वा कोई जंगली जानवर जैसे मेरी गान्ड मार रहा था. में चीखना चाहती थी पर उसने अब दोनो हाथो से मेरे मूह में उंगली डाल दी थी. में दर्द के मारे अपने दोनो हाथ हवा में मार रही थी पर डिज़िल्वा की पकड़ बहुत मज़बूत थी.
‘फिकर मत कर, दो मिनिट में तुझे इससे भी मज़ा आने लगेगा’.
मेरी नज़र के सामने मेरी मा का भी ये ही हाल था. उसकेए चूत और गान्ड के अंदर दो बड़े लंड थे. दोनो अपना लंड तेज़ी से अंदर बाहर कर रहें थे. मा चिला रही थी ‘प्लीज़ निकालो इसको अंदर से, आआआअहह’. अब चंगू मा के सामने आ गया, उसका लंड अभी भी बैठा हुआ था. उसने मा के बाल खीच के, सर उपर कर दिया और ‘आआआआआहह ये लो सावित्री देवी आआआआआअहह’ करते हुए अपना बैठा हुआ लंड और बॉल्स मा के चेहरे पे घिसना शुरू कर दिया, इससे मा का चिल्लाना बंद हो गया और सिर्फ़ ‘म्मह… म्म्म्ममह’ की आवाज़ सुनाई पड़ रही थी. ऐसा करने से उसका लंड धीरे धीरे खड़ा होने लगा. दो मिनिट में उसका लंड पूरा खड़ा हो गया. उसने दो हाथो से मा के बाल पकड़ के रखे और अपने पूरे लंड से मा के मूह को चोदने लगा. अब मा के तीनो छेद में तीन लंबे काले लंड थे. तीनो बहुत तेज़ी से अपने लंड मा के अंदर बाहर कर रहें थे.
कुछ मिनाटो तक यू ही मेरी और मेरी मा की बेरहमी से चुदाई जारी रही. धीरे धीरे मेरा दर्द कम होने लगा, मा के चेहरे को देख के भी लग रहा था कि उसका दर्द कम हो गया हैं.
डिज़िल्वा मेरी गान्ड मारे जा रहा था, में अब झरने के बहुत करीब थी. ज़िंदगी में पहली बार गान्ड मरवाके में मज़ा ले रही थी. डिज़िल्वा का मोटा लंड मेरी छोटी सी गान्ड के अंदर बाहर अब तेज़ी से जा रहा था.
मेरी आँखों के सामने का नज़ारा और डिज़िल्वा के गरम लंड के एहसास से अब मेरा झरना शुरू हो गया. में तीन उंगली अपनी चूत में डाल के ज़ोर से अंदर बाहर कर रही थी. मेरे झरने से मेरी गान्ड डिज़िल्वा के लंड पे सिकुड रही थी और इससे डिज़िल्वा का भी झरना शुरू हो गया, बाहर मा को बुरी तराह से चोदते हुए तीनो का अब एक साथ झरना शुरू हो गया था. में ज़िंदगी में इतनी ज़ोर से कभी नही झरी थी. मेरी गान्ड में मुझे डिज़िल्वा के लंड से गरम वीर्य निकलता महसूस होने लगा.
मा के मूह में चंगू अपना वीर्य निकल रहा था. उसकी चूत और गान्ड से भी मंगु और रामू के वीर्य से चाप चप की आवाज़े आ रही थी. पता नही कितनी देर तक मेरा झरना जारी रहा. आख़िर कुछ देर बाद मेरा और डिज़िल्वा का झरना बंद हुआ. मैं थकान से ज़मीन पर अपने घुटनो तले बैठ गयी.
मा के अंदर से भी अब तीनो ने अपने लंड निकाल दिए थे. तीनो आदमी अब मा के पास खड़े थे और उसको देख रहें थे, उनके लंड बैठे हुए थे और चमक रहें थे, उनमे से थोड़ा थोड़ा वीर्य अभी भी टपक रहा था. मा का हाल बहुत बुरा था, उसकी चूत, गान्ड और मूह में बहुत ही दर्द हो रहा था. वो ज़मीन पे कुत्ति की तरह बैठी थी, इतनी चुदाई के बाद वो बहुत थक गयी थी, वो उन तीन जन्गलियो से दूर जाना चाहती थी और धीरे धीरे अपने हाथ और पैरों तले कमरे के दरवाज़े की ओर जाने लगी. मंगु ने मा को जाते देख उसके पास जा के कहा ‘आप कहाँ जा रही हो सावित्री देवी, अभी तो मैने आपको ठीक से चोदा भी नही हैं’.
‘नही, अब और क्या चाहिए तुम लोगो को, प्लीज़ जाने दो मुझे, रेहेम करो मुझ पर’ मंगु ने मा के बाल दोनो हाथो से पकड़ उसको खीच के ज़मीन पे घसीट के फिर से उन तीन जंगलियो के बीच ला के पटक दिया. मंगु अब घुटनो तले मा के सर के नज़दीक बैठ गया और एक हाथ से मा के गालों पे ज़ोर दे के उसको अपना मूह खोलने पे मजबूर कर दिया, मा का मूह खुलते ही उसने अपना बैठा लंड उसके मूह में पूरा डाल दिया ‘चूसो ज़ोर से सावित्री देवी, खड़ा कर दो मेरे लंड को’
चंगू और रामू दोनो ज़मीन पे बैठ मा के बूब्स को मूह में ले कर ज़ोर से चूसने लगे, और अपने हाथों से अपने बैठे लंड को हिला हिला कर उसको खड़ा करने लगे.
में ज़मीन पे थकावट से ज़ोर से साँसें ले रही थी और मा की चुदाई देख रही थी. डिज़िल्वा पीछे से आया और उसने मेरे बाल पकड़ के खीच दिए और मेरा मूह अपने बैठे लंड के पास ला दिया. ‘मूह खोल मानसी, अपने डॅडी का लॉडा खड़ा कर दे’
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