RE: Hindi Porn Stories सेक्स की पुजारन
डिज़िल्वा रूम के दरवाज़े पे जा कर 3 आदमी को अंदर बुलाया. में तीनो को देख दंग रह गयी. तीनो भिकारी थे, एकदम काले कलूटे, जो सुबह मुफ़्त का खाना खाने घर पे आए थे.
‘ये क्या हैं’ मा ने गुस्से से कहा, उसे गुस्सा आ रहा था की डिज़िल्वा ने तीन भिकारियो को उससे चोदने के लिए बुलाया.
‘ये हैं चंगू, मंगु और रामू’ डिज़िल्वा ने कहा.
‘जी नमस्ते मालिक’ एक भिकारी ने कहा
‘हा नमस्ते नमस्ते, खाना ठीक था ?’
‘जी मालिक आप की मेहेरबानी’
‘ठीक हैं तो तुम तीनो के लिए एक काम हैं मेरे पास’
‘जी हुकुम करो मालिक’
डिज़िल्वा ने मा के और इशारा कर के कहा ‘ये तुम्हारा तोहफा हैं, इसको जितना ज़ोर हैं तुम लोगो में उतने ज़ोर से चोदना है आज, जो चाहे कर सकते हो तुम’
तीनो के चेहरे पे आश्चर्य छा गया.
‘जी मालिक ये तो सावित्री देवी हैं’
‘जी हां, उसका जवान जिस्म तुम्हारे इस्तेमाल के लिए हैं, जो चाहे करो तुम’
‘जी मालिक ये आप क्या कह रहें हैं, भला हमारी इतनी हेसियत कहाँ ?’
‘में मज़ाक नहीं कर रहा, तुम तीनो में से जो इसकी सबसे तगड़ी चुदाई करेगा, में उसको दो हफ्ते का खाना मुफ़्त में दूँगा. बस अब बहुत हो गयी बातें, वो कितना भी रोके उसकी परवाह मत करना जाओ और नोच डालो साली को’
ये कह के डिज़िल्वा बाथरूम में मेरे पास आ गया और मेरे साथ रूम में झाकने लगा.
‘देखो तुम तीनो यहाँ से चले जाओ’ मा ने उन भिकारियो को कहा. वो गुस्से में थी और उसको डर भी लग रहा था.
पर तीनो एक दूसरे को देखते रहें और वही खड़े रहें. और अचानक मंगु ने कहा
‘सबसे पहले मेरी बारी’. ऐसा कह के वो मा की ओर दौड़ पड़ा. उसको देख दूसरे दो भी दौड़ पड़े. मा तीनो को देख बहुत ही डर गयी थी. और अपने दोनो हाथो उपर कर उनको रोकने की कोशिश की ‘ठहरो मुझे ये नही करना हैं’ पर अब बहुत देर हो चुकी थी तीनो आदमी मा तक पहुच गये, और मा को जाकड़ लिया.
मुझे ये देख के उन लोगों को रोकना चाहिए था. मुझे मेरी मा का बलात्कार देख गुस्सा भी आना चाहिए था लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ. असल मे तीन बदसूरत और गंदे मर्द एक चिकनी औरत को ज़बरदस्ती चोदने वाले थे और मुझे ये देखना था कि वो कैसे चुदाई करते हैं.
मा चीखने लगी थी ‘जाने दो मुझे, छोड़ो’. चंगू और रामू ने मा के हाथ पकड़ के रखे थे और मंगु ने अपने दोनो हाथ मा के पीठ पे रखके उसको अपनी ओर खीचने लगा.
तीनो ने एक साथ अपना मूह खोलके जीब बाहर करदी. मंगु ने अपने होंठ मा के होंठ को लगा के अपनी जीब उसके मूह में डाल दी, इससे मा का चीखना बंद हो गया, दूसरे दो ने मा के गले और गालों को अपनी जीब से चाटना शुरू कर दिया. तीनो कुत्तों की तरह मा को चाट रहें थे. मा ने अपना सर घुमा के अपने होंठ एक आदमी के होंठो से अलग किए पर ऐसा करने से झट से दूसरे ने अपने होंठ उसको लगा दिए. मा अपना सर दोनो तरफ मोड़ रही थी पर उसके तीनो ओर वो तीन जंगली अपना मूह खोल जीब बाहर कर के तैयार थे. वो तीन के सर उसके इतने करीब थे कि जैसे ही वो अपना सर मोड़ती उसके होंठ तीन में से एक के होंठो को लग जाते.
अपने हाथो से वो मा की साड़ी खीच और फाड़ रहें थे. दो ही मिनिट में मा पूरी नंगी हो गयी थी. मा के कपड़े निकलते ही दो आदमी उसके बूब्स पे टूट पड़े और उसको अपने मूह में ले के उसको चूसने लगे. तीसरे ने मा के होंठो और जीब को चूसना और चूमना जारी रखा.
ये नज़ारा देख मुझसे रहा नहीं गया और मेने अपनी पैंटी निकाल दी और अपनी चूत में उंगली डाल दी. डिज़िल्वा मेरे पीछे आ गया, उसने अपनी पैंट निकाल दी थी. उसने मुझे पीछे से जाकड़ लिया और अपना लंड मेरी स्कर्ट के उपर से ही मेरी गान्ड पे रगड़ना शुरू कर दिया. मैने जो डिज़िल्वा के साथ सेक्स ना करने की कसम खाई थी वो में अब भूल गयी और अपनी गान्ड पीछे धकेल धकेल के अपने बाप के लंड पे रगड़ने लगी.
मेरी आँखों के सामने तीन तीन गंदे और काले मर्द मेरी गोरी गोरी मा को एक साथ मसल मसल के इस्तेमाल कर रहें थे. तीनो इस तरह मा पे टूट पड़े थे जैसे किसी जंगली जानवर को कई दिनो बाद खाना मिला हो. तीनो ने अपने थोड़े बहुत कपड़े अब निकाल दिए थे. तीनो के बड़े बड़े 8 इंच लंबे, मोटे और काले लंड थे. मा ने अब छटपटाना कम कर दिया था, उसको देख लग रहा था कि शायद वो भी चुदाई का मज़ा लेने लगी थी.
उन आदमियों ने अब मा को ज़मीन पे घुटनों तले बैठा दिया. तीनो ने अपने काले लंड मा के चेहरे पे घिसना शुरू कर दिया. तीनो को देख ऐसा लग रहा था कि तीनो किसी भी वक़्त झरने वाले थे. तीनो को अपने लंड मा के मूह में डालने थे.
‘मूह खोलो सावित्री देवी’ चंगू ने कहा
मा ने अपना मूह खोला और तीनो ने एक साथ अपना लंड उसके मूह में डालने की कोशिश की. किसी तरह एक साथ चंगू और मंगु के लंड मा के मूह में घुस गये. मा के होंठ पूरे फैल गये थे और दोनो के लंड का उपर का हिस्सा उसके मूह में घुस गया था. दोनो पागल की तरह अपना लंड एक साथ मा के मूह में ठुसने की कोशिश कर रहें थे. मा उनको अपने हाथों से मार के दूर हटाने की नाकाम कोशिश कर रही थी. दोनो ने अब अपने लंड से एक साथ मा के मूह को 3 इंच तक चोदना शुरू किया. दोनो ज़ोर ज़ोर से उसके मूह में अपना लंड अंदर बाहर कर रहें थे. मा का मूह इतना फैल नही सकता कि उनके लंड 3 इंच से ज़्यादा अंदर ले सके. रामू अपना लंड हिलाते हिलाते मा के गालों पे रगड़ रहा था. सावित्री देवी के चेहरे पे अपना लंड देख उससे रहा नही गया और वो झरने लगा, उसके लंड से वीर्य छूटने लगा और मा के गाल और नाक पे गिरने लगा. मा का सर उन लोगों ने मूड ने से रोक के रखा था, रामू ‘आआअहह सवितीरी देवी आआआआहह’ चिल्ला चिल्ला के अपना लंड हिलाते हुए मा के चेहरे पे घिसता रहा और वीर्य निकालता गया. आख़िर कुछ देर बाद उसका झरना बंद हुआ. उसने मा के एक गाल और उसके नाक को पूरा अपने वीर्य से गीला कर दिया था.बाथरूम में डिज़िल्वा पीछे से मुझे जकड़े हुए था और अपने दोनो हाथों से मेरे बूब्स दबा रहा था. उसका लंबा लंड मेरे गान्ड पे रगड़ रहा था. रगड़ते रगड़ते उसके लंड से मेरा स्कर्ट उपर चला गया और अब मुझे उसका गरम लंड मेरी गान्ड पे महसूस हो रहा था. मा की चुदाई देख में बहुत उतेज़ित हो गयी थी और अपनी गान्ड पीछे धकेल डिज़िल्वा के लंड पे रगड़ रही थी और अपनी दो उंगलियाँ चूत में डाल अंदर बाहर कर रही थी.
में चाहती थी कि वो मुझे खड़े खड़े पीछे से चोदे. पर डिज़िल्वा के गंदे दिमाग़ में कुछ और था. उसने अपने एक हाथ से मेरी कमर पकड़ ली और दूसरा हाथ उपर करके मेरे मूह में दो उंगली डाल दी. में अपने मूह से उसकी उंगलियाँ चूसने लगी. उसने अपना लंड मेरी गान्ड पे रगड़ना बंद किया और अचानक मेरी गान्ड के छेद पे रख एक ज़ोरदार धक्का लगाया….
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