RE: Hindi Porn Stories सेक्स की पुजारन
डेसिल्वा ने अपना 10 इंच का मोटा लॉडा मेरी गान्ड के छेद पे रख दिया और अंदर घुसाने की कोशिश करने लगा. वो लंड का उपर का हिस्सा मेरी गान्ड के छेद पे रगड़ रहा था पर उसका लंड इतना मोटा था कि क्रीम लगाने के बावजूद अंदर जा नहीं रहा था.
‘लगता हैं थोड़ा ज़ोर लगाना पड़ेगा’ कह के डिज़िल्वा ने अपना लंड गान्ड के छेद से 3-4 इंच पीछे ले कर ज़ोर से आगे धकेला. उसका मोटा लंड मेरी गान्ड के छोटे से छेद को चीरता हुआ 3 इंच तक अंदर घुस गया.
‘आआआआऐययईईईईईईईईईईई’ में ज़ोर से चिल्ला बैठी. मुझे ऐसा लगा कि किसी ने मेरे अंदर चाकू घुसेड दिया हो.
‘आआआहह…. कितनी टाइट हैं तू आआआआहह….’ करके डिज़िल्वा मज़ा ले रहा था.
डिज़िल्वा अपने पूरे शरीर का वज़न नीचे की ओर धकेल रहा था और अपने लंड को पूरे ज़ोर से मेरी गान्ड में और ज़्यादा घुसेड ने की कोशिश कर रहा था. उसका लंड बहुत ही धीरे धीरे मेरी गान्ड को फैला के आगे जा रहा था. में दर्द के मारे चिल्ला रही थी, मेरे आँखों से आँसू निकल रहे थे. डिज़िल्वा मेरे उपर लेटा हुआ था और अपना लंड आगे धकेलने की कोशिश कर रहा था, पर मेरी गांद इतनी टाइट थी कि उसका लंड अभी भी सिर्फ़ 6 इंच तक ही अंदर गया था. ज़ोर लगाके डिज़िल्वा का सारा शरीर पसीने से गीला हो गया था. में भी पसीने से लतपथ हो गयी थी.
डिज़िल्वा ने अब अपना लंड लगभग पूरा बाहर निकालके फिर से ढेर सारा क्रीम लगा दिया और फिर से पूरे ज़ोर से धक्का मारा. इस बार उसका लंड 8 इंच तक मेरी गान्ड में घुस गया.
में चिल्ला चिल्ला कर डिज़िल्वा के नीचे छटपटा रही थी. डिज़िल्वा को मेरी हालत देख और मज़ा आ रहा था. उसका लंड अभी सिर्फ़ 8 इंच तक ही मेरी गान्ड में घुसा था. डिज़िल्वा ने अब अपना लंड धीरे धीरे अंदर बाहर करना शुरू किया. डिज़िल्वा अपना लंड लगभग पूरा बाहर निकालता और फिर 8 इंच तक अंदर घुसेड देता. मेरी गान्ड का छेद इतना टाइट था कि हर बार जब डिज़िल्वा अपना लंड बाहर लेता तो छेद फिर से सिकुड जाता और डिज़िल्वा को अपना लंड अंदर घुसेड़ने में ज़ोर लगाना पड़ता. मेरी टाइट गान्ड से डिज़िल्वा को मज़ा आ रहा था. उसके हरेक धक्के पे मेरा सर गाड़ी के दरवाज़े पे लग रहा था और जैसे डिज़िल्वा अपना मोटा लंड बाहर खीचता उसके साथ मेरा सारा बदन भी खिच कर थोड़ा नीचे सरक जाता. कुछ देर डिज़िल्वा ने मेरी गान्ड को ऐसे ही 8 इंच तक चोदा पर अब उससे सबर नही हो रहा था.
उसने अब एक तगड़ा धक्का लगा के अपना पूरा 10 इंच का मोटा लंड मेरी गान्ड में घुसेड दिया. ‘आआआआहह… आआआआआअहह.’
डिज़िल्वा ने अपना पूरा लंड मेरी गान्ड के अंदर घुसा के रखा और ज़ोर से मेरे बाल पकड़ के खीच दिए. फिर धीरे धीरे उसने मेरी गान्ड की चुदाई शुरू की. पूरा 10 इंच का गरम लॉडा अब अंदर-बाहर होने लगा. हरेक बार जब वो अपना लंड अंदर धकेल्ता मेरा पूरा बदन आगे की ओर सरकने लगता और वो मेरे बाल खीच मुझे सरकने से रोक लेता. इतनी टाइट गान्ड को चोद के डिज़िल्वा को बहुत मज़ा आ रहा था और वो बहुत उत्तेजित हो गया था. दस मिनिट चोदने के बाद उसका झरना शुरू हो गया और उसने चुदाई की रफ़्तार बढ़ा दी. ऐसा करने से मेरा दर्द और बढ़ गया.
में चिल्ला चिल्ला कर उसको गाली दे रही थी ‘आाऐययईईई… जाने दे मुझे साले कुत्ते’ पर इससे डिज़िल्वा को और मज़ा मिल रहा था. वो अपने मोटे लंड से मेरी गान्ड में अपना वीर्य निकालने लगा. ‘आआआआआहह… ये ले साली कुतिया आआआआआहह….’ मुझे मेरी गान्ड में डिज़िल्वा का गरम वीर्य महसूस हो रहा था, ऐसा लग रहा था जैसे मेरी पूरी गान्ड उससे भर गयी हो. डिज़िल्वा की चुदाई से अब ‘चुप चुप’की आवाज़ आ रही थी. तीन चार मिनिट तक डिज़िल्वा झरता रहा. आख़िर उसका झरना बंद हुआ और वो मेरे उपर लेट गया. उसका लंड उसने मेरी गान्ड के अंदर ही रखा. उसका मोटा लंड अभी भी मेरी गान्ड के अंदर थोड़े थोड़े झटके खा रहा था. उसका पूरा वज़न मेरे उपर होने के कारण में उसको अपने उपर से हटा नही पा रही थी.
‘प्लीज़ अब तो बाहर निकालो इसको’ मैने उससे रोते रोते भीक माँगी
‘आअहह चुप बैठ साली रंडी’
कुछ देर बाद डिज़िल्वा का लंड मेरी गान्ड के अंदर बैठ गया. इसके बाद उसने मेरी गान्ड से अपना लंड आख़िर बाहर निकाला. लंड निकालने पे मेरी गान्ड से डिज़िल्वा का ढेर सारा वीर्य बाहर बह गया.
‘वाह मज़ा आ गया’ कह के डिज़िल्वा ने अपने कपड़े पहेन गाड़ी चलानी शुरू कर दी और मेरे घर की ओर चल पड़ा. मैने भी कैसे भी करके धीरे धीरे अपने कपड़े पहेन लिए.
हम घर के नज़दीक पहुचे. काफ़ी देर हो गयी थी. में अभी भी रो रही थी और मेरी गान्ड के दर्द से मुझे बैठने में भी तकलीफ़ हो रही थी. घर नज़दीक आते ही मेने देखा कि मा बाहर खड़ी थी. वो मेरा इंतेज़ार कर रही थी. में डर गयी कि अब क्या होगा. मेने अपने आँसू झट से पोंछ दिए.
गाड़ी पार्क करते ही मा गाड़ी के पास आ गयी और उसने मुझे और फिर डिज़िल्वा को देखा.
‘इतनी देर कहाँ थी, और ये कौन हैं’ मा ने गुस्से से पूछा. मेरी तो डर के मारे बोलती बंद हो गयी थी. तभी डिज़िल्वा ने कहा
‘जी नमस्ते सावित्री जी मेरा नाम डिज़िल्वा हैं’
‘जी नमस्ते’ मा की आँखों में शक था
‘जी में इसके स्कूल के पास से जा रहा था तो मैने देखा कि एक लड़का इसके साथ छेड़खानी कर रहा था, मैने गाड़ी रोकके उस लड़के को ठीक कर दिया’ डिज़िल्वा की बात सुन मा के चेहरे पे से गुस्सा चला गया और मेरा दिमाग़ भी चलने लगा.
‘हां मा, एक विवेक करके लड़का हैं, मेरी क्लास में पढ़ता हैं, कई दिनो से स्कूल में कहता फिरता था कि में उसकी गर्लफ्रेंड हूँ, और आज में स्कूल के बाद पढ़ाई करके, घर आ रही थी तो उसने मेरे पीछे आ के मेरे साथ गंदी गंदी बातें करनी शुरू कर दी, तभी डिज़िल्वा अंकल ने आकर मुझे उससे बचा लिया’
‘आप का बहुत शुक्रिया भाई साब, आप अंदर आइए प्लीज़, चाइ पी के जाइए’
‘जी ठीक हैं’
हम अंदर जा कर बैठ गये. मुझे चलने में और बैठने में बहुत तकलीफ़ हो रही थी पर मैने अपनी मा को इसकी भनक नही होने दी.
‘आप का बहुत शुर्किया भाई साब, मुझे तो इसकी बहुत चिंता होती हैं’
‘आप खमखा चिंता करती हैं बहेनजी, बड़ी भोली और सीधी साधी हैं आपकी लड़की, आपने इसे बहुत अच्छी तरह से बड़ा किया हैं, बहुत गुणवान लड़की हैं’
‘जी वो तो हैं, पर इसका रंग रूप ऐसा हैं कि मुझे हमेशा चिंता होती हैं’
‘जी हां सुंदर तो बहुत हैं, बिल्कुल अपनी मा के जैसी’ डिज़िल्वा ने मुस्कुरा के कहा
मा के मूह पे मुस्कुराहट आ गयी. ये देख डिज़िल्वा की हिम्मत थोड़ी और बढ़ गयी
‘आप तो सच मुच श्रीदेवी जैसी दिखती हैं बहेनजी’
‘जी आप भी भाई साब. बड़े शरारती हो.’ मा ने शरमाते हुए कहा
‘नही सच कहता हूँ बहेन जी.पहले तो मुझे लगा आप इसकी बड़ी बहन हैं‘
में चोंक के उनकी बातें सुनती रही. डिज़िल्वा मेरी मा पे बिंदास लाइन मार रहा था और मा भी उसे लाइन दे रही थी.
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