RE: Hindi Porn Stories सेक्स की पुजारन
सेक्स की पुजारन पार्ट- 8
गतान्क से आगे.............
मिस्टर शर्मा मेरी नज़दीक आ गये और ‘अब मुजसे नहीं रहा जाता’ कह के मुझे उठा लिया. उठा के वो मुझे कमरे में ले जाने लगे. कमरे में जाने से पहले मैने देखा के मिस्टर वेर्मा शवर के नीचे खड़े हो कर साबुन से अपनी गांद सॉफ कर रहे थे. मुझे समझ में नहीं आया कि वो ऐसा क्यूँ कर रहें हैं. बेडरूम में आ के मिस्टर शर्मा ने मुझे बिस्तर पे फेक दिया और सीधे मेरे पैर फैला कर मेरी चूत को उपर उपर से चाटने लगे. मिस्टर वेर्मा भी दो मिनिट में आ गये और मेरे बूब्स चूसने लगे.
कुछ मिनिट ऐसा करने के बाद मिस्टर वेर्मा ने अपने घुटनो तले मेरे सर के बाजू में बैठ के अपना लंड मेरे होटो पे रगड़ ने लगे. मैने अपने होठ खोलके अपनी जीब बाहर निकाल दी ताकि वेर्मा जी अपना लंड उस पे रगड़ सके. ऐसा कुछ मिनूटों तक चलता रहा में बहुत गरम हो गयी थी. मिस्टर वेर्मा ने अब हट के अपना एक पैर उठा कर मेरे सिर को दोसरे साइड पे कर दिया. अब उनके बॉल मेरे माथे को छू रहे था और उनका लंबा लंड मेरी नाक, खुले होंठ और जीब पे रगड़ रहा था. शर्मा जी ने अपनी जीभ अब एक झटके में पूरी मेरी चूत में डाल दी, मैं ‘आआआहह…. म्म्म्ममममममममम’ करके ज़ोर से सिसकारिया भरने लगी. उनकी जीब पूरी मेरी चूत में घुसी हुई थी और वो अपनी जीब को उपर नीचे हिला रहे थे. में पागल हो रही थी. मिस्टर वेर्मा यहा मेरे उपर थोड़ा और आगे बढ़े और अपने बड़े बॉल्स मेरे होटो पे रख दिए. मैं अपने होठ खोल के उनके बॉल चूमने और चाटने लगी. उन्हों ने अपने दोनो हाथो से मेरे बूब्स दबोचना शुरू कर दिया और मैने अपना मूह पूरा फैला कर उनके बॉल जितने समा सके उतने अपने मूह मे लेके ज़ोर से चूसने लगी. मेरा ऐसा करने पर मिस्टर वेर्मा के मूह से आअहह निकल पड़ी. कुछ मिनूटों तक में उनके बॉल इसी तरह चूस्ते रही, मिस्टर. शर्मा मेरी चूत अब और ज़ोरो से चाट रहे थे और मेरे मूह से ‘म्म्म्मममह. ...म्म्म्मममह’ की सिसकियारी निकल रही थी. फिर अचानक मिस्टर वेर्मा ने अपने बॉल मेरे मूह से निकाल दिए और थोड़ा उपर होके अपने गांद का छेद मेरे होटो के नज़दीक ला कर नीचे बैठने लगे.
मुझे पता चल गया के वो चाहते थे कि मैं उनके गांद के छेद को चाटलू. पर ये मुझे नही करना था और मैने अपना सिर मोड़ लिया.
‘क्या हुआ बेटी ’
‘मैं ऐसा नहीं करूँगी, मुझे गंदा लगता हैं’
‘फिकर मत करो बेटी. मैने स्नान करने के वक़्त इससे साबुन से बहुत साफ कर के रखा हैं’. तब मुझे समझ में आया की मिस्टर. वेर्मा अपनी गांद पे साबुन क्यूँ लगा रहें थे.
’नहीं यानी नही. में नही करूँगी
यह सुन कर मिस्टर. शर्मा ने मेरी चूत से अपनी जीब निकाल दी और कहा ‘बेटी यह ग़लत बात हैं. ऐसे ज़िद नहीं करते. अगर तुम वेर्मा की गांद नहीं चाटोगी तो में भी तुम्हारी चूत नहीं चाटूंगा’
‘प्लीज़ मिस्टर शर्मा, अपनी जीब फिर से अंदर डालो मुझे बहुत मज़ा आ रहा हैं’
‘मज़ा आ रहा हैं ना. अगर तुम्हे मज़ा लेना हैं तो मज़ा देना भी तो पड़ता हैं ना. ऐसा करो मैं तुम्हारी चूत चाटू तब तक तुम उसकी गांद के छेद को थोड़ा थोड़ा उपर से चाट लो, ठीक हैं’
‘मैने कह दिया ना नहीं मतलब नहीं’.
‘देखो बेटी ज़िद नही करते. अगर तुम वेर्मा की गांद चॅटो गी तो वेर्मा तुम्हारे बूब्स को अच्छी तरह से चोदेगा’
मुझे समझ में नहीं आया की बूब्स को कैसे चूदेन्गे ? ’वो कैसे होता हैं’ मैने पूछा
‘तुम उसकी गांद को चॅटो और वो तुम्हे तुम्हारे बूब्स चोद के दिखाता हैं. ठीक हैं ?’
‘ठीक हैं’ मैने कहा. ‘लेकिन अगर आप बंद करदेंगे तो मैं भी बंद कर दूँगी’
‘ठीक है बेटी. चलो शुरू हो जाओ’ यह कह के मिस्टर शर्मा ने मेरी चूत को फिरसे चाटना शुरू कर दिया.
मैने अपना सिर सीधा कर लिया. मिस्टर वेर्मा ने अपनी गांद धीरे से नीचे कर ली और गांद का छेद मेरे होंठो के करीब ला दिया. मैने अपने होठ खोल के अपनी जीभ धीरे से बाहर कर ली और धीरे से उपर उपर से थोड़ा थोड़ा चाटना शुरू कर दिया. ‘थोड़ा ज़ोर से चॅटो बिटियाँ’ मिस्टर वेर्मा ने कहा. ‘नहीं पहले आप करने वाले थे वो करिए‘. ‘ठीक हैं’ यह कह के मिस्टर वेर्मा ने अपना लंड मेरे दोनो बूब्स के बीच में रख कर मेरे दोनो बूब्स अपने हाथो से साइड से उनके लंड पे दबा दिए और धीरे धीरे अपना लंड बूब्स के बीच रगड़ने लगे. अपनी उंगलियों से वो मेरे निपल खिच रहे थे. उनका गरम गरम लंड मेरे बूब्स के बीच और मेरे निपल का खिचना और साथ ही मिस्टर शर्मा का ज़ॉरो से मेरी चूत चाटना, ये सब एक साथ महसूस कर के मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था. मैने सोचा कि ये दोनो मुझे इतना मज़ा दे रहे हैं तो मेरा भी फर्ज़ हैं की मैं उनको खुश करू. यह सोच के मैने मिस्टर वेर्मा की गांद को थोड़ा ज़ोर से चाटना शुरू कर दिया, उनके गांद के छेद में भी काफ़ी सफेद बाल थे और उन बाल से मुझे थोड़ी गुदगुदी हो रही थी. उन्होने वाकेइ अपनी गांद अछी तरह से सॉफ की थी. मिस्टर. शर्मा अब ज़ोरो से मेरी चूत चाट रहे थे. में पागल सी हो रही थी. मैने भी अपनी जीब को मिस्टर. वेर्मा की गांद के छेद पे ज़ोर दे कर अंदर डाल दिया. मिस्टर. वेर्मा के मूह से ‘आआआआआआआहह’ करके आवाज़ निकल गयी ‘बहुत अच्छे बेटी, और ज़ोर से चॅटो’. मैने अपनी जीब को मिस्टर. वेर्मा की गांद में अंदर बाहर करना शुरू कर दिया. मिस्टर. वेर्मा पागल हो रहे थे और ‘आआआहह....आआआआहह’ की आवाज़े निकाल रहे थे. मुझे आश्चर्या हो रहा था कि में इस बुड्ढे आदमी की गांद में अपनी जीब डाल के हिला रही थी पर मुझे ज़रा भी बुरा नहीं लग रहा था. उपर से मुझे मज़ा आ रहा था. कुछ मिनूटों तक हम तीनो ऐसा ही करते रहे. मिस्टर. वेर्मा मेरे बूब्स के बीच लंड रगड़ते रहे और में अपनी जीब उनकी गांद में पूरा डाल के हिलाती रही. इतनी देर जीब को कड़क रख के गंद के छेद में रखने से अब मेरी जीब में दर्द होने लगा था. मैने उसे बाहर निकाला. मिस्टर वेर्मा ने कहाँ ‘अंदर से मत निकालो बेटी, बहुत मज़ा आ रहा हैं’
‘अब मुझ से और नही होगा, जीब को कड़क रखते रखते मुझे दर्द हो रहा हैं’
‘ठीक हैं मेरी गांद के अंदर नहीं लेकिन छेद को चाटना बंद मत करो’
‘ठीक हैं’ कहके मैने उनके गांद के छेद को चाटना ज़ारी रखा.
‘थोड़ा ज़ोर से चॅटो बेटी. और अपने होठ भी लगाओ उससे’. मेने अपने होंठ आगे कर के उनके गांद के छेद को होंठो से चूमने लगी और ज़ोर से चाटने लगी.
कुछ मिनूटों के बाद मिस्टर. शर्मा ने मेरी चूत से जीब निकाल दी. मैं सोच ही रही थी की वो अब क्या करेंगे की उन्होने मेरी दोनो टांगे उठा कर अपने कंधे पे डाल दी और मुझे अपनी गांद के छेद पे उनका लंड रगड़ता महसूस हुआ.
मैने सोचा के अगर उनका इतना बड़ा लंड मेरी गांद में घुसा तो में तो मर जाऊंगी. मैने तो सिर्फ़ एक बार विवेक का छोटा सा लंड अपनी गांद में लिया था और वो भी बहुत मुश्किल से. मुझे पता नही चला लेकिन वेर्मा और शर्मा ने एक दूसरे को इशारा कर के तैयार कर दिया था. में कुछ कहूँ उससे पहले ही मिस्टर. वेर्मा ने अपनी गांद और नीचे कर ली और पूरी तरह मेरे चेहरे पर बैठ गये और अपनी गांद का छेद मेरे चेहरे पे रगड़ने लगे. मैने अपना सर हटाने या मोड़ ने की कोशिश की पर उनका पूरा वजन मुझ पे था और मैं अपना सर बिल्कुल हिला नही पा रही थी. मिस्टर. शर्मा ने एक बहुत ज़ोर का धक्का मारा और मुझे उनका लंड 4 इंच तक मेरे गांद मे जाता महसूस हुआ. मे ज़ोर से चीखना चाहती थी पर मेरा मूह तो मिस्टर वेर्मा की गंद से दब गया था. मिस्टर शर्मा ने अपने लंड को थोड़ा अंदर बाहर करना शुरू कर दिया और मेरा दर्द कम हो गया. लेकिन में जानती थी के किसी भी वक़्त वो अपना बाकी का लंड भी मेरी गांद में डाल ही देंगे. और ऐसा ही हुआ. उन्होने और एक ज़ोरदार धक्का लगाया और उनका लंड पूरा का पूरा मेरी गांद में चला गया. मेरी आँखों से आँसू बह रहे थे, में अपने हाथो से कभी मिस्टर शर्मा तो कभी मिस्टर वेर्मा को मार के हटाने की कोशिश कर रही थी पर उनपर कोई असर नही हुआ, में दर्द से छटपटा रही थी. वो अब खुशी से ‘आआआआअहह... आआआआआआआअहह’ चिल्ला कर मेरी गांद में अपना लंड धीरे धीरे अंदर बाहर कर रहे थे. ‘बहुत टाइट हैं बिटियाँ रानी, लगता हैं कभी गांद नही मरवाई आआआआहह..’.
यहाँ मिस्टर वेर्मा ज़ोर से मेरे दोनो बूब्स को दबा कर बीच में अपना लंड रगड़ रहे थे, इस रगड़ने के साथ उनका गंद का छेद भी मेरे होटो और नाक पे ज़ॉरो से रगड़ रहा था. इस रगड़ने से मेरी नाक थोड़ी सी उनके गांद के छेद मे घुस जाती. मेरी जीब अभी भी मेरे मूह से बाहर थी और इसकी वजह से उनका छेद और मेरा मूह गीला हो गया था.
मिस्टर शर्मा का लंड, अब मेरी गांद को चीरते हुए तेज़ी से अंदर बाहर हो रहा था. मुझे उन दोनो को रोकना था लेकिन उन दोनो ने मुझे ऐसे जाकड़ के रखा था के में कुछ नहीं कर पा रही थी. वो दोनो दस मिनिट तक मुझे इसी तरह से चोदते रहे. मेरा दर्द थोड़ा कम होने ही लगा था कि मिस्टर शर्मा झरने के करीब आ गये और जंगली जानवर की तरह मेरी गांद को और ज़ोर से चोदने लगे. मेरा दर्द दो गुना बढ़ गया. वो ज़ोर से चिल्ला रहे थे ‘आआआअहह..... आआआआआआअहह’ उनके लंड से पानी निकलना शुरू हो गया. मिस्टर वेर्मा के मेरे बूब्स दबाने से मुझे अब बूब्स में भी दर्द हो रहा था और अब वो भी झरने लगे थे, उन्होने मेरे बूब्स और ज़ोर से साइड से दबाए और ज़ोर से मेरे बूब्स चोदने लगे. उन्होने अपनी गांद भी और ज़ोरो से मेरे चेहरे पर रगड़ना शुरू कर दिया. अब हरेक धक्के पे मेरा पूरा नाक उनके गंद के छेद में चला जाता था. वो भी ‘आआआअहह..... आआआआआआअहह’ चिल्ला रहे थे और उनके लंड से भी पानी निकल के मेरे पेट पे गिरने लगा. दोनो तकरीबन तीन या चार मिनिट तक ऐसे ही चिल्लाते रहे और झरते रहे और ढेर सारा वीर्य निकालते रहे. फिर दोनो ने धक्का लगा ना बंद किया. मिस्टर शर्मा ने फिर भी अपना लंड मेरी गांद से नही निकाला और अंदर ही रखा. मिस्टर वेर्मा ने आख़िर मेरे चेहरे से अपनी गांद हटा दी. उन्होने अपने लंड पे लगा बाकी वीर्य मेरे एक बूब पे घिस के सॉफ किया. दो मिनिट बाद जब मिस्टर शर्मा का लंड पूरा बैठ गया तो मेरी गांद से निकाला और उन्होने मेरे दूसरे बूब पे लंड को घिस के सॉफ कर दिया. मेरा चेहरा पूरा लाल था और मेरे आखों से अभी भी दर्द के आसू बह रहे थे लेकिन वेर्मा और शर्मा मे से किसी ने मुझे कोई सहानीभूति दिखाई. उन्होने मुझे कोई इस्तेमाल की गयी चीज़ की तरह वहाँ ही छोड़ के, अपने कपड़े उठा के बगल की रूम में चले गये जहाँ डिज़िल्वा बैठा था. में दर्द के मारे वाहा पर ही पड़ी रही.
मुझे बाजू के कमरे से आवाज़ सुनाई दे रही थी.
‘मान गये डिज़िल्वा. क्या लड़की है. आज तक तूने ऐसा माल कभी डेलिवर नही किया, ज़्यादातर तू कोई सस्ती रांड़ को स्कूल की ड्रेस में ले आता हैं. दो या तीन बार स्कूल की लड़की लाया भी हैं तो बिल्कुल काली कलूटी. पर ये मानसी की तो तारीफ करू उतनी कम हैं. इतनी टाइट चूत और गांद और क्या चिकनी सूरत. कितने पैसे हुए’
‘बस दोनो बीस बीस हज़ार दे दो’
‘बीस हज़ार? बात तो पाँच की हुई थी’
‘हुई तो थी पर वो तो एक घंटे के लिए. तुम दोनो तो उसको चार घंटे से चोद रहे हो’
ये बात सुनकर शर्मा और वेर्मा हँसने लगे.
’क्या करे माल ही कुछ ऐसा हैं. अगर घर पे बीवी इंतेज़ार ना करती होती तो हम यहाँ पर ही रह जाते. तुम बीस बीस हज़्ज़ार हमारे खाते मे जोड़ दो’
‘ओके जी. आप लोगो से बिज़्नेस करने में यह ही अछी बात हैं. आप लोगो को माल की कीमत का अंदाज़ा लगाना आता हैं, अगर इससे फिर कभी चोदना हो तो सिर्फ़ एक फोन करदेना’
मैं ये बातें सुन कर हैरान हो गयी. डिज़िल्वा ने मुझे बेवकूफ़ बनाया था. पहले तो उसने मुझे दो जवान मर्द का लालच दे के मनाया. फिर टॅक्सी में मेरी चूत से खेल के मुझे गरम कर दिया ताकि में किसी से भी चुदवाने को तैयार हो जाउ. और फिर ये पैसे की बात. साले ने मुझे रांड़ बना दिया था.
शर्मा जी और वेर्मा जी के जाने के बाद डिज़िल्वा कमरे में आया.
‘कैसा लगा मेरी जान, मज़ा आया’.
मैने डिज़िल्वा को चिल्ला कर कहा ‘साले कुत्ते, तूने मुझे बेवकूफ़ बनाया और मेरा फयडा उठाया और उन दोनो से पैसे लिए’
डिज़िल्वा बेफिकर हो कर बोला ‘अरे वाह, बहुत नखरे मत कर. में सब सुन रहा था. उन दोनो से ज़्यादा तो तूने मज़े लिए हैं तू तो ऐसे बात कर रही हैं जैसे तुझे मज़ा नहीं आया.’
‘कुछ भी हो तुमने मुझे झूट कहा और उनसे पैसे लिए. ऐसे गंदी चीज़ मैं फिर कभी नही करूँगी. और में तुमसे अब कभी नहीं मिलूँगी. तुझ जैसे आदमी की मुझ से मिलने की हसियत ही नहीं हैं’. मेरे मूह से बात निकलते ही मुझे पछतावा हो गया. में जानती थी कि डिज़िल्वा ने हेसियत की बात सुन के विवेक को कैसे मारा था.
हेसियत की बात सुनते ही देसील्वा गुस्से से लाल हो गया था.
‘साली अब दिखा ता हूँ मैं तुझे मेरी हसियत.’ ये कह के डिज़िल्वा ने अपना पॅंट नीचे कर दिया और अपना दस इंच का मोटा लंबा लंड बाहर निकाला....क्या बात है दोस्तो अपनी सेक्स की पुजारन अब तक तो आठ इंच के लंड से चुदति आई है क्या वो दस इंच का लंड बर्दास्त कर पाएगी जानने के लिए पढ़ते रहे सेक्स की पुजारन
वैसे दोस्तो किसी ने एक शेर कहा है
चूत री चूत तूने खाए बेगाने पूत
जो होती बीघा चार तो देती देश उजाड़
इस शेर के बारे मे आपकी क्या राय है ज़रूर बताना
आपका दोस्त राज शर्मा
क्रमशः..........
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