RE: Hindi Porn Stories सेक्स की पुजारन
सेक्स की पुजारन पार्ट- 5
गतान्क से आगे.............
‘फिर से देखो गी’ यह कह के टीचर खड़ा हो गया. खड़े होते ही मुझे पता चला कि उसने शर्ट के नीचे कुछ नही पहना था. उसका काला मोटा लंड कड़क हो के शान से खड़ा था. लंड को देख मेरे बदन में एक हुलचूल सी हो गयी. मैं उस काले लंड को छूना चाहती थी. पर टीचर वही पर खड़ा रहा. उसने अपना शर्ट के बटन खोलना शुरू किया. विवेक यहाँ अब मेरी जांघे चाट रहा था. मैं बैचैन हो रही थी और मैने उसका सर उसके बालों से पकड़ और उपर कर लिया. अब उसका सर पूरा मेरे स्कर्ट के नीचे था और वो मेरी चूत मेरी पॅंटी के उपर से चाट रहा था. मुझे अब ऐसी बेशर्मी करने मे कोई खिचक नही थी. मेरी हवस की आग भड़क उठी थी. में अपने दोनो हाथो से उसका सर नीचे दबा रही थी और टीचर के लंड को देख रही थी. टीचर अब पूरा नंगा था. उसका काला और बालों से भरा मोटा बदन दिखने में एकदम ही गंदा लग रहा था. पर मेरे शरीर की भूक इतनी थी कि मुझे सिर्फ़ वो लंड दिखाई दे रहा था. मैं अब विवेक का सर नीचे और दबा रही थी और साथ ही साथ अपनी गांद उठा उठा के उसके चेहरे पे अपनी चूत रगड़ रही थी.
टीचर सामने का नज़ारा देख कर खुश हो गया. उसने मन में ठान लिया ‘कुछ भी हो जाए आज इसको चोदे बिना जाने नहीं दूँगा’. उसने इतनी चिकनी लड़की नही देखी थी और वो भी इतनी जवान. में उसके सामने रांड़ की तरह गांद उपर करके चूत चटवा रही थी.
‘बहुत अच्छे मानसी. यह मेरा कुत्ता बहुत वफ़ादार है. तुम जितना चाहो खेल सकती हो’ टीचर ने कहा. दस मिनिट तक में वैसे ही ज़ॉरो से अपनी चूत विवेक के मूह पर रगड़ती रही और पूरे ज़ोर से विवेक का सर नीचे दबाती रही.में झर ने ही वाली थी कि टीचर ने विवेक से कहा. ‘बहुत हो गया कुत्ते, अपना सर उठा’. पर मुझे और चूत चटवानी थी मेने विवेक के बॉल पकड़ उससे रोकने की कोशिश की पर वो मेरे चंगुल से निकल के साइड पे हो गया.
टीचर हसके बोला ‘डोंट वरी मानसी अभी तो हम शुरू हो रहे हैं. ऐसा करते हैं कि में मेरे कुत्ते के साथ तुम्हारी भी थोड़ी ट्रैनिंग कर देता हूँ. तुम मेरा कुत्ता करता हैं वैसा ही करो. ठीक हैं ?’
मैने अपना सिर हां में हिल्ला दिया. विवेक अब हाथ और घुटनो पे ज़मीन पर बैठा था. मैं भी कुतिया की तरह ज़मीन पे बैठ गयी.
विवेक अब अपने हाथों और घुटनों तले टीचर की ओर चलने लगा. मेने भी वैसे ही किया. हम दोनो अब अपने हाथो और घुटनूं तले कुत्टून की तरह ज़मीन पर टीचर के लंड की तरफ चल पड़े. ‘वेरी गुड. गुड डॉगी’ टीचर ने मुस्कुराते हुए कहा. वो एक हाथ से लंड सहला रहा था और दूसरे हाथ से अपने बॉल दबा रहा था. हम दोनो लंड तक पहुच गये.
‘मानसी अब तुम वैसा करो जैसे मेरा कुत्ता करता हैं’
विवेक ने अपनी जीब पूरी निकालके टीचर का पूरा लंड नीचे से उपर चाटने लगा. मैने भी ऐसा ही किया. अब टीचर के लंड को हम दोनो एक साथ पूरी जीब निकाल के चाट रहे थे.
‘आआआआआअहह....’ टीचर के मूह से आवाज़ निकल गयी. हम दोनो टीचर का लंड ऐसे ही 10 मिनिट तक चाटते रहे. मुझे अब लंड को अपने मूह में लेके चूसना था. टीचर का काला मोटा लंड मुझे पागल बना रहा था. टीचर ने तभी एक कदम पीछे ले कर अपना लंड हम दोनो से अलग किया और हमारे दोनो के सर के पीछे के बाल पकड़ हमारे सर एक दूसरे के नज़दीक लाना शुरू कर दिया. ‘किस करो एक दूसरे को, और मूह खोल के किस करो’ टीचर ने कहा. विवेक के होठ मेरे होठ के नज़दीक आ रहे थे, मैने अपने होठ खोल अपनी जीब थोड़ी बाहर निकाल उनका स्वागत किया. होठ मिलते ही मैने अपनी जीब उसके मूह में डाल दी. विवेक ने भी अपनी जीब मेरी जीब से मिला दी. मुझे किस करने में बड़ा मज़ा आ रहा था.
टीचर ने अब साइड से अपना लंड हम दोनो के किस करते होठों के बीच डाल दिया और आगे पीछे करने लगा. मेरे और विवेक के होंठ खुले थे और जीब बाहर थी और टीचर का गीला लंड अब हमारे होटो के बीच आगे पीछे हो रहा था. अपने हाथों से टीचर हम दोनो के बाल पकड़ के हमारे सर उसके लंड पे दबा रहा था. गरम गरम कड़क लंड मेरे होटो को छूने से मेरी चूत में हुलचूल हो रही थी. मैं अपना हाथ आगे कर के विवेक के छोटे से लंड को पकड़ के हिलाने लगी. लंड को दो तीन झटके ही मारे थे कि विवेक झरने लगा और उसके लंड से वीर्य निकलने लगा.
झरते वक़्त विवेक ने अपना सर पीछे कर ‘आआआआआहह....’ की आवाज़ निकाली. ऐसा करने से उसका मूह टीचर के लंड से दूर हो गया. टीचर को गुस्सा आ गया. ‘साले चूतिए. किसने कहा लंड से मूह निकालने को’
‘सॉरी टीचर’
‘सॉरी के बच्चे ये ले’ ऐसा कह कर टीचर ने अपना लंड उसके मूह में डाल दिया और ज़ोर से उसके मूह को बेरहमी से चोदने लगा. टीचर पूरा लंड विवेक के मूह में घुसता और पूरा बाहर निकलता. मुझे विवेक का यह हाल देख मज़ा आ रहा था. मैने पीछे से विवेक के सर के बाल पकड़ लिए और उसका सर टीचर के लंड पे धकेलना शुरू कर दिया.
‘वेरी गुड मानसी. इस कुत्ते को मिलके तमीज़ सिखाते हैं’ टीचर ने अब अपने लंड से विवेक के मूह को चोदना बंद कर दिया और ऐसे ही खड़ा रहा. मैं विवेक के सर के बाल पकड़ दोनो हाथों से उसका सर टीचर के लंड पे ज़ॉरो से उपर नीचे करने लगी.
मैने अब बेशरम हो कर टीचर की आँखों में आँखे डाल, देख रही थी. टीचर मेरी तरफ देख मुस्कुरा रहा था. वो सोच रहा था ‘क्या चीनी रांड़ हैं, मेरे तो नसीब खुल गये’
अब वो झरने वाला था ‘और ज़ोर से मानसी आआआआअहह...’ कह कर टीचर ने झरना शुरू कर दिया. मैं अपनी पूरी ताक़त लगा कर विवेक का सर टीचर के लंड पे धकेल्ति रही. टीचर चिल्ला चिल्ला कर झार रहा था. हर बार जब टीचर का लंड विवेक के मूह में पूरा जाता उसके मूह के साइड से थूक और वीर्य निकल जाता. टीचर दो-तीन मिनिट तक झरता रहा. जब उसने चिल्लाना बंद किया तो मैने विवेक का सर छोड़ा. टीचर ने लंड बाहर निकाला. ‘साफ़ कर इसे’ टीचर ने विवेक से कहा. विवेक अपनी जीब निकाल के आगे बढ़ रहा था कि मैने ‘चल हट कुत्ते’ कह कर उसे धक्का मार के हटा दिया. मैं अपनी जीब निकाल टीचर की आँखों में आँखें डाल लंड को चाटने लगी और वीर्य लंड से चाट चाट के सॉफ कर दिया.
‘वा मानसी तुम्हे तो ट्रैनिंग की कोई ज़रूरत नही. चलो अब में तुम्हे भी खुश कर देता हूँ’ यह कह के टीचर ने मुझे ज़मीन पे लेटा दिया. उसने मेरा स्कर्ट उठा के मेरी पॅंटी एक झटके में निकाल दी. मुझसे अब रहा नही जा रहा था. मुझे अब टीचर का मूह अपनी चूत पे चाहिए था. टीचर ने भी मुझे इंतेज़ार नही करवाया और अपनी मोटी जीब पूरी मूह से निकाल मेरी पूरी चूत को नीचे से उपर तक चाटना शुरू किया. मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था. मैने अपने दोनो पैर जीतने फैल सके उतने फैला दिए. टीचर वैसे ही चाट ता रहा. चाटते चाटते टीचर घूम गया. अब में ज़मीन पे लेटी थी और टीचर मेरे उपर ऐसे लेटा था की उसका मूह मेरी चूत पे और उसका लंड मेरे मूह के नज़दीक था.
‘इसे चूस के खड़ा कर दो मानसी’ टीचर का लंड बैठा हुआ था और मेरी आँखो के सामने लटक रहा था. बैठा हुआ लंड भी काफ़ी मोटा और लंबा था और उससे देख मेरे मूह में पानी आ गया. मैने अपने दोनो हाथ टीचर के गांद पे रख उसको नीचे खीचा. उनका बैठा हुआ लंड मैने पूरा का पूरा मूह में ले लिया और उसे चूसने लगी. टीचर अब मेरी चूत को मस्त होके तेज़ी से चाट रहा था. और उतनी ही तेज़ी से में उसका लंड चूस रही थी.
हम कुछ देर तक ऐसे ही एक दूसरे को मज़े देते रहे. टीचर अब अपनी गांद उपर नीचे कर अपने लंड से मेरा मूह चोद रहा था. लंड अब आधा खड़ा हो चुक्का था और बड़ी मुश्किल से मेरे मूह मे पूरा समा रहा था. गरम लंड मेरे मूह में ले कर बड़ा मज़ा आ रहा था. जैसे जैसे टीचर का लंड बड़ा होता गया मुझे पूरा लंड लेने में तकलीफ़ होती गयी पर टीचर अपना पूरा लंड मेरे मूह में घुसेड़ता रहा. मैने अपने एक हाथ से टीचर का लंड पकड़ लिया ताकि टीचर अपना पूरा लंड मेरे मूह में ना डाल पाए. दो मिनिट बाद टीचर का लंड पूरा खड़ा हो गया था. मैने एक हाथ से लंड पकड़ा हुआ था और बाकी का 6 इंच का लंड मेरे मूह में टीचर तेज़ी से अंदर बाहर कर रहा था. सारे वक़्त टीचर मेरे चूत को चाट रहा था. में चाहती थी की वो अपनी जीब मेरी चूत में डाल दे पर वो ऐसा नहीं कर रहा था. फिर कोई भी चेतावनी बिना टीचर ने अपने हाथ से मेरा हाथ उसके लंड से हटा डाला और अपना पूरा लंड मेरे मूह में घुसेड दिया ‘म्म्म्मह म्म्म्मममममममह’ कर के में चिल्ला रही थी पर टीचर अब पूरे लंड से मेरे मूह को चोद रहा था. 8 इंच वाला मोटा लंड मेरे मूह में समा नहीं सकता था फिर भी टीचर मुजसे ज़बरदस्ती कर रहा था. में अपना सर एक साइड से दूसरी साइड कर रही थी पर टीचर चोदे जा रहा था. आख़िर कैसे भी करके मैं टीचर के लंड को बाहर निकालने में कामयाब हो गयी.
टीचर ने अब मुझे पकड़ साइड से घूमा दिया ताकि में अब उसके उपर आ गयी. उसने अब दोनो हाथ मेरे गांद पे रख मेरी गांद ज़ोर से मसलने लगा. मैने अपनी चूत और नीचे करके उसके होंठो पे रख दी. उसने अब फिर से ज़ोर से मेरी चूत चाटना शुरू कर दिया. में लंड को दोनो हाथ से पकड़ के हिला रही थी और साथ साथ लंड के उपर वाले हिस्से को मूह में ले कर चूस रही थी. में झरने के काफ़ी करीब थी.
विवेक का लंड अब ये सब देख फिरसे खड़ा हो गया था. उसे यकीन नहीं हो रहा था कि मुझ जैसी सेक्सी लड़की उसके सामने नंगी थी और टीचर जैसे गंदे आदमी से चुदवा रही थी. वो मेरे पीछे खड़ा था और उसको मेरी गोरी चिकनी गांद साफ दिखाई दे रही थी. जैसे जैसे टीचर मेरी गांद मसलता विवेक को मेरी गांद का गुलाबी छेद दिख जाता. मेरी गांद का छेद देख वो पागल हो रहा था. वो अब आगे बढ़ के अपने होठ मेरे गांद के छेद को लगा कर उसे चूमने लगा.
मैं चोंक उठी ‘आए ये क्या कर रहा है साले कुत्ते. हट यहाँ से’
यह देख टीचर ने कहा ‘फिकर मत करो मानसी.थोड़ा उसे अपना काम करने दो और देखो कि मज़ा आता हैं की नहीं. मैने इसे गांद चाटने में एक्सपर्ट बना दिया हैं.’
मैने सोचा कि क्या पता शायद मुझे इसमे मज़ा आएगा.मैने कुछ कहे बिना फिर से लंड चूसने लगी. विवेक ने अब मेरे गांद के छेद पे फिर से होठ लगा दिए. वो धीरे धीरे उसे चूमता रहा और अपनी जीब निकाल कर चाट्ता रहा. मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. दोनो ने मेरी चूत और गांद ऐसे ही दस मिनिट तक चॅटी. में अब झरने ही वाली थी. फिर अचानक दोनो ने एक साथ अपनी जीब मेरे अंदर डाल दी. विवेक ने अपनी जीब मेरी गांद में दो इंच तक डाल दी और टीचर ने भी अपनी मोटी जीब मेरी चूत में पूरी चार इंच तक डाल दी.
मुझे ऐसा लग रहा था कि मैं मरके स्वर्ग में पहुच गयी थी. मैने अपने हाथ लंड से निकाल पूरा 6 इंच तक लंड मूह में ले लिया. टीचर ने मौका पा के अपने दोनो हाथ मेरे सर पर रख मेरे सर को ज़ोर ने नीचे धकेला और पूरा 8 इंच का लंड अब मेरे मूह के अंदर था. में खांस रही थी और मुझे तकलीफ़ हो रही थी पर साथ ही दोनो की जीब मुझ को पागल कर रही थी. मेरा झरना शुरू हो गया. मैने अपनी चूत और नीचे कर ली और टीचर ने अब ज़ोर से अपनी जीब मेरी चूत के अंदर बाहर करनी कर दी. विवेक भी आछे कुत्ते के तरह ज़ोर से अपनी जीब मेरी गांद के अंदर बाहर कर रहा था. टीचर अपनी गांद उछाल के मेरे मूह को अपने 8 इंच लंड से चोद रहे थे. में लगभग 5 मिनिट तक ऐसे ही झरती रही. उन दोनो ने सारे वक़्त तेज़ी से अपनी जीब चलाई. 5 मिनिट बाद मेरा झरना आख़िर बंद हुआ और मैं टीचर पे लेट गयी.
‘मज़ा आया मानसी ? अब फिर से तुम्हारी बारी मुझे खुश करने की’ ये कह कर टीचर ने अब मुझे नीचे लेटा दिया और मेरे दोनो पैर के बीच मे आकर कहा ‘अब में तुम्हें चोदुन्गा…’
टीचर ने यह कह कर अपने मोटे लंड को मेरी चूत के उपर रगड़ना शुरू किया. इतना बड़ा लंड मेरी चूत से रगड़ रहा था. इसका एहसास मुझे पागल कर रहा था अब मुझे सिर्फ़ यह बड़ा लंड मेरी चूत में चाहिए था.
‘सर धीरे से करना मैं कुँवारी हूँ’ मैने कहा
‘मज़ाक क्यूँ कर रही हो मानसी’ टीचर ने हस्ते हुए कहा
‘नहीं में सच कह रही हूँ’. यह सुनते ही टीचर के चेहरे से हँसी गायब हो गयी. उसको अपने नसीब पर विश्वास नही हो रहा था. उसने आज तक किसी कुँवारी को नही चोदा था. उसकी बीवी भी शादी से पहले चुदवा चुकी थी. और अब उसके सामने एक कुँवारी चूत थी वो भी मुझ जैसी लड़की की. उसने जब से मुझे स्कूल में देखा था मेरे बारे मैं सोच सोच के कई बार मूठ मारी थी और अब वो मेरी कुँवारी चूत को चोदने वाला था. उसके आखों में चमक आ गयी थी.
‘फिकर मत करो में तुम्हे धीरे से चोदुन्गा’. टीचर बोला और मंन में सोचा ‘आज तो साली की चूत फाड़ के रख दूँगा’. टीचर के अंदर का जानवर जाग गया था. उसे सोलाह साल की कुँवारी चूत मिल रही थी.
टीचर ने मेरी चूत के मूह पे अपने लंड रखा. मुझे डर के मारे पसीना आ गया था और साथ ही लंड चूत में लेने की बैचैनि भी हो रही थी.
एक ज़ोरदार धक्का लगा के साथ टीचर ने अपना लंड मेरी चूत में 3 इंच तक घुसा डाला. मैं इतने दर्द के लिए तैयार नहीं थी और चीख पड़ी.
‘अभी तो शुरुआत है मानसी’ टीचर ने कहा. उसे देख के लग रहा था कि उसे मेरी तकलीफ़ से मज़ा आ रहा था. टीचर 3 इंच लंड अंदर बाहर कर रहा था. धीरे धीरे मेरा दर्द कम हुआ.
‘और लंड चाहिए मानसी’ टीचर ने हंसते हुए पूछा.
‘नही टीचर. बहुत बड़ा है’
‘अरे अभी तो आधा भी नही गया’
‘प्लीज़ नही टीचर. आप और अंदर डालोगे तो मुझे बहुत दर्द होगा’
‘अरे दर्द होगा लेकिन बादमें मज़ा भी बहुत आएगा मेरी जान’. उसके चेहरे पे मुस्कुराहट थी. उसको अभी मेरी कोई परवाह नही थी सिर्फ़ अपनी हवस का ख़याल था. उसने और एक धक्का लगाया और 6 इंच तक मेरी चूत में घुस गया. मुझे ऐसा लगा कि किसी ने मेरे अंदर चाकू मार दिया हो. मैं अब चीख रही थी.
‘आआआआआईयईईईईईईई.... निकालो इसे .. आआआआआईयईईईईईईईई........’ मेरी आँखों से आँसू बह रहे थे.
टीचर ‘आआआआअहह. .......आआआआआआआआहह’ कर रहा था. मुझे जितना दर्द हो रहा था टीचर को इतना ही मज़ा आ रहा था.
विवेक आँखें फाड़ के देख रहा था. उसके सामने सेक्सी कटरीना कैफ़ जैसी बहुत ही खूबसूरत जवान लड़की ज़मीन पे पैर फैला कर लेटी थी और चिल्ला रही थी और उसके उपर था एक गेंड जैसा काला मोटा आदमी जिसका लंबा लंड उसकी छोटी सी चूत में था. टीचर अब सब सुध्बुध गवा बैठा था उसकी आँखे आधी बंद थी, उसका मूह आधा खुला था, उसकी जीब थोड़ी सी बाहर थी और क़िस्सी जानवर की तराह जीब से थूक टपक के नीचे मेरे गालों पे गिर रही थी. नीचे में दर्द के मारे चिल्ला रही थी और अपने दोनो हाथो को टीचर की छाती पे मार उससे दूर हटाने की कोशिश कर रही थी. मेरे मारने से टीचर को कुछ असर नही हो रहा था. वो अपना लंड एक आध इंच बाहर निकालता और फिर से अंदर डाल देता.
तो भाई लोगो आख़िर सेक्स की पुजारन की चूत मे पहला लंड चला ही गया आगे उसने क्या क्या कारनामे दिखाए जानने के किए पढ़ते रहे सेक्स की पुजारन आपका दोस्त राज शर्मा
क्रमशः..........
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