RE: Hindi Porn Stories सेक्स की पुजारन
सेक्स की पुजारन पार्ट- 3
गतान्क से आगे.............
दस मिनिट तक टीचर ऐसे ही उसकी गांद मारता रहा फिर उसने पूछा ‘अब ठीक हैं?’. विवेक ने सर हां में हिलाया. टीचर ने अपना लंड लगभग पूरा बाहर निकाल एक और धक्का लगाया और उसका 6 इंच तक लंड अंदर घुसेड दिया. विवेक फिर से चिल्लाया अब कुछ देर तक टीचर ने विवेक की 6 इंच तक गांद मारी. ‘अब नहीं रहा जाता’ ऐसे कह कर टीचर ने फिर से लगभग पूरा लंड निकाल के एक तगड़ा झटका और मारा. लंड पूरा विवेक की गांद चीरते हुए अंदर तक चला गया. झटका इतना ज़ोरदार था कि विवेक के हाथ फिसल गये और वो गिर पड़ा. अब वो ज़मीन पर पेट तले सीधा लेटा हुआ था और चीख रहा था. टीचर का पूरा लंड उसके गांद में घुस गया था और वो ‘आआअहह आआआआआआआहह’ की आवाज़े निकाल के मज़े ले रहा था. दो मिनिट तक टीचर ने अपना पूरा लंड विवेक की गांद में रखा, विवेक ने भी चीखना बंद किया. अब टीचर ने लंड अंदर बाहर करना शुरू कर दिया. टीचर का मोटा लंबा और काला लंड विवेक की छोटी सी गोरी गांद में घुसता देख मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. मैं जानती थी कि वो देसील्वा बाजू की टाय्लेट से मुझे देख रहा हैं पर मुझे अब बहुत सेक्स चढ़ गया था. मैने अपना स्कर्ट उपर कर लिया और अपनी पॅंटी के उपर से ही अपने गांद के छेद पे उंगली रख कर ज़ॉरो से मसल्ने लगी.
टीचर ने अब ज़ोर से विवेक की गंद मारना शुरू कर दिया था. विवेक ज़मीन पे पेट तले सीधा लेटा था और टीचर के धक्कों से ज़मीन पे आगे सरक रहा था. उसको सरकने से रोकने के लिए टीचर ने अपने एक हाथ से उसके बाल पकड़ के उसको खीच लिया. दूसरा हाथ टीचर ने उसके चेहरे पे रख के दो उंगलियाँ उसके मूह में डाल दी ताकि वो चीखना बंद कर दे. अब टीचर ज़ॉरो से विवेक की गांद में अपना लंड अंदर बाहर कर रहा था. टीचर कोई जंगली जानवर जैसा लग रहा था. एक तो वो इतना काला, मोटा और घने बाल वाला था उपर से उसका मूह खुला था, जीब थोड़ी सी बाहर थी और उसके मूह से थोड़ी थोड़ी थूक टपक रही थी. ऐसा लग रहा था कि गांद मारके उसे इतना मज़ा मिल रहा हो कि वो बाकी सब सूदबुध गवाँ बैठा हो. वो आवाज़े भी जानवर जैसी निकाल रहा था ‘आआआआआआहह.. आआआआआहह’ . हरेक धक्के पे वो विवेक के बाल खिचके उसे सरकने से रोक लेता. वो विवेक को ऐसे ही ज़ोरदार पंद्रह मिनिट तक चोद्ता रहा. फिर अचानक वो और ज़ोर से ‘आआआआआअहह… आआआआआआअहह’ करके चिल्लाने लगा और बहुत ही तेज़ी से गांद मारने लगा. विवेक का, इतनी ज़ोर की चुदाई ले कर बुरा हाल हो गया था. टीचर अब झार रहा था और अपना वीर्य लड़के की गांद में निकाल रहा था. टीचर ने विवेक के बाल इतनी ज़ोर से खीच के रखे थे कि उसका सर उपर हो गया था और मुझे उसकी छाती और पेट नज़र आ रहा था. वो अपने दोनो हाथ से टीचर का हाथ अपने बालो से हटाने की कोशिश कर रहा था पर टीचर तो अब झार रहा था और विवेक की उसे कोई परवाह नही थी.गांद में लंड इतना टाइट था कि वीर्या के लिए भी जगह नही थी और हरेक धक्के पे वीर्य फुट के पिचकारी की तरह गांद से बाहर निकल आता. टीचर ऐसे ही ज़ॉरो से तीन या चार मिनिट तक लड़के को चोद्ता रहा और झरता रहा. दोनो चिल्लाते रहे. विवेक दर्द से और टीचर खुशी से. आख़िर टीचर ने चोदने का ज़ोर थोडा कम किया और लड़के के बाल छोड़ दिए. विवेक ज़मीन पर अब सीधा लेट गया. टीचर भी झार चुक्का था और विवेक के उपर लेट गया.
दो मिनिट बाद टीचर ने अपना लंड निकाल दिया और साइड पे पीठ लगाके बैठ गया. उसका लंड अभी भी पूरा खड़ा था और अपने वीर्य से चमक रहा था. विवेक का हाल बुरा था फिर भी वो कैसे भी करके ज़ोर लगाके अपने घुटनो और हाथ तले हो कर टीचर के लंड के पास जाके उसका वीर्य लंड से चाट चाट सॉफ करने लगा. अब मुझे लड़के की गांद दिखाई दे रही थी. टीचर की चुदाई से उसकी गांद का छेद और उसके आस पास की सारी चमड़ी टमाटर की तरह लाल हो गयी थी. टीचर का लंड विवेक ने अब चाटके सॉफ कर दिया था. में अब अपनी पॅंटी के उपर से ही अपनी चूत और गांद पे अपना हाथ रगड़ रही थी. में उस काले लंड को चाटना और चूसना चाह ती थी.
तभी वो डिज़िल्वा की आवाज़ सुनाई दी. ‘सुन अकेले अकेले कब तक खुद से खेले गी. तुझे एक बड़े लंड की ज़रूरत है.’
अचानक आवाज़ सुनके मैं खड़ी हो कर घूम गयी.
‘असली मज़ा लेना हैं तो मुझे अंदर आने दे’
‘नहीं’ मैने कहा.
‘तुझे उंगलियों की नहीं इसकी ज़रूरत है’
यह कह के उसने अपना लंबा लंड साइड के छेद में से डाल कर मेरे सामने रख दिया और कहा.
‘यह देख मेरे पास तेरे लिए क्या हैं’
लंड देख के मेरा हाथ अपने आप उसकी तरफ बढ़ गया, लेकिन में उसे पकड़ने ही वाली थी कि उसने लंड पीछे खीच लिया.
‘इतनी आसानी से नहीं मेरी जान, लंड चाहिए तो दरवाज़ा खोल के मुझे अंदर आने दे’
‘नहीं मुझे डर लगता हैं. मैने कभी सेक्स नही किया, मैं कुँवारी हूँ’
‘डरती क्यों हैं मेरी जान, मैं तुझे नहीं चोदुन्गा, मेरा लंड कल चूसा था वैसे ही आज भी चूस लेना. बदले में में भी तेरी चूत चाट लूँगा’. उसकी चूत चाटने की बात सुनकर मेरे मन में एक उत्सुकता सी आ गयी. किसी मर्द की जीब मेरे चूत को चाते ये सोच कर मेरा मनोबल टूट गया.
‘ठीक हैं’ मैने कहा.
मेरी सेक्स की भूक मेरे डर से ज़्यादा थी मैं सेक्स की पुजारन बन चुकी थीऔर मैने घबराते हुए दरवाज़ा खोल दिया.
मैने दरवाज़ा खोल दिया. सामने डिज़िल्वा खड़ा था उसने अपनी पॅंट उपर कर ली थी. मेरे दरवाज़ा खोलने पर तुरंत वो अंदर आ गया और दरवाज़ा बंद कर लिया उसने मुझे अपनी बाँहो में जाकड़ लिया और अपनी जीभ से पागल कुत्ते की तरह मेरे चेहरे को चाटने लगा ‘हाई क्या चिकनी है तू, चखने दे मुझे’. उसके मूह से बदबू आ रही थी फिर भी जाने क्यूँ मुझे एक अलग सा मज़ा आ रहा था. वो अपनी जीब पूरी बाहर कर के मेरे होटो को, मेरे गालों को चाट रहा था. उसने अपनी जीभ से चाट चाट कर मेरा पूरा चेहरा गीला कर डाला. फिर उसने अपने होंठ मेरे होंठो से लगा दिए और अपनी जीब मेरे मूह में डाल दी. दो मिनिट तक वो मुझे ऐसे ही चूमता रहा. उसने मुझे अपनी बाहों में ले कर ऐसे जकड़ा था कि मेरा सारा बदन उसके बदन से चिपक गया था. मेरे बूब्स उसकी छाती पे दब रहे थे और मुझे उसका लंबा लंड अपने पेट पे महसूर हो रहा था. फिर उसने अपना मूह अलग करके अपनी जीब पूरी बाहर निकाली और कहा ‘यह ले इसे छुओ’. मैने अपने होंठ खोलके उसकी जीब को अपने मूह में अंदर लिया और उसे चूसने लगी. मैं ऐसे ही उसकी जीब को कुछ देर चूस्ति रही. उसने मेरा स्कर्ट उठा कर मेरी पॅंटी में दोनो हाथ डाल दिए और मेरी गांद मसल्ने लगा. फिर उसने मुझे अपनी जीब पूरी बाहर निकालने को कहा. मेरी जीब बाहर निकलते ही उसने अपने होटो से उसको चूसना शुरू कर दिया. फिर उसने अपने होंठो को मेरे होंठो से अलग करके मेरे गले को चूमने लगा. मेरे मूह से सिसकारिया निकलने लगी. उसने मेरी पॅंटी खिच के फाड़ दी और फिर से मेरी गांद मसल्ने लगा. उसने अब मेरी गांद मसल्ते मसल्ते एक उंगली गांद के छेद पे रख दी. मेरे सारे बदन मे एक करेंट सा हो गया. उसने एक झटके से मेरी गांद में अपनी उंगली डाल दी. में चीख पड़ी
‘आआऐईई. निकालो अपनी उंगली’.
‘साली नखरे मत दिखा’कहते हुए उसने अपनी उंगली मेरी गांद में अंदर बाहर करना शुरू कर दिया. मुझे असल में तो बड़ा मज़ा आ रहा था पर मेने फिर भी कहा
‘प्लीज़ निकालो अपनी उंगली, यह गंदी बात हैं’
‘गंदी बात हैं इसी में तो मज़ा है मेरी जान’
उसने अपने दूसरे हाथ से अपनी पॅंट का बटन खोल कर पॅंट उतार दी, और मेरा हाथ लिए अपने लंड पर रख दिया. मुझे अपने हाथ में इतना बड़ा लंड लेके बहुत आनंद आ रहा था. उसका लंड एकदम गरम और कड़क था. मेने उसके लंड को पकड़ के हिलाना शुरू कर दिया. वो मुझे ज़ोर ज़ोर से चूम और चाट रहा था. कभी मेरे होंठो को चूमता और कभी मेरे चेहरे को चाट लेता. उसकी अब पूरी उंगली मेरी गांद के अंदर बाहर हो रही थी. उसने अब एक हाथ से मेरी टॉप के बटन खोलना शुरू किया. एक हाथ से बटन नही खोल पाने पर वह जंगली की तरह मेरा टॉप खिचने लगा. तीन चार झटके में मेरे बटन टूट गये और मेरा टॉप फॅट गया. उसने मेरे टॉप को मेरी फटी हुई पॅंटी के बाजू में ज़मीन पे डाल दिया. मेरी ब्रा में मेरे बड़े बूब्स देख कर उसकी आँखें फैल गई और उसका चेहरा ऐसा हो गया जैसे कोई भूखा कुत्ता हो. उसने ज़ोर से मेरी ब्रा खिच के निकाल दी. मेरे बूब्स मेरे ब्रा के चंगुल से बाहर हो गये. अब वह मेरा एक बूब अपने मूह मे लेके ज़ोर ज़ोर से चूसने लगा. ऐसा लग रहा था जैसे वो पूरा बूब अपने मूह में समाने की कोशिश कर रहा था. दूसरे बूब को वो जोरो से मसल रहा था. मुझे तो जन्नत मिल गयी थी. अब में ज़ोर ज़ोर से ‘ऊयूयुवयन्न म्म्म्ममह’ करके सिसकारिया भर रही थी. मेरी गांद में उंगली और बूब की छूसा से ऐसा मज़ा मिल रहा था जो मैने पहले कभी नही पाया था.
तभी मेरी नज़र टाय्लेट के साइड के चेड मे पड़ी. दो अलग छेद से दो लोगो की आँखें दिखाई दे रही थी. साइड के टाय्लेट से विवेक और टीचर मुझे देख रहे थे. मैने सोचा कि कैसे मुझे देख कर दोनो अपने लंड को हिला रहें होंगे. यह सोच कर मुझे और मज़ा आने लगा. मैने बेहया होके उन दोनो की आँखों में आँखे मिला दी और देखती रही. मेरी बेशर्मी से में भी हैरान थी. पर वो सब सोच मेरे दिमाग़ से काफ़ी देर पहले ही जा चुकी थी. मुझे तो अब सिर्फ़ अपनी हवस की आग भुजानी थी. में डिज़िल्वा के लंड को और ज़ोर से हिलाने लगी. अब में सिर्फ़ अपने स्कर्ट में थी और डिज़िल्वा सिर्फ़ अपनी शर्ट पहने हुआ था. वो मुझको अपने से दूर हटा कर अपनी शर्ट निकालने लगा. में भी अब उसके लिए पूरी नंगी होना चाहती थी और झट से अपना स्कर्ट निकाल के पूरी नंगी हो गयी. डिज़िल्वा मुझसे दूर खड़ा रहा और अपने लंड को सहलाते हुए मेरे नंगे जवान बदन को उपर से नीचे देखता रहा उसके चेहरे पे एक हल्की सी मुस्कान थी. मेरी नज़र उसके मोटे लंड पे थी. मैने हिम्मत करके अपनी आँखे डिज़िल्वा की आँखों से मिला दी. मेरा सारा बदन गरम हो गया था. डिज़िल्वा को देखते हुए मैं अपने दोनो हाथ अपने बूब्स पे रख अपने बूब्स को मसल्ने लगी और उंगलियो से अपने निपल को खीचने लगी. इतनी बेशरम हरकत करके मुझे मज़ा आ रहा था. तीन लोगों की नज़र मेरे जवान नंगे बदन पे थी और यह सोच कर मेरी गर्मी और बढ़ रही थी.
बगल के टाय्लेट में टीचर और विवेक अपने खड़े लंड को सहला रहे थे. टीचर का एक हाथ विवेक की गांद को मसल रहा था. दोनो मुझे नंगा देख पागल हो रहे थे. विवेक को अपनी आँखों पे विश्वास नही हो रहा था. वो सोच रहा था कि स्कूल की सबसे सुंदर लड़की जिसपे सब लड़के मरते थे और जो किसी भी लड़के से बात भी नही करती थी अब अपने जवान, नंगे बदन की नुमाइश कर रही थी. जैसे कि वो कोई रांड़ हो. और वो भी ऐसे गंदे और मोटे पेट वाले आदमी के लिए.उसके भेजे मे यह बात नहीं आई कि वो मोटे आदमी के पैरों के बीच एक मोटा लंड भी था.
मैं यहाँ अपने बूब्स को दबाती रही और डिज़िल्वा को देखती रही. उसकी नज़रो से नज़रे मिला के अपने बूब्स को दबाना मुझे बहुत अछा लग रहा था.
‘अब मुझसे रहा नही जाता’ यह कह के डिज़िल्वा मेरी तरफ आगे बढ़ा…..
मैं पूरी नंगी हो कर डिज़िल्वा के सामने अपने बूब्स दबा रही थी. ये नज़ारा देख डिज़िल्वा से रहा नही गया और वो ‘अब मुझसे रहा नही जाता’ कह के मेरी तरफ बढ़ा.
मेरे पास आके डिज़िल्वा ने मुझे अपनी बाहों में ज़ोर से जाकड़ लिया. मेरा सोलाह साल का नंगा जिस्म अब डिज़िल्वा के चंगुल में था. दोनो के बदन एक दूसरे से चिपक गये थे. मेरे बड़े बूब्स डिज़िल्वा की छाती से चिपके थे और उसका लंबा लंड मेरे पेट पे चिपका हुआ था. डिज़िल्वा ने अपना एक हाथ मेरी गांद पे रख अपनी एक उंगली गांद के अंदर डाल दी और अंदर बाहर करने लगा. इस बार मेरे मूह से कोई शिकायत नहीं निकली सिर्फ़ ‘आआआआहह... आआआआआहह’ की सिसकी निकली. वो अपने दूसरे हाथ से मेरे सर को पीछे से पकड़ अपनी तरफ खीच रहा था. उसने अब अपने होंठ को खोल के अपनी जीब थोड़ी बाहर निकाल मेरे होंठो की तरफ लाना शुरू किया मेने भी अपने होंठ थोड़े खोल दिए. उसके होंठ मेरे होंठो को छूते ही मेरे बदन में एक करेंट सा फैल गया. उसने अपने होंठ ज़ोर से मेरे होंठो से लगा दिए थे और चूस रहा था. उसने अपनी जीब पूरी मेरे मूह के अंदर डाल दी. मैं भी अपनी जीब को आगे कर उसकी जीब के साथ रगड़ने लगी. मेरे ऐसा करने से वो और उत्तेजित हो गया और उसने मुझे और ज़ोर से जकड़ा और अपना शरीर मेरे बदन पर घिसने लगा. ऐसा करने से उसका लंड मेरे पेट पे रगड़ने लगा. मेरे बूब्स भी उसकी छाती पे ज़ोर से रगड़ रहे थे और उसकी छाती के बाल मेरे निपल्स को छू रहे थे, इश्स से मुझे बहुत मज़ा आ रहा था. हम दोनो के चूमने और एक दूसरे की जीब को रगड़ने से हमारे मूह से थूक बह रही थी और ये थूक टपक टपक ने नीचे मेरे बूब्स पे गिर रही थी. डिज़िल्वा को मुझ जैसी जवान और चिकनी लड़की को चूमने में बहुत मज़ा आ रहा था और वो ऐसे ही तकरीबन दस मिनिट तक जाकड़ के मुझे ज़ॉरो से चूमता रहा. में भी अब मस्त हो गयी थी और उसकी जीब को अपनी जीब से ज़ोर से रगड़ रही थी. हमारे मूह से इतनी थूक तपकी के मेरे बूब्स और डिज़िल्वा की छाती बहुत गीले हो गये थे. गीले होने के कारण मुझे अब अपने बूब्स का उसकी छाती पे रगड़ना और मज़ा आ रहा था.
दस मिनिट तक मुझे ऐसे चूम्के डिज़िल्वा ने अब मेरे होंठो से अपने मूह अलग किया और मेरे गले को चाटने लगा. में अब बिल्कुल बेकाबू हो गयी थी. मुझे डिज़िल्वा से अपनी चूत चटवानी थी. मैने अपने दोनो हाथ उसके सिर के उपर रख उसका सिर नीचे धकेलना शुरू कर दिया. मुझ में इतनी ताक़त तो थी नही पर डिज़िल्वा समझ गया कि मुझे क्या चाहिए. उसने मेरे गले से मूह हटा दिया.‘चूत चटवानी है ?’ वो मुस्कुरा के बोला
क्रमशः..........
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