RE: Muslim Sex Kahani अम्मी और खाला को चोदा
मैंने अम्मी कि तरफ़ देखा कि उनकी मौजूदगी में नज़ीर से कैसे बात करूँ। फिर मैंने सोचा कि अम्मी को चोद लेने के बाद मेरा और उनका रिश्ता वो नहीं रहा जो पहले था और अगर मैं उन्हें सारी बात बता भी देता तो इस में कोई हर्ज़ ना होता। मैंने नाज़िर से कहा कि – “तुम बकवास करते हो... बंद कमरे में किसने फिल्म बना ली?” नज़ीर बोला कि – “होटल में लोग औरतों को चोदने के लिये भी लाते थे इसलिये होटल के कुछ मुलाज़िम कमरों में बेड के सामने टीवी ट्रॉली के अंदर छोटा कैमरा खूफ़िया तौर पर लगा देते थे तकि लोगों की चुदाई की फिल्म बना सकें। तुम्हारी फिल्म भी ऐसे ही बनी थी! यकीन नहीं तो जहाँ कहो आ कर तुम्हें दिखा दूँ!” मैंने सवाल किया कि – “अगर फिल्म बन रही थी तो तुमने मोबाइल से हमारी तसवीरें क्यों लीं?” उसने जवाब दिया कि – “फिल्म तो मुझे पता नहीं कितनी देर बाद मिलती और मैं तुम्हारी खाला को उसी वक़्त चोदना चाहता था!” मेरा गुस्सा झाग की तरह बैठने लगा। मैंने कहा अभी बात नहीं हो सकती वो कुछ देर बाद फोन करे!
मैंने फोन रखा तो अम्मी फ़िक्रमंद लहजे में बोलीं कि – “शाकिर ये क्या मामला है? किस का फोन था?” मैंने कहा – “अम्मी एक बहुत बड़ी मुसीबत में फंस गया हूँ और समझ नहीं पा रहा कि क्या करूँ!” अम्मी ने कहा – “साफ़ साफ़ बताओ क्या किस्सा है? तुम गुस्से में गालियाँ दे रहे थे और किसी फिल्म का ज़िक्र भी था! आखिर हुआ क्या है?”
मैंने अम्मी को अपने और अम्बरीन खाला के साथ पिंडी में पेश आने वाला वाक़्या तमामतर तफ़सीलात के साथ बयान कर दिया। सारी बात सुन कर अम्मी जैसे सकते में आ गयीं। लेकिन उन्होंने मुझे अम्बरीन खाला को चोदने की कोशिश पर कुछ नहीं कहा। कहतीं भी कैसे... वो तो खुद अपने भांजे को चूत देती रही थीं। कुछ देर गुमसुम रहने के बाद उन्होंने कहा कि – “नज़ीर को हमारे घर का नम्बर कैसे मिला?” मैंने कहा – “कमरों की बुकिंग के वक़्त होटल के रजिस्टर में हमारे घर का पता और फोन नम्बर ज़रूर लिखवाया गया होगा। नज़ीर खुद तो उस रात नौकरी छोड़ कर भाग गया था मगर वहाँ उसके साथी तो होंगे जिन्होंने उसे हमारा नम्बर दे दिया होगा।“
अम्मी ने सर हिलाया और कहा कि – “क्या वाक़य होटल वालों ने कोई फिल्म बनायी होगी?” मैंने कहा – “मुमकिन है नज़ीर झूठ ही बोल रहा हो!” उन्होंने कहा कि – “तुमने मोबाइल फोन वाली तसवीरें तो ज़ाया कर दी थीं... जिनके बगैर वो तुम्हें ब्लैकमेल नहीं कर सकता लेकिन वो फिर भी यहाँ फोन कर रहा है जिसका मतलब है कि उसले पास कुछ ना कुछ तो है!”
अम्मी ठीक कह रही थीं। कुछ सोच कर वो बोलीं कि – “मैं अम्बरीन से बात करती हूँ! नज़ीर ने अम्बरीन को चोदा था इसलिये अब भी वो उससे ज़रूर मिलना चाह रहा होगा ताकि फिर उसे चोद सके।“ मैंने उन्हें बताया कि नज़ीर ने उनके बारे में भी उल्टी सीधी बातें की थीं। वो हैरत से बोलीं कि नज़ीर ने तो उन्हें देखा ही नहीं वो उनके लिये कैसे बात कर सकता है। मैंने कहा कि – “उसने अम्बरीन खाला को देख कर अंदाज़ा लगाया होगा कि उनकी बहन भी खूबसूरत और हसीन होगी।“ अम्मी ने एक गहरी साँस ली लेकिन खामोश रहीं।
हम दोनों गहरी सोच में ग़र्क थे। अचानक अम्मी ने पूछा कि – “शाकिर क्या तुम अम्बरीन को चोदने में कामयाब हुए?” मैंने कहा – “नहीं अम्मी! पिंडी से वापस आने के बाद अभी तक शर्मिंदगी के मारे मैं उनसे मिला तक नहीं!” अम्मी तंज़िया अंदाज़ में मुस्कुरायीं और कहा कि – “जब तुम ने अपनी अम्मी को चोद लिया तो फिर खाला को चोदने की कोशिश पर क्यों इतने शर्मिंदा हो?” मैं ये सुन कर खिसियाना सा हो गया। वो कहने लगीं कि – “हमें इस मसले का कोई हल निकालना है वर्ना बड़ी बर्बादी होगी। अम्बरीन से बात करनी ही पड़ेगी।“ मैंने उनसे इत्तेफ़ाक किया।
उन्होंने अम्बरीन खाला को फोन किया और वो कुछ देर बाद हमारे घर आ गयीं। अम्मी उन्हें अपने बेडरूम में ले गयीं और मुझे भी वहीं बुला लिया। मैं अंदर गया तो देखा कि वो दोनों बेडरूम में पड़ी सोफ़े की दो कुर्सियों पर साथ-साथ बैठी थीं। नज़ीर के फोन कि वजह से मैं परेशान था मगर फिर भी अम्मी और अम्बरीन खाला को यूँ इकट्ठे बैठा देख कर मेरा लंड खड़ा हो गया। मैं दिल ही दिल में सर से पांव तक दोनों बहनों का मवाज़ना करने लगा।
अम्मी और अम्बरीन खाला के खद्द-ओ-खाल एक दूसरे से बहुत मिलते थे। दोनों के बाल, आँखें, नाक, माथा और गालों की उभरी हुई हड्डियाँ बिल्कुल एक जैसी थीं। उस दिन मुझे एहसास हुआ कि दोनों की आँखों के दबीज़ पपोटे भी एक जैसे ही थे। अलबत्ता अम्मी के होंठ अम्बरीन खाला के होंठों से ज़रा पतले थे और दोनों की ठोड़ियाँ भी कुछ मुखतलीफ़ थीं। मजमुई तौर पर दोनों बहनों के चेहरे देख कर गुमान होता था जैसे वो जुड़वाँ बहनें हों। और तो और अम्बरीन खाला अम्मी को नाम ले कर ही बुलाती थीं... ‘बाजी’ या ‘आपा’ नहीं कहती थीं।
मैं अम्मी और अम्बरीन खाला को नंगा देख चुका था और जानता था कि दोनों के जिस्म भी कम-ओ-बेश एक जैसे ही थे। वो तकरीबन एक ही कद की थीं और दोनों ही के जिस्म गदराये हुए लेकिन कसे हुए थे। अम्मी चालीस साल की और अम्बरीन खाला अढ़तीस साल की थीं और अपनी उम्र के बावजूद उनके जिस्म पर कहीं भी जरूरत से ज्यादा गोश्त नहीं था क्योंकि दोनों ही वर्जिश करती थीं और खुद को फिट रखती थीं।
दोनों बहनों के मम्मे उनके जिस्म का नुमायां तरीन हिस्सा थे जिन पर हर एक की नज़र सब से पहले पड़ती थी। उनके मम्मे बड़े-बड़े, तने हुए और बाकी जिस्म से गैर-मामूली तौर पर आगे निकले हुए थे। मैंने अम्मी के मम्मे उन्हें चोदते वक़्त बहुत चूसे थे जबकि अम्बरीन खाला के मम्मों को पिंडी में खूब टटोला था। मुझे लगता था कि अम्मी के मम्मे अम्बरीन खाला से एक-आध इंच बड़े थे। लेकिन देखने में दोनों के मम्मे एक दूसरे से बड़ी हद तक मिलते थे। दोनों के मम्मों के निप्पल काफी बड़े साइज़ के थे। अम्बरीन खाला के निप्पल लंबाई में अम्मी के निप्पलों से कुछ कम थे और उनके साथ वाला हिस्सा बहुत बड़ा था जबकि अम्मी के निप्पल बहुत लंबे थे मगर उनके साथ का हिस्सा अम्बरीन खाला के मुकाबले में कुछ छोटा था।
अम्मी और अम्बरीन खाला की कमर काफी स्लिम थी और ज़रा भी पेट नहीं निकला हुआ था। हालांकि अम्मी के तीन बच्चे थे और अम्बरीन खाला के दो लेकिन दोनों की चूतों में भी काफी मुमासिलत थी। मैंने अम्बरीन खाला को नहीं चोदा था लेकिन अम्मी कि चूत से हर तरह से वाक़िफ़ हो चुका था। दोनों की चूतें फूली-फूली सूजी हुई सी थीं और दोनों की चूतों पर बाल नहीं थे क्योंकि दोनों अपनी चूतें शायद हर दूसरे दिन हेयर-रिमूवर से साफ करती थीं। उनकी रानें भी काफी गदरायी हुई और सुडौल थीं। मम्मों के बाद दोनों ही के जिस्म का बहुत ही खास हिस्सा उनके गोल-गोल बड़े-बड़े चूतड़ थे जिनकी बनावट भी एक जैसी थी। अम्मी और अम्बरीन खाला के चूतड़ भी उनके मम्मों की तरह उनके बाकी जिस्म के मुकाबले गैर-मामूली मोटे और बड़े थे। इसके अलावा दोनों ही ज़्यादातर ऊँची पेंसिल हील के सैंडल पहने हुए रहती थीं जिससे उनके चूतड़ और ज्यादा बाहर निकले हुए नज़र आते थे।
मैं इन खयालों में डूबा हुआ था और अम्मी अम्बरीन खाला को बता रही थीं कि उन्हें पिंडी वाले वाक़िये का इल्म हो चुका है और ये कि नज़ीर ने यहाँ फोन किया था। ये सुन कर अम्बरीन खाला के चेहरे का रंग उड़ गया। कहने लगीं – “बस यासमीन ये बे-इज़्ज़ती किस्मत में लिखी थी लेकिन उस कुत्ते को ये नम्बर कैसे मिला?” अम्मी ने उन्हें होटल के रजिस्टर के बारे में बताया और कहा कि – “अब पुरानी बातें छोड़ो और ये सोचो कि अगर नज़ीर के पास कोई नंगी फिल्म है तो वो उससे कैसे ली जाये!”
फिर हमने फ़ैसला लिया कि नज़ीर से फिल्म ले कर देखी जाये और इसके बाद आगे का सोचा जाये। कुछ देर बाद नज़ीर का फोन आया। इस बार अम्बरीन खाला ने उससे बात की और कहा कि वो पहले उन्हें फिल्म दिखाये फिर बात होगी। वो बोला कि वो जहाँ कहेंगी वो आ जायेगा। मैं और खाला उनकी कार में उसे दाता दरबार के पास एक होटल में उससे मिलने गये। उसके साथ एक दुबला पतला सा लम्बा लड़का भी था जिसकी उम्र बीस-बाइस साल होगी। वो भी नज़ीर के ही तबके का लग रहा था। नज़ीर ने उस का नाम करामत बताया। उसने खाला को एक डी-वी-डी दी और कहा कि इस को देख कर वो उससे राब्ता करें तो फिर वो बतायेगा कि वो क्या चाहता है। उसने खाला को एक मोबाइल फोन का नम्बर भी दिया।
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