RE: Muslim Sex Kahani अम्मी और खाला को चोदा
अगली सुबह मैंने होटल की रिसेप्शनिस्ट से पूछा के मुझ से रात को होटल का एक छोटे से क़द का मुलाज़िम दवा लाने के लिये पैसे ले गया था मगर वो वापस नहीं आया। उस ने माज़रात की और बताया कि – “उसका नाम नज़ीर था और वो रात को काम छोड़ कर भाग गया। था तो वो पंजाब का मगर सारी उम्र कराची में रहा था। शायद वहीं चला गया हो। मैंने राहत की साँस ली।“
शादी की तक़रीब में मेरा और अम्बरीन खाला का आमना सामना नहीं हुआ। हम उसी दिन बारात ले कर लाहोर रवाना हुए। वापसी पर मैं अब्बू की कार में बैठा और अम्बरीन खाला से कोई बात ना हो सकी। रास्ते में हम लोग भेरा इंटरचेंज पर रुके तो वो मुझे मिलीं और कहा कि मैं कल स्कूल से छुट्टी करूँ और उनके घर आऊँ लेकिन इसका ज़िक्र अम्मी से ना करूँ। मैंने हामी भर ली। उनके चेहरे पर कोई परेशानी के आसार नहीं थे। वो अच्छे मज़बूत आसाब की औरत साबित हुई थीं वरना इतना बड़ा वाक़्या हो जाने के बाद किसी के लिये भी नॉर्मल रहना मुश्किल था। लेकिन शायद उन्हें इस वाक़िये को सब से छुपाना था और इस के लिये ज़रूरी था के वो अपने आप पर क़ाबू रखें। जब उन्होंने मुझे अपने घर आने का कहा तो में डरा भी कि ऐसा ना हो अम्बरीन खाला अब मेरी हरकत पर गुस्से का इज़हार करें। लेकिन अगर वो ऐसा करतीं भी तो इसमें हक़-बा-जानिब होतीं। मैंने सोचा अब जो होगा कल देखा जायेगा।
रात को मैं सोने के लिये लेटा तो मेरे ज़हन में हलचल मची हुई थी। अम्बरीन खाला के साथ नज़ीर ने जो कुछ किया उसने मुझे हिला कर रख दिया था और मैं जैसे एक ही रात में ना-उम्र लड़के से एक तजुर्बेकार मर्द बन गया था। बाज़ तजुर्बात इंसान को वक़्त से पहले ही बड़ा कर देते हैं। अम्बरीन खाला वाला वाक़्या भी मेरे लिये कुछ ऐसा ही था। मुझे भी अब दुनिया बड़ी मुख्तलीफ़ नज़र आने लगी थी।
उस रात जब होटल में नज़ीर अम्बरीन खाला को चोद रहा था तो मैंने एहद की थी के अब मैं अपने ज़हन में खाला के बारे में कोई गलत खयाल नहीं आने दुँगा। मैं इस एहद पर कायम रहना चाहता था। मैंने बहुत ब्लू फिल्में देखी थीं लेकिन नज़ीर को खाला की चूत लेते हुए देखना एक नया ही तजुर्बा था जिसने मुझे बहुत कुछ सिखाया था। अब अगर में किसी औरत को चोदता तो शायद मुझे कोई ज्यादा मुश्किल पेश ना आती। सब से बढ़ कर ये के नज़ीर ने जिस नंगे अंदाज़ में मेरी अम्मी का ज़िक्र किया था उसने मुझे अम्मी के बारे में एक बिल्कुल मुख्तलीफ़ अंदाज़ में सोचने पर मजबूर कर दिया था।
ये तो मैं जानता था कि अम्मी भी अम्बरीन खाला की तरह एक खूबसूरत औरत थीं लेकिन मैंने हमेशा उनके बारे में इस तरह सोचने से गुरेज़ किया था। आख़िर वो मेरी अम्मी थीं और मैं उन पर बुरी नज़र नहीं डाल सकता था। लेकिन ये भी सच था के अम्मी और अम्बरीन खाला में जिस्मानी तौर से कोई ऐसा ख़ास फ़र्क़ नहीं था। बल्कि अम्मी अम्बरीन खाला से थोड़ी बेहतर ही थीं। उनकी उम्र चालीस साल थी और वो भी बहुत गदराये और सुडौल जिस्म की मालिक थीं। उनका जिस्म बड़ा कसा हुआ था। इस उम्र में औरतें जिस्मानी तौर पर भारी हो जाती हैं और उनका गोश्त लटक जाता है लेकिन अम्मी का जिस्म कसरत करने की वजह से सुडौल होने के साथ-साथ बड़ा कसा हुआ भी था। अम्मी के मम्मे मोटे और बड़े-बड़े गोल उभारों वाले थे जो अम्बरीन खाला के मम्मों से भी एक-आध इंच बड़े ही होंगे। वैसे तो अम्मी भी फ़ैशनेबल और मॉडर्न ख्यालात की थीं और घर पे और बाहर पार्टियों वगैरह में शराब भी पीती थीं लेकिन अम्बरीन खाला की तरह उनकी कमीज़ों के गले ज्यादा गहरे नहीं होते थे। हम भाई-बहनों की मौजूदगी में भी काफी एहतियात से अपने सीने को दुपट्टे ढक कर रखती थीं। इसलिये उनके साथ रहने के बावजूद मुझे उनके नंगे मम्मे देखने का इत्तफाक़ कम ही हुआ था।
वैसे मैंने उनके बाथरूम में बहुत मर्तबा उनके सफ़ेद, काले, लाल गुलाबी रंग के ब्रेसियर देखे थे जो काफी डिज़ायनर किस्म के होते थे। उसी तरह उनकी पैंटियाँ भी रेग्यूलर पैंटियों कि बजाय जी-स्ट्रिंग वाली होती थीं। जब में बारह साल का था तब मैंने उनके जिस्म का ऊपरी हिस्सा नंगा देखा था। एक दिन मैं अचानक ही बेडरूम में दाखिल हो गया था जहाँ अम्मी कपड़े बदल रही थीं। उन्होंने सलवार पहनी हुई थी मगर ऊपर से बिल्कुल नंगी थीं। उनके हाथ में एक काले रंग की झालर वाली ब्रा थी जिसे वो उलट-पुलट कर देख रही थीं। शायद वो उस ब्रा को पहनने वाली थीं।
मेरी नज़र उनके गुदाज़ मम्मों पर पड़ी जो उनके हाथों की हरकत की वजह से आहिस्ता-आहिस्ता हिल रहे थे। मुझे देख कर उन्होंने फौरन अपनी पुश्त मेरी तरफ कर ली और कहा कि – “मैं कपड़े बदल रही हूँ।“ मैं फौरन उल्टे क़दमों बेडरूम से बाहर आ गया। अम्मी की गाँड काफी टाईट और फूली हुई थी। अम्मी को भी खाला की तरह ऊँची हील के सैंडल-चप्पल पहनने की आदत थी जिससे अम्मी की गाँड और ज्यादा दिलकश लगती थी। उनकी कमर हैरत-अंगैज़ तौर पर पतली थी और ये बात उनके जिस्म को गैर-मामूली तौर पर पुर-कशिश बनाती थी।
मुझे अचानक एहसास हुआ के अम्मी के बारे में सोचते हुए मेरा लंड खड़ा हो गया है। मैंने फौरन अपने ज़हन से इन गंदे ख़यालात को झटक दिया और सोने की कोशिश करने लगा। मुझे अगले दिन अम्बरीन खाला ने घर बुलाया था मगर मैं निदामत और खौफ की वजह से अभी उनका सामना नहीं करना चाहता था। मैंने सुबह स्कूल जाने से पहले उन्हें फोन कर के बताया के स्कूल में मेरा टेस्ट है और मैं आज उनके घर नहीं आ सकता।
स्कूल में मुझे अम्बरीन खाला का बेटा राशिद मिला। वो भी दसवीं में ही पढ़ता था मगर उस का सेक्शन दूसरा था। उससे मिल कर मेरा एहसास-ए-जुर्म और भी बढ़ गया। वो मेरा कज़िन भी था और दोस्त भी लेकिन मैंने उसकी अम्मी को चोदने की कोशिश की थी। मेरी इस ज़लील हरकत की वजह से ही नज़ीर जैसा घटिया आदमी उसकी अम्मी की चूत हासिल करने में कामयाब हुआ था। खैर अब जो होना था हो चुका था।
उस दिन मेरी ज़हनी हालत ठीक नहीं थी लिहाज़ा मैंने आधी छुट्टी में ही घर जाने का फ़ैसला किया। हम दसवीं के लड़के सब से सीनियर थे और हमें स्कूल से निकलने में कोई मसला नहीं होता था। मैं खामोशी से स्कूल से निकल कर घर की तरफ चल पड़ा। घर पुहँच कर मैंने बेल बजायी मगर काफ़ी देर तक किसी ने दरवाज़ा नहीं खोला। तक़रीबन साढ़े-ग्यारह का वक़्त था और उस वक़्त घर में सिर्फ अम्मी होती थीं। अब्बू प्राइवेट कम्पनी में जनरल मनेजर थे और उनकी वापसी शाम सात-आठ बजे होती थी। मेरे छोटे बहन-भाई तीन बजे स्कूल से आते थे। खैर कोई छः-सात मिनट के बाद अम्मी के सैंडलों की खटखटाहट सुनायी दी और उन्होंने दरवाज़ा खोला तो में अंदर गया।
अम्मी मुझे देख कर कुछ हैरान भी लग रही थीं और बद-हवास भी। लेकिन एक चीज़ का एहसास मुझे फौरन ही हो गया था के उस वक़्त अम्मी ने ब्रा नहीं पहनी हुई थी। जब हम दोनों दरवाज़े से अंदर की तरफ आने लगे तो मैंने अम्मी के दुपट्टे के नीचे उनके मम्मों को हिलते हुए देखा। जब वो ब्रा पहने होती थीं तो उनके मम्मे कभी नहीं हिलते थे। ऐसा भी कभी नहीं होता था के वो ब्रा ना पहनें। मैंने सोचा हो सकता है अम्मी नहाने की तैयारी कर रही हों। खैर मैंने उन्हें बताया के मेरी तबीयत खराब थी इसलिये जल्दी घर आ गया।
अभी मैं ये बात कर ही रहा था कि अम्मी के बेडरूम से राशिद निकल कर आया। अब हैरानगी की मेरी बारी थी। मैं तो उसे स्कूल छोड़ कर आया था और वो यहाँ मौजूद था। उसने कहा कि वो अम्बरीन खाला के कपड़े लेने आया था। उस का हमारे घर आना कोई नई बात नहीं थी। वो हफ्ते में तीन-चार बार ज़रूर आता था। मैं उसे ले कर अपने कमरे में आ गया जहाँ अम्मी कुछ देर बाद नींबू शर्बत ले कर आ गयीं। मैंने देखा के अब उन्होंने ब्रा पहन रखी थी और उनके मम्मे हमेशा की तरह कोई हरकत नहीं कर रहे थे। मुझे ये बात भी कुछ समझ नहीं आयी। कोई आधे घंटे बाद राशिद चला गया।
मुझे ये थोड़ा अजीब लगा - राशिद का स्कूल से आधी छुट्टी में हमारे घर आना और मेरे आने पर अम्मी का परेशान होना और फिर उनका बगैर ब्रा के होना। वो तो कभी अपने मम्मों को खुला नहीं रखती थीं लेकिन आज राशिद के घर में होते हुए भी उन्होंने ब्रा उतारी हुई थी। पता नहीं क्या मामला था। मुझे ख़याल आया के कहीं राशिद मेरी अम्मी की चूत का ख्वाहिशमंद तो नहीं है। आख़िर मैं भी तो अम्बरीन खाला पर गरम था बल्कि उन्हें चोदने की कोशिश भी कर चुका था। वो भी अपनी खाला यानी मेरी अम्मी पर गरम हो सकता था। मगर अम्मी ने अपने मम्मों को खुला क्यों छोड़ रखा था? क्या वो राशिद को अपनी मरज़ी से चूत दे रही थीं? मेरे ज़हन में कई सवालात गर्दिश कर रहे थे।
लेकिन फिर मैंने सोचा के चुँकि मैं खुद अम्बरीन खाला को चोदना चाहता था और मेरे अपने ज़हन में ग़लाज़त भरी हुई थी इसलिये मैं राशिद और अम्मी के बारे में ऐसी बातें सोच रहा था। मुझे यक़ीन था कि अगर वो अम्मी पर हाथ डालता भी तो वो कभी उसे अपनी चूत देने को राज़ी ना होतीं। मैं तो यही समझता था कि वो बड़े मज़बूत किरदार की औरत थीं। मैं ये सोच कर कुछ पूर-सुकून हो गया लेकिन मेरे ज़हन में शक ने जड़ पकड़ ली थी। मैंने सोचा के अब मैं राशिद पर नज़र रखुँगा।
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