RE: Muslim Sex Kahani अम्मी और खाला को चोदा
कुछ देर बाद नज़ीर ने अपना लंड उनकी चूत से बाहर निकाल लिया। मैंने देखा कि अम्बरीन खाला की चूत से निकलने वाला गाढ़ा पानी नज़ीर के लंड पर लगा हुआ था और वो रोशनी में चमक रहा था। फिर वो बेड पर लेट गया और अम्बरीन खाला को बोला – “चल, अब तू मेरे लंड पर बैठ!” खाला अपने मोटे मम्मे हिलाते हुए उठ गयीं। उन्होंने उसके ऊपर आ कर लंड को हाथ में पकड़ा और उस पर बैठने लगीं तो उनकी नज़रें मुझ से मिलीं। मैंने महसूस किया के ये नज़रें पहली वाली अम्बरीन खाला की नहीं थीं। आज के वहशत-नाक तजुर्बे ने मेरे और उनके दरमियाँ एक नया ताल्लुक़ कायम कर दिया था। शायद अब हम पहले वाले खाला-भांजे नहीं बन सकते थे। खैर अम्बरीन खाला ने नज़ीर के लंड पर अपनी फुद्दी रख दी और उस का लंड अपने अंदर ले लिया। नजीर ने अम्बरीन खाला की कमर से पकड़ कर अपने ऊपर झुकाया और अपनी मज़बूत रानों को उठा-उठा कर उनकी फुद्दी में घस्से मारने लगा। अम्बरीन खाला की गोल गदरायी गाँड अब मेरी तरफ थी।
नज़ीर की रानें बड़ी वर्ज़िशी और ताक़तवर थीं। वो अम्बरीन खाला की चूत में नीचे से पुरजोर घस्से मार रहा था। फिर उस ने उनके चूतड़ों को दोनों हाथों से गिरफ्त में ले लिया और उन्हें पूरी तरह क़ाबू में कर के चोदने लगा। उस के हलक़ से अजीब आवाज़ें निकल रही थीं। अम्बरीन खाला बड़ी खूबसूरत औरत थीं। मुझे यक़ीन था के नज़ीर ने कभी उन जैसी हसीन औरत को नहीं चोदा होगा। उसके घस्से अब बहुत शदीद हो गये थे और उस के चेहरे के नक्श बिगड़ गये थे। वो अब शायद झड़ने वाला था।
नजीर ने अम्बरीन खाला को अपने लंड से नीचे उतारा और उन्हें दोबारा कमर के बल लिटा कर वो उनके ऊपर सवार हो गया। उसने उनकी चूत में अपना लंड घुसाया और फिर से धुआंधार चुदाई शुरू कर दी। अब उसके घस्से बहुत तेज़ हो गये थे और वो बड़ी बे-रहमी से उनकी चूत ले रहा था। हर घस्से के साथ उस के चूतड़ों के पठ्ठे अकड़ते और फैलते थे। उसने अम्बरीन खाला के कन्धों को कस के पकड़ रखा था और उसका लंड तेज़ी से उनकी चूत के अंदर बाहर हो रहा था। कोई एक मिनट के बाद नज़ीर किसी पागल भैंसे की तरह डकारने लगा। उसका जिस्म अकड़ा और वो अम्बरीन खाला की चूत में खल्लास होने लगा।
इस दफा अम्बरीन खाला पहले तो उसके घस्सों का जवाब नहीं देर रही थीं मगर जब उसकी मनि उनकी चूत के अंदर जाने लगी तो वो खुद पर काबू ना रख सकीं और फिर से उसका साथ देने लगीं। नज़ीर ने अपनी मनि उनकी चूत के अंदर छोड़ दी। मुझे उनके चूतड़ों की हर्कत से लगा कि अम्बरीन खाला भी एक दफा फिर खल्लास हुई थीं।
थोड़ी देर बाद वो अम्बरीन खाला के ऊपर से हटा और बेड से उतर गया। अम्बरीन खाला ने भी अपने कपड़े उठाये और बाथरूम की जानिब चल पड़ीं। उनकी ब्रा वहीं बेड पर रह गयी। नज़ीर ने उनकी ब्रा उठायी और उस से अपने लंड को साफ़ किया। फिर ब्रा उनकी तरफ फैंक दी लेकिन खाला रुकी नहीं और बाथरूम में चली गयीं। मेरा खून खौल गया।
नज़ीर भी कपड़े पहनने लगा। कुछ देर बाद अम्बरीन खाला बाथरूम से बाहर आयीं तो उन्होंने सिर्फ कमीज़ पहनी हुई थी लेकिन सलवार नहीं पहनी थी। उनकी कमीज़ ने उनका जिस्म घुटनों तक ढका हुआ था। बाहर आकर अपनी ब्रा एक चुटकी में उठा कर साइड पर रख दी। नज़ीर ने हंस कर उनसे कहा – “अभी तो तुम्हारी चूत ने मेरे लंड की सारी मनि निचोड़ कर पी है और तुम अब भी नखरे कर रही हो।” फिर मेरी तरफ देख कर वो कहने लगा – “यार, तुम्हारी खाला की चूत वाक़य मस्त है। इसे चोद कर बड़ा मज़ा आया। तुम ठीक ही इस कुत्तिया पर गरम थे क्योंकि ये तो माल ही चोदने वाला है। यह बताओ के तुम लोग कब तक यहाँ हो?”
मैं बेवकूफों की तरह खड़ा उसकी बातें सुन रहा था। लेकिन मेरे ज़हन में चुँकि अम्बरीन खाला की ज़बरदस्त चुदाई के मंज़र घूम रहे थे इसलिये मैं उसे फौरन कोई जवाब नहीं दे सका। इस पर वो बोला – “मुँह से कुछ फूटो ना गाँडू तेरी माँ को चोदूँ। चूतिये की तरह चुप क्यों खड़े हो।” मैंने कहा – “हम कल वापस चले जायेंगे।” वो बोला – “मैं कल तुम्हारी अम्मी यास्मीन से मिलना चाहता हूँ। उसकी तो गाँड भी मार कर दिखाऊँगा तुम्हें। अगर तुम अपनी अम्मी के दल्ले बनना क़बूल करो तो मैं तुम्हें भी मज़े करवा सकता हूँ।”
मैं पिछले दो घंटे से ज़िल्लत बर्दाश्त कर रहा था। नज़ीर की मारपीट, गालियों और तंज़िया बातों ने मुझे इंतेहाई मुश्तैल कर दिया था। मेरे सामने उसने ज़बरदस्ती अम्बरीन खाला की चूत ली थी। जब उसने मुझे अम्मी का दलाल बनने की बात कही तो मैं होश-ओ-हवास खो बैठा और मेरे खौफ पर गुस्सा ग़ालिब हो गया। मैंने आव देखा ना ताव और सामने मेज़ पर रखा हुआ शीशे का जग उठाया और पूरी ताक़त से उस के मनहूस सर पर दे मारा। जग का निचला मोटा हिस्सा नज़ीर के सर से टकराया। अम्बरीन खाला के मुँह से हल्की सी चीख निकल गयी। नज़ीर किसी मुर्दा छिपकली की तरह फ़रश पर गिरा और उस के सर से खून बहने लगा।
मैंने फौरन उसका मोबाइल फोन और चाक़ू उठाये और फिर उसके मुँह पर एक ज़ोरदार लात रसीद की। नज़ीर के मुँह से ‘गूं-गूं’ की आवाज़ बरामद हुई और उस ने अपना सर अपने सीने पर झुका लिया। मैंने चाक़ू खोला तो अम्बरीन खाला ने मुझे रोक दिया और कहा कि इस कुत्ते को यहाँ से दफ़ा हो जाने दो। उन्होंने नज़ीर से कहा के वो चला जाये वरना मैं उसे मार डालुँगा। वो मुझ से कहीं ज्यादा ताक़तवर था लेकिन शायद सर की चोट ने उसे हवास-बाख़ता कर दिया था। मेरे हाथ में चाक़ू और आँखों में खून उतरा देख कर उसने इसी में कैफियत जानी कि वहाँ से चला जाये। वो कराहता हुआ उठा और अपने सर के ज़ख़्म पर हाथ रख कर कमरे से निकल गया।
मैंने उसके मोबाइल से अपनी और अम्बरीन खाला की तस्वीर मिटा दी और फिर उस की सिम निकाल ली। अब वो हरामी हमें ब्लैकमेल नहीं कर सकता था। मुझे अफ़सोस हुआ के मैंने अम्बरीन खाला के चुदने से पहले ये हिम्मत क्यों नहीं की। लेकिन वो खुश थीं। उन्होंने मुझे शाबाशी दी और कहा के मैंने बड़ी बहादुरी दिखाई। मैंने कहा कि – “ये सब कुछ मेरी वजह से ही हुआ है जिसके लिये मैं बहुत शर्मिंदा हूँ।” वो कहने लगीं कि – “बस अब किसी को इस बात का पता ना चले और जो हुआ वो सिर्फ़ हम दोनों तक ही रहना चाहिये।” मैंने कहा – “मैं पागल थोड़े ही हूँ जो किसी को बताऊँगा।“
मैं हैरान था कि मैंने उनके साथ इतनी बुरी हरकत की जिसका नतीजा बड़ा खौफनाक निकला था मगर उन्होंने मुझे कुछ नहीं कहा। मैंने बाहर निकल कर इधर-उधर नज़र दौड़ाई लेकिन नज़ीर का कोई पता नहीं था। मैं वापस कमरे में आ गया। फिर अम्बरीन खाला ने मुझे एक गिलास में थोड़ी शराब और सेवन-अप डालने को कहा। इस दफा मैंने थोड़ी सी ही वोडका गिलास में डाल कर उसमे सेवन-अप भर के उन्हें दी। उसके बाद हम सोने के लिये लेट गये।
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