RE: Muslim Sex Kahani अम्मी और खाला को चोदा
होटल दरमियाना सा था। कमरे छोटे मगर साफ़ सुथरे थे। कमरे में दो बेड थे। कमरे में आकर फिर हम ने कपडे तब्दील किये। अम्बरीन खाला ने घर वाला पतली सी लॉन का जोड़ा पहन लिया जिस में से हमेशा की तरह उनका गोरा जिस्म नज़र आ रहा था। कपड़े बदलने के बावजूद उन्होंने अपनी ब्रा नहीं उतारी थी। मुझे थोड़ी मायूसी हुई क्योंकि बगैर ब्रा के मैं उनके मम्मों को ज्यादा बेहतर तरीक़े से देख सकता था। उन्होंने आदतन ऊँची ऐड़ी वाले सैंडल भी पहने रखे थे। खैर अम्बरीन खाला को अपने साथ एक कमरे में बिल्कुल तन्हा पा कर मेरे दिल में उन्हें चोदने की खाहिश ने फिर सर उठाया। लेकिन में ये करता कैसे? वो भला मुझे कहाँ अपनी चूत लेने देतीं।
अम्बरीन खाला अपने सूटकेस में कुछ ढूँढने लगीं और परेशान हो गयीं। जब मैंने पूछा कि कोई ज़रूरी चीज़ छूट गयी है तो पहले तो बोली की कुछ नहीं लेकिन फिर थोड़ी देर में ज़रा झिझकते हुए बोली – “शाकिर मेरा एक काम करोगे... लेकिन वादा करो कि बाकी रिश्तेदारों को पता ना चले!” मैंने कहा – “आप बेफिक्र रहें, मैं किसी से नहीं कहूँगा!” फिर वो बोलीं कि सोने से पहले उनका थोड़ी सी शराब पीने को काफी दिल कर रहा है और वो शायद अपने सूटकेस में रखना भूल गयीं थीं। इसमें हैरानी वाली कोई बात नहीं थी क्योंकि मैं जानता था कि अम्बरीन खाला शराब पीती हैं। मेरी अपनी अम्मी भी तो किट्टी-पार्टियों में और घर पे भी कभी-कभार अब्बू की रज़ामंदी से अक्सर शराब पीती थीं।
मैंने कुछ अरसे पहले एक फिल्म देखी थी जिस में एक शराब के नशे में चूर औरत को एक आदमी चोद देता है। शराब की वजह से वो औरत नशे में होती है और उस आदमी से चुदवा लेती है। मैंने खाला से कहा कि वो फिक्र ना करें, मैं कुछ इंतज़ाम करता हूँ। मगर मैं वहाँ शराब कहाँ से लाता। लेकिन मैं इस मोक़े से फायदा भी उठाना चाहता था। फिर मैंने सोचा शायद होटल का कोई मुलाज़िम मेरी मदद कर सके। खाला ने मुझे कुछ रूपये देकर कहा कि मैं एहतियात बरतूँ कि होटल में ठहरे दूसरे रिश्तेदारों को पता ना चले। बहरहाल मैं बाहर निकला तो पच्चीस-तीस साल का एक काला सा आदमी जो होटल का मुलाज़िम था मिल गया। वो बहुत छोटे क़द का और बदसूरत था। छोटी-छोटी आँखें और अजीब सा फैला हुआ चौड़ा नाक। ठोड़ी पर दाढ़ी के चन्द बाल थे और मूंछें भी बहुत हल्की थीं। वो हर तरह से एक गलीज़ शख्स लगता था।
मैं उस के साथ सीढ़ियाँ उतर कर नीचे आया और उससे पूछा कि मुझे शराब की बोतल कहाँ मिल सकेगी। उस ने पहले तो मुझे गौर से देखा और फिर कहने लगा के कौन सी शराब चाहिये। खाला ने कुछ बताया नहीं था और मुझे किसी ख़ास शराब का नाम नहीं आया इसलिये मैंने कहा– “कोई भी चल जायेगी। हम लोग शादी पर आये हैं और ज़रा मोज मस्ती करना चाहते हैं।“ उसने शायद मुझे और अम्बरीन खाला को कमरे में जाते देखा था। कहने लगा के “तुम तो अपनी अम्मी के साथ हो। कमरे में कैसे और किसके साथ शराब पी कर मोज मस्ती करोगे।“ मैं उसे ये ज़ाहिर नहीं करना चाहता था कि हकीकत में शराब तो खाला के लिये ही चाहिये इसलिये मैंने उसे बताया के में अपनी खाला के साथ हूँ और वैसे उसे हमारे प्रोग्राम से कोई मतलब नहीं होना चाहिये। खैर उसने मुझ से दो हज़ार रुपये लिये और कहा के आधे घंटे तक शराब ले आयेगा में उसका इंतज़ार करूँ। उस ने अपना नाम नज़ीर बताया।
मैं कमरे में वापस आ गया। मेरा दिल धक-धक कर रहा था। मैं डर रहा था कि नज़ीर कहीं पैसे ले कर भाग ही ना जाये मगर वो आधे घंटे से पहले ही शराब की बोतल ले आया। बोतल के ऊपर वोड्का लिखा हुआ था और उस में पानी जैसी रंग की शराब थी। मुझे इल्म नहीं के वो वाक़य वोड्का थी या किसी देसी शराब को वोड्का की बोतल में डाला गया था लेकिन बोतल सील्ड थी तो मुझे इत्मिनान हुआ। खैर मैंने बोतल ले कर फौरन अपने नेफ़े में छुपा ली। उसने कहा के बाथरूम के तौलिये चेक करने हैं। मैं उसे ले कर कमरे के अंदर आ गया। उस ने बाथरूम जाते हुए अम्बरीन खाला को अजीब सी नज़रों से देखा। मैं समझ नहीं पाया के उसकी आखों में क्या था। वो कुछ देर बाद चला गया।
अम्बरीन खाला ने अपने और मेरे लिये सेवन-अप की बोतलें मँगवाईं जो नज़ीर ही ले कर आया। इस दफ़ा भी उसने मुझे और अम्बरीन खाला को बड़े गौर से देखा। उसके जाने के बाद अम्बरीन खाला ने उनके लिये एक गिलास में थोड़ी वोड्का और सेवन-अप डालने को कहा तो मैं उठ कर कोने में पड़ी हुई मेज़ तक आया और अम्बरीन खाला की तरफ पीठ कर के थोड़ी की बजाय गिलास में एक-चौथाई तक वोड्का डाल कर उसे सेवन-अप से भर दिया। मैं चाहता था कि वो नशे में बदमस्त हो जायें। मैंने वो गिलास उनको दे दिया। उन्होंने गिलास से चन्द घूँट लिये और बुरा सा मुँह बना कर कहा – “ये कितनी वोड्का डाल दी तूने... बेहद स्ट्राँग है ये तो... ज्यादा चढ़ गयी तो?” मेरा दिल बैठ गया के कहीं वो पीने से इनकार ही ना कर दें लेकिन मैंने देखा कि वो फिर से गिलास होंठों को लगा कर घूँट भर रही थीं। मैंने कहा कि वो बेफिक्र होके पियें और इंजॉय करें कुछ होगा तो मैं संभाल लूँगा। मेरी बात से उन्हें इत्मिनान हुआ और वो मुस्कुरा कर पीने लगीं और मैं भी एक बोतल से सेवन-अप पीने लगा। जब उनका गिलास खाली हुआ तो मैंने इसरार करके उनके फिर से गिलास में एक चौथाई वोड्का डाल कर सेवन-अप भर दी। दो गिलास खतम करने बाद तो खुद ही बोलीं कि फिर से गिलास भर दूँ।
रात के कोई साढ़े बारह बजे का वक़्त होगा। अम्बरीन खाला की हालत बदलने लगी थी। उनका चेहरा थोड़ा सा सुर्ख हो गया था और आँखें भारी होने लगी थीं। वो मेरी बातों को ठीक से समझ नहीं पा रही थीं और बगैर सोचे समझे बोलने लगती थीं। उनकी आवाज़ में हल्की सी लरज़िश भी आ गयी थी। वो वाज़ेह तौर पर अपने ऊपर कंट्रोल खोती जा रही थीं। कभी वो खामोश हो जातीं और कभी अचानक बिला वजह बोलने या ज़ोर से हंसने लगतीं। नशा उन पर हावी हो रहा था। इतनी ज्यादा शराब पीने की वजह से नशा भी ज्यादा हुआ था। उन्होंने कहा के अब वो सोना चाहती हैं। वो एक कुर्सी पर पसर कर बैठी हुई थीं। जब उठने लगीं तो लडखड़ा गयीं। मैंने फौरन आगे बढ़ कर उन्हें बाज़ू से पकड़ लिया। उनके गोरे, मांसल और नरम बाज़ू पहली दफ़ा मेरे हाथों में आये थे।
मैं उस वक़्त थोड़ा घबराया हुआ था मगर फिर भी उनके जिस्म के स्पर्श से मेरा लंड खड़ा हो गया। मैं उन्हें ले कर बेड की तरफ बढ़ा। मैंने उनका दुपट्टा उनके गले से उतार दिया और उन से चिपक गया। मेरा एक हाथ उनके सुडौल चूतड़ पर था। मैं उन्हें बेड तक लाया। मेरी उंगलियों को उनके चूतड़ के आगे पीछे होने की हरकत महसूस हो रही थी। मेरे सब्र का पैमाना लबरेज़ हो रहा था। मैंने अचानक अपना हाथ उनके मोटे और उभरे हुए चूतड़ के दरमियाँ में रख कर उसे आहिस्ता से टटोला। उन्होंने कुछ नहीं कहा। इस पर मैंने उनके एक भारी चूतड़ को थोड़ा सा दबाया। उन्होंने अपने चूतड़ पर मेरे हाथ का दबाव महसूस किया तो मेरे हाथ को जो उनके चूतड़ के ऊपर था पकड़ कर अपनी कमर की तरफ ले आईं लेकिन कहा कुछ नहीं।
उन्हें बेड पर बिठाने के बाद मैंने उन से कहा के रात काफी हो गयी है और अब उन्हें सो जाना चाहिये। मैं उनके कपड़े बदल देता हूँ ताकि वो आराम से सो सकें। उनके मुँह से अजीब सी भारी आवाज़ निकली। शायद वो समझ ही नहीं सकी थीं के में क्या कह रहा हूँ। मैंने उनकी क़मीज़ पेट और कमर पर से ऊपर उठायी और उनका एक बाज़ू उठा कर उसे बड़ी मुश्किल से क़मीज़ की आस्तीन में से निकाला। अब उनका एक गोल और भारी मम्मा सफ़ेद रंग की ब्रा में बंद मेरी आँखों के सामने था। उनका दूसरा मम्मा अब भी क़मीज़ के नीचे ही छुपा हुआ था। मैंने उनके मम्मे के नीचे हाथ डाल कर ब्रा के ऊपर से ही उसे पकड़ लिया। अम्बरीन खाला का मम्मा भारी भरकम था और उससे हाथ लगा कर मुझे अजीब तरह का मज़ा आ रहा था। फिर मैंने दूसरे बाज़ू से भी क़मीज़ निकाल कर उन्हें ऊपर से बिल्कुल नंगा कर दिया। उनके दोनों मम्मे ब्रा में मेरे सामने आ गये। मैंने जल्दी से पीछे आ कर उनके ब्रा का हुक खोला और उससे उनके जिस्म से अलग कर के उनके मम्मों को बिल्कुल नंगा कर दिया।
ये मेरी ज़िंदगी का सब से हसीन लम्हा था। मेरा दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़क रहा था। अम्बरीन खाला के मम्मे बे-पनाह हसीन, गोल और उभरे हुए थे। सुर्खी-मायल गुलाबी रंग के खूबसूरत निप्पल बड़े-बड़े और बाहर निकले हुए थे। निपल्स के साथ वाला हिस्सा काफ़ी बड़ा और बिल्कुल गोल था जिस पर छोटे-छोटे दाने उभरे हुए थे। मैंने उनका एक मम्मा हाथ में ले कर दबाया तो उन्होंने मेरा हाथ अपने मम्मे से दूर किया और दोनों मम्मों के दरमियाँ में हाथ रख कर अजीब अंदाज़ से हंस पड़ीं। शायद ज्यादा नशे ने उनकी सोचने समझने की सलाहियत पर असर डाला था।
मैंने अब उनके दूसरे मम्मे को हाथ में लिया और उस के मुख्तलीफ़ हिस्सों को आहिस्ता-आहिस्ता दबाता रहा। मैंने ज़िंदगी में कभी किसी औरत के मम्मों को हाथ नहीं लगाया था। अम्बरीन खाला के मम्मे अब मेरे हाथ में थे और मेरी जहनी कैफियत बड़ी अजीब थी। मेरे दिल में खौफ भी था और ज़बरदस्त खुशी भी कि अम्बरीन खाला मेरे सामने अपने मम्मे नंगे किये बैठी थीं और में उनके मम्मों से खेल रहा था। उन्होंने हंसते हुए उंगली उठा कर हिलायी जिसका मतलब शायद ये था कि मैं ऐसा ना करूँ। उनका हाथ ऊपर की तरफ आया तो सलवार में अकड़े हुए मेरे लंड से टकराया तो वो फिर से हंस दी लेकिन शायद उन्हें एहसास नहीं हुआ कि मैं अपना लंड उनकी चूत में डालने को बेताब था। मैं उसी तरह अम्बरीन खाला के मम्मों को हाथों में ले कर उनका लुत्फ़ उठाता रहा।
अचानक कमरे का दरवाज़ा जो मैंने लॉक किया था एक हल्की सी आवाज़ के साथ खुला और नज़ीर अंदर आ गया। नज़ीर ने फौरन दरवाज़ा लॉक कर दिया। उस के हाथ में मोबाइल फोन था जिस से उसने मेरी और अम्बरीन खाला की उसी हालत में तस्वीर बना ली। ये सब पलक झपकते हो गया। मैं फौरन अम्बरीन खाला के पास से हट गया और उनकी क़मीज़ उठा कर उनके कंधों पर डाल दी ताकि उनके मम्मे छुप जायें। नज़ीर के बदनुमा चेहरे पर शैतानी मुस्कुराहट थी। उस ने अपनी जेब से छ-सात इंच लंबा चाक़ू निकाल लिया मगर उसे खोला नहीं। खौफ से मेरी टाँगें काँपने लगीं।
नज़ीर ने कहा के वो जानता था हमें शराब क्यों चाहिये थी। मगर मैं फ़िक्र ना करूँ क्योंकि वो किसी से कुछ नहीं कहेगा। उसे सिर्फ़ अपना हिस्सा चाहिये। अगर हम ने उस की बात ना मानी तो वो होटल मॅनेजर को बतायेगा जो पुलीस को खबर करेगा और आगे फिर जो होगा हम सोच सकते हैं। उसने कहा के शराब पीना तो जुर्म है ही पर अपनी खाला और भांजे को चोदना तो उस भी बड़ा जुर्म है। मुझ से कोई जवाब ना बन पड़ा। अम्बरीन खाला नशे में थीं मगर अब खौफ नशे पर हावी हो रहा था और वो हालात को समझ रही थीं। मेरा दिल भी सीने में ज़ोर-ज़ोर से धड़क रहा था।
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