RE: Nanad ki training--ननद की ट्रैनिंग
उन्हे पूरे दिन के लिए उपर कमरे मे वनवास दे दिया गया था .ये कहा गया था कि देर शाम को जब उन्हे बुलाया जाय तभी वो नीचे आ सकते है. और खाना पीना सब उन्हे उपर ही... उनकी सेवा मे ...पूरी तरह कपड़ों मे छुपी दोनों टीनएजर्स..पर उनकी बांकी नज़रों के तीर...खुल के मज़ाक..अदा से जोबन को उभारना थोड़ा दिखाना और फिर अपेच कर के छुपा लेना..बेचारे बेताब हो रहे थे, सुलग रहे थे और वो दोनों और कस के आग लगा रही थी. मैं सोच रही थी कि परसों रात को उनका उपवास रहा, कल की दावत को सोच के और वह भी अंजलि के साथ, स्वीमिंग पूल मे शुरुआत के बाद ..और फिर दुबारा जब उनको अचानक जाना पड़ा ..फिर कल खाने के समय गुड्डी ने,रात भर मैने और अब दोनों टीनएजर्स ..की खूबसूरत छेड़छाड़.क्या हालत हो रही होगी,बेचारे की. और नीचे किचन मे भी दोनो चालू थी. मामला यहाँ भी कम गरम नही था
रात की तैयारियाँ चल रही थी. जब मैने अल्पी को हंस के वो स्पेशल बैगन की पकौड़ी के बार मे बताया तो वो तो एकदम दुहरी हो गयी. गुड्डी को पकड़ के बोली आज चल गाजर का हलवा बनाते है..तेरे तरीके से..और उसने गुड्डी की चूत मे एक खूब मोटी गाजर पेल दी. और हलवा तो एक गाजर से बनता नही इसलिए ढेर सारी...पर गुड्डी भी कम नही थी. उसने कहा कि भैया को सलाद मे मूली अच्छी लगती है इसलिए उनकी साली की बुर मे और ..उसने एक खूब लंबी मोटी जौनपुरी मूली घुसेड दी अल्पी की बुर मे. हाँ, मैं ये देख रहे थी कि इन सब खेलों मे दोनो मे से कोई झाड़ ना जाए, क्यों कि वो तो मेरे सैंया के साथ होना था.
उन्हे नोन वेज पसमद है तो ढेर सारी नोन वेज डिशेज़ और अल्पी तो पंजाबी नोन वेज मे माहिर थी. तंदूरी चिकेन, कोरमा..हादी चिकेन...और ढेर सारे कबाब.
शाम को उन दोनों ने मुझे भी उपर हक दिया था जिससे मुझे भी फाइनल प्रीपरेशन के बारे मे कुछ पता नही था . हाँ, उन दोनो ने कहा था कि जैसे ही वो बुलाए मैं उन्हे ले के आऊ और उन्हे फ्रेश पाजामा कुर्ता और अंदर...रात शुरू हुई ही थी कि नीचे से आवाज़ आ गयी. मुझे लग रहा था कि मैं सपना देख रही हू. इतने दिनों से जो मैं ख्वाब देख रही थी..जैसे वो ज़मीन पे उतर आया है, क्या सच कल्पना जैसे दोनों का अंतर धूमिल हो गया हौं दोनों को देख के तो मैं अपनी आँखो पे विश्वास ही नही कर पाई.
बार डाँसर की जो ड्रेस गुड्डी ने प्ले के लिए बनवाई थी, कसी, लो कट..उसी मे दोनो. और जम के गाढ़ा मेक अप, आँखों मे काजल, मास्कारा, फाल्स आई लैशेज़, गाढ़ी लाल लिपस्टिक और फिर ज्वेलरी...पाजेब, करधनि..
जैसे ही वो बैठे, लग रहा था अरेबियन नाइट्स का सीन हो. दोनों जाँघो पे आ के बैठ गयीं और जम ढालने लगी. कभी एक अपने नशीले हाथों से पिलाती तो कभी दूसरी अदा से गाल पे गाल रगड़ के चोली से छलकते हुए उभारों से जाम टकरा के, पिला रही थी. और वो भी एक हाथ से गुड्डी की चूंची दबा रहे थे और दूसरे से अल्पी की. मैने उन्हे चिढ़ा के कहा कि आज तो आपकी दावत हो गयी.
दोनों हाथों मे लड्डू है.एकदम, अधखूली चोली के उपर से गुड्डी के मादक निपल्स रोल करते वो बोले. हम चारो खुल के पी, पिला रहे थे. थोड़ी ही देर मे सब बहकने लगे..उन दोनों के आँचल धलक रहे थे, स्ट्रिंग, बैकलेस चोली से जोबन खुल के छलक रहे थे..और उन्होने भी गुड्डी और अल्पी को जम के इसरार कर के पिलाया. साथ मे तरह तरह के कबाब, टिक्के. थोड़ी ही देर मे एक बोतल खाली हो चुकी थी. और गुड्डी ने दूसरी बोतल भी खोल दी. छेड़छाड़ मे उन्होने दोनो की उपर की चुनरी हटा के फेंक दी तो वो भी क्यों छोड़ती. उन्होने भी उनकी स्ट्रिप्टी करा दी..वो सिर्फ़ बनियान और अपने सिल्कन बक्सर्र शर्ट मे रह गये.
खाना ख़तम होने के बाद गुड्डी ने उन्हे चाँदी की तश्तरी से जोड़ा पान निकाल के अपने होंठों मे ले के पेश किया. मैं मुस्काराए बिना नही रह सकी क्यों कि सिर्फ़ मुझे मालूम था कि उसमे क्या है..वो खास पलंग तोड़ पान था..जो मेरी सुहाग रात के दिन मेरी ननदों ने बेडरूम मे रखा था. और आज उसमे मैने उसके खास मसालों के साथ साथ इंपोर्टेड वियाग्रा का डबल डोज भी डाल दिया था.
जब गुड्डी ने पान दिया तो पान के साथ उन्होने उसके नाज़ुक होंठ भी गडप लिए और साथ साथ जीब उसके कोमल मूह मे ठेल दी. वो भी अब... अपने मूह मे उनकी जीब चूसने लगी. राजीव के हाथ कस कस के उसकी गोलाइयाँ नाप रहे थे. जब थोड़ी देर बाद उन्होने छोड़ा तो वो दोनों खड़ी हो गयी और मुज़रे की अदा मे झुक के सलाम कर ..नाच चालू हो गया. पीछे म्यूजिक सिस्ट्म पे धुन चालू थी.
पहले तो मुज़रे की अदा मे एक फिल्मी गाने पे और फिर तो मुज़रा रीमिक्स से लेके लैप डॅन्स तक सब कुछ...गुड्डी ने गाना शुरू किया...
चूड़ी टूटी मेरी कलाई मे सैयाँ के संग लड़ाई मे.
और झुक के अपनी क्लिवेज दिखा के नितंब मटका के, सैयाँ के संग किस तरह की लड़ाई हुई साफ पता चल रहा था. और वो दोनों इस तरह नैन मटक्का कर रही थी, कूल्हे मटका रही थी, अपनी चूंचिया उभार, उछाल रही थी, एक दूसरे को पकड़ के चूमा चाटि, फॉष इशारे कर रही थी कि कोई थर्ड ग्रेड रंडी भी मात खा जाए. और फिर दूसरा गाना अल्पी ने शुरू किया,
अरे, कली भौंरे पे मरने लगी है...
और राजीव को दिखा के उसे चूमने गाल काटने लगी. नाचते नाचते दोनों उनके पास आ गयीं और अल्पी ने गुड्डी को उनके बाँहों मे धकेल दिया. और अब उनकी बारी थी, चूमने और कचकाचके गाल काटने की. जब थोड़ी देर मे गुड्डी उनकी बाहों से आज़ाद हो के आई तो अल्पी ने एक मर्द का रूप धारण कर लिया था. गिरी हुई चुनरी की पगड़ी बना के. और फिर तो ..गुड्डी उसे देख के चालू हो गयी,
" लड़ाय लो, लड़ाय लो अंखिया हो लौन्डे राजा,
सास गयीं गंगा ससुर गये जमुना, सैया गये ननदी संग,
अरे लगाय लो छातियाँ , अरे दबाय दो छातियाँ हो लौन्डे राजा.
घर मे हूँ अकेली ना संग ना सहेली,
अरे दबाय दो, अरे लूट लो अरे चोद दो बुरिया हमार लौन्डे राजा."
|