RE: Nanad ki training--ननद की ट्रैनिंग
ननद की ट्रैनिंग – भाग 9
(लेखिका - रानी कौर)
वो अपने कमरे मे बैठ के कल स्कूल मे होने वाले ड्रेस रिहर्सल की स्क्रिप्ट याद कर रही थी, जिसमे वो एक बार डॅन्सर का रोल कर रही थी. मैने उसे एक वाय्स कल्चर की भी किताब दी और थोड़ा समझाया कि डीप ब्रीदिंग कैसे करते है, आवाज़ थ्रो कैसे करते है. वो प्रेक्टिस कर रही थी और मैं किचन मे नाश्ता बना रही थी, फ्रेंच सॅंडविच और एग फ्रॅंकी. एक प्लेट मे दे आई थी और दूसरी तैयार कर रही थी कि उसकी खिलखिलाती आवाज़ आई," भाभी, देखिए.... कौन साला आया है."
मैं समझ गयी गूंजा, मेरी गाव की देवरानी का भाई अजय होगा. गूंजा की शादी के बाद से हो वो इसे साला कह के छेड़ती थी और वो भी मज़े लेता था, उमर मे उससे तीन चार साल बड़ा. वह गाव का था, लेकिन बड़ा ही तगड़ा और गबरू जवान, मांसपेशिया सॉफ झलकती . गुड्डी नखडे दिखाती थी, उसको छेड़ती थी लेकिन लिफ्ट ज़रा कम देती थी..लेकिन वो भी हारने वाला नही था पीछे लगा ही रहता था.
जब मैं कमरे के पास पहुँची तो गुड्डी की चीख सुनाई दी," भाभी, देखिए ...ले लिया ...साले ने ज़बरदस्ती."
कमरे मे घुस के मैने जान बुझ के अपनी ननद की शलवार की ओर देखते हुए पूछा, " अरे क्या ले लिया, मुझे तो कुछ दिख नही रहा है, हर चीज़ वैसे ही बंद और पैक है"
" भाभी आप भी, आप को भी हर दम वही एक चीज़ सुझति है, ये देखिए." नखड़े से वो बोली.
तब मैने देखा, उसने गुड्डी जो फ्रैंकी खा रही थी, उसने उसके मूह से छीन ली थी और मज़े से खा रहा था.
" अरे ये.. मैं तो कुछ और ही समझी थी कि... मेरे भाई ने तुम्हारी क्या ले ली" हंस के मैं बोली.
" अरे दीदी, आप इसको इतनी चिकनी चीज़े देती है, देखिए कैसे मोटी हो रही है." उसके गदराए जोबन को कस के घुरता अजय बोला.
" अरे जा के अपनी गूंजा दीदी का देखो ना शादी के बाद कैसे ...मेरे भैया की मेहनत से अब देखो कुछ दिनों मे पेट भी मोटा जाएगा." हंस के चिढ़ाते हुए वो बोली.
" अच्छा तुम दोनों झगड़ा मत करो, मैं और ले आती हू." कह के मैं वापस किचन मे आ गयी. जब मई लौटी तो मैने देखा कि दोनों खूब घुल मिल के बात कर रहे थे. अजय का हाथ गुड्डी के कंधे पे था और उंगलिया उरोजो के उपरी हिस्से को छू रही थी और वो भी उस से एकदम सट के बैठी थी.
मैने प्लेट सामने की मेज पे रख दी और हम तीनों मिल के खाने लगे. मैने पूछा, " क्या प्रोग्राम है तुम्हारा, अजय."
" अरे भाभी सॉफ सॉफ क्यों नही पूछती, कब जाओगे." हंस के गुड्डी बोली.
" हे, ऐसा नही बोलते मेहमान को." मैने कहा और गुड्डी को घूरा.
" नही दीदी, बस थोड़ी देर मे, एक घंटे मे बस मिलेगी. रात तक गाव पहुँच जाउन्गा."
" अरे ये कुछ नही, खाना खा के जाओ ना, अब ये मेरी ननद बहोत अच्छा खाना बनाती है."
" अरे ये खाना बनाती है तब तो कतई नही. मुझे एक दम भूख नही है." हंस के वो बोला.
" अरे इतना नखडा दिखा रहे हो ,रुक जाओ ना आज रात." बड़ी अदा से गुड्डी बोली.
" अरे इतनी सुंदर लड़की रात की दावत दे रही है, तब भी नही रूको तो..." मैने छेड़ा.
|