RE: Nanad ki training--ननद की ट्रैनिंग
“अरे तो थोड़ी अपनी चुनमुनिया को हवा खिलाओ ना… क्या पिंजडे में बंद कर रखा है, मैं भी तो देखूं, चारा घोंटने के बाद कैसे लग रही है तेरी बुलबुल…” और उन्होंने उसके गाउन के नीचे के बटन भी खोल दिये।
“अरे भाभी ये देखिये एक साथ दो-दो के। कैसे मजा ले रही है…” गुड्डी ने सामने की ओर उनका ध्यान बंटाया।
फिल्म में एक लड़की, झुक के एक मोटा लण्ड चूस रही थी और पीछे से कोई उसके ऊपर चढ़ा हुआ था, जैसे कोई गाय चारा खा रही हो और एक तगड़ा सांड आकर पीछे से उसके ऊपर चढ़ जाय।
“अरे तू भी लीलेगी ऐसे एक साथ दो-दो, मेरी बिन्नो…” दूबे भाभी उधर देखती बोलीं, और कहा- “मैं तुझसे भी छोटी थी, 10वें में पढ़ती थी। अभी सोलहवां नहीं लगा था और होली में एक साथ तीन-तीन। मेरे बड़े जीजा, मेरे मझले जीजा और उनके एक दोस्त भी। बड़े जीजा ने तो होली में जब मेरी सील तोड़ी थी तो सिर्फ चौदह साल की थी मैं…”
“पर भाभी एक साथ तीन-तीन कैसे…” आँखें फैलाकर गुड्डी बोली।
“अरे बुद्धू, मझले जीजा ने पहले नंबर लगाया, फिर मुझे खींच के अपने ऊपर ले लिया, और कसकर अपने पैर मेरी कमर में बांध दिया, और फिर बड़े जीजा। वो तो शुरू से ही मेरे चूतड़ के दीवाने थे, उन्होंने गचागच मेरी गाण्ड में पेल दिया। सब मिली-जुली थी उन लोगों की। और मैं चीखी तो जीजा के दोस्त ने सीधे मेरे मुँह में…” दूबे भाभी ने अपना किस्सा सुनाया।
“और क्या, बड़ा मजा आता है एक साथ दो-दो घोंटने में, मैंने तुम्हें बताया था ना की कुछ महीने पहले जब मैं अपनी कजिन की शादी में गयी थी तो मेरे दोनों जीजा ने एक साथ सारी रात मेरी सैंडिविच बनाई, कोई भी छेद नहीं छोड़ा। मेरी ऐसी की तैसी हो गयी, पर मजा भी बहुत आया…”
गुड्डी- “अरे भाभी आप दोनों एक्स्पर्ट हैं…” हँसकर वो बोली।
“चल तुझको भी दो-दो का एक साथ मजा देते हैं। दो-दो मर्द न सही, दो-दो भाभियां ही सहीं, क्यों…” मैं दूबे भाभी से बोली।
उनकी तो मुँह मांगी मुराद मिल गयी- “एकदम…” उन्होंने बोला और उसका गाउन उतारने में हम दोनों लग गये।
और गुड्डी भी… कुछ बीयर का असर, कुछ रात की चुदाई की खुमारी, और कुछ फिल्म का। उसपर भी मस्ती चढ़ी हुई थी। उसने भी दूबे भाभी की साड़ी खींचकर उतार दी और थोड़ी ही देर में हम सब अपने प्राकृतिक ड्रेस में थे। हम दोनों एक साथ उसके छोटे-छोटे रसीले जोबन का मजा ले रहे थे। दूबे भाभी तो खूब कसकर उसे दबा रगड़ रहीं थी, जित्ता कसकर कल उसके यार ने भी नहीं मसला होगा। मैं उसके रस से भरे खड़े निपल को मुँह में लेकर चूस चुभला रही थी, जैसे कोई अंगूर चूस रही होंऊँ। बड़ा नशा था उसके चूचुकों में।
थोड़ी देर चूची का मजा लेकर दूबे भाभी ने नीचे का रास्ता लिया। जिसके लिये वो इतने दिनों से राह देख रहीं थीं। जल्द ही उनके होंठ उसके शहद की कटोरी पे थे। वो कस-कसकर चूस रहीं थी, चाट रहीं थी। उनके हाथ कसकर उसके चूतड़ दबोच रहे थे। और जो चूची उन्होंने छोड़ी उस पे मेरे हाथ का क्ब्जा था। दूबे भाभी की जीभ अंदर थी और वो उसे जीभ से ही इतनी कस-कसकर चोद रहीं थीं की कोई मर्द क्या चादेगा।
बेचारी गुड्डी,...उस की हालत खराब थी. वो कस कस के अपने चूतड़ पटक रही थी, चूत तो पूरी पानी पानी हो गयी थी.तभी वो बोली, " भाभी, देखिए उस को, पीछे से.... इतना मोटा बेचारी कैसे ले पाएगी"
हम सब की निगाह फिल्म की ओर मूड गयी. एक मोटा नीग्रो, जिसका मूसल ऐसा लंड वो चूस रही थी. अब उसके पीछे चूतड़ के पास खड़ा था और अपना लंड उसकी गान्ड पे रगड़ रहा था. फिर उसने लंड को हटा अपनी एक उंगली उसकी गान्ड मे पेल दी और इतने पे ही वो दर्द से चिल्ला उठी. लेकिन वो उंगली कस के घुसेड के अंदर बाहर कर रहा था..
" अरे ये सब छिनाल अपना है. जो लौंडिया ये कहती है कि वो गान्ड मे नही ले सकती है,गान्ड मराने मे नखडा करती है.मैं तो कहती हू उस साली का हाथ पैर बाँध के ...गान्ड मे मोटा खुन्टा ठोंक देना चाहिए." कनखियों से उधर देखते हुए, डूबे भाभी बोली.
" पर भाभी गान्ड का छेद इतना छोटा, कसा संकरा ...." गुड्डी बेचारी सहम के बोली.
" तो क्या तुम्ही लोगों की गान्ड संकरी पतली होती और बेचारे लड़को की चौड़ी.."
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