RE: Nanad ki training--ननद की ट्रैनिंग
पर तभी मुर्गे ने बांग दे दी. सुबह की पदचाप पूरब से हल्की सी सुनाई देने लगी. उसने जो सामने घड़ी देखी तो अचानक उठ गया, " हे मेरी बस मे सिर्फ़ 20 मिनट बचे है, मुझे चलना होगा" और कपड़े पहन के झट से तैयार हो गया.
गुड्डी भी उसके साथ उठी और उसको अंक वार मे भर के पूछा, " हे समान तो तुम्हारे पास कुछ है नही.. और फिर कितते दिनों मे आओगे"
" अरे घर ही तो जा रहा हू, समान की क्या ज़रूरत...बस 5 दिन मे लौट आउन्गा"उसेचुमते हुए बोला.
" ये 5 दिन मेरे लिए 5 साल लगेंगे."
" मुझे मालूम है जानम, पर मेरी भौजाई वैसे ही शक करती है कि मेरा शहर मे कोई चक्कर है इसलिए मैं घर नही आता और अगर,... पर तुम चिंता मत करो, लौटते ही मैं सारी कसर पूरी कर दूँगा." उसकी चुचियाँ कस के मींजते हुए वो बोला.
" मुझे मालूम है, पर मैं डरने वाली नही. मैं इंतज़ार करूँगी तुम्हारा." हंस के चुम्मि लेके वो बोली.
जब मैने उसके चेहरे को देखा तो बड़ी मुश्किल से मैं अपनी हँसी रोक पाई.
आज उसकी भौजाईयाँ... उसकी अच्छी दूरगत करने वाली थी, माथे पे जम के खूब गाढ़े महावर का निशान, गालों पे काजल और गुलाबी लिपस्टिक के दाग, दाँतों और नाखूनों के निशान...
गुड्डी उसे छोड़ के बाहर का दरवाजा बंद कर के लेट गयी और तुरंत ही सो गयी. मैं भी रात भर की जागी, थकि, थोड़ी ही देर मे नींद मे खो गयी. जब मैं उठी तो धूप खूब उपर तक चढ़ आई थी. आज वैसे भी घर पे हम दोनों ही थे और उसकी छुट्टी थी.
जब मैं उसके कमरे मे गयी, तो वो अभी भी गाढ़ी नींद मे थी और सोते मे मुस्करा रही थी जैसे सपने मे भी उसी की बाँहों मे चुद रही हो. साड़ी सरक गयी थी...उसके गालों पे कचकचा के काटे गये दाँतों के निशान, कड़े कड़े उरोजो पे भी दाँतों के और नाखूनों के चिन्ह, और उसकी गोरी दूधिया, थकि फैली,जांघों पे गाढ़े सफेद वीर्य की धार और गाढ़े थक्के, उसकी किशोर गुलाबी योनि के होंठ अभी भी अधखुले से, जैसे रात भर लिए गये लंड का स्वाद उन होंठों पे हो और वे अभी भी इंतजार कर रहे हों...
.मैं अपने को रोक नही पाई. एक डिजिटल कॅमरा लाकर मैने उसकी हर आंगल से ढेर सारी फोटो खींची, और चूत और चूंची के तो क्लोज़ अप भी. उसे उसी तरह सोता छोड़ के मैं जाके नहा धोके तैयार हुई. वो अभी भी सो रही थी और 12 बजने वाला था. मुझे उसे उठाना ही पड़ा.
" भाभी, बहोत थकान लग रही है...रगड़ के रख दिया उस ने" मुझे अपनी बाँहो मे भर के वो बोली.
" अरे चल झूठी...मज़ा आया कि नही" उस के उभारों को कस के दबाते मैं बोली.
" मज़ा तो बहोत आया... पर अब टाँगें नही उठ रही है"
" अरे रात भर उठवाए जो रही होगी... अच्छा चल ये काफ़ी पी...थकान उतर जाएगी." और मैने उसे एक बड़ा मॅग काफ़ी का दिया. फिर मैने कुछ सोचा और उससे बोली,
" ज़रा रुक.." और ब्रॅंडी ला के उसकी कोफ़ी मे ढेर सारा मिला दिया और बोला पी. हम दोनों साथ साथ कॉफी पी रहे थे और वो रात की दास्तान सुना रही थी. मैने उस से कहा कि हाथ मूह धो ले और मैं नाश्ता लगाती हू.
नाश्ता करने के बाद मैने उसे समझाया कि चाहे जित्ति थकि हो चुदाई के बाद, वो अपनी एक्सरसाइज ज़रूर करे खास तौर से केजल.यूज़ के बाद मैने उसे रिलैक्सेशन के तरीके भी सिखाए. वो रिलैक्स कर रही थी और मैं खाना बनाने मे लग गयी. मैने उसे बोला सिर्फ़ अभी फ्रेश हो ले, देर हो गयी है इसलिए नहाना शाम को. खाने के बाद हम दोनों आराम के मूड मे थी, जागी तो मैं भी थी, रात भर उसके चूत मंथन का दृश्य देखने मे.
मैने एक ब्लू फिल्म लगाई, लेज़्बीयन स्लट्स, और उससे कहा कि अपने भैया के स्टॅक से बीअर निकाल लाए. वो दो बोतल ले आई. हम दोनों हल्के गाउन मे थे और अंदर कुछ नही. आज वो भी मूड मे थे और बिना ना नुकुर के बीयर गटक रही थी. जब उसने एक बार फिर बोला कि रात मे तीन बार, तो हंस के मैने उसे हिम्मत बाँधते हुए कहा, " अरे तेरे भैया ने सुहाग रात के दिन, 5 बार लगातार, उनका हरदम खड़ा था और यही हालत अभी भी है...और उसके बाद हनीमून मे ....लगातार 25 दिन...मेरी मम्मी भी.. उन्होने शादी के पहले मुझे पीरियड पोस्ट्पोन होने वाली दावा दिलवा दी थी कि जिससे, वो 10 दिन आगे सरक जाय और मेरे हनीमून मे कोई डिस्टरबेंस ना हो. ...किसी भी दिन 5-6 बार से कम नही..तो रानी ये तो अभी शुरुआत है..."
" अरे भाभी, भैया को क्यों ब्लेम करती है.. आप चीज़ ही इतनी मस्त है" वो बोली.
" अरे तू भी कौन सी कम है...मेरी जान." कह के कस के मैने उसकी चूंचियाँ दबा दी. बीयर की दोनों बोतलें खाली हो गयी थी और एक से ज़्यादा उसी ने गटकी थी. फिल्म भी ख़तम हो गई थी,मैने दूसरी लगाई, युरोपियन हार्डकोर पार्ट 1.
तभी दूबे भाभी आई. मुझसे उमर मे 4-5 साल बड़ी, गोरी, थोड़ी स्थूल, दीर्घ स्तन, और नितंब तो ऐसा कि कोई 40+ की गान्ड की साइज़ का कंपटिशन हो ना तो फर्स्ट आए..ऐसी. बहोत ही खुले स्वाभाव की. गालियाँ गाने और खुल के मज़ाक करने मे उनसे औरतें भी घबड़ाती थी.सेक्स मे कोई भी कर्म उनसे बचा नही था. खुल कर मज़ा लेने वाली, कन्या प्रेमी और खास तौर से कच्ची कलियों की, गुड्डी पे भी वो ..पर अभी तक हाथ लगा नही पाई थी .गुड्डी भी आलमोस्ट उनसे उतनी ही खुली थी जित्ति मुझसे. गुड्डी को देख के वो बोली, " अरे लगता है आज रात भर इस नन्ही कली की कस के रगड़ाई हुई है,"
उसके गाउन के बटन तो मैने ही खोल दिए थे, दूबे भाभी ने हाथ डाल के उसके किशोर उभार पूरी तरह खोल दिए. उसके जोबन सहलाती, मज़ाक मे बोली, " बड़ा जालिम और नासमझ था. कितनी कस के मसला और काटा है." और उसके
निपल दबा दिए.
" अरे भाभी सारी रात,... तीन बार... अब तक दर्द कर रहा है.." और जैसे इसे दिखाते हुए ,कस के अपनी जांघे गाउन मे भींच ली.
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