RE: Nanad ki training--ननद की ट्रैनिंग
और क्या धकपेल चुदाई थी. एक हाथ से कमर और दूसरे से उसकी चूंची मसलते हुए, उसका गाथा तगड़ा बदन, हाथों की जबरदस्त माँस-पेशिया, बिजली की तेज़ी से लंड अंदर बाहर हो था. थोड़ी देर वो कस कस के धक्के लगाता और फिर मज़े लेता हुआ, थोड़ी देर मे मेरी ननद पे भी उसी तरह मस्ती सवार हो गयी और वो भी...और कुछ देर मे उसने फिर पॉज़ बदल दी. उसको ज़मीन पे खड़ा कर के बिस्तर के सहारे उसे झुका दिया. लगता था कुतिया वाला आसन उसे बहोत पसंद था. और फिर मेरी ननद की टाँगे फैला के चुदाई चालू कर दी. मैने जैसा उसे सिखाया था वैसे ही उसने, ...थोड़ी ही देर मे अपनी एक टाँग उठा के पलंग पे रख दी और अब उसकी चूत एकदम खुल गयी थी और वो उसे ढकधक चोद रहा था. काफ़ी देर तक इसी तरह चोदने के बाद उसने गुड्डी को उठा के पलंग पे लिटा दिया और अब उसकी टाँगे दुहरी करके इस तरह से धक्का लगाया कि लग रहा था हर धक्का सीधे उसकी बच्चेदानी पे पड़ रहा. दोनों एक दूसरे को बाँहों मे भर के कस के चोद रहे थे. वो कभी उसके गाल काटता, कभी चूंचियाँ और वो भी अपने नाखूनों से उसके छाती, पीठ, कंधे को कस के खरोंच रही थी. देर तक ... और फिर झाडे तो दोनों साथ साथ. कस के उन्होने एक दूसरे को बाँहों मे भींच रखा था.
उधर वो दोनों झाड़ रहे थे और इधर मैं..वायब्रेटर पे..मेरा बदन भी कांप रहा था और चूत कस के सिकुड रही थी. वह दोनो इस तरह थके पड़े थे कि मुझे नही लग रहा था कि वो जल्दी उठेंगें. गुड्डी के उरोजो, जांघों, गालों पे नाख़ून , दाँतों के निशान पड़े हुए थे.
वीर्य की धार, सफेद गाढ़े थक्के उसकी जांघों पे भरे पड़े थे. खुली खिड़की से आती ठंडी हवा उनकी देह को सहला रही थी.
लेकिन मैनें अपनी ननद को कम करके आँका था. बड़ी पक्की चुदासि थी वो. करीब आधे घंटे इसी तरह पड़े रहने के बाद वो धीरे से उठी और एक खूब सूरत अंगड़ाई लेके, अपने यार की ओर देखा. वो अधसोया, अलसाया सा आँखे बंद किए पड़ा था. उसने हल्के से उसकी आँखो पे एक छोटा सा चुंबन लिया. जब उसने आँखे खोली तो मुस्करा के उसने इशारा किया कि तुम इसी तरह पड़े रहो. और झुक के उसके चेहरे पे ढेर सारे चुंबन बरसा दिए, जैसे कोई फूलों से लदी शाख खुद झुक के, फूल गिरा दे. चुंबन उसके चेहरे से सीने पे पहुँचे फिर गुड्डी ने बड़ी शरारत से उसके निपल, पहले तो हल्के से किस किए , फिर अपनी जीभ से थोड़ी देर फ्लिक करने के बाद , जैसे वो उसके निपल कुछ देर पहले कस के चूस रहा था, उन्हे चूसना शुरू कर दिया. बेचारा ...उसकी तो हालत खराब
..उसका सोया लंड भी अब जाग गया था और थोड़ी हरकत कर रहा था. गुड्डी के होंठ थोड़ी देर उसके निपल को छेड़ने के बाद नीचे आए और उसके पेट को किस करती हुई वो बढ़ी और सीधे उसकी काली काली झान्टो के झुरमुट मे खो गयी. उसकी जीभ जैसे वहां कुछ खोज रही हो.उत्थित होते लिंग के बेस पे उसने कस कस के चाटा. और जब उसने अपना लंड उपर किया कि गुड्डी उसे भी किस कर हट गयी और फिर सर झुका के उसनी अपनी चोटी मे अब उसके खड़े लंड को कस के बाँध लिया और कस के रगड़ने लगी. बेचारा लंड एकदम तैयार सर उठा के खड़ा...लेकिन उसके टारचर का यही अंत नही था. घुटनों के बल बैठ के, उसने अपने छोटे रसीले जोबन के बीच, उन्हे ले लिया और लगी दबाने. लंड अब एकदम खड़ा था. उसको दिखा के उसने अपने गुलाबी लिपस्टिक लगे होंठों पे जीभ फेरी और एक बार मे ही उसका सुपाडा अपने मूह मे लेने की कोशिश की. पर वो बहोत बड़ा था. फिर उसने होंठों से उसका चमड़ा खोला. उसके मेहंदी लगे हाथ बेताब लंड को थामे थे. खुले सुपाडे को पहले तो उसने अपनी जीभ से चाटा और फिर हल्के से किस किया. वो उठाने के लिए बेताब था लेकिन उसे धक्का दे के मेरी ननद खुद उसके उपर चढ़ गयी और अपनी चूत उसके सुपाडे पे रगड़ने लगी.
इतना उसके यार के लिए बहोत था. उसने उसे बाँहों मे भर के नीचे खींच कर बगल मे कर लिया और साइड से ही उसकी टाँगे उठा, सीधे अपना लंड उसकी चूत मे प्यार से घुसेड दिया और हल्के हल्के चुदाई शुरू कर दी. वो भी ताल से ताल मिला रही थी. कुछ ही देर मे वो उसके उपर था और दोनों टाँगें फैला के कस कस के धक्के लगा रहा था. थोड़ी देर के बाद उसने गुड्डी को अपनी गोद मे खींच लिया और गोद मे बिठा के ही चोदने लगा, गुड्डी ने भी उसे कस के अपनी बाँहों मे भर रखा था. वो अपने उभर उसके सीने पे कस कस के रगड़ रही थी. दोनों एक दूसरे को कभी प्यार से चूमते कभी सहलाते.
धक्के कभी हल्के कभी ज़ोर से...लग रहा था जो तूफान अभी थोड़े देर पहले चल रहा था वह हल्के मंद समीर के झोंकों मे बदल गया, अभी थोड़ी देर पहले चुदाई जो किसी पहाड़ी नदी की तरह लग रही थी, बैचैन, उछलती हू हू करती, किनारों को तोड़ती, तेज अब लग रहा था, जैसे वही नदी मैदान मे आ गई हो, मन्थर, सत्वर, शांत लेकिन बहाव मे कोई कमी नही. मस्त हो के दोनों एक दूसरे के शरीर को भोग रहे थे. कभी दोनों अपने हाथ पलंग पे रख के, साथ साथ सिर्फ़ कमर के ज़ोर से धक्के लगाते.कभी दोनों अपने पैर क्रास करके झूले की तरह चुदाई का झूला झूलते. बहोत देर तक बिना किसी जल्दी के ये चलता रहा.फिर लगता है जब दोनों झड़ने के करीब हुए तो उसने फिर गुड्डी को अपने नीचे कर लिया और कस के चुदाई शुरू कर दी. और गुड्डी भी,... अब दोनों के शरीर के लय ताल सब एक हो गये थे. पहले गुड्डी ने झड़ना शुरू किया, उसका पूरी शरीर पत्ते की तरह कांप रहा था, नितंब अपने आप उठ रहे थे और वो ज़ोर ज़ोर से सिसकियाँ भर रही थी और उसी के साथ उसने भी झड़ना शुरू कर दिया, दोनों साथ साथ...देर तक झाड़ते रहे झाड़ते रहे, जैसे कोई देह वीणा पे सितार बजा रहा हो और झाला बज रहा हो. वो वैसे ही उसके अंदर पड़ा रहा जैसे निकलने की इच्छा ही ना हो. कुछ देर मे सरक कर वो उसके बगल मे लेट गया और दोनों मुस्कराते हुए एक दूसरे को देख रहे थे.
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