RE: Nanad ki training--ननद की ट्रैनिंग
“तेरी बहन की… फुद्दी मारूं…” कहकर कसकर गुड्डी की चूची मसलकर मैं बोली।
“मेरी बहन की तो बाद में देखना पर पहले अपनी फुद्दी बचा…” और वहीं उन्होंने मुझे पलंग पे लिटा लिया और कसकर चूमने लगे।
गुड्डी- “ठीक है आप दोनों अपने काम में लग जाइये और मैं अपने। खाना बनते ही मैं बता दूंगी। भाभी, ब्रेक करके आ जाइयेगा…” और बिना दरवाजा बंद किये वो मुश्कुराते हुये चली गयी।
राजीव तुरंत चालू हो गये। बिना इंतजार किये उन्होंने मेरी शलवार का नाड़ा खोला और… बेताब तो मैं भी हो रही थी। दो राउंड लगातार तूफानी चुदाई के बाद जैसे ही हम सुस्ता रहे थे की आवाज आई- “डिनर तैयार है…”
जब हम लोग बाहर पहुंचे तो दंग रह गये। जिस तरह डिनर लगाया गया था, उसके साथ ही आइस बकेट में एक बोतल भी रखी थी और ग्लासेज भी।
“डिनर तो बहुत सेक्सी लग रहा है…” राजीव बोले।
“और डिनर बनाने वाली?” मैंने छेड़ा।
“वो तो सेक्सी है ही…” हँसकर वो बोले। और वास्तव में टैंक-टाप मुश्किल से उसके उभारों को ढक रहे थे, और टाईट और लो-कट भी थे। उसके निपल साफ-साफ दिख रहे थे। घर में तो वो ब्रा पहनती ही नहीं थी, और स्कर्ट भी घुटने से बहुत ऊपर।
राजीव के पास आकर गुड्डी ने उनके ग्लास में पहले तो आइस क्यूब रखे और फिर बड़े अंदाज से व्हिस्की ढाली। मुझसे उसने पूछा- “भाभी आप क्या लेंगी हार्ड या साफ्ट? अपने लोगों के लिये मैंने कोल्ड ड्रिंक रखा है…”
“अरे मुझे तो हर चीज हार्ड पसंद है। तुझे इत्ते दिन में इतना भी पता नहीं चला। और हां तू कैसी साकी है। दूर से दे रही है गोद में बैठकर दे ना…”
गुड्डी- “लीजिये भाभी, और वो राजीव की गोद में बैठ गयी। साथ में खाने के लिये उसने एक प्लेट में टिक्का और कबाब पेश किये और अपने हाथ से एक टिक्का उठाकर सीधे राजीव के होंठों के बीच बड़ी अदा से दिया और कहा- “लीजिये भैया, मेरे हाथ से बनाया हुआ टिक्का…”
“वाह… ये तो बहुत स्वादिष्ट हैं। पर ये तो चिकेन…” वो खुश होकर बोले।
“तू ने बनाया है चिकेन टिक्का? तू तो प्योर शाकाहारी है, हाथ तक नहीं लगाती थी…” चकित होकर मैंने पूछा।
गुड्डी- “अरे भाभी, आप ही तो कहती थीं ना कि हर चीज को कभी ना कभी पहली बार शुरू करना पड़ता है। तो मैंने भी सोचा की आप और भैया जब मजा लेते हैं तो मैं क्यों पीछे रहूं…” मजे से उनके हाथ से बचा हुआ चिकेन टिक्का लेकर गप्प करती हुई वो इठलाते हुए बोली।
“अरे तो फिर ये चीज क्यों बची है, ये भी चखा दो ना इसको…” राजीव से उनके ग्लास की ओर इशारा करते हुए मैं खिलखिला के बोली।
“एकदम…” और राजीव ने साइड से उसके उभारों को पकड़कर अपनी ओर खींचा, और अपना ग्लास उसके गुलाबी होंठों पे लगाकरके प्रेस किया।
थोड़ा नखड़ा दिखाने के बाद वो गटक गयी। फिर क्या था, उसी ग्लास से हम तीनों… थोड़ी देर में हम तीनों ने पूरी बोतल खाली कर दी और उसके बहुत नखड़े दिखाने पे भी मैं उसको तीन चार पेग पिलवा के ही मानी। हम तीनों ही हल्के नशे में थे। राजीव की उंगलियां अब खुलकर उसके किशोर उभारों पे भटक रही थीं, और उसके बाद जब उसने खाने की डिशेज खोलीं तो… वाकई पूरी दावत थी, तंदूरी चिकेन, मटन कोरमा, बिरयानी।
जब उसने राजीव की प्लेट में एक लेग पीस रखी तो थोड़ा सा खाकर ही वो बोले- “वाह…” और गुड्डी की ओर बढ़ाकर बोला- “ले तू भी तो खा…”
उसने उसको लेकर इस तरह से चाटना करना शुरू किया की किसी मोटे शिश्न को चाट रही हो। फिर एक बार में गड़प कर गयी। मैंने अपना हाथ राजीव की शार्ट में डाला तो उनका मोटा लण्ड ये सीन देखकर के एकदम तन्ना गया था।
“हे, तेरा इंटरकोर्स के बाद क्या इरादा है?” राजीव के लण्ड को मुठियाते हुए मैंने पूछा।
गुड्डी- “भाभी…” चिकेन लेग को उसी तरह चाटते हुए, उसने बुरा सा मुँह बनाया।
“अरे, तेरी भाभी का मतलब है की इंटर का कोर्स के बाद तू क्या करेगी?” राजीव ने बात सम्हाली।
गुड्डी- “ओके… मैं तो समझी थी कि यहां किसी सड़े से कालेज में बी॰एससी॰ करूंगी और क्या? यहां और…”
“हे तू पी॰एम॰टी॰ की कोचिंग क्यों नहीं करती। आकाश कोचिंग में अच्छी जान पहचान है इनकी…” मैंने उसे सलाह दी।
गुड्डी- “पर भाभी, उसका इंट्रेंस बहुत कड़ा होता है और फिर उसमें कहां एडमिशन हो पायेगा…” वो बाली।
“अरे तू उसकी परवाह ना कर, पिछली बार जब वो फंसा था ना पेपर आउट में, उसकी तो मार ही लेते, उस समय मैंने ही बचाया था। साल भर के कोर्स का बहुत अच्छा रिजल्ट होता है, तो मैं करूं ना बात? अरे मेरी ननद कब से कड़े से डरने लगी? और हां तू हमारे साथ रहना, लेकिन पेइंग गेस्ट बनके रहना पड़ेगा, बोल तैयार है?”
गुड्डी- “एकदम भाभी… क्या पे करना पड़ेगा…”
“करना नहीं करवाना पड़ेगा। मेरा मतलब है ‘काम’ करना पड़ेगा…”
गुड्डी- “भाभी, आपकी ये ननद ‘काम’ से भागने वाली नहीं। जित्ती बार कहियेगा उत्ती बार, दिन रात, हमेशा तैयार रहेगी…”
और हम तीनों असली मतलब समझ के हँसने लगे। राजीव ने उसकी आंखों में आखें डालकर पूछा- “पक्का…”
और उसने उनका हाथ कसकर पकड़कर कहा- “एकदम पक्का…”
तय ये हुआ की जब हम लोग होली में आयेंगें तो वो हमारे साथ चलेगी और एडिमशन टेस्ट दे देगी और उसके बाद हम लोगों के साथ साल भर रह के कोचिंग करेगी।
राजीव इतने उत्तेजित थे की वहीं मुझे चोदना शुरू कर देते। मैंने उन्हें समझाया की तुरंत मैं किचेन समेट के ऊपर अभी आती हूं।
पर गुड्डी हँसकर बोली- “नहीं भाभी, आप जाइए ना मैं सब समेट दूंगी…”
“मेरी अच्छी प्यारी ननद, चल कल मैं तेरा सारा बदला चुका दूंगी। लेकिन याद रखना आज कोई कैंडल, उँगली कुछ नहीं। सिर्फ आराम…” मैं भी अच्छी तरह से नशे के शुरूर में थी। मैंने उसके टाप को उठाकर उसके किशोर जोबन कसकर दबा दिये। जब मैंने देखा की राजीव भी उधर देख रहे हैं, तो टाप निपल तक उठाकर उन्हें दिखाते हुए उसे कसकर रगड़ दिया।
उस रात राजीव ने सारी रात मुझे कसकर रगड़ के चोदा। एक मिनट भी नहीं सोये हम, बस चुदवाती रही, चुदवाती रही मैं। राजीव तो अगले दिन सुबह चले गये।
जब वो स्कूल से आई तो मैंने पूछा- “हे मैंने कहा था गन्ने का रस… ले आई?”
गुड्डी- “हां भाभी…” और उसने मुझे दो ग्लास गन्ने का ताजा रस पकड़ा दिया।
“कित्ता पैसा लगा?” मैंने पूछा।
“कुछ नहीं भाभी, फ्री…” हँसते हुए वो बोली।
“क्यों, क्या मेरा नंदोई लगता था? तूने गन्ने वाले को भी यार बना लिया क्या? या उसे चूचियों की झलक दिखा दी जो फ्री में दे दिया…” मैंने चिढ़ाया।
गुड्डी- “अरे भाभी ये सब तो आप अपनी ट्रिक बता रही हैं। असल में वहां नीरज मिल गया। उसने मुझे गन्ने का रस पिलाया और जब मैं ये खरीदने लगी तो उसका भी पैसा उसने दे दिया…”
“अरी वो अपने गन्ने का रस तुम्हें पिलाने के चक्कर में है, लाइन मार रहा होगा…”
गुड्डी- “आपने सही समझा, भाभी। कह रहा था की उसके पैरेंटस तीन चार दिन के बाद 10-15 दिनों के लिये बाहर जा रहे हैं। तब वो ज्यादा फ्री हो जायेगा…” हँसकर वो बोली।
“और वो तेरा यार, जिसके साथ आज मिलन की रात है, मिला था की नहीं?”
गुड्डी- “अरे भाभी, वो तो सुबह ही। पता नहीं बेचारा कब से राह देख रहा था, जैसे ही मैं घर से निकली, उसी समय मिला। मैंने उसे फिर से सब कुछ समझा दिया की ठीक रात के 10:00 बजे जैसे घर की लाइट बुझे…”
“अच्छा तो चल अब चाय पीकर तू दो तीन घंटे आराम कर, आज तेरी पूरी रगड़ाई होने वाली है, उसके बाद मैं तुम्हें तैयार करती हूं…” मैं बोली। और चाय पीकर वो सो गयी और मैं अपने काम में लग गयी।
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