RE: Nanad ki training--ननद की ट्रैनिंग
हम दोनो हँसने लगे. चाय पीते हुए मैं राजीव के लिए बेड टी रख रही थी कि मेरे पेट मे गडगड शुरू हो गयी. मैने उससे बोला, " हे मेरा पेट ज़रा ...मैं बाथ रूम जा रही हू."
" लगता है, कल पीछे भी कस के कुदाल चली है." आँखे नचा के वो शरारत से बोली.
" सब तुम्हारे कारण हुआ, मैने उन्हे ज़रा तुम्हारा नाम लेके छेड़ दिया कि तुम गुड्डी के मस्त चूतड़ देख रहे थे तो मेरी गान्ड..."
" अरे भाभी उनकी प्यारी बहना की गान्ड का नाम लेके छेड़िएगा तो क्या आप की गान्ड बचेगी."
" अच्छा, ज़्यादा बोल रही हो. तुम्हे पीछे वाली क्रीम भी खिलानी चाहिए थी."
" अरे तो खिलाया क्यों नही, मैं बड़े स्वाद से गप्प कर लेती. लेकिन अभी आप जल्दी जाइए."
"अच्छा, मेरे सैंया की प्यारी बहना ज़रा उपर जाके अपने भैया को ये बेड टी की ट्रे पहुँचा दीजिए , और हाँ, चाय के साथ और कुछ मत देने लगना." अब मेरी छेड़ने की बारी थी.
वो चाय ले के चूतड़ बड़े सेक्सी ढंग से मटकाते हुए उपर गयी, और मूड के बोली. " भाभी, अपने तो रात भर दिया तो कुछ नही. अब तो ये तो हम दोनो पे है..."
जब मैं बाथरूम से लौटी तो वो तब तक लौटी नही थी. मैं ब्रेकफ़ास्ट की तैयारी करने लगी. वो थोड़ी देर मे आई.
" हे चुदवाने लगी थी अपने भैया से क्या , जो इत्ति देर लगी." उसके गाल को पिंच कर के मैने पूछा.
" नही भाभी , लेकिन उसके अलावा बाकी सब कुछ..." वो मुस्करा के बोली.
" मतलब, खुल के बताओ वरना मैं....खोल के चेक करूँगी." उसके उभारों पे पिंच करते मैं बोली.
" भाभी मुझे लगता है, भैया कनफ़्यूज़ हो गये , हमारी नाइटी एक जैसी है ना इसलिए, फिर वो थोड़े सोए थे..."
" बताती है भैया की दुलारी या उन्हे डिफेंड करती रहेगी..."
" बताती हू ना, जैसे मैने उन्हे उठाया, उन्होने मुझे अपनी बाहों मे भींच लिया और एक झटके मे नाइटी खींच हाथ मेरी ब्रा पे डाल दिए और उपर से मेरा सीना कस के दबाने लगे. निघट्य तो अलग हो गई और झटका झटकी मे ब्रा भी थोड़ी सी...इसलिए उनके हाथ अंदर जाके मेरे उभारों को कस के दबाने लगे, और आप ने ये नही बताया था कि वो ऐसे सोते ..मेरा मतलब बिना कपड़े "
" तूने उन्हे बताया नही कि...तू, या तुझे भी मज़ा आ रहा था"
" सच पूछो तो भाभी मज़ा तो आ ही रहा था, इस गफलत मे, शुरू मे मैने सोचा कि भैया को खुद पता चल जाएगा कि आप नही है लेकिन उस के बाद मैं बोलने की हालत मे नही थी. मेरे दोनो होंठ उनके होंठों के बीच दबे थे और वो कस कस के चूस रहे थे और फिर जब उन्होने ज़ोर ज़ोर से मेरा सीना दबाना शुरू कर दिया तो....वो तो थोड़ी देर बाद जब वो नीचे हाथ ले गये तब तक मेरे होंठ छूट गये और मैं उनसे बोली कि...फिर हम दोनो अलग हो गये."
" चल तेरे दिन की शुरुआत तो अच्छी हो गयी." उस का गाल सहलाते हुए मैं बोली."
" ब्रेकफ़स्ट मे क्या बनी रही हैं भाभी."
"अभी तो उनके लिए अमलेट बना रही हू उनके लिए, उन्हे नाश्ते मे यही अच्छा लगता है." अंडे फेन्टते हुए मैं बोली."
" भाभी मुझे सीखा दीजिए ना, मैं बना दूँगी."
" तू पर तू तो वेजेटीरीयन है, अंडा..."
" अरे, भाभी बनाना ही तो है कोई खाना तो नही."
मैने उसे समझा दिया और वो बनाने लगी. मैं भी तब तक ब्रेड सेंकने और चाय बनाने लगी. अमलेट बनाते बनाते वो बोली,
" देखो भाभी मिल के काम कितना जल्दी और अच्छा होता है."
" अरे तो सब काम मिल के करना पड़ेगा ननद रानी." मैने छेड़ा.
" अरे आपकी ये ननद पीछे हटने वाली नही है, भाभी. " हंस के वो बोली और तैयार होने के लिए चल दी. जब तक मैने ब्रेकफास्ट लगाया ,
वो स्कूल के लिए तैयार होके आ गयी और राजीव के ठीक सामने बैठ गयी.मैने छेड़ा, " हे सुना है, आज कुछ लोगों की गुड मार्निंग हो गयी."
दोनो मुस्करा दिए. उनकी ओर अमलेट बढ़ाते हुए मैने उन्हे बताया, " हे आज अमलेट गुड्डी ने बनाया है, ऐसे दूँ या ब्रेड मे..."
" ब्रेड के साथ." अख़बार रखते हुए वो बोले. " अरे गुड्डी ने बनाया है. तो जिसने बनाया है वो दे" उसकी ओर देखते हुए वो बोले.
" गुड्डी, आज तुम्ही दो ना अपने भैया को." द्विअर्थि ढंग से मैं मुस्करा के बोली.
" अरे भाभी दे दूँगी .और आज क्या, हर रोज..." उसी अंदाज मे मुस्करा के उसने भी ब्रेड मे ओमलेट लगाते हुए जवाब दिया. उसने जब उनकी ओर बढ़ाया तो सीधे उन्होने मूह मे ले लिया और बचा हुआ वो भी घोंट गयी. आज मैं देख रही दोनो एक दूसरे को खुल के देख रहे थे. उनकी निगाहें एक दूसरे की देह को सहला रही थी और वो तो, खुल के स्कूल ड्रेस मे उसके टॉप से छलकते हुए उसके जोबन को खा जाने वाली निगाहों से देख रहे थे.
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