RE: Nanad ki training--ननद की ट्रैनिंग
चोदते चोदते ही उन्होने उठा के मुझे अपनी गोद मे बैठा लिया और अब वो मुझे पकड़ के उपर नीचे कर के चोद रहे थे. मैने भी उन्हे कस के अपनी बाहों मे बाँध लिया और अपनी रसीली चुचियाँ उनके चौड़े सीने पे रगड़ने लगी. उनके न जाने कितने हाथ हो गये थे और कितने होंठ. वो कभी मेरे निपल मसलते रगड़ते कभी क्लिट, कभी कचकच कर चुची काट लेते,कभी गाल और कभी निपल चूसने लगते. चोदते चोदते ही उन्होने मुझे घोड़ी बना के कस कस के चोदना शुरू कर दिया. और अब हम लोग खूब मस्ती मे बोल रहे थे,
" हे बोल मज़ा आ रहा है चुदवाने मे."
" ओहाँ लग रहा है हाँ ऐसे ही और कस के पेलो, पूरी ताक़त से ओह्ह"
" ले लेमेरा पूरा लंड ले ले"
" दो ..दो हाँ राजा हाँ ऐसे ही ओह चोद चोद दो मेरी चूत."
" लो रानी ओह कैसी मस्त चूत है तुम्हारी ओह्ह"
" ऐसी ही चोदना मेरी ननद की भी बड़ी रसीली चूत उसकी भी है कस के चोद देना साली की बड़ी चुदासि है."
" अरे पहले तू तो चुद, हाँ चोद दूँगा उसकी भी"
" चोद चोद कर भोसडा बना देना उसकी चूत का."
" हाँ रानी हाँ ओह ओह "
और फिर हम दोनो एक साथ झड़ने लगे. बहुत देर तक उनके वीर्य की धार मेरी चूत मे बरसाती रही और मैनें भी निचोड़ कर उनकी एक एक बूँद अपनी बुर मे सोख ली. लग रहा था कोई तूफान गुजर गया. काफ़ी देर तक हम लोग अगल बगल लेटे रहे. फिर उनके चौड़े सीने पे अपना सर रख के मैं बोली, " हे एक बात कहु लेकिन ,पहले बोलो मानोगे."
" अरे तेरी बात टालने की मेरी हिम्मत, बोल ना कभी टाली है तेरी कोई बात." प्यार से मेरे होंठों को चूमते बोले. " अरे तेरे माल के बारे मे.
देखो, आज कैसे तुम्हे खुल के लाइन मार रही थी, अपने जोबन का नज़ारा दिखा रही थी अब तो बिना चोदे उसको तुम छोड़ना मत,लेकिन मैं आगे की बात कह रही थी. होली मे हम आएँगें ना तब उसके भी इम्तहान ख़तम हो चुके होंगे और छुट्टियाँ शुरू हो जाएँगी. तब हम लोग उसको साथ ले चलेंगे फिर मैं उसको तुम्हारी रखैल बनाना चाहती हू."
" मतलब" अब वो उठ के बैठ गये थे .और मैं उनके सीने पे अपने नाख़ून से उनके निपल फ्लिक कर रही थी.
" मतलब ये कि वो तुम्हारी रखैल बन के रहेगी, तुम जब कहोगे , जैसे कहोगे. जहाँ कहोगे , उसकी ले सकते हो, रात मे अपने साथ ही सुलाएँगे तुम्हारा सारा काम भी करेगी."
" वो तो ठीक है, पर तेरा क्या फ़ायदा होगा, जानम." मुझे बाहों मे भर के मेरी चुचियाँ हल्के से दबाते वो बोले. मैं देख रही थी कि अब उनका लंड एक बार फिर से तनतनाने लगा था.
" अरे तुम्हे मज़ा मिलेगा सुख मिलेगा तो मुझे भी तो अच्छा लगेगा. तुम अक्सर दौरे पे चले जाते हो तो मुझे भी क्म्पनि रहेगी..अरे मैं भी उसे भोगुंगी. अभी तो सेक्स ट्वायज़ से काम चलाती हू पर वो साथ रहेगी तो उससे बढ़िया खिलौना और कहाँ... उससे चटवाउंगी, अपना शहद चखाउन्गि उसे..और .."
" सिर्फ़ शहद या खारा शरबत भी..." हंस के वो बोले.
" सब कुछ ...."
" सब कुछ मतलब... शरबत के अलावा भी?"
"और क्या , शरबत के अलावा और भी, ....कुछ भी नही छोड़ूँगी सब कुछ पिलाउन्गि, खिलाउन्गि, पका पकाया, हर चीज़ का स्वाद चखाउन्गि और सीधे से नही मानेगी ना तो हाथ पैर बाँध कर ...जबदर्जस्ति.. सब कुछ ट्रेन कर दूँगी' सब ट्राई कर्वाउन्गि उससे, आख़िर मेरी प्यारी ननद जो है, पर पहले बोलो."
" हाँ हाँ ....एकदम बहोत सही आइडिया है तुम्हारा. "
तो ठीक है कल से ये तुम दोनो का भाई बहन का नाटक बंद अब कल से तुम उसे एक मस्त चुदासी माल की तरह ट्रीट करना."
" एकदम मेरी रानी." मस्त हो के उन्होने अब मुझे अपनी गोद मे बिठा लिया था और कस के मेरी चूंची मसल रहे थे. उनका लंड भी अब खुन्टे की तरह मेरी गान्ड मे धँस रहा था.
" साली खुद ही इत्ति चुदासी हो रही है तो...मैं क्यों ना चोदु" मेरा गाल काटते वो बोले.
" और क्या, एक और बात तुमने देखा कि खाना तो वो अच्छा बनाती ही है, मैने सोचा कि अब वो तुम्हारा सारा काम धाम करे. होली के बाद गोली ( वो नौकरानी जो मेरे मायके से आई थी और जिसका मेरे मायके वाली होने के कारण ये साली की तरह भी इस्तेमाल कर लिया करते थे.) दो महीने की छुट्टी जाएगी. तो वो रहेगी काम मे भी हेल्प रहेगी.
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