RE: Nanad ki training--ननद की ट्रैनिंग
ननद की ट्रैनिंग – भाग 6
(लेखिका - रानी कौर)
" भाभी आप ने अभी ये पाठ तो पढ़ाया ही नही" उन दोनों के चूत चाटने के दृश्य की ओर इशारा कर के वो बोली.
" वो भी बता दूँगी पर अभी इस बैगन से चल के अपने भैया कम यार के लिए बैगनी तो बना, उनके आने का समय होने वाला है." और ये कह के मैने उसकी चूत से बैगन खींच लिया. 'गप्प' की आवाज़ के साथ तो वो निकल आया पर उसकी चूत अभी भी पानी से भरी थी. मुझे एक शरारत सूझी. मैने एक पतली कॅंडी पे उसकी लेसी पैंटी लपेट दी और पूरी तरह उसकी चूत मे घुसेड दी.
थोड़ी देर मे उसने सारा रस सोख लिया. उसकी चूत की दीवारों से रगड़ रगड़ के मैने सारा उसका पानी पैंटी मे लपेट दिया, और निकाल के अपने बेड के पास रख दिया और हम दोनों नीचे किचन मे आ गये. गुड्डी ने जल्दी से बेसन घोला और दोनो अपनी चूत रस से लिपटे बैगन काटने लगी. लेकिन मैं उसको उसी तरह छेड़ रही थी. उसकी स्कर्ट उठा के कभी उसके गोरे चूतडो को सहलाती, कभी जाँघो के बीच मे हाथ डाल के, चूत के दाने को छेड़ देती.
" भाभी करना है तो ठीक से करिए नयी क्या" बनावटी गुस्से से वो बोली.
" ठीक है, मेरी बन्नो चल तू अपना काम कर, मैं अपना काम ." और मैं उसकी टाँगो के बीच बैठ गयी और उसने भी अच्छी तरह अपनी टाँगे फैला दी.
मैने उसकी गोरी गोरी जाँघ पे एक छोटी सी चुम्मि ली और फिर धीरे धीरे धीरे उसे सताते, छेड़ते आगे बढ़ने लगी. मेरी जीभ उसकी जाँघ को सहलाती उसके निचले गुलाबी होंठों तक पहुँच गयी. मैने जान बुझ कर सीधे उसकी योनि को नही छेड़ा बल्कि जीभ से उसके भगोश्ठो को किनारे से सहलाती रही और उपर जाके क्लिट को छेड़ दिया. बेचारी वो, वो चिल्ला पड़ी, " भाभी प्लीज़. करिए ना."
" क्या, मेरी बन्नो" भोली बन के मैने पूछा.
" चुसिये ना कस के मेरी मेरी चूत."
मैं कौन होती थी अपनी प्यारी ननद की इच्छा न पूरी करने वाली. मैने अब एक झटके मे कस के उसकी कसी किशोर चूत को अपने होंठों के बीच मे दबा लिया और लगी कस कस के चूसने. थोड़ी ही देर मे बेचारी की हालत खराब थी. पर मैं, मुझे भी मज़ा आ रहा था उसकी सिसकिया सुनने मे और मैने उंगली से उसके भगोश्ठ फैला के उसकी चूत मे अपनी मोटी जीभ घुसेड दी.सक, बहोत अक्चा लग रहा था उसकी गीली चूत का स्वाद, मैं जीभ को गोल अंदर घुमा रही थी, कभी लंड की त्तरह उसे कस के अंदर बाहर कर जीभ से ही चोदति. अपने होंठ से ही मैं क्लिट भी छेड़ रही थी. थोड़ी देर तक मैं इसी तरह से रस लेती रही. फिर मैने जीभ निकाल के उसकी चूत के पीछे चाटना शुरू किया और जब तक वो सम्हलती, मेरी जीभ उसकी गान्ड तक पहुँच गयी और वहाँ भी मैने कस कस के चुम्मि ली.
बेचारी गुड्डी और उस समय मेरी उंगलियाँ उसकी क्लिट छेड़ रही थी.वह खुद अब अपनी चूत से धक्के मार रही थी. मेरे होंठों ने एक बार फिर उसकी चूत की ओर ध्यान दिया .वह झड़ने के कगार पे थी. उसकी चूत अच्छी तरह गीली हो गयी थी. पर मैं अपनी प्यारी ननद को इते सस्ते मे थोड़ी छोड़ने वाली थी. जब मुझे लगा कि बस अब वो झड़ने वाली है, मैं रुक गयी वो बेचारी पानी से बाहर मछली की तरह तड़पति रही. जब वो थोड़ा रुकी तो फिर मैने कस कस के चूसना शुरू कर दिया. उसकी चूत अब पानी पानी हो गयी थी दो तीन बार कगार तक पहुँचा के मैं रुक गयी पर अब वो इत्ति दीवानी हो गयी थी कि उसने अपने बेसन लगे हाथों से ही मेरे सर को पकड़ के अपनी चूत कस कस के मेरे मूह पे रगड़नी शुरू कर दी अब वह कस कस के, लाज शरम छोड़ के, चीख रही थी.
" भाभी ओह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह्ह ओह्ह, प्लीज़ चूसो... और कस के हन्ंननननननननननननणणन् ऐसे ही चूस लो मेरी चूत हन्णन्न् हाईईईईईईईईईईई कस के चूसो..."
तभी बाहर घंटी बजी. राजीव आ गये थे.
लेकिन ऐसे मे घंटी की आवाज़ कहाँ सुनाई पड़ती. मैने कस के उसकी क्लिट चूस ली और अब वह कस कस के झाड़ रही थी. उसकी चूत के पानी से मेरे होंठ, मेरा चेहरा सब भर गया था. मैने अपनी जीभ उसकी चूत मे डाल के अंदर का भी सब रस चाट लिया. और चूत दुबारा पानी फेंकने लगी. एक एक बूँद मैने अपने होंठो से पी लिया. तब तक दुबारा घंटी बजी.
" आती हूँ " मैं बोली पर उठने के पहले एक बार बचा खुचा चूत रस, मैने फिर से चाट लिया. जोश मे गुड्डी की चुचियाँ भी पत्थर हो रही थी और कड़े निपल तो... साफ साफ टॉप फाड़ रहे थे. मैने कस के उसके निपल पिंच किए और बाहर आ गयी.
राजीव कुछ पूछते, उसके पहले ही मैने उन्हे अपनी बाहों मे भर के कस के चूमना शुरू कर दिया. उनकी बहन का सारा चूत का रस जो मेरे होंठों पे लगा था, उनके होंठों पे लीथेड दिया और अपनी जीभ भी उनके मूह मे घुसेड दी. थोड़ी ही देर मे वो भी कस कस के मेरे चूत रस से लगे होंठों को कस कस के चूसने लगे. शलवार सूट मे मेरे कसे कसे जोबन, मेरे टाइट कुर्ते से झाँक रहे थे. मैने उन्हे कस के अपनी बाहों मे भर लिया और लगी अपने उभार उनके सीने पे रगड़ने. उनका खुन्टा भी उनके जीन्स के अंदर से पूरी तरह सर उठा रहा था. मैने उसे, कस के अपनी जाँघो से रगड़ के अपने इरादे का अहसास करा दिया.
तब तक गुड्डी किचन से निकल के आ गयी. अभी भी, उसके उत्तेजित कड़े कड़े किशोर निपल, टॉप को फाड़ रहे थे और ब्रा के बिना जोबन का उभार साफ झलक रहा था. और उसके दोनों हाथों मे बेसन लगा था.
मैं थोड़ा अलग हो गयी. और राजीव उनकी निगाहें तो उसकी चुचियों को ऐसे घूर रही थी बस लग रहा था ...टॉप फाड़ के अभी चूस लेंगे. उसके बेसन लगे हाथों की ओर उन्होने देखा और फिर मेरे सर मे लगे बेसन की ओर और वो भी जैसे ललचाइ नज़रों से जीन्स मे उठे उनके उभार को देख रही थी.
" क्यों चाहिए क्या." उनके अब पूरी तरह खड़े खुन्टे को मैने हाथ से पकड़ उसे दिखाते हुए पूछा.
" धत्त" वो बोली. दोनो झेंप गये
" मैं तो सिर्फ़ ये बताने आई थी कि पकौड़ी बनाने मे अभी थोड़ा टाइम है"
" कोई बात नही तब तक तुम्हारे भैया कपड़े चेंज कर लेंगे."
जब वो मूडी तो मैने आँखे नचा के उनसे पूछा, " क्यों कैसा लगा स्वाद"
अबकी उन्होने मुझे बाहों मे भर लिया और कस के मेरे होंठों पे बचे खुचे रस को चूम के, गुड्डी के मटकते चूतडो को घुरते बोले, " बहोत स्वादिष्ट." और अपने होंठों पे जीभ फेर ली. जीन्स के उपर से,उनका लंड पकड़े पकड़े मैं उन्हे कमरे मे ले गयी और पैर से मारकर दरवाजा बंद कर दिया. मैं उनके घुटनों के बीच बैठ गयी और उन्होने अपने पैर फैला दिए. लंड तो लग रहा था कि जीन्स फाड़ के ही दम लेगा.मैं उनका इरादा अच्छी तरह समझ रही थी पर मैं भी शरारत के मूड मे थी.
पहले मैने उनका जूते उतारे, फिर मोजे. फिर मैने उनके तलुओं पे किस किया फिर पैरों पे , फिर जीन्स के उपर से किस करते हुए मैं उनके बुर्ज तक पहुँची और बुर्ज के चारों ओर किस किया पर'वहाँ' नही. उनकी हालत देखने लायक थी. मैने फिर धीरे धीरे उनकी शर्ट के बटन खोले और फिर एक साथ शर्ट और बनियान उतार दी. मैं अब खड़ी हो गयी थी. उनकी पलकों पे किस करके मैने उसे मोड़ दिया और फिर हल्के से कानों के लुब्स को काट लिया. मेरी ज़ुबान उनके कानों के अंदर छेड़ रही थी और वहाँ से चुम्मि लेते हुए माब् सीधे उनके सीने पे आ गयी. जीभ से मैने उनके निपल के चारो ओर हल्के हल्के सहलाया, और फिर प्यार से खड़े निपल को हल्के से काट लिया. वो मस्ती से सिसकियाँ भर रहे थे.
थोड़ी देर इसी तरह, उन्हे तड़पाने के बाद मैं फिर उनके पैरों के बीच बैठ गयी और हथेली से जीन्स के उपर से ही उनके खुन्टे को कस के दबा दिया. फिर झुक के मैने अपने होंठो से उनकी जिप खोल दी. उधर मेरे हाथ बेल्ट ढीली कर रहे थे. उनका लंड इत्ते झटके से बाहर निकाला कि मैं भी चौंक गयी.मस्ती के मारे उसकी हालत खराब थी. लेकिन मैने पहले उनके उत्थित लिंग के बेस पे एक चुम्मि ली. छोटी छोटी चुम्मि लेते सुपाडे के ठीक पहले आके रुक गयी. सुपाडा गुस्से से जैसे फूल के आग हो रहा था. मैने उनके बॉल्स को चूमना ,जीभ बाहर निकाल के कस कस के चाटना शुरू किया और मेरा एक हाथ उनके विशाल के लंड को सहला रहा था. वो इत्ता मोटा था कि बड़ी मुश्किल से मेरी मुट्ठी मे आ रहा था.
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