RE: Nanad ki training--ननद की ट्रैनिंग
गुड्डी की चूत दबोचती मैं बोली- “देख ये उंगली कैसे कर रही है? सीख ले उँगली करना। तुम्हारे भैया भी उँगली बहुत अच्छी करते हैं। कभी तेरी की है की नहीं?”
तब तक फिल्म में लड़की ने अपना अंगूठा क्लिट पे लगाकर रगड़ना शुरू कर दिया।
गुड्डी- “धत्त, लेकिन भाभी भैया को आपको उँगली करने की जरूरत कैसे पड़ गयी?”
“अरे एक बार हम लोग बस में जा रहे थे, रात का समय था। बस तुम्हारे भैया, उन्होंने मेरे ऊपर मेरी शाल से ढंका और लगे उँगली करने, पर मैं क्यों उन्हें छोड़ती। मैंने भी उनके पाजामें में हाथ डालकर… पूरी खचाखच भरी बस में हम दोनों झड़ गये…”
गुड्डी- “पर भाभी, आपका ठीक है लेकिन भैया का…”
“अरे पाजामे से बाहर निकालकर शाल में ढंके, मैंने उनका अपनी अंजूरी में रोप लिया…”
गुड्डी- “फिर?”
“फिर क्या, मैं गटक गयी सीधे अंजूरी से…” और हम दोनों हँसने लगे।
अब सामने सीन में एक लड़का भी आ गया था। पहले तो वह उसका लण्ड चूसती रही फिर उसके बाल्स और धीरे-धीरे वह बाल्स और उसके पिछवाड़े के बीच की जगह कस-कसकर चाटने लगी।
गुड्डी- “भाभी ये क्या?”
“हां… अरे ये जगह तो लड़कों के लिये सबसे सेंसिटिव है। पेरीनियम, इसे हल्के-हल्के चाटकर पूरी तरह गीला कर दो, देखना गाण्ड भी मजे में आकर कैसे बुर की तरह दुबकती है…”
तब तक मुझे सामने रखा दूसरा बैगन दिख गया। उसे लाकर मैंने सीधे गुड्डी की बुर में हँसकर घुसा दिया, ये कहते हुये की इसे भी तो मैरिनेट करना है। फिर मैंने उसे समझाया- “इसे अंदर-बाहर मत करना, जैसे तुम्हें समझाया है ना, बस कस-कसकर अपनी चूत सिकोड़ के छोड़ना, बिना छुये। और हां सामने देख, सीख बड़ी अच्छी चीज है ये…”
अब वो आदमी पेट के बल था और लड़की ऊपर। वह उसको कमर से चूमते हुये सीधे उसके नितम्बों तक पहुँच गयी और वहां कस-कसकर चूमने चाटने लगी। उसने कसकर दोनों नितम्बों को फैलाकर बीच में सीधे उसकी गाण्ड पे चुम्मा ले लिया।
गुड्डी- “भाभी, वो तो उसकी…”
“अरे देखती जा मर्दों को बहुत अच्छा लगता है इस तरह…” तब तक उसने उसकी गाण्ड फैला दी थी और एक छोटे से लण्ड की तरह जीभ से उसकी गाण्ड सहला रही थी। चेहरे से लग रहा था की वो आदमी कितना उत्तेजित है, उसका लण्ड पूरी तरह खड़ा हो गया था। उस लड़की ने अचानक उसकी गाण्ड, अपनी कोमल उंगलियों से फैलाकर अपनी जुबान अंदर घुसा दी और अंदर-बाहर करने लगी। धीरे-धीरे उसकी सारी जुबान अंदर थी और क्लोज में साफ दिख रहा था की वो जीभ को गाण्ड के अंदर-बाहर कर रही है।
गुड्डी- “भाभी, वो तो… उसने तो जीभ उसकी गाण्ड में डाल दी…”
“देख, अरे वो मर्द जोश से कैसे पागल हो रहा है…” मैंने जवाब दिया।
गुड्डी- “पर भाभी गाण्ड के अंदर और वो भी जुबान अंदर, वो सब लोग…”
“अरे पगली उस समय ये सब नहीं सूझता। तेरे भैया को भी बहुत अच्छा लगता है ये। और मैं तुम्हें बता दूं की उत्तेजित करने की सबसे तगड़ी तरकीब है ये। जब वियाग्रा भी न काम करे तो ये काम आती है, एन्लिगुअस। एक बार तो तुम्हारे भैया मुझे चोद-चोद के थक चुके थे, 3-4 बार कस-कसकर चोदा होगा उन्होंने और लग रहा था की अबकी फिर से खड़ा होने में टाइम लगेगा, लेकिन मैंने यही किया। उन्हें छेड़ते-छेड़ते पूरी तरह उनकी गाण्ड में जीभ डाल दी और कसकर चाटा, चूसा, और उस समय डर, झिझक, घिन सब गायब हो जाती है बस मजा आता है सिर्फ मजा और वैसे तो लण्ड भी कोई इसी बहाने मुँह में लेने से मना कर सकता है, उससे भी तो?”
गुड्डी- “सच भाभी, भैया को अच्छा लगता है?”
“बहुत… कई बार तो वो आफिस से जब थक के आते हैं तो उनकी पीठ पे मसाज करने के साथ, जब मैं उनकी गाण्ड का रगड़ के मसाज करती हूं और फिर उन्हें छेड़ते हुए वहां चूमकर एनलिंगुअस करती हूं ना तो उनकी सारी थकान तो गायब हो ही जाती है, वो उल्टे पटक के मुझे चोद देते हैं…”
गुड्डी- “तो ये कहीये ना कि आप चुदवाने के लिये ये सब करती हैं। बेकार में मेरे भैया को बदनाम कर रही हैं…”हँसकर वो बोली।
“अरे ये कहो की इसी बहाने मैं तेरे भैया की गाण्ड मार लेती हूं। हां, एक बात और… गाण्ड में उँगली करवाने का भी अलग मजा है। जब वह बहुत देर तक कभी नहीं झड़ते हैं ना और चुदवा-चुदवा के मैं थक जाती हूं ना, तब उनकी गाण्ड में उँगली डालकर मैं उनका प्रोस्ट्रेट दबा देती हूं, ब्लैडर के ठीक नीचे होता है ये और फिर वो ऐसा झड़ते हैं, झड़ते हैं की पूछो मत…” उसकी क्लिट छेड़ते मैं बोली।
इन मजेदार बातों से और सामने चल रहे सीन से उसकी चूत ने कसकर पानी फेंक दिया था। अच्छी तरह गीली हो गयी थी वो।
सामने सीन बदल गया था। एक औरत एक कमसिन लड़की (गुड्डी के बराबर की उमर की लग रही थी वो) के साथ प्यार कर रही थी, उसे बांहो में भर के। कभी वो उसे चूम लेती होंठों पे, कभी कंधे पे और हल्के से उसका गाल सहला रही थी। धीरे से उसने उसके छोटे-छोटे उभारों को सहलाना शुरू किया और अब वो लड़की भी रिस्पांड कर रही थी।
अनजाने में हम दोनों भी वही फालो करने लगे, हमने भी एक दूसरे को किस करना शुरू कर दिया और जब उस औरत के होंठ उसकी कसी चूत तक पहुँच गये थे तो मेरी निगाह घड़ी पे पड़ी। उफ्फ… शाम हो गयी थी और राजीव के आने का समय होने वाला था तो मैं उठ गयी।
कॉन्टिन्यू......................................
|