RE: Nanad ki training--ननद की ट्रैनिंग
सामने स्क्रीन पे वो लड़की लण्ड बाहर निकालकर पहले तो चाट रही थी फिर उसने अपनी दोनों मस्त चूचियों के बीच दबाकर रगड़ना शुरू किया और कुछ देर करने के बाद फिर मुँह में ले लिया।
“हां ऐसे ही, इससे मर्द को कभी ये नहीं लगेगा की तुम थक गयी हो। और हां ज्यादातर लड़कियां पूरा लण्ड मुँह में नहीं ले पाती क्योंकी मुँह 3 से 4 इंच तक गहरा होता है और कहीं तुम्हारे भैया ऐसा लण्ड हो तो और… उसके लिये प्रैक्टिस चाहिये। गले में एक गैग रिफ्लेक्स होता है, उसे ओवरकम करने की प्रैक्टिस होनी चाहिये। हां ऐसे और ऐंगल जरा ठीक से। हां इससे करो फिर कच्चे केले से। 7-8 इंच तक तो मैं घोंट सकती हूं, तुम भी घोंट लोगी…”
तब तक स्क्रीन पे सीन बदल गया था। वह झुक के अपने पैरों और हाथों के बल होकर लण्ड चूस रही थी। तब तक पीछे से एक और आदमी आ गया, वैसा ही तगड़ा, और उसका लण्ड खूंटे सा खड़ा था। उसने पीछे से उसकी कमर पकड़ी और उसकी चूत के मुहाने पे रगड़ने लगा।
गुड्डी का मुँह तो डिल्डो से भरा था, उसने हाथ के इशारे से कहा- “दो-दो…”
मैं मुस्कुरायी। उसके मुँह पे थकान के निशान लग रहे थे तो मैंने कहा- “अब निकाल लो, 7-8 मिनट हो गये हैं चूसते हुये। पहली बार के लिये काफी है, लेकिन रेगुलर प्रैक्टिस करो तो कम से कम 10-15 मिनट तक चूस सकती हो। हां इसके लिये तुम्हें गाल की मसल्स और जबड़े की कुछ रेगुलर कसरत करनी पड़ेगी, वो मैं तुम्हें सिखा दूंगी…” उसके गालों को सहलाते मैं बोली।
गुड्डी- “भाभी, एक साथ दो-दो, बड़ी ताकत है इसमें…” चकित होकर वो बोली।
“अरे तुम मेरी ननद को कम समझती हो क्या? जल्द ही तुम भी एक साथ दो क्या तीन-तीन को घांटने लगोगी…” मैंने उसे चिढ़ाया। उधर वो लड़की फिल्म में कसकर चूस रही थी। उसने पूरा लण्ड घोंट लिया था और दूसरी ओर उसकी चूत में भी दूसरे आदमी ने अपना मोटा लण्ड पैबस्त कर दिया था।
“देख कैसे उसने कम से कम 8 इंच घोंट लिया है। पूरे हलक तक इसे ही डीप थ्रोट कहते हैं, मर्दों को इसमें बहुत मजा मिलता है, तुम्हारे भैया को तो पूछो मत, जब तुम उनका चूसोगी…”
गुड्डी- “भाभी, क्या मैं भी इत्ता मोटा ले पाऊँगी?” हल्की अवाज में वो बोली।
“एकदम… बस तुम मेरी बात मानती जाआ। और मैं जैसे ट्रेनिंग दूं वैसे सीखो…”
“हां भाभी…” वो बोली।
तब तक उस आदमी ने झड़ना शुरू कर दिया था। थोड़ी देर तो वो उसके मुँह में झड़ा और कुछ गाढ़े सफेद वीर्य की बूंदें गिर के उसकी ठुड्डी से होते हुए चूचियों तक पहुँच गयीं। फिर उसने अपनी मोटी पिचकारी की तरह के लण्ड को बाहर निकालकर उसके मुँह और चूचियों पे सारा रस बरसा दिया। वो हँसकर उसे ले रही थी।
“हां, एक बात और… लण्ड झड़ते समय कभी उसे निकालने की जल्दी नहीं करनी चाहिये, क्योंकी उसी समय मर्द को असली मजा मिलता है। और खूब मजे ले-लेकर, स्वाद के साथ उसे घोंट लेना चाहिये और कहीं इधर-उधर गिरे भी ना, तो उसे लेकर चाट लेना चाहिये या चूचियों पे मसल लेना चाहिये। चूचियों के लिये बहुत अच्छा टानिक है ये…” समझा के मैंने कहा।
फिल्म में भी, जैसे वो हमारी बात सुन रही थी, उसने अपने गालों से गाढ़े वीर्य का एक बड़ा सा थक्का हटाया और उसे अपने गुलाबी होंठों पे लगाकरके चाट लिया। पीछे की उसकी चुदाई चालू थी। लण्ड सटासट अंदर जा रहा था। मैंने भी गुड्डी की चूत में डिल्डो अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया। पर तभी मेरी निगाह सामने रखे बैगन पे पड़ी और उसे पकड़कर, डिल्डो निकालकर अंदर कर दिया। चूत अच्छी तरह गीली थी इसलिये एक झटके में आधा बैगन अंदर चला गया।
उधर फिलम में वो लड़की जिस मर्द ने उसके मुँह में चोदा था, उसके लण्ड को पकड़कर सहला रही थी।
“देखो, कैसे प्यार से हल्के-हल्के सहला रही है। याद रखो, लण्ड को चाहे हाथ में लो या मुँह में या चूत में, उसे बहुत प्यार से ट्रीट करना चाहिये…” मैं मुस्कुराकर बोली।
गुड्डी- “हां भाभी, इत्ता मजा जो देता है, हमें…” हँसकर वो बोली।
पर उसकी निगाहें चुदाई पे ही लगी थीं। कैसे उसकी चूत गपागप लण्ड घोंट रही थी, कैसे वो लड़की खुद पीछे से धक्के दे रही थी। क्लोज अप में लग रहा था की जैसे कोई पिस्टन अंदर-बाहर हो रहा हो। मैंने गुड्डी के हाथ में बैगन पकड़ा दिया और अब वो जिस तरह से लण्ड अंदर-बाहर हो रहा था उसी स्पीड से अपनी चूत में उसे घुसेड़ रही थी। मैं गुड्डी की उत्तेजित चूचियों को कसकर मसल रही थी। तभी वो लड़की पोज बदलकर आदमी के ऊपर अ गयी।
गुड्डी- “भाभी ये?”
“अरे देखती जाओ…” मैं बोली।
देखते-देखते वो ऊपर से सारा लण्ड घोंट गयी और फिर क्लोज अप में वो दिखा रही थी की कैसे फुल स्पीड में लण्ड गपागप जा रहा था।
गुड्डी भी उसी तरह अपनी बुर में बैगन को अंदर-बाहर फुल स्पीड में कर रही थी।
तभी उस आदमी ने उसे अपने पैरों से बांध लिया और पहला आदमी पीछे आकर खड़ा हो गया। अब उसने अपना फिर से खड़ा लण्ड उस लड़की की गाण्ड में लगा दिया था। दोनों हाथों से जबर्दस्ती गाण्ड चियार के उसने मोटा सुपाड़ा उसकी दुबदुबाती गाण्ड पे लगा दिया और कमर पकड़कर इत्ता कसकर धक्का मारा की एक बार में ही वो पूरा सुपाड़ा लील गयी। लड़की के चेहरे पे हल्का-हल्का दर्द साफ झलक रहा था। लेकिन बिना रुके उसने दो तीन धक्के और कसकर मारे और आधा लण्ड बड़ी बेरहमी से घुसेड़ दिया। क्लोज अप में कसी गाण्ड में मोटा मूसल सा घुसता लण्ड…
गुड्डी की निगाहें वहीं चिपकी थीं और गुड्डी हल्के से बोली- “भाभी, घोंट पायेगी ये इतना मोटा, पिछवाड़े…”
“अरे देखती जाओ मेरी बन्नो, हम औरतें क्या-क्या कहां-कहां लील सकती हैं, ये हमीं जानती हैं और हां अगर कोई ना-नुकुर करे ना तो इसका मतलब है कि वो छिनारपना कर रही है और जबरदस्ती उसको पेलना चाहिये। तुम्हारे भैया तो कहते हैं- “भरपेट हो… तो गाण्ड मारने का मजा ही और है…” उसकी चूची दबाते-दबाते, निपल कसकर खींचकर मैं बोली।
गुड्डी- “मतलब, भाभी…”
तभी फिल्म में उसने गाण्ड से लण्ड सुपाड़े तक बाहर निकाल लिया। क्लोज़ अप में लण्ड में लगी गाण्ड की मक्खन मलाई भी हल्की-हल्की दिख रही थी। उसने उस लड़की की दोनों चूचियों को कसकर रगड़ते मसलते, एक झटके में ऐसा पेला की उसका पूरा लण्ड जड़ तक समा गया और उसने धका-पेल गाण्ड मराई शुरू कर दी। अब वो लड़की भी, कस-कसकर पीछे की ओर धक्के का जवाब धक्के से दे रही थी।
“समझी मतलब मेरी बन्नो, अपने भैया की बात का… जब एक बार लण्ड अच्छी तरह से गाण्ड में घुस जाता है तो अंदर का लुब्रीकेंट उसे अपने आप मिल जाता है। इसलिये वो कहते हैं की इत्ता अच्छा नेचुरल लुब्रीकेंट कहां मिलेगा। बस एक बार गाण्ड में घुसने की देर थी, देख अब कैसे सटासट गाण्ड मरा रही है…” उसकी क्लिट को छेड़ते हुये मैं बोली।
अब वो दोनों ओर से कस-कसकर चुदा रही थी। जब नीचे का लण्ड बुर में अंदर जाता तो गाण्ड में घुसा लण्ड बाहर आ जाता और जब वो गाण्ड में पूरी ताकत से अपना मूसल अंदर ठेलता तो नीचे वाला बुर से बाहर निकाल लेता।
गुड्डी की आँखें वहीं गड़ी थी और उसका हाथ अपने आप बैगन को उसी तरह फुल स्पीड में बुर में अंदर-बाहर कर रहा था। मैं प्यार से उसके दोनों किशोर उभारों सहला रही थी।
“स्साली कैसे गपागप लण्ड घोंट रही है…” गुड्डी बोली।
मैं मन ही मन बहुत खुश हुई की अब वो भी मेरी भाषा बोलने लगी है, अपने आप ही- “अरी बन्नो, देखना एक दिन तू भी ऐसे ही सटासट घोंटेगी। बस तू मेरी बात मानती रही तो तुझे तो मैं ऐसी ट्रेन्ड करूंगी की बड़ी से बड़ी चुदक्कड़ रंडी भी मात खा जाये…”
मेरी ओर मुड़के सहमति में उसने मीठी निगाह से देखा और मैंने कसकर उसके गुलाबी होंठों का चुम्मा ले लिया। वह कसकर अपने चूतड़ उछाल रही थी। थोड़ी देर में सामने फिल्म में दोनों मर्द झड़ने लगे और उसी के साथ वो भी कसकर झड़ गयी और देर तक झड़ती रही।
सामने दोनों मर्दों ने अपने झड़ते हुये लण्ड बाहर निकाले और उसकी चूचियों और चेहरे पे वीर्य की बारिश कर दी। और फिल्म में उस लड़की ने भी मजे ले-लेकर दोनों का लण्ड, उसमें लगी मक्खन मलाई, खूब प्यार से चाट चूट के साफ कर दिया।
गुड्डी का झड़ना जैसे ही रुका, शरारत से मैंने उसकी क्लिट कसकर रगड़ दी और वो दुबारा झड़ने लगी। मैंने देखा की बैगन उसकी गुलाबी चूत आल्मोस्ट पूरा घोंट चुकी थी। जब वो रुक गयी तो मैंने हल्के से उसकी चूत से रस से लिथड़ा, बैगन निकालकर मेज पे रख दिया। मैंने प्यार से उसे अपनी बांहों में बांध लिया था, मैं उसे दुलरा सहला रही थी। और सामने स्क्रीन पे एक नया सीन चालू हो गया था।
एक लड़की अपने को छू रही थी, थोड़ी देर उसने अपनी चूत पे अपनी हथेली रगड़ी, दूसरा हाथ उसकी चूची पे था। और फिर थोड़ी देर में जब वो जोश में आ गयी तो उसने अपनी बीच की उंगली अपनी चूत में डाल दी और बाकी दोनों उँगलियां चूत के साथ दोनों भगोष्ठों को सहला रहीं थी।
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