RE: Nanad ki training--ननद की ट्रैनिंग
अगले दिन सुबह से ही वो उतावली थी.खूब जम कर नाहया. और मैने उसे हल्का लेकिन जबरदस्त मेक अप भी कराया. उसने अपने स्कूल की यूनिफॉर्म ही पहन रखी थी पर वो पुरानी होने के कारण कसी कसी थी और उसके उभार उभर के दिख रहे थे. दो बजे मैं घर से बाहर निकली उसे बता के कि मैं 6 बजे तक आउन्गि. राजीव तो थे ही नही और उन्हे देर शाम लौटना था.
मेरेनिकलने के तुरंत बाद वो आया." गप्पू है क्या." उसने पहले से तय कोड मे पूछा.
" नही, पर उसकी बहन है." गुड्डी ने इठलाते हुए दरवाजा खोल के कहा.
" उसी से काम चल जाएगा." उसने उसे बाँहों मे भरते हुए कहा.
" बड़े बेसबरे हो. ज़रा दरवाजा तो बंद कर लेने दो." और उसने बाहर का दरवाजा बंद कर दिया. वह उसे अपने साथ घर के अंदर ले आई. " एक मिनट रूको, भाभी अभी गयी है मैं ज़रा पीछे का दरवाजा तो चेक कर लू." दरवाजा तो बंद था पर उसका मतलब सिर्फ़ ये दिखाने को था कि घर मे कोई नही है.
" अच्छा चलो अपने कमरे मे बैठते है और हाँ मैने तुम्हारे लिए ये गुलाब जामुन बनाए है ये तो ले लूँ" कह के फ्रिड्ज से एक डोंगे मे रखे गुलाब जामुन निकाले और उसे लेके अपने कमरे मे चल दी. उसे सोफे पे बिठा के सामने डोंगा रख दिया और खुद सट कर बैठ गयी.
" ये गुलाब जामुन मैने खुद तुम्हारे लिए बनाए है. चलो पहले अपनी शर्ट निकालो, कहीं बुद्धू जी अपनी शर्ट पे रस ना गिरा लें" ये कहते हुए उसने खुद अपने हाथ से उसकी शर्ट निकाल कर उपर टाँग दी.
" मुझे मालूम है कि रस कहाँ गिरना है." मुस्कुरा कर, चिढ़ाते हुए वो बोला.
" दुष्ट चालू हो गये, तुम नही सुधरोगे. तुमने प्रामिस किया था कोई शरारत नही. लो मेरे हाथों से खाओ," कह के उसने अपनी मीठी उंगलियों से एक पूरा गुलाब जामुन उसके होंठो के बीच डाल दिया. गप्प से वह पूरा घोंट गया.
( गुलाब जामुन मे भंग की डबल डोज़ थी और ये बात गुड्डी को भी नही मालूम थी. भंग से जो दोनों मे थोड़ी बहोत हिचक शर्म बाकी होगी, वो भी मैने सोचा था कि ख़तम हो जाएगी.)
" हे, तुम भी तो खाओ." वो चुभलते हुए बोला.
" लेती हू पर आज तुम मेरे मेहमान हो और मेहमान को खुश करना चाहिए लो एक और" और ये कह के उसने एक और उसके मूह मे दे दिया. पर अबकी उसने आधा ही मूह के अंदर किया और उसे पकड़ के बाकी अपने होंठों से गुड्डी के होंठों के बीच डाल दिया. उसके होंठ गुलाब जामुन खिलाने के साथ ही उसके होंठों का रस लेने लगे. जल्द ही गुड्डी उसकी गोद मे थी और वह कस कस के उसके होंठ चूम रहा था, उसकी जीभ मूह मे घुस अंदर रस ले रही थी.गुड्डी ने थोड़ा बहोत छुड़ाने की कोशिश की पर वो जानता था कि वो कोशिश कित्ति असली है.उसके शरारती होंठ, अब बेताब हो कभी उसके गालों को चूमते, कभी होंठों का रस चुसते.उससे छुड़ाते हुए वो बोली, " हे लो एक और खाओ."
" ठीक है पर ऐसे नही, " उसका इशारा समझ गुड्डी ने गुलाब जामुन अपने गुलाबी होंठों के बीच ले उसकी ओर बढ़ाया. अबकी बार उसने अपने दोनों हाथों से उसका सर पकड़ कस के अपनी ओर खींच, उसके दोनों मस्त होंठों को अपने होंठों के बीच ले, कस के दबा दबा के चूसना शुरू कर दिया. अब वह भी धीरे धीरे चुंबन का जवाब दे रही थी.और उसके होंठ, मूह मे घुसी जीभ को हल्के से चूसने लगे. ये रिस्पांस पा के वो और भी उत्तेजित हो गया और टाप के उपर से उसने कस के उसके उभारों को दबाना शुरू कर दिया. मज़े से गुड्डी के उभार भी एकदम कड़े हो रहे थे. एक हाथ टाप के उपर से रगडन मसलन कर रहा था और दूसरा धीरे से टाप के अंदर घुस गया. लेसी ब्रा का स्पर्श पा उसका खुन्टा एकदम तन के खड़ा हो गया और लगा रहा था कि वो पैंट फाड़ के निकल जाएगा. जोश मे उसने, कस कस के, ब्रा के उपर से ही उसके उभार को पकड़ के सहलाना , दबाना शुरू कर दिया. गुड्डी का टाप काफ़ी उपर उठ गया था. अब होंठो को छोड़, उसके गले को चूम रहे होंठ नीचे आके ब्रा मे बंद उसके कबूतरों को छेड़ने लगे. गुड्डी ने नीचे देखा तो पराभासी लेसी, पुश अप ब्रा से उसके उभार खुल के झाँक रहे थे. शरमा के उसने अपनी आँख बंद कर ली. स्कर्ट हट जाने से उसकी किशोर गोरी झंघे झाँक रही थी. उसका एक हाथ अब खुल के उसके किशोर जोबन का रस ले रहा था और दूसरा गोरी गुदाज जाँघो पे आ गया. अपने आप उसने कस के झंघे सिकोड ली. पर जबरन सहलाते सहलाते, उसका हाथ धीरे धीरे आगे बढ़ने लगा. गुड्डी ने कस के उसके हाथ पे अपनी जांघे भींच ली.
उसके एक उरोज हाथ से दबाए मसले जा रहे थे और दूसरे के निपल को ब्रा के उपर से ही वो चूस रहा था. अंगूठा प्यार से जाँघ को दबा रहा था और हाथ धीरे धीरे आगे फिसल रहा था. जैसे स्वागत मे कोई बाँहें फैला दे, गुड्डी की जांघे अपने आप हल्के हल्के खुल गयी. उसके यार की उंगलियाँ पहले तो लेसी डीप कट पैंटी के किनारे से छेड़ती रहीं, और फिर एक बार मे ही उसने अचानक, पैंटी के उपर से ही, उसकी चुनमुनिया को पकड़ कर दबोच लिया. वह मस्ती से गनगना गयी.
पैंटी के उपर से ही वह थोड़ी देर सहलाता रहा, और फिर हल्के से पैंटी सरका कर एक उंगली से वह मस्ती लेने लगा और फिर उन्हे फैला के उंगली का टिप गुड्डी की रसीली योनि के अंदर कर दिया.वह हल्के से अंदर बाहर कर रहा था. मस्ती से गुड्डी की हालत खराब थी. उसके उभार पत्थर की तरह कड़े हो रहे थे, नीचे भी वो गीली हो रही थी. किसी तरह उसने अपने को छुड़ाया और उठ के खड़ी हो गयी. वो सवाल भरी निगाहों से उसे देखता रहा, जैसे किसी बच्चे के हाथ से मिठाई छीन गयी हो.
" मेरे बेसबरे बलम कहीं भागी नही जा रही हू,ज़रा इसको रख आऊ, अभी आती हू." उसके होंठों पे पे गुड्डी ने एक छोटी सी चुम्मि दी और गुलाब जामुन का डोंगा उठा के चूतड़ मटकाते चल दी. लौट के जब वह आई तो उसने मूड के, दरवाजे की सिटकिनी अच्छी तरह बंद कर दी. जब वह मूडी तो, उसकी नाचती आँखे, और गुलाबी होंठों पे ताज़ा लगी, गाढ़ी, लाल लिपस्टिक उसके इरादे साफ थे. शरारत भरे अंदाज़ मे, वह जा के सीधे, घुटने मोड़ के पलंग पे बैठ गयी.
" हे मेरे पास आओ ना यहाँ बैठो." बुलाते हुए वो बोला.
" ना बाबा ना, तुम बहोत तंग करते हो, तुमने प्रॉमिस किया था कि सिर्फ़ बात करोगे लेकिन तुम चालू हो गये." अपने जोबन को और उभारते, शरारत से वो बोली.
" डरती हो क्या मुझसे."
" तुमसे नही लेकिन तुम्हारे उससे"
अपने घुटने और फैला कर, उसके पॅंट फाड़ते उत्थित शिश्न की ओर इशारा करते हुए, वो मुस्कारके बोली. स्कर्ट सिमट कर जाँघो के बिलकुल उपर अ गई थी. और जांघे पूरी तरह फैलाने से, उसके जाँघो के बीच के लोअर लिप्स अब अच्छी तरह दिख रहे थे.
( मैने ही उसे ये ट्रिक बताई थी झलक दिखाने की और उसने जैसा मैने बताया था, वहाँ थोड़ा लिपस्टिक भी लगा ली थी और उसके बाद कोई भी लड़का रुक नही सकता था.)
और यही हुआ, जैसे उसकी नज़र वहाँ पड़ी, उसकी हालत खराब हो गयी.
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