RE: Nanad ki training--ननद की ट्रैनिंग
अगले दिन सुबह मैने उससे पूछा, " क्यों कल रात किसके बारे मे सोच के उंगली की, अपने यार के या मेरे."
वो शर्मा गयी.
" अरे अगर राजीव के बारे मे सोचा तो क्या हुआ, आख़िर वो भी तो तेरे पुराने यार है ." और वैसे भी जानती हो कल रात उन्होने दो बार मुझे, तुम्हे मान के चोदा और क्या जबरदस्त चुदाई की, एक बार चुदवा ले ना राजीव से भी." मैने उसे छेड़ा.
ब्रेकफास्ट पे मैने देखा दोनो एक दूसरे को नयी निगाहों से देख रहे थे. जब वह स्कूल के लिए जा रही थी, तो मैने उसके उभारों को नीचे से छूकर देखा, और बोली. सब चेक चेक है ना.
वह मुस्कुराने लगी. मैं राजीव को सुना कर बोली, मैं देख रही थी ब्रेस्ट मसजर है कि नही.
उस दिन शाम को वो स्कूल से लौटी तो बहोत उत्तेजित थी. बोली, " भाभी वो मिला था और बहोत रिकवेस्ट कर रहा था और उसने चिट्ठी भी दी है, कह रहा था किसी तरह कहीं भी मिल लो बस थोड़ी देर को." मैने चिट्ठी उससे लेके पढ़ी. लिखा था, " खत लिखता हू, खून से स्याही मत समझना, मरता हू तेरे प्यार मे."
" मान गयी. चल कुछ करती हू. तू भी क्या याद करेगी. आज तो मिलेगा ना, म्यूज़िक क्लास के रस्टो मे."
उसने हामी भरी.
" ठीक है मैं तुम्हे ड्राप कर दूँगी. आज इसी स्कूल ड्रेस मे चल चलना. पर ये पैंटी पहन लो. मैं नाश्ता लगाती हू."मैने उसे एक क्रचलेस पैंटी दे दी.
नाश्ते के समय ही मैं उसकी स्कर्ट उठा के उसकी बुर` सहलाने लगी. रास्ते मे कार मे उसकी क्रैच लेस पैंटी मे मे उंगली कर रही थी और उसे समझा रही थी कि उसे क्या कहना है.थोड़ी ही देर मे वह अच्छी ख़ासी गीली हो गयी.मैने उसे समझाया, " देख, अपने इन उभारों के बारे मे ज़रूर उससे बात करना.थोड़ा तड़पाना, अदाएँ दिखाना, और फिर मिलने के लिए मान जाना." उसके मम्मों को मसल कर और निपल्स को पिंच करते मैने कहा. जोश से उसकी चुचियाँ एकदम पत्थर
हो रहीं थीं और निपल्स भी खड़े खड़े दिख रहे थे. अब मैं कस कस के, उसकी कसी चूत मे उंगली कर रही थी .वो सिसकियाँ भर रही थी. मैने अपने अंगूठे से उसके क्लिट को रगड़ना शुरू कर दिया. वह एकदम झड़ने के कगार पे थी. तभी हम वहाँ पहुँच गये जहाँ उसे उतरना था. उसका यार इंतजार कर रहा था. मैने उसे उतरते हुए कहा, " जा. अब आगे का कम उसीसे करवा...."
वह मेरे देखते देखते' अपने शार्ट कट से चल दी, जो लम्बे लम्बे गन्ने के खेतों के बीच से जाता था. मेरे घर लौटने के थोड़ी देर बाद, वो वापस आ गयी.
" हे क्या हुआ, क्लास नही हुआ क्या."
" नही भाभी. आज गुरुजी कहीं बाहर गये थे. इसीलिए"
" अच्छा, तो फिर तुझे इत्ता समय कहाँ लग गया. कहीं गन्ने के खेत मे अच्छा चल बता क्या बातें हुई." उसके किशोर उभारों को छेड़ते मुस्खूऱा कर मैने कहा.
" भाभी पहले तो मैने मना कर दिया, वह बेचारा इत्ता उदास हो गया कि फिर मैने ह्ँस के कहा ठीक है कल मिलते है. कल भैया दिन मे घर पे नही है, मेरी भी छुट्टी है और भाभी को कल दो बजे से दो घाण्टे के लिए जाना है, तुम बाहर खड़े रहना और जब भाभी चली जाय तो आ जाना. हाँ लेकिन तुमने बात चीत के लिए कहा था, इसलिए सिर्फ़ बातचीत करना. तंग ज़रा भी मत करना. पिछली बार तुमने पिकचर हाल मे इत्ता तंग किया था, अब तक दर्द हो रहा है, मैने अपने उभारों की ओर देखते हुए बोला."
" तो क्या हुआ, आगे बोलो ना." मै बड़ी बेताब थी.
" अरे भाभी वो इत्ता खुश हुआ कि जैसे उसकी लाटरी लग गयी हो. मुझे पकड़ के कस कस के चूमना शुरू कर दिया."
" अरे कल लाटरी तो लगेगी ही, बोल देगी कि नही उसको."
" धत्त भाभी, कल देखा जाएगा, वैसे वो बेचारा छ: महीने से ज़्यादा से पीछे पड़ा है." और शरमाती हुई वो कपड़े बदलने चली गयी.
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