RE: Nanad ki training--ननद की ट्रैनिंग
" छीनाल, पूरी बात बतानी पड़ेगी और सिर्फ़ बतानी नही पड़ेगी बल्कि इंटर्वल के बाद भी वही चलना चाहिए, मेरे सामने जो अब तक चल रहा था. वरना तेरी शर्ट खोल के तेरे यार के हाथ मे तेरे मम्मे पकड़ा दूँगी." अब मैं पूरे रंग मे आ गयी थी.
" अरे भाभी, वो तो खुश हो जाएगा. ठीक है, जैसा आप बोले." तब तक पिक्चर शुरू हो गयी.
अंदर पहुँच कर हम लोग पॉप कार्न खाने लगे . थोड़ी देर मे मैने देखा कि गुड्डी ने जो रोल वो खा रहा था वह उसके हाथ से ले,रोल उसे दिखाते हुए ऐसा चाटा जैसे वो कोई मोटा शिश्न चाट रही हो. उसको चिढ़ाते हुए, रोल का उपर का हिस्सा, खूब बड़ा सा मुँह खोल कर जैसे लंड चूस रही हो, गडप कर गयी . मैं अपनी मुस्कान नही रोक पाई. मैने अपना शाल निकाल कर ओढ़ लिया और उन दोनों से भी कहा कि ओढ़ लें, जाड़ा लग रहा है. थोड़ी ही देर मे शाल के अंदर उनका कार्यक्रम फिर चालू हो गया.
घर लौट कर मैने उससे एक एक बात खोद खोद कर पूछी. उसने माना कि उसकी जींस के अंदर उसके यार ने हाथ डाला था पर जब मैने ये पूछा कि उसने उसका हथियार पकड़ा था कि नही और कितना मोटा और बड़ा है, तो वो शरमा गयी. मैं कहाँ छोड़ने वाली थी. उसने अंत मे कबुल किया कि पैंट के उपर से उसने पकड़वाया था और उसने हल्के से दबाया भी था. जीजा के ही साइज़ का लग रहा था और बहोत कड़ा था.
उसका कमरा मैने सेट कर दिया था. एक फुल साइज मिरर वाला ड्रेसिंग टेबल जिसपर मेक अप के सारे समान, खिड़कियों पे पिंक परदे, बेड पे एक सिल्कन गुलाबी बेडशीट, और फिर मैं अपनी " किताबों' का कलेक्शन ले आई, और उसकी टेक्स्ट बुक्स की जगह लगा दिया. उसने पास आ के पूछा," भाभी ये कौन सी किताबे है."
" जब तक तुम यहाँ हो यही तुम्हारी टेक्स्ट बुक्स हैं और रोज तुम्हे ध्यान लगाकर पढ़ना और मैं रोज तुम्हारा टेस्ट लूँगी, और हम एक किताब रोज अपने स्कूल बैग मे भी ले जाना. जिससे जब समय मिले तो वहाँ भी पढ़ाई कर सको." हँस के मैं बोली.
उसने देखा. किताबों मे, हाउ टू बिकम आ सेन्ल्युवस वुमन, आर्ट ऑफ सेक्स, हाउ टू प्लीज़ आ मॅन, सचित्र कामसुत्र, असली कोक शास्त्र, ऐसी देर सारी किताबों के साथ साथ, एक दरजन मस्तराम की कहानियाँ और चुदाई के कई एलबम, प्लेब्वाय, हसलर,हयूमन डाइजेस्ट और अगड़ाई ऐसी मॅगज़ीन थी. उसकी टेबल पर भी मैने प्रेम पत्र कैसे लिखे रख दिया. एक कॅंडल स्टॅंड मे एक खूब मोटी सी एक फुट लंबी मोमबत्ती लगा दी और उसके गाल पे चिकोटी काट के बोली,
" और बन्नो, ये मोमबत्ती, जलाने के लिए नही आग बुझाने के लिए है." और बगल मे वैसलीन का जार रखती हुई बोली, और हां कुछ भी डालने के पहले इसे इस्तेमाल करना मत भूलना."
शाम को राजीव थोड़ी देरी से आए लेकिन आते ही उतावले हो गये. हम लोगों ने जल्दी डिन्नर किया और उपर जाते हुए वो बोले, हे जल्दी आना. उनकी बेताबी देख के वो अपनी मुस्कान नही रोक पाई. जल्दी काम समेट के मैं दूध का एक ग्लास लेकर अपनी ननद के कमरे मई गयी. वो बोली, " भाभी, मैं दूध नही पीती और आज आप इत्ति जल्दी? क्या बात है."
" अरे दूध नही पियोगी, तो यारों को दूध कैसे पिलाओगी मेरी जान." उसके मम्मों को मसलती मैं बोली. और उसकी किताब बंद करके, मैने अलमारी मे रख दी और वहाँ से मस्तराम की दो किताबे निकाल कर देते हुए कहा, " अब रानी बायलोजी बंद कर सेक्शोलॉजी पढ़ो. और हाँ सोने के पहले उंगली करना मत भूलना. और ये तुम्हारे उपर है कि तुम अपने यार के बारे मे सोचती हो या मेरे सैया के बारे मे."
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