RE: Nanad ki training--ननद की ट्रैनिंग
तब तक दुलहा दुलहन कार मे बैठ चुके थे और दोनो दौड़ कर आगे आ गये. मौका देख के मैने अपने नंदोई जी से पूछा, " कल तो आपने दुबारा नंबर लगा दिया."
हंस के वो बोले. " और क्या, और खूब रगड़ कर और अब तुम्हारी ननद कितनी चुदासी है पूरे शहर मे मशहूर हो जाएगा, जब वो मस्त होकर चीख कर चुदवा रही थी तो सब कैटर्स सुन रहे थे और कयि तो झाँक भी रहे थे, और ये तो सब के पार्टियों मे जाते है और खबर फैलाते है इसलिए 10 दिन मे देखना,"
विदाई होने के साथ ही एक एक कर सारे रिश्तेदार जाने लगे और घर जो इत्ता भरा भरा लग रहा था, एकदम खाली लगने लगा जब नंदोई जी जा रहे थे तो वो गले मिले और कान मे बोले, " मान गये तुम्हे, मेरी गुरु हो"
" तो मेरी गुर दक्षिणा"
" होली मे आउन्गा तो दूँगा और होली मे आओगी ना" और कस के अपने शिश्न को मेरी कमर के नीचे रगड़ते बोले. तब तक राजीव वहाँ आगये थे. उन्होने मेरी ओर से जवाब दिया कि होली मे हम लोग ज़रूर आएँगे. मैं समझ गयी कम्मो के बारे मे जो उनकी प्लानिंग थी. मैने भी कहा हाँ.
मैने देखा कि मेरी छोटी ननद अपने कमरे मे उदास अकेले बैठी थी. मैने उसकी ठुड्डी पकड़ के उठा के कहा,
" अरे मेरी बन्नो, दीदी के जाने से उदास हो या जीजू के."
" धत्त, भाभी आप को तो हमेशा मज़ाक सुझता है." हल्के से हंस के वो बोली.
" अरे, पगली अभी ख़लील के पेमेट के लिए भी जाना है, और वो रास्ते मे तुम्हारा यार मिलेगा , उसके कल के खत का जवाब भी तो देना हैचल उठ."
" हाँ भाभी, मैं तो भूल ही गयी थी, मैं लेटर पॅड निकालती हू और ज़रा हॉट लिखिएगा." अब उसके चेहरे पे चमक वापस आ गयी थी.
लेटर लिख के..मैने उसकी ओर बढ़ाया," हे चल साइन कर"
"पर भाभी आप ने तो मेरी हॅंड राइटिंग मना किया था."
"अरे बुद्धू होंठों से साइन कर ना." मैं हंस के बोली और लेटर बढ़ा दिया.
उसने अपने लिपीसटिक लगे होंठो को कस के लेटर के अंत मे दबा कर साइन कर दिया. जब हम लोग बाहर निकले तो मैने उससे कहा कि हे चल आज रिक्शे से चलते है तेरे यार का साथ रहेगा. और सचमुच जैसे ही हम लोग रिक्शे से निकले,
थोड़ी ही देर मे पीछे साइकिल पे वो था. मैने कनखियों से देखा, वो बार बार पीछे मुड़कर देख रही थी और
नैन मटक्का चालू हो गया था. मैने फुसफुसा कर बोला, " हे चारा डाल"
उसने आँखों से इशारा किया, और देखते देखते वो हम लोगों के रिक्शे के बगल मे आ गया था. अब वह बहोत बोल्ड हो गया था, और उसने हल्के से उसके दुपट्टे को पकड़ लिया. गुड्डी ने , जैसे मेरी आँख बचाकर, चिट्ठी
निकाली और उसे दिखाकर रुमाल मे रख, पहले तो अपने सीने से लगाया और फिर चूम कर उसे हाथ बढ़ा के पकड़ा दिया.
बीच मे भीड़ भाड़ के कारण वो शायद पीछे हो गया, पर हमारे बाबी टेलर्स तक पहुँचने के पहले वह फिर हमारे साथ था. अब मेरी ननद भी बेताब हो बार बार मूड मूड के देख रही थी. पास आके उसने उसकी ओर एक गुलाब की कली फेंकी जो सीधे उसके उभारों पे लगी.हंस के मेरी ननद ने उस गुलाब को पहले तो होंठो से लगा लिया और फिर उसे दिखाते हुए,
अपने कुर्ते की टॉप बटन खोल के अपनी ब्रा के अंदर रख लिया.
जब हम लोग टेलर के यहा पहुँचे तो वो बाहर खड़ा रहा. हमे ख़ास तौर पे मेरी ननद को देख के ख़लील के चेहरे पे चमक दौड़ गयी. हमने बहोत तारीफ़ की. मैने पेमेट करते हुए कहा, ये तो आपकी फीस है, इनाम मेरी ननद से वसूल कर लीजिएगा.
उस समय दुकान पे कई और लोग बैठे थे. बेचारे ख़लील वो ललचाई नज़रों से देख रहा था.
" बाद मे इनाम दे दूँगी बकाया नही रखूँगी."
"मैं इंटरेस्ट के साथ लूँगा." उसके किशोर उभारों को घूरते हुए, वो धीमे से बोला.
" मुझे मालूम है कि मेरी ननद की किस किस चीज़ मे आपको इंटरेस्ट है, जल्द ही मैं आउन्गि अपने ब्लाउज का नाप देने और इसको भी टॉप सिलवाना है."
जब हम बाहर निकले तो वो खड़ा था.मैने उसे छेड़ा," तेरे यार मे खड़े रहने की ताक़त काफ़ी मालूम होती है."
" और क्या भाभी, असली सीज तो वही है, कित्ति जल्दी और कित्ति देर खड़ा रह सकता है" हँसके वो बोली.
" पूरी एक्सपर्ट हो गयी है."
" भाभी, आपकी ट्रैनिंग का नतीजा है."
हम लोगों ने तय किया कि पास के किसी रेस्टोरा मे चल के समोसे खाते है. उसने बताया कि पास मे बारात रेस्टोरा है, वहाँ के समोसे अच्छे है हम लोग वहाँ चल के बैठे. जैसा हम लोग सोच रहे थे, थोड़ी देर मे वो भी आ गया और पास की एक टेबल पे बैठ गया.
हम लोगों ने आर्डर दिया और कुछ देर मे उसको सुनाके, वो बोली, " भाभी, कल पिक्चर चलते है ना, 12 से 3 सूरज टाकीज़ मे."
" नही नही कल तुम्हारे भैया भी नही रहेंगे" मैने बहाना बनाया.
" मेरी अच्छी भाभी, प्लीज़ भैया नही रहेंगे तो और अच्छा है, हम लोग मौज मस्ती करेंगे. परसों से तो मेरा स्कूल चालू हो जाएगा."
" अच्छा ठीक है, तू इत्ता कह रही है तो , पर पिक्चर कौन सी लगी है."
" देखती हू, रिवाल्वर की रानी अरे भाभी मज़ा आएगा कोई भी पिक्चर हो और इसमे तो भीड़ भी नही होगी." टेबल पर पड़े, एक लोकल अख़बार मे देखते हुए वो बोली.
" ठीक है तेरी मर्ज़ी." समोसा ख़तम करते मैं बोली.
" कल 12 से 3, सूरज टाकीज़," उसको सुनाते हुए वो बोली.
जब मैं काउन्टर पर बिल दे रही थी, तो वो उसके टेबल के पास रुक गयी, जैसे उसकी कोई चीज़ गिर गयी हो और फुसफुसाकर, बोली. " कल 12 से 3, सूरज टाकीज़"
शेष भाग मेअगर आप ये जानना चाहते हों टाकीज़ मे क्या हुआ , क्या मेरी ननद का उसके यार के साथ, या बाबी टेलर्स के ख़लील या फिर राजीव आगे उसकी ट्रैनिंग कैसे हुई.तो अपने विचार लिखे.
- रानी
कंटिन्यूड…
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