RE: Nanad ki training--ननद की ट्रैनिंग
मैं भी भाभी एकदम बेशरम हो के उसे चूसने लगी और फिर उन्होने अपनी दूसरी उंगली भी चुसवानी शुरू कर दी,
और कुछ देर मे दोनो उंगली निकाल के उन्होने मेरी बुर मे घुसेड दी.
" नही जीजू, नही एक साथ दोनो नही" मैं चीखी.
" अरे देखती जा तू" वो बोले और पहले टिप फिर बीच के पोर तक उन्होने दोनों ज़ोर लगा के घुसेड दी और फिर उसे धीरे धीरे गोल गोल मेरी बुर मे घुमाने लगे. थोड़ी देर मे मस्ती के मारे मेरी बुरी हालत हो गयी. नशे मे मेरी आँखे बंद हो रही थी. वह कभी गोल गोल, कभी कस के अंदर बाहर लंड की तरह मेरी चूत पानी पानी हो रही थी. बस मन कर रहा था, जीजू चोद दे. उनका मोटा कड़ा लंड अब मेरे चूतड़ से ठोकर भी मार रहा था. अब मुझसे रहा नही गया और बोल पड़ी,
" जीजू, प्लीज़ करो ना"
" क्या करू, खुल के बोल.साली."
" डाल दोना, जीजू चोद दो ना."
" अरे कस के बोल ना, मुझे सुनाई नही पड़ता खुल के बोल." और जीजा ने कस के मेरी क्लिट भी मसल दी.
अब तो मेरी चूत मे आग लग गयी. मैं कस के बोल पड़ी, " जीजू, अरे कस के चोद, चोद दे अपनी साली की चूत प्लीज़ जीजू चोदो ."
जीजू आस पास लुब्रीकेंट ढूंड रहे थे, पर कुछ नज़र नही आ रहा था. पास मे मलाई रखी थी उन्होने वही लेके अपने मोटे मूसल मे खूब पोत ली, और फिर मेरी चूत मे लगा के कस के धक्का मारा. एक ही धक्के मे उनका मोटा सुपाड़ा मेरी चूत मे समा गया. दर्द से मेरी चीख निकल गयी. पर वह कस के धकेलते रहे, घुसेड़ते रहे जब तक पूरा उनका मोटा लंड मेरी चूत मे नही समा गया. अब वह कस कस के मेरी चूंची मीजते, दबाते, कभी मेरी क्लिट छेड़ते. जल्द ही मेरा दर्द मज़े की सिसकियों मे बदल गया. भाभी, जीजू इत्ति जबरदस्त चुदाई कर रहे थे कि पूछो मत. पूरा लंड बाहर तक निकाल कर एक धक्के मे पूरा अंदर धकेल देते. जब चूत के अंदर सॅट सॅट कर रगड़ रगड़ कर जाता तो मज़े और दर्द से मेरी जान निकल जाती.
" फिर क्या हुआ" मैं भी उत्तेजित हो गयी थी और कपड़े उतार के उसके साथ टब मे घुस गयी.
" थोड़ी देर बाद उन्होने मुझे वैसे ही, लंड अंदर डाले उठा लिया और ज़मीन पे लिटा दिया. और उन्होने मुझे आलमोस्ट दुहरा कर दिया. मेरी चूत एक दम चिपक गयी थी और अब जैसे ही उन्होने सुपाड़ा पेला दर्द के मारे मेरी चीख निकल गयी. भाभी जीजू इत्ते दुष्ट है, उन्होने मिठाई की एक ट्रे से लड्डू निकाल के मेरे मूह मे डाल दिया. अब मैं चीख भी नही सकती थी. अब वो पूरी ताक़त से चोद रहे थे. उस दिन आप और अल्पी कह रही थी ना, कि दूसरी बार की चुदाई मे ज़्यादा टाइम लगता है बस वही. दर्द से मैं गान्ड पटक रही थी, मिट्टी मे अपने चूतड़ रगड़ रही थी पर वो. कभी पूरा लंड मेरी बुर मे डाले गोल गोल घुमाते, अपनी कमर से रगड़ते और कभी पूरा निकाल निकाल के फ़चा फ़च चोदते और साथ मे कस के मेरी चूंची मसल के रगड़ के "
मैने उसके उभारों को कस के दबा के पूछा, "क्यों ऐसे."
हंस के दुगुनी ताक़त से उसने मेरी चूंची दबा के वो बोली, " नही भाभी ऐसे. भाभी, मैं कम से कम दो बार झड़ी होउंगी, उसके बाद जीजू झाडे. और बहोत देर झड्ने के बाद भी जब उन्होने लंड बाहर निकाला तो उसमे इत्ता वीर्य बचा था कि उसे दबा के उन्होने मेरे चेहरे और जोबन पे कस के वीर्य मसल दिया. जब हम लोग बाहर निकले तो पॅकिंग पूरी हो गयी थी और जैसा मैने कहा कि दीदी की जेठानी ने कहा कि वो बाँट देंगी, तो मैं यहाँ आ गई.'
" अच्छा चलो, अब तुम्हे साफ सुथरा तो कर दू." साबुन ले के उसकी चूंचियों चूतड़ हर जगह मैने कस कस के मला और फिर ठंडे पानी के शावर से हम दोनों साथ साथ नहाए. नॉजल लेके चूत की दरारों के बीच मैने ख़ास कर के साफ किया. जगह जगह वीर के निशान थे उसे रगड़ के साफ किया. मुलायम तौलिए से रगड़ के हम लोगों ने एक दूसरे को सुखाया. फिर मैने उसके गालों ब्रेस्ट हर जगह क्रीम लगाई और जहाँ नाख़ून और दाँत के निशान थे, वहाँ नो मार्कस लगा दिया. हाँ जान बुझ कर गाल पे जो सबसे बड़ा निशान था और चूंचियों पे उपर के हिस्से पे जो निशान थे, वो छोड़ दिए. आख़िर कुछ तो निशान रहे जीजा से चुदाई का.
मैने एक क्रीम निकाली, जो मेरी भाभी ने दी थी, मेरी सुहाग रात के पहले अगले दिन सुबह लगाने को. उसकी बुर फैला के मैने कस के अंदर तक क्रीम लगाई, और कुछ बाहर उसके पुट्तियों पर भी लथेड दी.मैने उसे बताया कि इस क्रीम के तीन फ़ायदे है, एक तो इससे दर्द एकदम ख़तम हो जाता है. और दूसरे, इससे कित्ता भी चुदवाओ, चूत वैसे ही टाइट बनी रहती है, साथ साथ इसमे स्परमसाइडल असर भी होता है और वह भी ऐसा कि चुदाई के 12 घंटे बाद भी लगाओ तो पेट ठहरने का ख़तरा नही रहता. हाँ एक बात मैने उसे नही बताई, कि इससे चूत के अंदर एक मीठी मीठी खुजली उठती है और लगाने के बाद लड़की एकदम चुदासी रहती है.
गुड्डी ने एक धानी रंग का शलवार सूट पहना और अंदर एक सफेद टीन, हाल्फ कप पुश आप ब्रा जो उसके उभारों को और उभार के दिखा रही थी. मैने हल्का सा उसका मेक अप भी कर दिया, लकी गुलाबी लिपस्टिक, थोड़ा सा गालों पे रूज और पतला सा काजल और उसके चुतडो तक उसकी चोटी तो गजब ढा रही थी. जब तक मैं तैयार हुई, बाहर दरवाजे से मेरी जेठानी और देवरानी गूंजा तकथक कर रही थी. जैसे उन्होने हम दोनों को साथ देखा तो चिढ़ाने लगी ,अच्छा ननद के साथ अकेले अकेले मज़ा लूटा जा रहा था.
मैं हंस के बोली नही नही आप लोग भी आइए ना. तब तक बाहर से आवाज़ आई कि लड़के वाले विदाई के लिए आ रहे है फिर उन लोगों को तैयार होने के लिए छोड़ के हम दोनो निकल आए. मैं मंडप मे बिदाई की तैयारी करने मे जुट गयी.थोड़ी ही देर मे दूल्हा, अपने भाइयो, बहनों के साथ आया. मैं मंडप मे लड़की के साथ ही बैठी थी. उधर मैने देखा कि गुड्डी दूल्हे के उस कजन के साथ बात कर रही थी जो रात मे उसे छेड़ रहा था. सादे शलवार सूट मे वह गजब की लग रही
थी. उसका कैशोर्य, भोलापन और जवानी की आहट, गर्दन की ज़रा सी जुम्बिश की अदा, और वह बार बार अपना दुपट्टा जिस तरह संहालती, हल्के से मुस्कुराती
उधर मंडप हिलाने और विदाई की बाकी रस्मे चल रही थी साथ ही रोना भी चालू होगया. मैने उधर ध्यान दिया. कि क्या बाते हो रही थी. वो लड़का बोला, " अरे, दीदी की इत्ति याद आरहि है तो तुम भी साथ चलो ना."
" अरे दीदी तो जीजा जी के साथ चिपकी रहेंगी, और मैं" मुस्करा के,दुपट्टे को मूह मे दबा के वो बड़ी अदा से बोली.
" अरे मैं हू ना तुम मेरे साथ चिपकी रहना."
"धत्त" वो शर्मा गयी और ब्लश से उसके गालों पे गुलाब खिल गये.
तब तक दूल्हा दुल्हन भी बाहर निकलने के लिए वहाँ आगये. उस लड़के ने दूल्हे से कहा, " भैया इनको अपने दीदी की बहोत याद आ रही है, इनको भी साथ ले चले."
दूल्हे ने हंस के कहा, " मैं तो अपनी साली जी का साथ दूँगा, इनको ले चलना है तो तुम्हे शहनाई और बाजे के साथ आना होगा."
सब लोग हँसने लगे और वह और झेंप गयी. बात बदल कर उसने दूल्हे से कहा, " जीजा जी होली मे ज़रूर आईएगा, कुछ ही दिनों मे तो है.",
" और, इसको भी साथ ले आउन्गा." और दूल्हे ने हामी भरते हुए, उस लड़के कीओर इशारा करते हुए कहा. दूल्हा और बाकी सब लोग आगे बढ़ गये और वो दोनों पीछे रह गये. मैं ज़ोर लगाकर उनकी मजेदार छेड़छाड़ सुन रही थी.
" होली मे आउन्गा तो बिना डाले छोड़ूँगा नही, मना तो नही करोगी." वो हल्के से बोला.
" जैसे कि बड़े सीधे है, मेरे मना करने से मान जाएँगे" वो हंस के बोली.
"डरोगी तो नही मेरी पिचकारी से." अब वह खुल के द्वियार्थी डायलाग बोल रहा था और उससे चिपक गया था.
" मैं नही डरने वाली, ना तुमसे ना तुम्हारी पिचकारी से होली मे देखना क्या हालत करती हू तुम लोगों की, देखा जाएगा कौन डालेगा और कौन डलवायेगा, भूल गये वो नमक की चाय और जबरदस्त गालियाँ." आँख नचाके मुस्काराके वो अदा से बोली.
" हाँ, तुम्हारा नमक खाया है, तुमसे किया वादा कैसे तोड़ सकता हू, पर होली तक इंतज़ार करना पड़ेगा."
"इंतजार का फल मीठा होता है." वो बड़ी अदा से बोली.
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