RE: Nanad ki training--ननद की ट्रैनिंग
वह जब तक रज़ाई ले आई मैने सोफे को चौड़ा कर के बेड बना दिया था और साड़ी उतार रही थी"हे, भाभी आप साड़ी"
" अरे साड़ी पहन कर मुझे नींद नही आती बल्कि जब से शादी हुई है शायद ही किसी दिन मे कुछ पहन के सोई हू फिर इस सोफे पे कपड़े क्रश भी हो जाएँगे. चल मैं टाप लेस हो गयी हू तू भी हो जा, साड़ी सम्हाल कर रखते हुए, मैने उसे छेड़ा.
" अरे भाभी आप कहाँ टाप लेस हुई है ब्लौज तो अपने पहन ही रखा है," बत्ती बंद करते हुए हँसते हुए वो बोली.
" चल तू भी क्या याद करेगी," और मैने अपना ब्लौज भी उतार दिया और जैसे वो पास आई उसका भी टाप खींच के उतार दिया और उसे अपने साथ रज़ाई मे खींच लिया और कस के भींच लिया. अब हम दोनो ब्रा मे थे. उसकी ब्रा उपर से दबाते
मैने पूछा, " हे , जीजू ने दबाया क्या"
"और क्या छोड़ेंगे, भाभी मसल कर रख दिया."
"देख तेरी सहेली तुझ से पहले चुद गयी और अब होटेल के कमरे मे रात भर चुद रही होगी." उसकी नंगी पीठ सहलाते मैने छेड़ा.
" अरे भाभी चुद तो मैं उससे भी पहले जाती, पर वो दुलारी जो आ गई, जीजू तो बेताब हो रहे थे."
" चुदने से तो तुम बचने से रही, कल तो फट ही जाना है, इसेपर मेरी दूसरी शर्त तो तुम भूल ही गयी." स्कर्ट के उपर से उसकी बुलबुल को प्यार से दबोचते हुए मैं बोली.
" कौन सी दूसरी शर्त भाभी,"
" अरे, भूल गयी अपने उस प्रेमी को.बेचारा इत्ते दिनो से लगा है, अरे तुम्हे उसके प्रेम पत्र का जवाब भी तो देना हैज़ीजा तो दो दिन मे चले जाएँगे , रोज तो उसी को सर्विसिंग करना है."मैने कस के उसकी चूत मसल दी.
" हाँ वो तो पर" अभी भी वो हिचकिचा रही थी.
" मेरी बन्नो, दो बाते हमेशा ध्यान रखना, किसी भी चक्कर मे कोई सबूत लड़के के हाथ मे नही छोड़ना चाहिए, इसलिए, प्रेम पत्र कभी अपनी हॅंड राइटिंग मे ना लिखो और दूसरा उसके अंत मे कभी अपना नाम मत लिखो, तुम्हारी जान, तुम्हारी दिलरुबा कुछ भी और हो सके तो उसका भी नाम मत लिखो मेरे सपनों के राज कुमार, जनम और चिट्ठी मे भी कुछ भी एसा मत लिखो जिसमे किसी के, किसी जगह के बारे मे पता चले" पीठ पे हाथ सहलाते, उसकी ब्रा खोलते मैं बोली.
" पर भाभी मेरी चिट्ठी"
" अरे मैं हू ना, मैं सुबह ही एक सेक्सी लव लेटर लिखती हू, जब ड्रेस लेने चलेंगे तब तुम उसके सामने ड्रप कर देना."हल्के से उसके उभार सहलाती मैं बोली. मैने अपनी भी ब्रा खोल दी थी और अब हम दोनों के जोबन एक दूसरे से रगड़ खा रहे थे. उसके प्यारे गालों पर एक हल्की सी चुम्मि लेती
मैं बोली," देखो, जवानी बार बार नही आती और तुम तो इत्ति सुंदर हो बस तुम्हे आना चाहिए कि तीर कैसे चलाए, जैसे पतंग की ढील देके झटका देते है ना बस उसी तरह देखो, लड़कों की तो लाइन लग जाएगी, मेरी प्यारी ननद केलिए.
आँखों से बस एक बार देख लो, और पलक झुका लो. और जब झटका देना हो तो बस एक तिरछी नज़र का इशारा काफ़ी है, होंठ भी अगर किसी को देख कर एक बार लरज जाए, फिर अपने गीले होंठ पर ज़ुबान फेर दो या हल्के से होंठ काट कर इशारा कर दो."
" भाभी आप तो पूरी एक्सपर्ट है" हंस कर वो बोली.
" और क्या तुम्हारे तरकश मे इतते तीर है लेकिन तुम्हे मालूम ही नही है पर सबसे बड़ा हथियार है, तुम्हारे ये रसीले रस कलश." उसकेज़ोबन को कस के मसलती मैं बोली. " कुछ भी पहनो, इसका कटाव साफ दिखना चाहिए, थोड़ा दिखाओ, थोड़ा
छिपाओ, चाहे दुपट्टा ही ओढ़ो, फिल्मी आक्ट्रेसस को देखो, और गोलाई के साथ गहराई भी दिखा दो तो कहना ही क्या, और जब डोर खींचनी हो तो बस एक बार झुक के अपना जलवा दिखा दो" अब मैं कस के उसके उभार सहला रही थी, दबा रही थी और उसका एक हाथ खींच कर मैने अपने सीने पे रख लिया था. उसके निपल कड़े हो रहे थे. मैं अपनी दोनो उंगलियों के बीच मे उसे रोल कर रही थी. जोश मे उसके जोबन पत्थर हो रहे थे और निपल भी
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