RE: Nanad ki training--ननद की ट्रैनिंग
"चलो, मैं सुनाती हू अपनी ननद रानी की असलियत, क्यों गुलाबो, सुना दे कस के एक," मैं गुलाबो से बोली. गूंजा फिर ढोलक बजाने लगी और मैं और गुलाबो, पूरे जोश मे चालू हो गये,
अरे हमारे सैया बोले राजीव साला बोले,
हमारी बहनि की, हमारी गुड्डी की बिलिया मे कुछ भी ना जाय,
सींकियों ना जाय, तुन्मुनियो ना जाय
अरे हमारी नंदी की बिलिया मे गुड्डी की बुरिया मे,
मोटा मोटा मूसल जाय, लंबा लंबा बाँस समाय, अरे
राजीव बहन चोद बोले, राजीव गन्डूआ
हमारी बहनि की, हमारी गुड्डी की बिलिया मे कुछ भी ना जाय,
अरे गुड्डी छिनारो की बुरिया मे,
राजीव भडुआ जाय, उसके सब साले समाय, सालों के भी साले समाय
अरे राजीव सला बोले,
हमारी बहनि की, हमारी लाली की बिलिया मे कुछ भी ना जाय,
अरे हमारी नंदी के भोसडे मे, अरे लाली हरमजादि के भोसड़े मे
गधा समाय, घोड़े समाय, कलिन्गन्ज के सब भडुए समाय,
अरे वो तो बिचारा गोता खाय
" अरे क्या कैपीसीटी है आपकी," लाली को चिढ़ाती अल्पी बोली.
" अरे तभी तो मैं सुबह कह रही थी कि इनका केले से क्या होगा कम से कम खीरा चाहिए, ननद जी को" गूंजा ने भी जोड़ा.
तब तक दुलारी ने गुलाबो का हाथ पकड़ के खींचा नचाने के लिए और उसके साथ की मुहल्ले की कुछ औरते गाने लगी,
अरे सेजो पे मिलेंगे दोनो जने, अरे सेजों पे मिलेंगे दोनो जने,
तुम प्यारी दुल्हन, हम प्यारे दूल्हा, धक्का लगाएँगे दोनो जने,
अरे सेजों पे मिलेंगे दोनो जने,
तुम प्यारी कुतिया, हम प्यारे कुत्ते, कार्तिक मे मिलेंगे दोनो जने
पहले तो दुलारी ही दूल्हा बनी थी और वह गुलाबो को दबोचे थी पर अगली लाइन पे, गुलबो ने पलटी मार के उसको झुका के , कुतिया बना दिया और और खुद कुत्ता बन के लगी धक्के मारने. और जैसे बाद मे कुत्ते का अटक जाता है, फूल कर उसने वो ऐकटिंग की, कि हँसते हँसते सबकी हालत खराब हो गयी. उसके बाद तो घर की काम वालियों ने, मुहल्ले की औरते, इतना खुल के घमासान हुआ कि मज़ा आ गया, कुछ भी नही छोड़ा उन लोगों ने और हर बार गुड्डी और राजीव को जोड़ के ज़रूर गाली दी जाती, कोई किसी का सीना दबाता तो कोई किसी का साया उठा देता कोई भाभी किसी ननद की खुल के उंगली ही कर देती.
थोड़ी देर मे दुलारी ने मुझे घेरा, " हे रनू भाभी रात भर किससे चुदवाया है, जो नाचने के लिए उठ नही पा रही हो"
" अरे मैं तो तैयार हू अपनी बहनि को तो उठाओ"लाली की ओर इशारा कर के मैं बोली और वो कुछ समझ पाती, उसके पहले मैने उन्हे नाचने के लिए खींच कर उठा लिया. गूंजा ने ढोलक सम्हाली और गाना शुरू कर दिया,
" अरे ननद तोर भैया बड़ा रे खिलवाड़ी,
पहले पहल हम आईली गवनवा, रतिया मे सुतली अकेले भवनवा
सुतले मे खोलालयी, चोली के बन्धनवा, कस के दबाबे हमारा जोबनवा
( तब तक मेरी ननद ने ब्लाउज के उपर से कस के मेरा जोबन पकड़ने की कोशिश की लेकिन मैं तैयार थी और झुक कर उनसे बच गयी, और उनकी कमर पकड़ के फिर नाचना शुरू कर दिया)
धीरे से उठावे हमारी साड़ी, नैहर की लूट लिहाई, फुलवाड़ी
अरे ननद तोर भैया बड़ा रे खिलवाड़ी "
और अबकी मेरी ननद नही बच पाई मैने उनकी साड़ी थोड़ी सी गाने के साथ उपर की पर गूंजा और गुलाबो पहले से तैयार थी और उन्होने अच्छी तरह से उनकी साड़ी और साया उपर उठा दिया. वो बेचारी बहुत हिली डुली पर हम तीनो के आगे उनकी नही चली. उनका चूतड़ कस के पकड़ मैने सब को दिखा दो तीन चक्कर दिलाए और बैठ गयी. गुलाबो ने पूछा अब और कौन आएगा नाचने तो गूंजा गुड्डी की ओर इशारा करके बोली, " अरे कालीन गंज की सबसे मस्त रंडी तो अभी बाकी है, इसके पैर मे घुंघरू बांधो." और उसके मना करते करते भी गूंजा और मैने मिल के उसे घुंघरू पहना दिए.
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