RE: Nanad ki training--ननद की ट्रैनिंग
तभी मैने देखा कि राजीव और अल्पना आ गये है. अल्पना एक मस्त टॉप मे बहुत
सेक्सी लग रही थी. हल्के नीले रंग के खूब कसे कसे टॉप मे उसके मस्त उभार
समा नही पा रहे थे, जैसे कभी कभी खुशी मन से छलक आती है, वैसे ही
उसके किशोर जोबन छलक रहे थे. यहाँ तक कि उसके मम्मे भी हल्के हल्के दिख
रहे थे. टॉप थोड़ा छोटा था और उसकी पतली गोरी कमर और नाभि भी कुछ कुछ
दिख रहे थे. जीन्स लो कट भी थी और हिप हॅंगिंग भी. मूड कर उसने दिखाया,
" क्यों दीदी कैसी लगती है नयी टॉप और जीन्स" वह इतनी कसी थी कि उसके बड़े बड़े
कसे हुए चूतड़, सॉफ निकल कर बाहर आते लग रहे थे और उनके बीच का क्रॅक
भी सॉफ दिख रहा था. लो कट होने के नाते उसकी पिंक पैंटी की स्ट्रिंग भी हल्की सी
दिख रही थी. तब तक मेरी बड़ी ननद लाली भी वहाँ आ गयी थी.
" आज मैने जीजा की जेब ढीली करवा ली. अच्छी है ना जीजू की पसंद है." हंसकर वो बोली.
" अरे तुमने तो जीजू से जेब ढीली करवाई है आगे देखो वो तुम्हारी क्या क्या ढीली करते है." हंसकर मेरी ननद ने उसे छेड़ा.
" अरे करने दीजिए ना ये साली डरने वाली नही. लेकिन आप क्यों जल रही है" उसने भी पलट कर जवाब दिया.
" अरे ननद जी पास मे हो ओखली, तो मूसल से क्या डरना," मैने भी उसका साथ दिया.
राजीव अल्पी को छोड़ने जा रहे थे. मैने उसे समझाया कि कुछ डॅन्स की सीडी ले आए
और और लौटते हुए घर जाकर मे जो वीसीडी काँटा लगा का ले आई थी वो ज़रूर ले आए."
" पर घर मे तो ताला बंद होगा, सब लोग तो यही है." राजीव ने कहा.
" हाँ और इससे चेक करवा लेना, अल्पी वहाँ ढेर सारी वीसीडी है जो सबसे मस्त होंगी खुद चेक कर के ले आना."
जाने के पहले मैने अल्पी के कान मे कुछ समझाया. वह मुस्कराने लगी. तब
तक उपर से मेरे नंदोई और गुड्डी उतर रही थी. गुड्डी के जीजू के हाथ उसके
कंधे पे थे. मुझे लगा शायद राजीव को सामने देख के, शर्मा के गुड्डी
उनका हाथ अपने कंधे से हटा देगी. पर वह कुछ कर पाती, उसके पहले ही
जीत ने अपना हाथ खुल के उसके उभार पर रख दिया, बल्कि राजीव को दिखाते हुए,
हल्के से दबा दिया. गुड्डी का चेहरा गुलाबी हो गया, पर जीत ने अपना हाथ और
कस के उसके जोबन पे दबा दिया और गुड्डी से अल्पी के बारे मे पूछा , " ये सेक्सी "
उनकी बात काटते हुए, मुस्करा कर गुड्डी ने कहा, " आपके साले की साली है."
उधर राजीव ने भी तंग टॉप से उसके छलकते उभारों को हलके से टीप कर
कहा, जल्दी करो साली जी. अल्पना ने चलते हुए जीत से कहा ,
" लौट के मिलते है डबल जीजा जी अभी आपके साले उतावले हो रहे है" और मुस्करा कर चल दिए.
नंदोई जी ने इशारों इशारों मे बताया कि, अपना जादू का डंडा तो उन्होने खोल
कर गुड्डी को अच्छी तरह पकड़ा दिया पर बात कुछ और आगे बढ़ती कि किसी
काम से उन्हे खोजते दुलारी वहाँ पहुँच गयी.
शाम को अल्पी और राजीव बहोत देर से आए. राजीव तो तुरंत ही चले गये जनवासे.
अभी सब लोग थक कर लेटे थे. तो उपर हॉल मे मैं अल्पी और गुड्डी को ले के चली
गयी डॅन्स की सीडी देखने. गुड्डी उसे छेड़ रही थी.
" हे इत्ति देर कैसे लग गई क्या भैया के साथ और तेरे गाल आज कुछ ज़्यादा ही
चमक रहे है चख के देखती हू." और उसने उसे चूम लिया. हम लोग सीडी लगा
के डॅन्स करने लगे. एक लोक गीत की धुन लगा के हम लोग डॅन्स कर रहे थे कि गुड्डी ने कहा,
" भाभी, आप कह रही थी ना, कल रास्ते मे कि फिल्म मे कैसे अपने वो धक धक"
" अरे रानी सॉफ सॉफ क्यो नही कहती कि अपने मम्मे कैसे उछलाते है, लो बताती
हू" तब तक अल्पना ने "धक धक करने लगा का सीडी लगा दिया था और मैने डॅन्स
करते हुए उन्हे दिखाया और फिर बताया कि कैसे अदा से जोबन को उभारते है,
कैसे उसे उपर पुश करते है कैसे नीचे झुक कर के क्लीवेज की झलक
दिखाते है और कैसे उसे हिलाते है. यही नही गुड्डी और अल्पी को मैने वैसे बार
बार करवा के हर स्टेप की अच्छी प्रॅक्टीस करा दी. इसके बाद रीमिक्स गानो की
वीसीडी जो अल्पी घर से लाई थी, उस को चला कर हम एकदम सेक्स करने की मुद्रा
मे प्रॅक्टीस कर रहे थे, तभी मुझे लगा कि अल्पना को टांगे फैलाने मे थोड़ी
तकलीफ़ हो रही है. मैने गुड्डी को बताया तो वह पीछे ही पड़ गयी . आख़िर कार
उसने कबूला कि, चिड़िया ने चारा खा लिया है. बहुत मुश्किल से वह सब बताने
पे राज़ी हुई वो भी इस शर्त पे कि जब गुड्डी की फटेगी तो वो भी सब बात खुल कर
हम दोनों को बताएगी.
अल्पना ने कहना शुरू किया, " दीदी जो आप ने सलाह दी थी ना वो बहोत सही थी."
उसकी बात काटकर गुड्डी बोली, " अरे शुरू से बताओ ना और सब चीज़ खुल कर"
" हां लेकिन शर्त मे. सीधे मुद्दे पे, असली बात पे. कपड़े उतारने के बाद" मैं भी उत्सुक थी.
" जीजू ने मुझे जब छूना शुरू किया. उनकी उंगलिया मेरे सीने पे हल्के हल्के
फिसल रही थी, थोड़ी देर ऐसे ही छेड़ने के बाद, उनके हाथ मेरा छाती के बेस
पे जाते और धीरे धीरे, उपर आते, लेकिन निपल के पास आने के पहले ही वो रुक
जाते, कुछ देर तक तो उसके बेस पे वो उंगली फिराते रहे और जब मेरा मन
मचल रहा था कि वो उसे पकड़ ले वो हाथ हटा देते बहोत देर तक ऐसे तंग
करने के बाद अचानक उन्होने मेरे सीने को कस के पकड़ लिया और लगे
रगड़ने, मसलने, उनका दूसरा हाथ मेरी जांघों पर था. मारे शरम के
तो मैं शुरू मे कस के अपनी जांघों को भीच के बैठी थी, पर जब उनका हाथ
मेरी जाँघ पर हल्के से सहलाते हुए उपर बढ़ने लगा, लग रहा था मेरी
जांघों के बीच गरम लावा दौड़ रहा है, वह अपने आप खुलने लगी. उनका
एक हाथ मेरे उरोजो पे और दूसरा, जाँघ के एकदम उपरी हिस्से मे लगभग वहीं,
दीदी जीजू की उगलिया तो लग रहा था कि वह किसी वाद्य यंत्र के तार छेड़ रहे हो
और वो वाद्य यंत्र मैं हूँ मेरा पूरा शरीर काँप रहा था"
मैने गुड्डी की ओर देखा तो उत्तेजना के मारे उसका पूरा शरीर तना था. उसके उरोज
भी जोश मे आकर पत्थर हो रहे थे. बड़ी मुश्किल से उसने थूक गटका और बोली,
"..फिर."
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