RE: Nanad ki training--ननद की ट्रैनिंग
अरे इसके सैया के लंड मे कौन सा काँटा लगा है मान जाइए" गुलाबो भी मेरी
तरफ़दारी मे बोली.
" अरे लाली बीबी को अच्छी तरह मालूम है कि कैसा है बचपन मे अपने
भैया के साथ बहुत नर्स डॉक्टर खेला है." मेरी जिठानी भी हंस कर उन्हे
छेड़ती बोली. मैं और ननदोयि जी अब तक एक साथ रज़ाई मे बैठ चुके थे. उनका
एक हाथ अभी भी मेरे कंधे पे था और मेरे उभारों के पास तक छेड़ रहा
था पर मैने उसे हटाने की कोई कोशिश नही की. दुलारी तब तक गर्म चाय लेके
आई. मैने चाय लेते हुए उसे उकसाया,
" अरे नंदोई जी का स्वागत तो तुमने गाली से कर दिया पर ननद जी तो बची है
उनको भी तो एकाध सुना दो."
गरम हो कर वो बोली, " अच्छा , हमसे हमारी बहन को ही गाली सुनवा रही हो अरे क्या भाभियों
के पास कुछ बचा नही है या मूह मे कुछ भरा हुआ है कल तो बहुत चहक रही है आज हम मिल के जवाब देंगे".
" लगता है, मुझे ही सुनाना पड़ेगा," मैं बोली
" एक दम, सुनाओ ना ये ननद रानी क्यों सूखी रह जाए" मेरी जिठानी ने चढ़ाया,
और मैं चालू हो गयी.
" ननदी रानी अरे ननदी रानी स्वागत करते बार बार.
क्यो बैठी है मूह लटकाए, यार नही मिले क्या दो चार"
एक से काम नही चलेगा, कम से कम दो चार चाहिए?, मैने उन्हे और छेड़ा.
" अरे एक दो से तो काम चूत वालियों का चलता है, इनका तो पूरा भोसडा है,
एक दो का क्या पता चलेगा?." गुलाबो ने अपनी स्टाइल मे और छेड़ा.
" अरे इनका तो मायका है, दो चार क्या, दस बीस मिल जाएँगे. कोई आगे से कोई
पीछे से" जेठानी जी भी उन्हे तंग करने मे शामिल हो गयी. उन लोगों का आपस मे
कस के शुद्ध देसी भाषा मे मज़ाक चालू हो गया और मैं जीत, मेरे नंदोई से
धीमे धीमे बाते करने लगी.
" क्यों नंदोई जी आप को तो गम ही होगा, परसों साली चल जाएगी साजन के हवाले."
" सही कहती है भाभी और छोटी वाली तो लिफ्ट ही नही देती." वो बोले
" अरे क्यो चिंतन करते है सलहज के रहते. अगर मैं उससे लिफ्ट क्या जो आप
चाहिए वो सब दिलवा दू तो पर मेरी भी दो शर्ते है"
"
अरे नेकी और पूछ पूछ, अरे दो क्या दो सौ शर्तें मानने को मैं तैयार हू पर बताइए क्या करना होगा," वो खुश होके बोले.
" अरे वही करना होगा जो एक जीजा को अपनी साली के साथ करना चाहिए और जो आप को बहुत पहले उस साली के साथ कर देना चाहिए था. मेरी पहली शर्त है कि 48 घंटे मे उस साली गुड्डी का भरतपुर लुट जाए, मझली के पहले छोटी की सुहागरात हो जाय."
"मंजूर, और दूसरी" रज़ाई के अंदर मेरा हाथ उनके बुर्ज पर ही था और अब तंबू पूरी तरह तन गया था. मैने एक हाथ से उसे दबाया और दूसरे हाथ से उनका हाथ थोड़ा और खीच कर ठीक से खुल कर अपने जोबन पे रख के प्रेस
कर दिया और धीमी आवाज़ मे बोली, " दूसरी यही कि जिस तरह मेरे सीने पे हाथ रखे है ना, खुल कर उस से भी
बढ़ के, अपनी साली का सबके सामने खिल के जोबन मर्दन कीजिए, ख़ास कर उनके भाई के, गोरे गालों का रस लूटिये, एक दम खुल कर अपने माल की तरह, पक्की छीनाल बना देना साली को"
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