RE: Nanad ki training--ननद की ट्रैनिंग
ननद की ट्रेनिंग - भाग-02
अल्पना ने मुझसे पूछा- “भाभी, आपने तो आज जबर्दस्त गालियां सुनायीं। कल क्या होगा?”
“अरे, आज तो कुछ नहीं था, कल तो इससे भी बढ़कर खाली नान-वेज गालियां होंगी और तुम्हें नचाऊँगी भी तुम्हारी शलवार का नाड़ा खोलकर। जो ननदों के भाई रोज हम लोगों के साथ करते हैं ना, कल वह खुल्लम खुल्ला भाभियां तुम छिनाल ननदों के साथ करेंगी। कंडोम में कैंडल डालकर पूरी रात भर रात-जगा होगा, वैसलीन लगाकर आना…” उसको चिढ़ाते हुये फुसफुसाकर मैंने कहा।
अल्पना तो सिहर गयी। उसने मुझसे पूछा- “कोई रास्ता है, इससे बचने का?”
मुश्कारकर मैं बोली- “हां क्यों नहीं? तुम डिफेक्ट कर जाओ। मतलब भाभियों की ओर आ जाओ…”
अल्पना-“मतलब?”
“मतलब की तुम मेरी छोटी बहन बन जाओ…”
अल्पना- “एकदम दीदी…” मुश्कुराकर उसने मुझे पकड़ लिया और गुड्डी की ओर इशारा करती बोली- “और फिर हम लोग मिलकर इस ननद को गालियां सुनायेंगें…”
“हां…” लेकिन राजीव की ओर देखकर मैं बोली- “तुम्हारे जीजू बन जायेंगें…”
अल्पना- “तो ठीक तो है ना…” चहक कर वो बोली।
“अरे साली के ताले में जीजा की ताली लगती है…” मैंने चिढ़ाया।
अल्पना- “अरे तो लगवा लूंगी दीदी, ये साली डरने वाली नहीं…” अल्पना हँसकर बोली।
गुड्डी ने हँसकर उसे छेड़ा- “अरे भाभी, असली बात यही है कि इसे ताली चाहिये थी। गाली से डरने की बात तो वैसे ही थी…”
“अरे तो तू क्यों जलती है? ये जीजा और साली के बीच की बात है…” अल्पना ने हँसकर कहा।
“अरे, इसे भी खुजली मचती होगी। ठीक है तुमसे और मुझसे बचेगा तो इसको भी चखा देंगें…” मैंने कहा।
तब तक अल्पना का घर आ गया था। राजीव ने कहा कि वह गाड़ी में ही रुकेंगें और हम लोग अल्पना को उसके घर छोड़कर आ जायें।
अल्पना ने अपनी मां से मुझसे परिचय कराया और ये भी बताया कि मैंने उसे छोटी बहन बना लिया है।
मैं उनका पैर छूने के लिये झुकी तो उन्होंने मुझे रोक लिया और कहा- “अरे आज से तो तू मेरी बड़ी बेटी है…” और गले से लगा लिया।
तब तक अल्पना की छोटी बहन भी बाहर निकल आई। वह भी ये जानकर बड़ी खुश हुई। वह अभी छोटी थी, 12-13 साल की, 8वीं में पढ़ती थी लेकिन छोटी-छोटी चूचियों का उभार थोड़ा-थोड़ा दिखने लगा था। वह भी अपने जीजू से मिलने को बेताब थी। मैंने उसे समझाया कि कल तुम्हारी अल्पना दीदी को लेने आयेंगें तब मिल लेना।
घर पहुँचने तक मैंने राजीव को कुछ नहीं बताया। बेडरुम में पहुँचते ही मैंने राजीव के खड़े तम्बू की ओर इशारा करके उसे चिढ़ाना शुरू कर दिया। साड़ी उतारते हुये मैंने पूछा- “क्यों पसंद आ गयी वो पंजाबी कुड़ी?”
राजीव- “अरे सच्ची यार, क्या मस्त माल है? कैसे खड़े-खड़े मम्मे हैं और चूतड़ भी कित्ते मस्त…”
अब तक मैं साया ब्लाउज उतारकर ब्रा पैंटी में आ गयी थी और मैंने राजीव के भी सारे कपड़े उतार दिये थे।
“और गाल कैसे मस्त गुलाबी हैं कचकचा कर काटने के लायक…” राजीव मेरी ब्रा उतारते हुये बोल रहे थे।
मैं उनकी गोद में बैठी थी और मेरी पैंटी और उनकी चड्ढी पहले ही उतर चुकी थी। उनका तन्नाया हथियार मेरे चूतड़ों के बीच ठोकर मार रहा था।
मैंने और आग में घी डाला- “एकदम कच्ची कली है 16 साल की अनचुदी अभी तक उँगली भी अंदर नहीं गयी है…” मारे जोश के उनका लण्ड फौलाद का हो रहा था और मेरे निचले गुलाबी होंठों पर कसकर रगड़ रहा था। मैं अपनी गोरी जांघें पूरी तरह फैलाकर उनकी गोद में बैठी थी।
जोश में आकर उन्होंने मेरे कड़े-कड़े मम्मे कसकर मसल दिये।
“क्यों अल्पी की याद आ रही है क्या? दिलवाऊँ, लोगे उसकी…” मैंने उनके होंठों को चूमते हुए कसकर काट लिया और, पूछा।
राजीव- “नेकी और पूछ-पूछ… कैसे बताओ ना?” और उनका पहाड़ी आलू जैसा फूला मोटा सुपाड़ा मेरी बुर में घुसने के लिये बेताब था।
“आज से वो तुम्हारी साली है। तुम कहते थे ना कि तुम्हारी कोई छोटी साली नहीं है तो अब लो उसके साथ जीजा-साली का पूरा मजा…”
जवाब में, मेरी पतली कमर पकड़कर उन्होंने ऐसा करारा धक्का मारा कि एक बार में ही उनका मोटा लाल सुपाड़ा मेरी बुर में रगड़ते हुए अंदर घुस गया।
मेरी तो सिसकी निकल गयी।
राजीव- “सच्ची…” उन्होंने जोश में मेरे खड़े निपल भी काट लिये।
“हां एकदम, लेकिन उसकी एक शर्त है। साली बनने की…”
राजीव- “अरे क्या बोल ना उस साली को कि उसकी हर शर्त उसके जीजा को मंजूर है…” और अबकी उन्होंने जो कसकर धक्का लगाय तो आधा मूसल मेरी बुर में था।
मैं भी अपनी बुर को कसकर सिकोड़ के पूरा मजा ले रही थी, कहा- “पैकेज डील है। तुम्हें उसकी सहेली की भी लेनी पड़ेगी, पक्की सहेली है उसकी दोनों हर काम साथ-साथ करती हैं…”
राजीव- “अरे ले लूंगा उसकी सहेली की भी। अरे उसकी सहेली है तो वो भी तो मेरी साली ही हुई, चोद दूंगा उसको भी…” और अबकी लगातार दो धक्कों में उनका पूरा लण्ड मेरी बुर के अंदर था।
मैंने भी कसकर अपनी चूत भींची और अपनी चूची उनके सीने पे रगड़ते हुये पूछा- “तो चोदोगे ना उसकी सहेली को? है मंजूर? ऐन वक्त पे पीछे मत हट जाना…”
राजीव- “अरे यहां पीछे हटने वाला कोई नहीं, चोद-चोद के उसकी भी चूत का भोसड़ा ना बना दूं तो कहना। तुम्हारी कसम…” और उन्होंने कस-कसकर दो धक्के मारे।
“पक्का, लाक किया जाय…” मैंने भी धक्कों का जवाब धक्कों से देते हुये पूछा।
“एकदम लाक किया जाय, चोद-चोदकर चिथड़े बना दूंगा उसकी सहेली की चूत के। वैसे है कौन वो?” कसकर मुझे चिपटाते हुए उन्होंने पूछा।
“और कौन? उसकी सहेली है, तुम्हारी बहन गुड्डी। अब तो तुम्हें उसकी चूत को चोदकर भोसड़ा बनाना है अभी तुमने प्रोमिस किया है…” मैंने चिढ़ाते हुए पूरी ताकत से अपनी चूत को उनके लण्ड पे भींच लिया।
राजीव- “अच्छा साली, तेरी बहन की फुद्दी मारूं मुझे बहनचोद बनाने का पूरा प्लान है…” पूरी ताकत से कस-कसकर चोदते हुये वो बोले।
मैंने अपने हाथ उनके नितम्ब के नीचे करके, कसकर उनकी गाण्ड को भींच लिया और एक उँगली गाण्ड के छेद पे, छेड़ती मैं बोली- “अरे, मेरी बहन तो तैयार ही है फुद्दी मरवाने के लिये, अब तो तुम्हें अपनी बहन की चूत का भोसड़ा बनाना है वर्ना मैं तुम्हारी गाण्ड मार लूंगी…”
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