RE: Nanad ki training--ननद की ट्रैनिंग
गाड़ी में पहुँचते ही गुड्डी ने मुझे पकड़कर कहा- “वाकई मान गये भाभी आपको, आपने तो कमाल कर दिया…”
“अरे, कमाल मैंने नहीं, इसने किया…” फिर उसकी चूचियों को कसकर पिंच करते हुए मैं बोली- “तुम इसकी महिमा जानती नहीं, सीख लो कब उभारना चाहिये, कब छिपाने की कोशिश करते हुए भोलेपन से लोगों की निगाह उधर खींचनीं चाहिये? जो औरतें बार-बार अपना आंचल ठीक करती हैं ना… वो वही करती हैं लोगों की निगाहों को दावत देती हैं। हाईड ऐंड सीक, थोड़ा छिपाओ, थोड़ा दिखाओ, कभी झुक के, कभी हल्के से दुपट्टा गिरा के, मुश्कुरा के, कुछ नहीं तो साईड से चूचियों का उभार दिखा के। अरे यार, जवानी आई है तो जोबन का उभार आया है, कुछ दिखा दोगी तो तुम्हारा तो कुछ घटेगा नहीं, उन बेचारों का दिन बन जायेगा…” टाप के ऊपर से उसके जोबन को हल्के से मसलते हुये मैंने कहा।
वह हल्के से मुश्कुरा दी।
“जानती हो डांस करते समय कैसे हीरोईनें इसको उभारती हैं…” अपनी मसल्स को उठाकर सीना कसकर उभारते हुए मैंने कहा- “देखो ऐसे अब तुम करो…”
उसने थोड़ा अपने किशोर उभारों को पुश किया। हम दोनों हँसने लगे।
“थोड़ा और हां… बस देखना, मैं तुम्हें ऐसे सिखा दूंगी ना कि तुम धक-धक में माधुरी दीक्षित को भी मात कर दोगी…” तब तक हम लोग घर पहुँच गये थे। गली के बाहर मैंने गाड़ी पार्क की और हम लोग बाहर निकले तो वो लड़के फिर खड़े थे और वो लंबा सा लड़का, जिसने फिकरा कसा था, ध्यान से देख रहा था।
मैंने गुड्डी से कहा- “दिखा दो आज इस बेचारे को भी उभार और तुम्हारा भी टेस्ट हो जायेगा…”
उसकी ओर देखकर गुड्डी ने अपने उभारों को पुश किया और ऐसी कटीली मुश्कान दी कि उस बेचारे को 440 वोल्ट का झटका लगा। हँसते हुए हम दोनों घर में पहुँचें। वहां शादी की रश्में शुरू होने वाली थी। हँसी मजाक गाली गाना, थोड़ी देर बाद हम दोनों ऊपर उसके कमरे में पहुँच गये, कमरे को खाली करके तैयार करने के लिये। शाम से और मेहमान आने वाले थे।
मैं उसकी किताबें हटा रही थी की एक के अंदर से एक चिट्ठी गिरी। मैंने पढ़ा तो किसी लड़के ने उसे लव लेटर लिखा था- “मेरा प्रेम पत्र पढ़ के नाराज ना होना, कि तुम मेरी जिंदगी हो, कि तुम मेरी…”
“हे भाभी प्लीज़, दे दीजिये ना चिट्ठी…” गुड्डी ने मेरे हाथ से छीनने की कोशिश की।
पर वह कहां सफल होती। उसे सुनाते हुए मैंने पूरी चिट्ठी पढ़ी और अपने ब्लाउज के अंदर छिपा लिया। और उसके शर्माते गालों पे कसकर चिकोटी काटते हुए मैंने कहा- “अरे, ये तो अच्छी बात है कि भौंरे लगने लगे। मैं तो सोच रही थी की मेरे ससुराल के सारे हिजडे या गांडू ही होते हैं जो मेरी ये प्यारी ननद अब तक अछूती बची है। कौन है बताओ ना?”
उसने बताया की ये वही लड़का है जो गली के बाहर था, और उसे देखकर बोल रहा था, 4-5 महीने से पीछे पड़ा है। पर उसने उसको कोई लिफ्ट नहीं दी है ना ही उसकी चिट्ठी का कोई जवाब दिया है, ऐसे ही है। तभी मेरी निगाह अल्मारी में लगे अखबार के नीचे पड़ी। वहां कुछ उभरा सा दिख रहा था।
मैंने उसे उठाया तो 5-6 और लेटर थे, मैंने सब कब्जे में कर लिये।
गुड्डी- “हे हे भाभी। मेरे हैं प्लीज दे दीजिये ना…” वह गिड़गिड़ाई।
ना, लेटर पढ़ते हुए मैं बोली- “चांदनी चांद से होती है सितारों से नहीं… मुहब्बत एक से होती है हजारों से नहीं… अच्छा तो जनाब शायर भी हैं, दे दो ना बिचारा इतना तड़प रहा है…”
गुड्डी- “भाभी प्लीज, दे दीजिये ना किसी को पता चल गया ना तो मैं बदनाम हो जाऊँगी…”
“पता तो चलेगा ही… मैं तुम्हारे भैया को और सबको बताती हूं, ये चक्कर…” मैं बनावटी गुस्से में बोली।
गुड्डी- “नहीं भाभी मेरा कोई चक्कर नहीं है, उसे मैंने आज तक एक लेटर भी नहीं लिखा। मैं म्यूजिक सीखने जहां जाती हूं, रास्ते में खेत पड़ता है। वहीं उसने अपनी कसम दिलाकर लेटर दिया था। मैंने उसे अपनी ओर से कोई लिफ्ट नहीं दी…” बेचारी रुंवासी हो गयी।
“अगर तुम चाहती हो की मैं किसी को ये बात न बताऊँ तो मेरी दो शर्तें हैं…” मैं उसी टोन में बाली।
गुड्डी- “क्या? मुझे मंजूर है। बस भाभी किसी को पता ना चले…”
“पहली शर्त ये है की तुम उस बेचारे के लेटर का जवाब भी दोगी और लिफ्ट भी और वह जो मांगेगा सब कुछ दोगी…” अब मेरे लिये मुश्कुराहट रोकना मुश्किल हो गया।
गुड्डी- “ठीक है और दूसरी?” बेचारी बोली।
उसके स्कर्ट के अंदर हाथ डालकर उसकी जांघों के बीच चड्ढी पर कसकर दबोच कर रोबदार आवाज में मैंने कहा- “बहत्तर घंटे के अंदर इस चिड़िया को चारा घोंटना होगा वरना…”
गुड्डी- “जो हुकुम, पर किसके साथ?” अब मेरा मूड समझकर बेचारी के चेहरे पे मुश्कान आई।
“उं उं… कल तो तुम्हारे जीजा आ रहे हैं ना जीत और वैसे भी साली पे पहला हक तो जीजा का ही होता है…” उसकी चड्ढी के ऊपर से हल्के-हल्के मसलते हुये मैंने उसे खूब डिटेल में सुनाया कि मैं अपने कजिन की शादी में जब गयी थी, तो कैसे मेरे जीजा ने मेरे साथ आगे से, पीछे से और फिर जब दूसरे जीजा आ गये तो उन दोनों ने एक साथ आगे से, पीछे से, चूची के बीच, चेहरे पे (पूरी कहानी इट हैपेनड में पढें)। वह उत्तेजित्त हो गयी थी।
गुड्डी- “पर भाभी आप तो जानती हैं कि मैंने उन्हें होली में… तब से वह थोड़े…”
“अरे ये मुझ पे और इन पे छोड़ दो…” उसके उभारों को मैंने प्यार से सहलाते हुये कहा। तुम इनका जादू नहीं जानती। बस एक बार खुद अपने इन टीन गुलाबी गालों पे जीजा को किस्सी दे देना और उनका हाथ यहां पकड़ा देना फिर किस मर्द की हिम्मत है की मेरी इस प्यारी ननद को मना कर दे…”
उसने लेटर के लिये हाथ बढ़ाया, पर मैंने सारे लेटर अपने पर्स में रख लिये और कहा- “उंहूं… यहां ये ज्यादा सेफ हैं और जब तुम दोनों शर्तें पूरी करोगी तभी वापस मिलेंगें ये…”
गुड्डी- “भाभी, मेरी तो जान ही निकल गयी थी…” हँसकर वो बोली।
“अरे बुद्धू मैं तुम्हारी भाभी होने के साथ तुम्हारी सहेली भी हूं…” कहकर मैंने उसे अपनी बांहों में जकड़ लिया, और अपनी चूचियों से उसके छोटे-छोटे जोबन दबा दिये। तब तक नीचे से राजीव की आवाज आई और मैं शाम को जल्दी आने का वादा करके घर वापस चल दी।
|