RE: Nanad ki training--ननद की ट्रैनिंग
दुल्हन के लिये ड्रेस के साथ मैचिंग लेसी ब्राइडल ब्रा सेट और डाली के लिये तो खास तौर पे सेक्सी और रिवीलिंग ड्रेसेज थीं। उसकी पुश-अप ब्रा दिखाते हुये मैंने कहा- “अरे ये तो तुम्हारे भैया की खास पसंद है…”
राजीव शरमा गये।
तभी मुझे कुछ ‘वो स्पेशल गिफ्ट’ याद आया और मैंने उनसे कहा- “हे, वो स्पेशल गिफ्ट जो आपके बैग में रखी है, निकालो ना…”
राजीव ने गिफ्ट-पैक बोतल निकाल के बढ़ायी।
“खोलो, इसको…” मैंने बोतल डाली की ओर बढ़ायी।
“क्या है इसमें भाभी?” डाली ने बड़ी उत्सुकता से पूछा।
“अरे, खोलकर ऊपर जो लिखा है पढ़ो ना…” मैं बोली।
वह भोली, उसने खोलकर पढ़ना शुरू किया- “सुडौल स्तनों के शीघ्र विकास के लिये, उन्नत और कसे-कसे आकर्षक वक्ष, लगाकर मालिश करें…” शर्मा कर वह रुक गयी।
“अपने भैया से मालिश करवाना दुगुना असर होगा…”
उसकी बड़ी बहन, जिसकी शादी थी, बोली- “भाभी, आप तो रोज करवाती होंगी?”
“और क्या तभी तो इत्ते बड़े हो गये हैं। पर तीन दिन की बात है, उसके बाद तो तुम्हारा मियां भी रोज मालिश करेगा, लौटकर आओगी तो चेक करूंगीं…” मैं बोली।
मैं चाहती थी की डाली के लिये जो शादी के दिन पहनने के लिये मैं ड्रेस लाई थी, वो एकदम टाईट फिट हो, इसलिये उसे उसके नाप से थोड़ा आल्टर करना पड़ेगा। मैंने उससे पूछा की वहां कोई अच्छा लेडीज टेलर है।
वह बोली- हां भाभी, एक है तो ‘बाबीज टेलर’ पर अब तो सिर्फ दो दिन ही ःैं और उसके पास कम से कम 7-8 दिन लगते हैं…”
‘बाबीज’ या बूब्ज? अरे मेरी इस प्यारी ननद के लिये तो कोई भी कुछ भी करने को तैयार हो जायेगा, तुम चलो मेरे साथ। मैं खुद कार ड्राईव करके उसके साथ निकली।
उसके घर के बाहर कुछ लड़के बैठे थे, एक ने फिकरा कसा- “रेशमा, जवान हो गयी, तीर कमान हो गयी…”
“अरे डाली, तेरे मुहल्ले के लड़कों को तेरा नाम भी नहीं मालूम, क्या बात है?” उनको सुनाते हुए मैंने उसे चिढ़ाया। रास्ते में मैंने उससे बोला की टेलर के यहां मैं जो कहूंगी वो उसे करना होगा और उसके कान में कुछ बोला।
पहले तो उसने बहुत ना नुकुर की फिर तैयार होकर कहा- “ठीक है भाभी, आप जो कहें…”
मैंने उसके चूचियां कसकर पिंच करते हुये कहा- “अरे बन्नो, अगर इसी तरह तुम मेरी सारी बातें मान लो ना तो देखना मैं तुम्हें कैसे जिंदगी के सारे मजे दिलवाती हूं…”
तब तक हम लोग बाबी टेलर्स के सामने पहुँच गये। खलील खान टेलर, पठान, खूब कसरती बदन। सामने पहुँचते ही डाली ने अदा से एक रस भरी अंगड़ाई ली और मुश्कुराकर मुझसे परिचय कराया- “मेरी भाभी…”
उसके देखते ही मेरा आंचल अपने आप ढलक गया और मुश्कुराकर उसे ठीक करते हुये मैंने उसे अपने जोबन का भरपूर दर्शन करा दिया। मुश्काराकर मैं बोली- “आप ही बूब… माफ कीजियेगा बाबी टेलर्स हैं? जिनकी इस शहर की सारी लड़कियां दीवानी हैं…”
“हां हां आपने सही फरमाया, बाबीज की टेलरिंग में ही तो असली कमाल है…”
“और इसीलिये तो हम आपके पास आये हैं। ये मेरी सेक्सी ननद, मैं चाहती हूं आपकी स्टाइल से ये ड्रेस ऐसी टाईट फिट हो जाये की ये शहर में आग लगा दे…” मैं बोली।
खलील- “चार्ज और कब तक देना होगा…”
“खलील भाई, चार्ज तो जो आप कहेंगें मैं उससे 100 रुपया ज्यादा दूंगीं और बाकी बातें बाद में… पहले आप इसकी नाप तो ले लीजिये। गुड्डी देख क्या रही हो जाओ चेंज रूम में…”
और गुड्डी बड़ी शोख अदा से खलील को देखते हुए चेंज रूम में चली गयी।
“आपके सिले हुए मैंने जो ड्रेसेज देखें है मैंने, क्या हाथ पाया है आपने मन करता है चूम लूं… एकदम सही फिट कटिंग परफेक्त। वैसे मैंने भी दिल्ली से फैशन डिजाइनिंग का कोर्स किया है इसलिए मैं समझ सकती हूं, इस ड्रेस के साथ जो उसे ब्रा पहननी है ना, वह वही पहनकर आई है, और नाप ब्रा के ही ऊपर से लीजियेगा, जिससे ड्रेस खूब टाईट फिट आये, यही समझाने के लिये मैंने उसे हटा दिया है…” मैं झुक कर बात कर रही थी और मेरा आंचल पूरा अच्छी तरह से ढलक गया था और मेरे गहरे वी-कट गले वाली चाली से मेरे उभार साफ दिख रहे थे।
मैंने अपनी बात जारी रखी- “देखिये, इसके बेस से (मेरे हाथ अब मेरे उभार के बेस पे थे) सेंटर और दोनों (अब मेरे हाथ मेरे खड़े निपल्स पर थे) के बीच, जिससे उभार और गहराई दोनों… ओह सारी (अचानक मैंने आंचल को सम्हाला जैसे मेरा ध्यान उधर हो ही नहीं) आप समझ गये ना… आप तो खुद एक्स्पर्ट हैं…” और मैंने नीचे देखा तो उसका खूंटा तना था।
और मुझे वहां देखकर मुश्कुराता हुआ, खलील भी मुश्कारने लगा।
“अरे जाइये ना, मेरी ननद बिचारी इंतज़ार कर रही होगी। ठीक से अच्छी तरह से नाप ले लीजियेगा, हर जगह की…” पांच मिनट दस मिनट मैं सोच रही थी खलील नाप ले रहा है या?
पूरे पन्द्रह मिनट बाद वह बाहर निकला और उसके पीछे डाली। बाहर निकलकर उसके सामने ही उसने शर्माते हुये अपने टाप के बटन बंद किये।
मैं खलील को समझाने लगी की गला थोड़ा और गहरा पर डाली बोल उठी- “नहीं भाभी, बहुत हो जायेगा, एकदम खुला-खुला सा…”
खलील खुद बोला- “आप सही कह रही हैं पर अगर ये मना कर रही हैं…”
मैं उस समय तो मान गयी।
उसने कहा- हां और मैंने नीचे की भी नाप ले ली है, वहां भी थोड़ा टाईट कर दिया है, पर देना कब है?
जैसे ही मैंने कहा परसों तो वह उछल पड़ा- “अरे शादी का सीज़न है, मैं…”
पर उसकी बात काटते हुये मैंने कहा- “अरे आपने इत्ती अच्छी तरह उसकी नाप ले ली है, अब वह बेचारी कहां जायेगी? आपसे अच्छा तो कोई है नहीं। फिर आपने मुझे भाभी कहा है, इत्ती सी बात…”
तो बेचारा मान गया।
मैंने गुड्डी को चलने का इशारा किया और उसके जाते ही पर्स से ₹100 का एक पत्ता निकालकर उसको नजर करते हुये कहा- “और गहराई जैसा मैंने कहा था ना, वैसा ही बनाना। और तुम नीचे वाले के बारे में क्या कह रहे थे?”
“मैं वहां भी कह रहा था की कितना टाईट कर दूं…”
“पूरा, एकदम हिप हगिंग…”
जैसे ही मैं चलने लगी तो वो बोला- “भाभी जी आपको ब्लाउज नहीं सिलवाना?”
मैं मुड़कर बोली- “एकदम सिलवाना है, लेकिन अगर शादी में आपकी इस ड्रेस ने आग लगा दी ना तो अगले ही दिन मैं आऊँगी और हां मैं कभी-कभी ब्रा के बिना ब्लाउज़ पहनती हूं इसलिये नाप भी वैसे ही…”
बेचारा पठान का छोरा, खलील।
|