RE: Chodan Kahani शौहरत का काला सच
मन्त्री जी भी कैसे सब्र कर सकते थे, बेपनाह हुस्न की मल्लिका आँखों के सामने, लगभग निरावृत लेटी थी।
तो उन्होंने शीबा की पैंटी उतार दी।
शीबा शर्म से पेट के बल लेट गई।
पास में फूलों के गुलदस्ते में गुलाब था, मन्त्री जी ने उसे उठाया और उसके पैरों से गुलाब को धीरे धीरे ऊपर ले जाने लगे, गुलाब शीबा की खूबसूरत जिस्म को चूम रहा था और गुलाब के ठीक पीछे मन्त्री जी का हाथ।
अब गुलाब उसके हिप्स से होता हुआ शीबा के कन्धों पर था, शीबा अभी भी वैसे ही लेटी थी।
मन्त्रीजी ने उसके कन्धों को पकड़ कर उसे सीधा लिटा दिया, शीबा ने अपनी आँखों को दोनों हाथों से ढक लिया।
मन्त्री जी उसके हाथों को हटाते हुए बोले- मेरी तरफ देखो, और मुझे अपनी आँखों से इस खूबसूरती को देखने दो।
अब दोनों एक दूसरे की आँखों देख रहे थे, मन्त्री जी के हाथ उसके प्यारी सी मखमली चूत पर थे और वो धीरे धीरे सहला रहे थे।
शीबा की साँसें तेज चल रही थी।
मन्त्री जी ने आनन-फानन में अपने कपड़े निकाले तो उसका 7″ का लौड़ा आज़ाद हो गया जिसकी मोटाई भी अच्छी खासी थी।
मन्त्री जी भी अब नंगे हो चुके थे, और वो शीबा के बगल में लेट गए, उन्होंने अपने पैर शीबा के चेहरे की तरफ किये तो उनका मुंह शीबा के हसीं मखमली प्यारी सी चूत के करीब था।
उन्होंने शीबा को करवट करके उसकी चूत अपनी तरफ किया और शीबा के कूल्हों को अपने हाथों से पकड़ कर उसकी चूत को अपने मुंह के करीब लाए।
मन्त्री जी का तगड़ा मोटा लंड शीबा के चेहरे के करीब था, लेकिन वो बस उसे देख रही थी पर मन्त्री जी ने उसकी चूत को चूमना शुरू कर दिया था।
उनके लौड़े से पानी की बूंदें आने लगी।
अचानक से मन्त्री जी ने अपने हाथ से शीबा का हाथ पकड़ा और उसके हाथ में अपना लंड दे दिया और बोले- शरमाओ नहीं, आओ एक दूसरे में खो जाएँ, आज की रात मुझे शीबा नसीब होने दो, पूरी तरह।
मन्त्री जी के इतना बोलने से शीबा, जो उत्तेजित तो पहले ही थी, अब साथ देने लगी, वो लंड हाथ में लेकर उसे धीरे धीरे ऊपर से नीचे और नीचे से ऊपर सहलाने लगी।
शीबा पर अब वासना हावी हो चुकी थी, उसने झट से लौड़ा अपने मुख में ले लिया और मज़े से चूसने लगी।
मन्त्री जी भी पूरी तरह मदहोश हो चुके थे, उन्हें तो वो मिल गया था, जिसके लिए वो तब से तड़प रहे थे, जब से उसे रुपहले परदे पर, गीली साड़ी में देखा था।
यकीं नहीं हो रहा था कि आज वही बिना किसी आवरण के पूरी तरह निरावृत लेटी थी, ये सोच कर उन्हें और जोश आ गया।
अब दोनों पूरी तरह तैयार थे, मन्त्री जी शीबा की चूत चाट कर शीबा का नशा महसूस कर रहे थे, वो अपनी जीभ की नोक से चूत को चोदने लगे, उनको बड़ा मज़ा आ रहा था, शीबा की चूत पानी पानी हो गई थी।
ज़ेबा और चमचे का हाल भी जान लें एक बार-
ये दोनों एक दूसरे को चूसने में लग गये थे, थोड़ी देर बाद दोनों 69 के पोज़ में हो गये और रस का मज़ा लेने लगे।
दोनों काफ़ी उत्तेज़ित हो गये थे, अब बर्दाश्त कर पाना मुश्किल था तो चमचे ने उसकी दोनों टाँगें फ़ैला दी और फच की आवाज़ के साथ पूरा लौड़ा एक धक्के में ज़ेबा की फ़ुद्दी में घुसा दिया।
ज़ेबा- आह… मार डाला रे… जालिम… उई!
चमचा- अभी कहाँ जानेमन… ले अब और मज़ा ले!
वो दे दनादन लौड़ा ज़ेबा की खुली चूत में पेलने लगा। ज़ेबा भी कूल्हे उछाल उछाल कर चुदने लगी थी। दोनों ने कमरे का माहौल काफ़ी सेक्सी बना दिया था क्योंकि उनके मुँह से ‘आ… आईई… उफ़फ्फ़…’ की सी आवाज़ें चारों और गूंजने लगी थी।
10 मिनट की ताबड़तोड़ चुदाई के बाद दोनों शांत हो गये, उनका वीर्य निकल कर मिक्स हो गया और वो अब बेड पे एक दूसरे की ओर देख कर बस मुस्कुरा रहे थे।
इधर तो खेल खत्म, मन्त्री जी का देखें क्या हाल है-
अब उन्माद चरम पर था, मन्त्री जी के जीभ जो शीबा की चूत पर घूम रही थी, वो शीबा के शरीर में बिजली जैसी हलचल मचा रही थी, और एक रोमांच पैदा कर रही थी, अब मन्त्री जी और शीबा दोनों एक दूसरे में समां जाने को तैयार थे।
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