RE: Chodan Kahani शौहरत का काला सच
प्रोड्यूसर वापस मुंबई चला गया और वहाँ उसने अपनी परेशानी एक दूसरे प्रोडयूसर को बताई, उसने सारी कहानी मन्त्री से मिलने तक की उसे सुना दी।
वो प्रोड्यूसर मन्त्री के बारे में अच्छी तरह से जानता था, वो बोला- मन्त्री साला ठरकी है, उसकी ठरक का इन्तजाम करो! मैं मन्त्री के एक चमचे को जानता हूँ, उससे बात करके देखता हूँ।
‘तो अभी बात करो ना उस चमचे से!’ वसीम ने कहा।
दूसरे प्रोड्यूसर ने फ़ोन घुमाया, फ़ोन लग गया, उन दिनों बम्बई से दिल्ली फ़ोन लग जाना भी बड़ी बात थी।
चमचे ने मन्त्री से बात करने का आश्वासन दे कर फ़ोन बन्द कर दिया।
दो दिन बाद फ़िर वसीम उन प्रोड्यूसर से मिले और फ़िल्म के पास होने की बात कहाँ तक बढ़ी इस बारे में पूछा।
दूसरे प्रोड्यूसर ने बताया- मामला मन्त्री के नहीं सरकार के बॉस के हाथ का है।
वसीम के पसीने छूटने लगे, वो बोला- बॉस मतलब?
‘अरे यार… तुम्हें इतना भी नहीं पता कि आजकल किसकी सबसे ज्यादा चलती है? वह एक ही तो हो सकता है…’
‘क्या?’
‘हाँ, बॉस को शीबा पसन्द आ गई है। अब शीबा अगर बॉस को खुश कर दे तो बात बन सकती है…’
वसीम सब मामला समझ गया पर अब वो सोच रहा था कि शीबा को कैसे मनौउँग?
हिम्मत नहीं हो रही थी लेकिन फ़िर भी वो उसी दिन शीबा के घर जा पहुँचा, शीबा को बताया कि फिल्म पास नहीं हो रही है, मामला मन्त्री और उसके भी ऊपर का है।
‘उसके ऊपर कौन?” शीबा ने पूछ।
ने उसका नाम सीधे सीशे ना लेकर शीबा को समझा दिया कि वो किसकी बात कर रहा है।
शीबा की आँखों में एक चमक सी आई, वो समझ गई कि किसकी बात कर रहा है, उसे मालूम था कि बॉस की नज़र हमेशा ग्लैमर की दुनिया की मलाई पर रहती है, और उसने शादी भी एक ग्लैमर गर्ल से ही की है।
शीबा बोली- तो हमें एक बार बॉस से मिलना चाहिए।
लेकिन ने बताया कि बॉस से मिलना इतना आसान नहीं है।
शीबा ने पूछा- कोई तो रास्ता होगा?
तो प्रोड्यूसर बोला- मन्त्री साब ही मुलाकात करवा सकते हैं और वो बहुत घटिया आदमी है उसकी नजर तुम्हारे ऊपर है। अगर तुम मन्त्री और बॉस को किसी तरह मना लो तो…?
यह सुनकर शीबा गुस्से से लाल हो गई, बोली- मना लो तो? क्या मतलब?
‘मतलब अगर… तुम मन्त्री को खुश कर दो एक बार तो…!’
‘मुझे उन दोनों के नीचे आना पड़ेगा? आपकी हिम्मत कैसे हुई ऐसा बोलने की?’
बोला- देख शीबा सच्चाई तू भी जानती है और मैं भी, तू कोई दूध की धुली तो है नहीं, भारत की सुन्दरी का खिताब कईंयों के नीचे बिछे तो मिलता नहीं ! एक बार तू उन दोनों को खुश कर दे तो तेरे साथ साथ मेरे भी वारे न्यारे हो जायेंगे ! फिल्म इंडस्ट्री में रहना है तो ये सब करना ही पड़ेगा, अगर नहीं करेगी तो तेरी आगे आने वाली फ़िल्में भी पास नहीं पायेंगी, सेंसर बोर्ड मन्त्री के हाथ में है। उसके एक इशारे पर तुझे फ़िल्में मिलनी ही बन्द हो जायेंगी।
शीबा बॉस के नीचे तो खुद ही लेट जाना चाह रही थी लेकिन वो मन्त्री, उसकी क्या औकात की भारत की सबसे सुन्दर लड़की पर बुरी नजर डाले !
शीबा मना करती रही और गिड़गिड़ाता रहा, वो बार बार मिन्नतें कर रहा था, बोला- अगर यह फिल्म रिलीज नहीं हुई तो मैं बर्बाद हो जाऊँगा, साथ में तू भी कहीं की नहीं रहेगी।
की बात सुनकर शीबा ने भी सोचा कि जहाँ इतने चढ़वा लिये, वहाँ दो और सही !
और आखिर वो दिल्ली आने को राजी हो गई।
ने दूसरे प्रोडयूसर से फ़ोन करवा के चमचे को बता दिया कि साहब और शीबा मन्त्री जी से एक बार मिलना चाहते हैं।
मन्त्रीजी तो इसी इन्तजार में बैठे थे, तुरन्त मन्त्री ने अगले ही दिन उन दोनों को मिलने का वक्त दे दिया।
अगले दिन साहब तबीयत खराब होने का बहाना बना कर दिल्ली नहीं गए और शीबा अकेली दिल्ली पहुँच गई।
मन्त्री जी ने उसके लिए एक बड़े पंचतारा होटल में व्यस्था कर रखी थी।
एक खूबसूरत सुइट बुक था उसके लिए।
मन्त्री जी बेक़रार थे, जैसे ही शाम हुई, वो पहुँच गए होटल! उनका एक कमरा तो हमेशा ही बुक रखते थे होटल वाले, मन्त्री जी सीधे अपने महाराजा स्युइट में पहुँचे।
रिसेप्शन से चमचे ने शीबा को फ़ोन करवाया कि आपसे मिलने मन्त्री जी अपने महाराजा स्युइट में पहुँच चुके हैं।
मन्त्री की एक खूबसूरत निजी सचिव शीबा को लिवाने उसके स्युइट के बाहर खड़ी थी।
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