RE: Train Sex Stories रेल यात्रा
"ये क्या कर रहे हो। छोड़ दो इसको! !" आशीष ने दबी सहमी सी आवाज में कहा।
"हाँ हाँ। छोड़ देंगे। एक लड़की का 2 लाख लगेगा। ला निकाल और ले जा जिसको
लेकर जाना है। " बूढ़े ने गुर्राकर कहा।
"तुम ऐसा कैसे कर सकते हो? " आशीष ने हडबडा कर कहा।
"अभी पता चल जायेगा हम कैसे करते हैं। अपना ATM इधर दो। वरना ये पहलवान
मार मार कर तुम्हारा भुरता बना देंगे।" ताऊ ने धमकी दी।
"पर...पर! " आशीष ने सहम कर उन गुंडों की और देखा। वो सभी बाहों में
बाहें डाले उसकी और देख कर मुस्कुरा रहे थे। आशीष ने जैसे ही ATM निकलने
के लिए अपना पर्स निकाला। बूढ़े ने पर्स ही हड़प लिया- "ला। छुट्टे भी
चलेंगे थोड़े बहुत। अब ATM का नम्बर बता और जिसकी मारनी है, मार कर चुप
चाप पतली गली से निकल ले!" पुर्से में 4-5 हज़ार रुपैये देख कर बूढ़ा खुश
हो गया।
आशीष बेबस था। पर उसको पुलिस के आने की उम्मीद थी। उसने बूढ़े को गलत
नम्बर बता दिया।
"शाबाश बेटा, जुग जुग जियो। हे हे हे ले ये रख ले। वापस जाते हुए काम
आयेंगे! " बूढ़े ने एक 500 का नोट उसकी जेब में डाल दिया!
"क्या है रे बूढ़े। तू अपने ग्राहक को चेक करके इधर क्यूँ नहीं बुलाता है।
खाली पीली किसी ने 100 नम्बर घुमा दिया। अपुन की वाट लग जाती है फ़ोकट
में! " बहार से आये एक पुलिस वाले ने पान का पीक दीवार पर थूकते हुए कहा।
"अरे पाटिल साहब। आईये आईये। " उसके स्वागत में सर झुका कर ताऊ चौंक कर
बोला- "क्या? 100 नम्बर।? जरूर इस हरामी ने ही मिलाया होगा! " बूढ़े ने
गुर्राकर कहते हुए आशीष की और देखा।
"ये काहे को मिलाएगा 100 नम्बर।। दो दो को बगल में दबाये बैठा है। अरे ये
भी!" पाटिल ने आश्चर्य से उस लड़की की और देखा!- "बधाई हो, ये लड़की भी
चालू हो गयी। अब तो तेरी फैक्ट्री में पैसे ही पैसे बरसेंगे। ला! थोड़े
इधर दे। " पाटिल ने पर्स से दो हज़ार के नोट झटक लिए।
"कहे की फैक्ट्री साहब। साली एक नम्बर की बिगडैल है। सुनती ही नहीं। ये
तो इसको खाना खिला रहा है भूतनी का। " बूढ़े ने पाटिल की जेब में जा टंगे
दोनों नोटों को मायूसी से देखते हुए कहा।
"अरे मान कहे नहीं जाती साली। अपने जवानी को इस तरह छुपा कर बैठी है जैसे
इसका कोई यार आकर इसको यहाँ से निकाल कर ले जायेगा। कोई नहीं आने वाला
इधर। तू निश्चिंत होकर अपनी चूत का रिब्बों कटवा ले। साली। छा जाएगी
अक्खी मुंबई में। मेरे से लिखवा ले तू तो। साली तू तो हेरोइन बनने के
लायक है। मुझसे कहे तो मैं बात करूं। फिलम इन्डस्ट्री में एक यार है अपुन
का भी। बस एक बार! " कहकर पाटिल ने अपनी बत्तीसी निकाल ली!- "बोल क्या
कहती है?"
लड़की ने शर्म से अपनी नजरें झुका ली।
"मान जा बहन चोद। यूँ ही सड़ जाएगी यहाँ। भूखी मार देंगे तुझे ये। एक
बार। बस एक बार नंगी होकर नाच के दिखा दे यहाँ। मैं खुद खाना लाऊंगा तेरे
लिए। " पाटिल अपनी जाँघों के बीच हाथ से मसलते हुए बोला।
"छोडो न साहब। ये देखो। आज ही नया माल लाया हूँ। दिल्ली से। एक दम करारी
है। एक दम सील पैक। उसे करके देखो!" बूढ़े ने रानी की और इशारा किया।
पाटिल ने दरवाजे से अन्दर हाथ करके रानी के गालों पर हाथ मारा!- "हम्म।
आइटम तो ये भी झकास है। चल। ड्यूटी ऑफ करके आता हूँ शाम को। फिर इसका
श्री गणेश करेंगे। अभी तो मेरे को जल्दी है। साला कैसी कैसी तन्सिओं देते
हैं ये लोग। मुझे तो पटवारी का काम लग रहा है। मुकाबले की वजह से जरूर
उसने ही फ़ोन करवाया होगा। वैसे तेरे माल का कोई मुकाबला नहीं भाऊ...एक
एक जाने कहाँ से बना कर लाता है। "
"हे हे हे सब ऊपर वाले की और आपकी दया है पाटिल साहब! !" बूढ़े ने मक्खन लगाया।
"ठीक है। ठीक है। अभी मेरे को दो चार पड़ोसियों के बयां लिखवा दे। 100
नम्बर की कॉल पर साला ऊपर तक रिपोर्ट बनाकर देनी होती है। जाने किस
मादरचोद...."
पाटिल ने अपनी बात पूरी भी नहीं की थी की बाहर पुलिस सायरन बज उठा।
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