RE: Train Sex Stories रेल यात्रा
धक्के तेज होने लगे। सिसकियां, सिस्कारियां तेज़ होती गयी। करीब 15 मिनट
तक लगातार बिना रुके धक्के लगाने के बाद राजपूत भाई ने उसकी चूत को लबालब
कर दिया। शीतल का बुरा हाल हो गया था उसकी चूत 3-4 बार पानी छोड़ चुकी थी
और बुरी तरह से दुःख रही थी।
राजपूत अपना लंड निकाल कर चौड़ी छाती करके बोला- "ये ले अपने.......अरे
कपड़े कहाँ गए???"
"यहाँ हैं भाई साहब!" आशीष ने मुस्कुराते हुए कपडे राजपूत को दिखाए।
ओह यार! ये तो अब मर ही जाएगी। आधे घंटे से तो मैं रगड़ रहा था इसको "
राजपूत को जैसे आईडिया हो गया था अब क्या होगा।
शीतल को तो अब वैसे भी उल्टियां सी आने लगी थी। पहली ही बार में इतनी
लुम्बी चुदाई। उसके मुंह से बोल नहीं निकल पा रहे थे। न ही उसने कपडे
मांगे।
राजपूत- यार मेरा तो अभी एक गेम और खेलने का मूड है। पर यार ये मर जाएगी।
अगर तेरे बाद मैंने भी कर दिया तो!
शीतल को लगा की अगर ये मान गया तो राजपूत फिर करेगा। इससे अच्छा तो मैं
इसी को तरी कर लूं। वो खड़ी हो चुकी थी।
आशीष- एक बार और करने का मूड है क्या भाई!
राजपूत- है तो अगर तू छोड़ दे तो।
आशीष ने उसको कविता के पास चढ़ा दिया। और वापस आ गया!
आशीष ने आकर उसको बाँहों में लिया और आराम से उसके शरीर को चूमने लगा।
जैसे प्रेमी प्रेमिका को चूमता है। सेक्स से पहले!
इस प्यार भरे दुलार से शीतल के मन को ठंडक मिली और वो भी उसको चूमने लगी।
आशीष ने चूमते हुए ही उसको कहा- "कर सकती हो या नहीं। एक बार और!"
अब शीतल को कम से कम डर नहीं था। शीतल ने कहा अगर आप बुरा न मानो तो मेरी
सीट पर चलते हैं। फिर देख लेंगे।!
आशीष ने उसको कपडे दे दिए और वो सीट पर चले गए!
शीतल ने अपनी कमर आशीष की छाती से लगा रखी थी। आशीष उसके गले को चूम रहा
था। अब शीतल को डर नहीं था। इसीलिए वो जल्दी जल्दी तैयार होने लगी। उसने
अपनी गर्दन घुमा कर आशीष के होंठों को अपने मुंह में ले लिया और चूसने
लगी। ऐसा करने से आशीष के लंड में तनाव आ गया और वो शीतल की गांड पर दबाव
बढ़ाने लगा। शीतल की चूत में फिर से वासना का पानी तैरने लगा! उसने पीछे
से अपना स्कर्ट उठा दिया। आशीष के हाथ उसके टॉप में घुस कर उसकी चूचियों
और निप्पलों से खेल रहे थे!
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