RE: Train Sex Stories रेल यात्रा
स्वाभिमान दोनों में कूट-कूट कर भरा हुआ था। कोई भी अपनी जिद छोड़ना नहीं
चाहता था। पर दोनों एक ही चीज चाहते थे। प्यार! पर उनकी तो तब तक बहस ही
चल रही थी जब आशीष के लंड ने आखरी सांस ली। रानी की चूत में। कुछ देर वो
यूँ ही रानी पर पड़ा रहा!
उधर युद्ध की कगार पर खड़े शीतल और राजपूत की बहस जारी थी। राजपूत ने अपना
लंड निकाल कर बाहर कर लिया।- "लो मैं तो यहाँ ऐसे खड़ा रहूँगा।
शीतल- शर्म नहीं आती!
राजपूत- जब तेरे को ही नहीं आती तो मेरे को क्या आएगी। मुझे तो रोज ही
देखना पड़ता है।
शीतल जब तुझे नहीं आती तो मुझे भी नहीं आती। निकाल के रख अपना। मुझे क्या
है। शीतल के दिल में था की उसको पकड़ कर अपनी चूत में घुसा ले। पर क्या
करें अकड़ ही इतनी थी- "जा चला जा यहाँ से!
राजपूत- नहीं जाता, बोल क्या कर लेगी।
शीतल से रहा न गया- "तो मैं भी निकाल दूंगी। देख ले "
और अंधे को क्या चाहिए। दो आँखें! राजपूत को लगा कहीं नरम होने से काम
बिगड़ न जाये- "तेरी इतनी हिम्मत तू मेरे आगे अपने कपडे निकालेगी!
शीतल- मेरे कपडे, मेरा शरीर, मैं तो निकालूंगी! "
राजपूत- तू निकाल के तो देख एक बार!
शीतल ने तुरंत अपनी स्किर्ट नीचे खींच कर पैरों में डाल दी। क्या खूबसूरत
माल थी। शीतल! चूत के नीचे से उसकी जांघें एक दूसरी को छु रही थी। बला की
खूबसूरत उसकी जाँघों के बीच उसकी योनी का आकर पैंटी के ऊपर से ही दिखाई
पड़ रही था। पैंटी नीचे से गीली हो रखी थी और उसकी दोनों फांक अलग-अलग
दिखाई दे रही थी!
राजपूत की आवाज कांप गयी- "पप...पैंटी न...निकाल के दिखा तू!"
और शीतल ने मारे गुस्से के पैंटी भी निकाल दी। भगवान ऐसे झगड़ने वाली
लड़की से रेल में सबको मिलवाए।
राजपूत ने देखा। उसकी चूत एकदम चिकनी और रस से सनी हुयी थी। उसकी चूत के
दोनों पत्ते उसकी फांको में से थोडा-थोडा झांक रहे थे। राजपूत का हाथ
अपने आप ही उसकी चूत की तरफ जाने लगा। वो झगडा ख़त्म करना चाहता था। वो
हार मानने को भी तैयार था। पर शीतल ने उसकी चूत की तरफ बढ़ते हाथ को पकड़
लिया- "क्या है!"
राजपूत की आवाज मेमने जैसी हो गयी- "मैं तो बस छूकर देख रहा था। "
बहुत हो चुका था। शीतल ने अपने हाथ में पकडे उसके हाथ को एकदम जैसे अपनी
चूत में फंसा लिया। राजपूत घुटनों के बल बैठ गया और उसकी चूत के होंठों
पर अपने होंठ लगा कर उसकी चूत के फैले पत्तो को बाहर खींचने लगा। शीतल की
चूत कितनी देर से अपने आपको रोके बैठी थी। अब उससे न रहा गया और वो बरस
पड़ी।- "आआआ। माआअ। रीईईई। मर गयीइईईई रे!"
|