RE: Train Sex Stories रेल यात्रा
शीतल का खून गरम होता जा रहा था। आशीष ने उसके खून को उबालने की सोची। वो
नीचे उतरा और रानी को उठा दिया। रानी सच में सो चुकी थी।!
रानी- क्या है?
आशीष- ऊपर आ जाओ!
रानी- नहीं प्लीज। दर्द हो रहा है अभी भी।
आशीष- तुम ऊपर आओ तो सही, कुछ नहीं करूँगा।
और वो रानी को भी ऊपर उठा लाया और कविता के दूसरी और बिठा लिया। यहाँ से
शीतल को रानी कविता से भी अधिक दिखाई दे सकती थी।
आशीष ने रानी से चादर ओढ़ कर अपनी सलवार उतारने को कहा। रानी ने मना किया
पर बार-बार कहने पर उसने सलवार निकल दी। अब रानी नीचे से नंगी थी!
शीतल ने पलट कर जब रानी को चादर में बैठे देखा तो उसका रहा सहा शक भी दूर
हो गया। पहले वह यही सोच रही थी की क्या पता कविता उसकी बहू ही हो!
उसने फिर से उनकी तरफ करवट ले ली। आशीष ने उस पर ध्यान न देकर धीरे धीरे
चादर को रानी की टांगों पर से उठाना शुरू कर दिया। रानी की टाँगे शीतल के
सामने आती जा रही थी और वो अपनी सांस भूलती जा रही थी।
जब शीतल ने रानी की चूत तक को भी नंगा आशीष के हाथो के पास देखा तो उसमें
तो जैसे धुआं ही उठ गया। उसने देखा आशीष उसके सामने ही रानी की चूत को
सहला रहा है। तो उसको लगा जैसे वो रानी की नहीं उसकी चूत को सहला रहा है।
अपने हाथों से!
अब शीतल से न रहा गया। उसने आशीष को रिझाने की सोची। उसने मुंह दूसरी तरफ
कर लिया और अपने पैर आशीष के सामने कर दिए। अनजान बनने का नाटक करते हुए
उसने अपने घुटनों को मोड़ लिया। उसका स्किर्ट घुटनों पर आ गई। धीरे-धीरे
उसका स्कर्ट नीचे जाता गया और उसकी लाल मस्त जांघें नंगी होती गयी।
अब तड़पने की बारी आशीष की थी। उसके हाथ रानी की चूत पर तेज़ चलने लगे।
और उसकी आँखें जैसे शीतल के पास जाने लगी। उसकी जांघों में। स्कर्ट पूरा
नीचे हो गया था। फिर भी जांघ बीच में होने की वजह से वो उसकी चूत का
साइज़ नहीं माप पा रहा था। उसने ताव में आकर रानी को ही अपना शिकार बना
लिया। वैसे शिकार कहना गलत होगा क्यूंकि रानी भी गरम हो चुकी थी!
आशीष ने रानी को नीचे लिटाया और उसकी टाँगे उठा कर अपना लंड उसकी चूत में
घुसा दिया। रानी ने आशीष को जोर से पकड़ लिया। तभी अचानक ही गुसलखाने जाने
के लिए एक औरत वहां से गुजरने लगी तो रेल में ये सब होते देखकर वापस ही
भाग गयी, हे राम कहती हुई।
उधर कोई और भी था जो शीतल और आशीष के बीच एक दूसरे को जलाने की इस जंग का
फायदा उठा रहा था! राजपूत!
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