RE: Chudai Sex Kahani मस्त घोड़ियाँ
मस्त घोड़ियाँ--6
गतान्क से आगे........................
रोहित- संध्या के होंठो को चूम कर हाँ वो तो है डार्लिंग पर अब आगे का क्या प्लान है,
संध्या- खिड़की से बाहर बैठक की ओर धीरे से देखती है और उसे मम्मी और पापा बैठे हुए दिखाई देते है जो बिल्कुल करीब बैठ कर कॉफी की चुस्किया ले रहे थे,
संध्या- लगता है संगीता अपने रूम मे है, इनका रूम कुछ ऐसा था कि संगीता के रूम से ही उसके मम्मी-पापा का रूम सटा हुआ था और उसके मम्मी-पापा के रूम के पास मे बुआ का कमरा था, संध्या के रूम से पूरे बैठक का नज़ारा और मम्मी पापा और बुआ के रूम के अंदर आने जाने वाला साफ नज़र आता था लेकिन संगीता का रूम थोड़ा साइड मे था,
संध्या- रोहित अभी थोड़ा वेट करना पड़ेगा मम्मी पापा सामने ही बैठे है जब वह अपने रूम मे चले जाएगे तब हम दोनो संगीता के रूम मे चलेगे,
रोहित- ठीक है
संध्या- रोहित एक बात कहु
रोहित- हाँ बोलो जानेमन क्या बात है
संध्या- केवल एक दिन के लिए मुझे अपने मम्मी पापा के पास घुमाने ले चलो ना मैं बहुत दिनो से उनसे नही मिली हू मुझे बहुत याद आ रही है,
रोहित- वो तो ठीक है लेकिन तुम मुझे क्यो ले जा रही हो, तुम अकेली भी तो जा सकती हो
संध्या- अरे वो बात नही है, बल्कि मम्मी का कल फोन आया था और वह खुद कह रही थी कि दामाद जी को साथ लेती आना बहुत दिनो से उनसे मिली नही हू, अब क्या है ना रोहित मेरा कोई भाई भी नही है इसलिए उनका भी दिल मिलने के लिए करता होगा,
रोहित- यार वो तो ठीक है पर तुम वहाँ जाकर अपनी मम्मी के साथ रम जाओगी और मुझे तुम्हारे पापा को बेकार मे झेलना पड़ेगा मैं तो बोर हो जाउन्गा,
संध्या- अरे नही रोहित तुमने कभी उनसे खुल कर बात नही की इसलिए तुम्हे ऐसा लगता है, जबकि तुम्हे पता नही है, मेरे मम्मी और पापा दोनो बहुत अड्वान्स है, और पापा तो ठीक ही है वह तो पीने के बाद शुरू होते है पर मम्मी से तुम ज़्यादा खुल कर बात करोगे तो उनकी बाते सुन कर हैरान रह जाओगे, तुम नही जानते मैं तो अपनी मम्मी से सभी बाते शेर कर लेती हू,
रोहित- मुस्कुराते हुए और अपने पापा मनोज से
संध्या- मेरे पापा तो मेरी जान है मैं उनसे बहुत प्यार करती हू पर सबसे उन्होने तुम्हारे जैसा पति मुझे दिया है तब से मैं उनसे और भी प्यार करने लगी हू,
रोहित- और तुम्हारी मम्मी गीता उनसे प्यार नही करती
संध्या- मेरी मम्मी तो मेरी सहेली है, वह तो मेरी हमराज़ है और तुम नही जानते वह तुम्हे भी बहुत चाहती है, जब तुम उनसे खुल कर बात करोगे तब तुम्हे पता चलेगा कि वह कितने मस्त लोग है,
रोहित- खेर जिसकी बीबी इतनी मस्त हो उसके मम्मी पापा तो मस्त होंगे ही, ठीक है हम कल या परसो तुम्हारे घर भी चलते है ओके
संध्या- उसका गाल चूमते हुए ओके और फिर संध्या जब बाहर झाँक कर देखती है तो उसे सोफे पर कोई दिखाई नही देता है और वह रोहित का हाथ पकड़ कर उसके साथ संगीता के रूम मे पहुच जाती है,
संगीता जैसे ही दोनो को अपने रूम मे देखती है मुस्कुरा देती है
संध्या- क्या बात है ननद रानी हमारा ही इंतजार था क्या
संगीता- भाभी मैं तो कब से आप दोनो का इंतजार कर रही थी
संध्या-अच्छा सुन तेरे भैया तुझे पूरी नंगी देखना चाहते है चल जल्दी से अपने सारे कपड़े उतार दे
संगीता- मुस्कुराते हुए अपने भैया की ओर देखती है और रोहित संगीता को अपने सीने से लगा कर उसके रसीले होंठो को चूस लेता है,
संध्या- संगीता की स्कर्ट उपर करके उसकी पेंटी नीचे सरका देती है और रोहित को कहती है
संध्या- देखो रोहित संगीता के चूतड़ कितने मोटे हो गये है,
संगीता- हस्ते हुए भाभी आपसे से तो छ्होटे ही है,
रोहित- संगीता ज़रा अपने चूतड़ पूरे नंगे करके मुझे दिखा ना और फिर संगीता वही अपनी स्कर्ट और पेंटी पूरी उतार कर अपने भारी चुतडो को अपने भैया को दिखाने लगती है,
संध्या- अरे पगली ऐसे नही पहले तू पलंग पर चढ़ कर खड़ी हो जा उसके बाद अपने हाथो से अपनी मोटी गंद फैला कर अपने भैया को दिखा ताकि वह आराम से तेरी गंद का छेद चाट सके,
संगीता अपनी भाभी को मुस्कुरकर देखती हुई पलंग पर चढ़ जाती है और जब अपने दोनो चुतडो के पाटो को फैला कर अपने भैया को दिखाती है तो रोहित अपनी जवान बहन के गोल मटोल चूतड़ उसकी गुदा और गुदा के नीचे पाव रोटी जैसी फूली गुलाबी चूत को देख कर सीधे अपना मूह अपनी बहन की गंद मे भर कर एक ज़ोर से चुम्मा ले लेता है और संगीता हाय भाभी करके रह जाती है,
संगीता- पलट कर भाभी तुम भी नंगी हो जाओ ना मुझे अकेले शरम आती है
संध्या- उसकी बात सुन कर अपने सारे कपड़े खोल कर एक दम से पूरी नंगी होकर संगीता से चिपक जाती है और रोहित दोनो रंडियो को चूमने और सहलाने लगता है,
संध्या- अरे पहले हम तुम्हारे मम्मी पापा के रूम मे झाँक कर तो देखे क्या चल रहा है
मनोहर- मंजू अब तुम जल्दी से नंगी होती हो कि नही
मंजू-मनोहर को धकेल कर हस्ते हुए नही होंगी जब तक तुम मुझे यह नही कहते कि तुम्हारा लंड अपनी बहन रुक्मणी की मस्त गंद को चोदने के लिए बार-बार खड़ा हो जाता है,
मनोहर-हस्ते हुए मंजू के दूध दबा कर मेरी रानी जब तुम सब जानती हो तो मेरे मूह से क्यो सुनना चाहती हो
मंजू- मुझे तुम्हारे मूह से सुनना है नही तो आज मैं इस तगड़े लंड को ऐसे ही अपने हाथो से दबोच-दबोच कर इसका सारा रस निचोड़ दूँगी,
मनोहर- अच्छा बाबा मैं खुद अपने मूह से कहता हू जाओ मेरी प्यारी बहन रुक्मणी को बुला लाओ आज मैं उसकी खूब तबीयत से गंद मारना चाहता हू और तुम अपने हाथो से अपने पति के लंड पर तेल लगा कर अपनी ननद की मोटी गंद मे डालना,
संगीता- हाय भाभी मम्मी और पापा तो आज बुआ की गंद लगता है तबीयत से मारेंगे, पापा का लंड कितना जोरो से तना हुआ है
रोहित- संगीता की गंद मे उंगली डाल कर मसल्ते हुए, मेरी रानी जब कोई भाई अपनी बहन की नंगी गंद को याद करता है ना तो ऐसे ही लंड पूरे ताव मे आ जाता है
संध्या- संगीता की चूत सहलाते हुए और मेरी ननद रानी जब कोई बेटी अपने बाप का ऐसा टॅना हुआ लंड देखती है तो उसकी चूत से ऐसे ही पानी बहने लगता है मुझे लगता है तुम्हारा दिल कर रहा होगा कि तुम अभी जाकर पापा के मोटे लंड पर अपनी चूत फैला कर बैठ जाओ,
संगीता- अरे भाभी मन तो आपका भी यही कर रहा है ना
तभी रोहित ने दोनो को चुप रहने का इशारा करते हुए सामने देखने को कहा उन दोनो जैसे ही सामने देखा दरवाजे से रुक्मणी अंदर आती है और रुक्मणी को देख कर मंजू कहती है
मंजू- लो आप तो यू ही मरे जा रहे थे अपनी बहन के लिए वो खुद ही हाजिर हो गई
रुक्मणी- क्या बात है भाभी क्या बाते चल रही है,
मंजू- अरे कुछ नही आ तू मेरे पास बैठ जा और फिर एक साइड मे रुक्मणी जाकर बैठ जाती है,
मनोहर का लंड अपनी लूँगी मे उठा हुआ था और रुक्मणी की नज़र अपने भैया के मस्त औजार पर टिकी हुई थी, मंजू यह बात भली भाती जानती थी उसे बस शुरू करने की देरी थी,
मंजू- अरे रुक्मणी तेरे भैया नाराज़ है कहते है तुम मेरी बात नही मनती हो
रुक्मणी- पर आपने भैया की कोन सी बात नही मानी
मनु- अरे वही तो , ये मुझसे कह रहे है कि जो पेंटी तुम खरीद कर लाई हो उसे एक बार रुक्मणी को पहना कर दिखाओ,
रुक्मणी- का चेहरा लाल हो चुका था और उसने कहा भाभी क्यो आप मज़ाक करती हो
मनोहर- खड़ा होकर नही रुक्मणी, मंजू ठीक कह रही है, मैं देखना चाहता हू वह पेंटी तुम पर कैसे फिट बैठती है, जाओ और अभी उस पेंटी को पहन कर आओ, तुम जानती हो ना बचपन मे भी जब तुम हमारा कहना नही मानती थी तो हम तुम्हे क्या सज़ा देते थे,
रुक्मणी- भैया ऐसी सज़ा ना देना तुम बहुत ज़ोर से मारने लगते हो,
मंजू - हाँ मैं भी जानती हू तेरे भैया तुझे बेड पर उल्टा लेटा कर तेरे चूतादो पर थप्पड़ मार -मार कर लाल कर देते है, अब बोलो तुम्हे अपने इन भारी भरकम चूतादो पर अपने भैया के थप्पड़ थाने है या ब्रा और पेंटी पहन कर यहाँ आना है,
रुक्मणी- शरमाते हुए, भैया वह ब्रा और पेंटी तो मैने अभी पहन रखी है
मनोहर का लंड उसकी बात सुनकर झटका देने लगता है,
मनोहर- तो फिर अपने कपड़े उतार कर दिखाओ तुम कैसी लग रही हो
रुक्मणी अपने भैया की बात सुन कर अपनी भाभी की ओर देखने लगी तब मंजू ने मुस्कुराते हुए रुक्मणी के पिछे जाकर उसके ब्लौज की डोर को पिछे से खोल दिया, डोर के खुलते ही उसके तने हुए चुचो ने बड़ा सा आकर ले लिया और मस्त फैल गये, मंजू ने बुआ के दूध को अपने हाथो मे भर कर दबाते हुए कहा
मंजू - क्यो ननद रानी तुम तो कह रही थी कि तुमने ब्रा पहन रखी है तो फिर यह क्या है
रुक्मणी- शरमाते हुए भाभी ब्रा छ्होटी पड़ गई पेंटी तो मैं जबरन फसा कर आई हू मेरी मोटी गंद तो उसमे भी नही समा पा रही है और मेरी चूत की दोनो फांके एक-एक तरफ से बाहर निकली हुई है और पेंटी बीच मे फसि हुई है,
उसका इतना कहना था कि मंजू आगे आकर उसका नाडा खिच देती है और रुक्मणी सिवाय एक छ्होटी सी पेंटी पहने अपना मस्त हुस्न दिखला कर रोहित और उसके बाप दोनो के लंड को तडपा रही थी,
संध्या ऐसे क्षणो के लिए हमेशा तैयार रहती है और वह रोहित के लंड को पकड़ कर मसल्ने लगती है रोहित भी अपने आगे संगीता को करके उसके मोटे-मोटे बोबो को कस-कस कर मसल्ने लगता है, कभी-कभी रोहित अपनी बहन संध्या की ठोस चुचियो को इस कदर कस कर दबा देता है कि संगीता की चूत से पानी बहने लगता है,
उधर जब रोहित इन दोनो रंडियो से अपना ध्यान हटा कर जब सामने देखता है तब संध्या और संगीता दोनो रोहित से कस कर चिपक जाती है, सामने मंजू नई ब्रा और पॅंटी मे खड़ी थी उसकी गुदाज जंघे भारी चूतड़ देख कर रोहित का लंड झटके मारने लगा, रोहित देख रहा था कि कैसे उसकी मम्मी की पॅंटी का वह भाग फूला हुआ था जहाँ चूत होती है, संध्या ने रोहित का लंड पकड़ लिया और उसको सहलाते हुए कहने लगी, रोहित क्या दिल कर रहा है, क्या मम्मी अच्छी लग रही है,
रोहित- मेरी रानी देखो तो सही मेरी मम्मी का फिगुर कितना मस्त है इतनी उमर मे भी उनकी गंद और उनकी मोटी जाँघो का भराव देखो, इतनी मस्त होगी किसी की मम्मी,
संध्या- रोहित के कान मे अपना मूह लगा कर कहते हुए, मेरे राजा तुमसे ज़्यादा मस्त फिगुर तो मेरी मम्मी का है, तुमने अगर उसे नंगी देखा होता तो ऐसी बात नही करते,
रोहित- क्या सचमुच तुम्हारी मम्मी का जिस्म मेरी मम्मी के जिस्म से ज़्यादा मस्त है,
संध्या- मुस्कुराते हुए, नही तो क्या मैं मज़ाक कर रही हू,
संध्या रोहित के करीब आकर उसके गालो को चूमती हुई उसके लंड को कस कर दबा लेती है और उसके कान मे कहती है रोहित मेरी मम्मी को चोदोगे,
रोहित कस के संध्या के दूध को दबा कर उसके होंठो को चूम लेता है
रोहित का लंड संध्या की बाते और सामने का नज़ारा देख कर पूरी तरह गरम हो चुका था,
मनोहर- मंजू ज़रा रुक्मणी को पीछे तो घूमाओ मैं देखना चाहता हू कि इसकी पेंटी ने इसकी गंद पूरी धक रखी है या उसके चूतड़ बाहर ही नज़र आ रहे है
मम्मी ने झट से बुआ के नंगे उठे हुए पेट पर हाथ फेरते हुए अपने पति मनोहर की तरफ देखा और पुछा, क्यो जी अगर तुम्हारी मा भी रुक्मणी जैसी गदराई होती तो उसकी गंद भी तुम ऐसे ही मारने के लिए तड़प्ते,
पापा अपने लंड को मसल्ते हुए मम्मी की पेंटी मे फूली उनकी चूत को अपने हाथो मे भर कर मसल्ते हुए कहते है मेरी रानी अगर मेरी मा तेरे जैसी या रुक्मणी जैसी माल होती तो मैं उसको नंगी करके तबीयत से उसकी मस्त गंद मारता और तू भी ऐसी नंगी मत घुमा कर नही तो तेरा बेटा रोहित किसी दिन तेरी गंद मे अपना लंड ज़रूर गढ़ा देगा,
संगीता- क्या बात है भैया पापा तो आपके लिए अभी से मम्मी की गंद को सहला रहे है, मम्मी पर तो तुम्हारा खूब चढ़ने का मन हो रहा होगा ना,
संध्या- अरे ननद रानी मेरा रोहित तो अपनी मम्मी मंजू और अपनी बहन संगीता को एक साथ पूरी नंगी करके चोदने के फिराक मे है, और देखना जब रोहित मम्मी की मस्त गंद चोदेगा तब तेरी मम्मी मस्त घोड़ी की तरह अपनी गंद उठा-उठा कर मरवाएगी,
क्रमशः......................
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