RE: Virgin Girl Sex मासूम मुन्नी
अनिल का लॉडा चाट कर सॉफ करने के बाद मुन्नी उठी और घर जाने की
बात करने लगी. बिना ने उसे बाहों मे भर लिया और उसका मुँह चूमते
हुए मुन्नी के मुँह पर लगे अपने भैया के लंड का बीर्य और खुद अपनी
चूत के पानी को चाट लिया. "अब कब आएगी मेरी प्यारी सहेली?" उसने
मुन्निसे पूछा. "आऊँगी ऐसे ही कभी. पर तेरे भैया का लंड मैं
अपनी चूत मे नही लेने वाली इतना याद रख." मुन्निने कहा और घर की
तरफ चल पड़ी.
घर पहूंचते ही उसने मा से पूछा,"मा आज अंकल नही आए है क्या?"
इसपर मया हंस पड़ी. बोली,"तुझे अंकल से क्या काम? रोज रोज थोड़े ही
मैं तुझे अंकल के साथ मज़ा लेने दूँगी." "नही मा मैं तो यूँ ही
पूछ रही थी. अंकल रोज नही आते क्या?" मुन्निने फिर पूछा. मा
बोली,"आज तेरे अंकल बाहर गये है. मैं भी बेचैन हून उनसे
मिलने. पर क्या करू?" मा ने मुन्नी को अपने पास बिठाया. मुंनिके
चेहरे पर चमक थी सो उससे छुपी नही. मा पूछने लगी,"कहाँ
होकर आई है मेरी बेटी? और तेरी फ्रॉक पेर ये छीटें काहे के है?"
मा ने मुंनिके फ्रॉक पर लगी छींटों को सूँघा और तुरंत ताड़ गयी
कि ये बीर्य के छींटे है. "बोल कहाँ गयी थी छीनाल तू? ये किसके
लंड का पानी अपनी फ्रॉक पर लगा कर आई है?" मा ने आवाज़ चढ़ा कर
पूछा.
मुन्नी डर गयी. फिर उसने पूरी बात मा से कह डाली. ये भी बताया कि
अनिल भैया का लंड उसने मुँह मे लिया था और उसीकि ये बूंदे है.
लेकिन भैया का लंड का साइज़ देखकर वो डर गयी थी और बीना के
कहने पर भी चूत मे लंड उसने लिया नही था. मा येह सोच कर
शांत हुई कि उसकी मासूम बेटी की चूत अभी फटी नही. उसने मुन्नी
को गोदी मे भर लिया और समझाने लगी,"बेटी इसमे मेरी ही ग़लती है.
मैं तेरे अंकल के साथ कुकर्म करते हुए पकड़ी ना जाती तो आज तू
ऐसी गंदी बाते नही सीखती. तेरी उमर तो अभी पढ़ाई करने की है.
मैने ही तुझे ये सब गंदी बतो मे घसीटा है." इतना कह कर मा
की आँखों मे आँसू आ गये.
मुन्नी मा को रोती देखकर बोल पड़ी, "नही मा, मैं तो पहले से ही
चुदाई के बारे मे जानती थी. बीना ने मुझे सब बताया था वो अपने
भाई से कैसे चुद्वति है. उसने अगले इतवार मुझे अपने घर भी
बुलाया था. शायद वो अपने भाई के साथ मेरा जुगाड़ करना चाहती थी.
मैं भी ये सब देखने जानने के लिए उतावली थी. वो तो अच्छा हुआ कि
आप अंकल से चुद्वते मुझे दिख गयी और आप ही ने मुझे सब सीखा
दिया. आप मत रोइए."
मुन्नी के इस कहने पर मा को राहत महसूस हुई. मा मुन्नी को समझाने
लगी,"देख बेटी, जो हुआ सो हुआ. अब आगे एक बात का ख़याल रखना कि
जब तक तू बड़ी नही हो जाती, अपनी चूत मे किसी का लंड नही लेना.
हाँ मुँह मे ले सकती है. हाथ मे पकड़ सकती है पर चूत मे
नही. समझी?"
"ठीक है मा, लेकिन जब किसिको चुद्वते देखूं तो मेरी भी चूत मे
कुछ कुछ होने लगता है. ऐसे लगता है कि कोई लंड मेरी भी चूत
मे घुस जाए तो मज़ा आएगा. तब मैं क्या करू?" मुन्नी ने मासूमियत से
पूछा.
मा हंस कर कहने लगी,"अरी पगली, इसका उपाय बताती हूँ तुझे. जब
मन करता है लंड लेने को तब अपनी उंगली से अपनी चूत की खुजली
शांत कर लेना."
"वो कैसे मा? आप बताइए ना मुझे. फिर मैं नही लूँगी किसिका
लंड." मुन्नी ने कहा.
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