RE: Holi sex stories-होली की सेक्सी कहानियाँ
गालों पे लाल रंग रगड़ते , रेहन ने चिढ़ाया।
" भाभी मैंने बोला था न की , इस होली में नहीं छोडूंगा। "
" वो देवर असली देवर नहीं है , जो भाभी को होली में छोड़ दे " मैंने भी होली के मूड में जवाब दिया।
वो इस तरह मुझसे पीछे से चिपका था की मैं हिल डुल भी नहीं सकती थी। मेरे दोनों हाथ अभी भी मेज पे थे।
और रेहन का एक हाथ मेरे गोरे चिकने पेट पे था जहाँ वहा काही नीला रंग लगा रहा था।
मेरा आँचल कब का ढलक चूका था और चोली फाड़ जोबन लो कट ब्लाउज से खुल के झाँक रहे थे , रेहन को ललचा रहे थे।
लेकिन रेहन ने ब्लाउज में हाथ डालने की कोशिश नहीं की। पेटे पे रंग रहे उसके हाथ ने बस ब्लाउज के सारे बटन खोल दिए। बड़े बड़े जोबन के चलते ऊपर के दो बटन तो बंद ही नहीं थे , रवी से होली के चक्कर में एक बटन गायब हो चूका था , बस तिन बचे जो रेहन ने खोल दिए
और साथ ही फ्रंट परं ब्रा का हुक भी।
मेरी दोनों रसीली चूंचिया , छलक कर बाहर आ गयीं।
" भाभी जान , होली के दिन भी इन्हे बंद कर के , देवरों से छुपा के रखना एकदम गलत है। "
दोनों जोबन को कस के रगड़ते मसलते वो बोला।
बड़ी बेरहमी से वो मेरी चूंची मसल रहा था। राजीव भी रगड़ते थे लेकिन प्यार से।
पूरी ताकत से , मेरी चूंची वो दबा रहा था , कुचल रहा था , पीस रहा था।
दर्द हो रहा था मुझे मैं हलके हलके चीख भी रही थी।
लेकिन ये मैं भी जानती थी और रेहन भी की अगर में खूब जोर से चिलाउं तो भी घर में नहीं सुनायी पड़ने वाला था और इस समय तो होली का हंगामा , बाहर से लाउड स्पीकर पे होली के गानो की आवाज
, कोई सवाल ही नहीं था।
और अब मुझे उस दर्द में भी एक नया मजा मिलने लगा। एक ऐसा मजा , जिसे मैं आज तक जानती भी नहीं थी।
और उसी समय , रेहन ने पूरी ताकत से मेरे खड़े निपल्स को पुल कर दिया।
दर्द से मैं चीख उठी। " नहीं देवर जी ऐसे नहीं प्लीज लगता है " मैंने बोला।
" " तो क्या भाभी जान ऐसे " उसने दूसरा निपल पहले से भी ज्यादा जोर से पुल किया , और मेरी आँखों से आंसू का एक कतरा , मेरे गालों पे छलक पड़ा
रेहन ने पहले तो उसे चाटा , फिर कचकचा के काट लिया।
" अरे देवर जी क्या करते हो निशाँ पड़ जाएगा। " मैं बोली।
" अरे भाभी जान यही तो मैं चाहता हूँ की आपके इस देह पे आपके देवर रेहन का निशान हर जगह पड़ जाये , जिससे आपको अपने इस प्यारे देवर की याद आती रहे "
और उसी के साथ कचकचा के एक चूंची पे उसने पूरी ताकत से काट लिया और दूसरी पे अपने सारे नाखूनों के निशान गोद दिए।
मजे की बात ये थी कि अब मुझे ये सब बहुत अच्छा लग रहा था।
और साथ उसने एक हाथ से मेरा पेटीकोट और साडी कमर तक उठा दी और अब मैंने ऊपर और नीचे दोनो ओर से नंगी थी।
" अरे होली भाभी से खेलनी है , भाभी के कपड़ों से थोड़े ही खेलनी है। " रेहन बोला।
रंग अब आगे पीछे दोनों और लग रहा था। उसका बल्ज मेरे नंगे चूतड़ों से रगड़ खा रहा था। और रेहन ने मेरा हाथ खीच के अपने बल्ज पे रख के जोर से दबाया ,
" भाभी जान देखिये , कितना रंग है आपके देवर की पिचकारी में ".
मस्ती से मेरी भी हालत ख़राब थी। तब तक रेहन कि जींस सरसराती नीचे गिर गयी और उसका मोटा खूंटा ,
मैंने उसे पकड़ने में थोड़ी आनाकानी कि उसने चार जबरदस्त हाथ मेरे चूतड़ों पे जड़ दिए। फूल खिल आये गुलाबी वहाँ।
मैंने फिर लंड हाथ में पकड़ने की कोशिश की। इतना मोटा था कि मुश्कल से हाथ में समां रहा था , और लम्बा भी खूब।
थोड़ी देर तक वो चूतड़ और चूत के बीच रगड़ता रहा , मस्ती से मेरी आँखे मुंदी जा रही थीं। बस मन कर रहा था चोद दे हचक कर ,
रवी मेरे देवर के साथ मस्ती से हालत खरा ब हो रही थी। उसके पहले सुबह जान का बम्बू देख चुकी थी।
रेहन भी न , अब वो जोर जोर से मेरे बूब्स और क्लिट साथ साथ रगड़ रहा था , बस मन कर रहा था की , लेकिन रेहन को तड़पाने में मुझे मजा आ रहा था।
अंत में उसने मेरे मुंह से कहलवा ही लिया की मैं उससे चुदना चाह रही हं।
लेकिन उसने मुझे नीचे बैठाया और बोला ,
"भाभी जरा पिचकारी को चूम चाट तो लो और लंड से ही जोर से एक बार मेरे गाल पे , चांटे कि तरह लगा.
और मैंने मुंह खोल के उसका सुपाड़ा अंदर ले लिया , और जोर जोर से चूसने लगी।
कुछ ही देर में वो मेरा सर पकड़ के जोर जोर से मेरा मुंह चोद रहा था।
मैं लाख गों गों करतीं रही लेकिन वो हलक़ तक धकेल के ही माना।
मैं भी जोर जोर से चूसतीं रही , और जो वो झडने को हुआ , तो लड पूरा बाहर निकालकर , सारी की सारी मलायी , मेरे चेहरे , बालों पे और रस लगे सुपाड़े को मेरी चूंचियों पे जोर जोर से मसल के लगाया।
"मैंने ये तय किया था कि आप से पहली होली लंड के रंग से ही खेलूंगा " मुस्करा के रेहन ने बोला।
तब तक रोशनदान से मैंने देखा की कुछ औरतों का झुण्ड हमारे घर की ओर आ रहा है।
मैंने रेहन को बोला चलो निकलो लगता है ये सब यही आ रही हैं और फिर मुझे ढूँढ़ेंगीं।
निकळते निकलते रेहन बोला भाभी ये होली का ट्रेलर था , असली होली चुन्मुनिया के साथ खेलनी है , मेरी चूत मसलते हुए बोला।
" अरे देवर जी , अभी तो शाम को होली होनी है , यहाँ तो होली रंगपंचमी तक चलती है , मैं ही कौन छोड़ने वालीं हूँ , आपकी पिचकारी को पिचका के ही दम लुंगी। "
मैंने भी जोर से उसके लंड को दबाते हुए जवाब दिया।
बाहर निकल कर उसका दोस्त मिला , और जिस तरह उसने इशारा किया लग रहा था की , नीरा भाभी के साथ वो 'एक राउण्ड खेल 'चूका है।
इतने देवर आये मैंने गिन नहीं सकती थी।
पड़ोस के लड़के , इनके दोस्त , दूर दराज के रिश्तेदार , बस एक चीज कामन थी ,शायद ही कोई ऐसा देवर बचा हो जिसने मेरे ब्लाउज के अंदर हाथ डाल के जोबन का रस न लिया हो और अपना खूंटा न पकड़वाया हो।
और जो थोड़े बहुत हिम्मती होते थे , वो रामप्यारी को भी सहला देते ऊँगली कर देते। लेकिन मैं , चमेली भाभी और नीरा भाभी के साथ मिल के बराबर का मुकाबला कर रही थी , कितनो के कपडे फटे , अगवाड़े पिछवाड़े हर जगह रंग ही नहीं लगा , कई देवर चमेली भाभी के ऊँगली के भी शिकार हुए।
और देवरों के लंड मुठियाने में नीरा भाभी भी हम लोगों से पीछे नहीं थी।
एक बिचारा छोटा देवर , ८-९ में पढता होगा , नीरा भाभी ने उसकी हाफ पैंट सरका के नीचे कर दी और मुठियाने के साथ उसी से उसकी बहनो को एक से एक गालियां दिलवायी और फिर बोला , " खड़ा मैने कर दिया है , झड़वाना चुन्नी से जा के "
लेकिन उस के निकलने के पहले चमेली भाभी ने उसे निहुरा दिया और मुझसे बोला ,
" कोमल देख , अभी इस साल्ले ने गांड मरवाना शुरू किया है कि नहीं। "
मैं क्यों पीछे रहती , इतना चिकना देवर था। मैंने भी घचाक से एक ऊँगली अंदर की , और बोला
नहीं भाभी अभी तो एकदम कच्ची कली है। "
नीरा भाभी ने मुझे ललकारा , " अरे तो कर दे न निवान साल्ले काओ , अच्छा मुहूरत है। होली के दिन गांड मरवाना शुरू करेगा तो उमर भर के लिए गांडू बनेगा। कितने लौण्डेबाजों का भला करेगा।
अपनी जिठानी कि बात भला मैं कैसे टालती।
लेकिन जो मजा औरतों कि होली में आया वो इससे भी १० गुना था।
न कोई रिश्ते का बंधन , न कोई उमर का लिहाज।
चमेली भाभी की भाषा में बोलूं तो कच्चे टिकोरे वालियों से लेकर बड़े रसीले आमों वाली तक।
ननदों की जो टोली आयी उसमें कुछ फ्राक में थी , कुछ टॉप स्कर्ट में और कुछ शलवार कुर्ते वाली। ज्यादातर कुँवारी थी लेकिन कुछ शादी शुदा भी , साडी में।
एक ननद कि शादी अभी कुछ महीने पहले ही हुयी थी। उसके हस्बेंड कल आने वाले थे। चमेली भाभी ने उसी को धर दबोचा और साडी उठा के सीधे अपनी चूत से चूत रगड़ते हुए बोलीं
" अरे ननदोई नहीं है तो क्या चल भौजी से मजा ले ".
नीरा भाभी ने मुझे एक टिकोरे वाली की और इशारा किया , लाली पड़ोस की थी अभी दसवें में गयी थी।
मैंने उसे पीछे से धर दबोचा और एक झटके में फ्राक का ऊपर का हिस्सा फाड़ के अलग , सफेद ब्रा मेरे लाल रंग के रंगे हाथों से लाल हो गयी और थोड़ी देर में जमीन पे थे।
कस कस के मैंने उसकी चूंची मलते पूछा ,
" क्यों मेरे देवरों से दबवाना अभी शुरू किया कि नहीं "
" नहीं भाभी " शर्मा के वो बोली।
" अरे मैंने तो सूना था कि मेरी सारी ननदें , चौदह की होते ही चुदवाना शुरू कर देती है , और तू ,…चल मैं ही अपने किसी देवर से तेरी सेटिंग कराती हूँ। " और ये कह के मैंने उसकी चड्ढी भी खींच दी।
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