RE: Holi sex stories-होली की सेक्सी कहानियाँ
ससुराल की पहली होली-3
" क्यों देवर जी तुम्हे ऐसा ही विदा कर दें "
लेकिन अबकी चमेली भाभी रवी की और से बोल उठीं।
" अरे ऐसा गजब मत करियेगा। इतना चिकना माल , ऐसी कसी कसी गांड ( और अपनी बात सिद्ध करने के लिए रवी के दोनों चूतड़ों को फैला के गांड का छेद दिखाया भी , वास्तव में खूब कसा था। )
और इंहा इतने लौंडेबाज रहते हैं , फिर होली का दिन ,… मार मार के इनकी गांड फुकना कर देंगे। महीना भर गौने के दुल्हिन कि तरह टांग फैला के चलेंगे। "
" फिर तो ,… यही हो सकता है की हम लोग इनको अपने कपडे पहना दें , साडी , चोली। कम से कम इज्जत तो बच जायेगी। " भोली बन के मैंने सुझाव दिया , जिसे सर्वसम्मति से मान लिया गया।
फिर देवर जी का श्रृंगार शुरू हो गया।
और साथ में गाना भी
" अरे देवर को नार बनाओ रे देवर को "
सबसे पहले मैंने अपनी पैंटी में उस तन्नाये खूंटे को बंद किया। फिर कपडे पहनाने का काम चमेली और नीरा भाभी ने सम्हाला , और श्रृंगार का काम मेरे जिम्मे।
चमेली भाभी ने अपना पेटीकोट उतार के उन्हें पहना दिया तो एक पुरानी गुलाबी साडी , नीरा भाभी ने उन्हें पहना दी।
मैंने पैरों में महावर लगाया , घुँघर वाली चौड़ी पायल पहनायी , बिछुए पहनाये , और फिर हाथ में कुहनी तक हरी हरी चूड़ियाँ। कान नाक में छेद नहीं होने की परेशानी नहीं थी।
मेरे पास स्प्रिंग वाली छोटी सी नथ थी और बड़े बड़े झुमके , बस वो पहना दिए। गले में मटर माला। होंठो पे गाढ़ी लाल लिपस्टिक , आँखों में काजल , मस्कारा , और सब मेकअप खूब गाढ़ा , जैसे मेरे ससुराल की रेड लाइट एरिया , कालीनगंज में बैैठने वाली लग रही हों।
चमेली भाभी ने ब्रा और चोली पहनायी लेकिन मुझे कुछ 'मिसिंग' लग रहा था और ऩीने दो रंग भरे गुबारे , ब्रा के अंदर ऐडजस्ट कर दिए।
बाल भी फिर से काढ़ के मैंने औरतों की तरह सीधी मांग निकाल दी।
मस्त रंडी लग रही है , मुस्करा के नीरा भाभी ने बोला। फिर उन्हें कुछ याद आया ,
" एक कसर बाकी है " उन्होंने आँख नचा के मुझसे कहा।
" क्या भाभी ," मैंने पूछा।
" सिन्दुरदान " वो बोलीं।
छुटकी भौजी मैं थी तो ये काम भी मैंने कर दिया और नीरा भाभी से कहा , "
" भाभी , सिन्दुरदान तो हो गया , अब सुहागरात भी तो मनानी चाहिए "
" एकदम निहुरा साली को " अबकी जवाब चमेली भाभी ने दिया और जबरन पकड़ा के निहुरा भी दिया और पेटीकोट भी उठा दिया।
नीरा भाभी ने पैंटी घुटने तक सरका दी और मुझसे कहा ,
" मार लो साल्ली की , सिन्दुरदान तूने किया पहला हक़ तेरा है "
और मेरे कुछ समझने के पहले , चमेली भाभी ने एक गुलाल भरा मोटा कम से कम ७ इंच लम्बा कंडोम मेरे हाथ में थमा दिया।
और मेरे कुछ समझने के पहले , चमेली भाभी ने एक गुलाल भरा मोटा कम से कम ७ इंच लम्बा कंडोम मेरे हाथ में थमा दिया।
बस क्या था , घचाघच , घचाघच, पूरी ताकत से मैंने पेल दिया।
एक बात तो अब तक मैं सीख ही चुकी थी की बुर चोदने में भले कोई रहम दिखा दे , गांड मारने में कतई रहम नहीं दिखाना चाहिए।
न मारने वाले को मजा आता है और न मरवाने वाले को।
और सबसे बड़ी बात ये थी की चमेली और नीरा भाभी ने जिस तरह से उनसे निहुरा रखा था , वो एक सूत भी हिल डुल नहीं सकता था।
गुलाल से भरा कंडोम का डिल्डो आलमोस्ट ७ इंच अंदर था। और अब मैं उसे गोल गोल घुमा रही थी।
" कल मैंने क्या कहा था , आज देखेंगे कौन डालता है , कौन डलवाता है। " नीरा भाभी , मेरी जेठानी ने देवर को छेड़ा।
गुलाल भरा कंडोम आलमोस्ट बाहर निकाल के एक धक्के में पूरा अंदर डाल के मैंने पूछा , " बोल भेजेगा न , शाम को अपनी उस रंडी बहन को "
" हाँ भाभी , हाँ " रवी बोला और मैंने अब डिल्डो , अपनी जेठानी के हाथ में पकड़ा दिया।
लेकिन सबसे हचक के गांड मारी चमेली भाभी ने , पूरी ताकत से। और फिर उसे अंदर ठेल के पैंटी पहना के खड़ा कर दिया।
हम तीनो ने उन्हें नारी वेश में बाहर कर के दरवाजा बंद कर लिया।
"जाके अपनी बहन से निकलवाना इसे " पीछे से नीरा भाभी बोलीं।
हमने थोड़ी देर सांस ली होगी , अपने कपडे ठीक किये होंगे ,बाल्टी में फिर से रंग घोला होगा की दरवाजे पे फिर से खट खट हुयी।
रेहन और नितिन थे , दोनों इनके लंगोटिया यार , इसलिए मेरे 'स्पेशल ' देवर।
हमने थोड़ी देर सांस ली होगी , अपने कपडे ठीक किये होंगे ,बाल्टी में फिर से रंग घोला होगा की दरवाजे पे फिर से खट खट हुयी।
रेहन और नितिन थे , दोनों इनके लंगोटिया यार , इसलिए मेरे 'स्पेशल ' देवर।
रिसेप्शन में इनके सामने ही दोनों ने कहा था , " साले इत्ता मस्त माल ले आया है , हम छोड़ेंगे नहीं" और मुझसे बोला " भौजी , आने दो होली , बचोगी नहीं आप। "
मैं कौन मजाक में पीछे रहने वाली थी , मैंने भी बोला।
" अरे फागुन में देवर से बचना कौन चाहता है , "
पिछली होली मायके में मनी इसलिए मैं बच गयी थी। और मैं जानती थी अबकी ये दोनों छोड़ने वाले नहीं।
दोनों कि निगाह इनके सामने भी मेरे चोली फाड़ जोबन पे रहती थी , और मैं भी कभी झुक के कभी उभार के ललचाती रहती थी।
हम तीन थे और ये दो , लेकिन अमिन समझ गयी की वो पक्का प्लान बना के आये हैं।
नितिन ने चमेली भाभी और नीरा भाभी को उलझाया और बची मैं और रेहन।
मैंने समझती थी कि उससे अकेले पर पाना मुश्किल है , इसलिए मैंने भागने में ही भलाई समझी।
आगे आगे मैं पीछे रेहन।
और मैं स्टोर रूम में घुस गयी.
और यही मेरी गलती थी। ( लेकिन एक मीठी सी गलती)
स्टोर रूम घर के ऐसे कोने में था , जहाँ कुछ भी हो , पूरे घर में उसका अंदाज भी नहीं लग सकता था।
छोटा सा कमरा , वहाँ कुछ पुराने फर्नीचर पड़े थे। आलमोस्ट अँधेरा , बस एक बहुत छोटा सा रोशनदान।
दौड़ते भागते मैं थक गयी थी , कुछ सांस भी फूल गयी थी। मैं एक पुरानी मेज का सहारा लेके झुक के खड़ी थी।
और तब तक दरवाजा बंद होने कि आवाज हुयी , रेहन। वो ठीक मेरे पीछे था।
और जब तक मैं कुछ करती , उसके रंग लगे हाथ मेरे गोरे मुलायम गालों पे थे।
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